भारत 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो चुका था, लेकिन उसे अभी भी कई मुकाम हासिल करने थे. 18 मई 1974 को वैश्विक शांति और स्थिरता की कड़ी में एक बड़ा कदम उठाया गया.
भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण ‘स्माइलिंग बुद्धा‘ पोखरण में सफलतापूर्वक किया. इसके बाद भारत का स्थान और उसकी साख एक मजबूत राष्ट्र के तौर पर बढ़ी.
इस कड़ी में भारत ने परमाणु परीक्षण के अगले चरण पर काम शुरू किया. पहले परमाणु परीक्षण में अपार सफलता के बाद भारत के वैज्ञानिक दूसरे परमाणु परीक्षण की तैयारियों में जुट गए.
इस बार बारी थी पोखरण-2 की, जिसकी सफलता के बाद भारत ने खेत-खलिहान से लेकर विज्ञान तक के क्षेत्र में कई कीर्तिमान हासिल किए.
ऐसे में इस क्रांतिकारी परमाणु परीक्षण के बारे में जानना निश्चित तौर पर प्रेरक और गौरव की अनुभूति कराने वाला होगा.
तो आइए आज हम ‘पोखरण-2’ के बारे में बात करेंगे–
अब्दुल कलाम के हाथों में थी पोखरण-2 की ज़िम्मेदारी
‘सपने वो नहीं जो सोते हुये देखे जायें, बल्कि सपने वो हैं जो इंसान को सोने न दें.’
यह मशहूर पंक्तियां भारत के महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम ने कही थीं. यह पंक्तियां अब्दुल कलाम का देश के प्रति समर्पण और उनका व्यक्तित्व बयान करती हैं.
भारत के दिव्गंत पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम ने भारत को दूसरा परमाणु बम हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को परमाणु विकसित देशों में और मज़बूत करने का जो सपना देखा था. उन सपनों को अब्दुल कलाम ने पंख लगाने में मदद की थी.
इंजीनियरिंग कॉलेज से निकलते ही अब्दुल कलाम भारत के रक्षा अनुसंधान एंव विकास संगठन में बतौर वैज्ञानिक जुड़ गए. वहीं से उन्होंने दूसरा परमाणु बम बनाने का अपना सफ़र शुरू किया.
साल 1998 में अब्दुल कलाम पोखरण-2 को सफल बनाने के लिये काफी प्रयास कर रहे थे.
इस दौरान वह रक्षा मंत्री एंव रक्षा विभाग के रक्षा अनुसंधान एंव विकास विभाग के वैज्ञानिक सलाहकार भी थे.
उनकी देखरेख में ही भारत के वैज्ञानिक लैब में भारत को दूसरा परमाणु बम देने के लिये दिन-रात मेहनत कर रहे थे.
Abdul Kalam Was The Chief Scientist For Pokhran-2 Program (Pic: tamil.samayam)
रंग लाई वैज्ञानिकों की अथक मेहनत!
पोखरण-2 पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने इसे सफल बनाने के लिये खुद को पूरा समर्पित कर दिया था. अब्दुल कलाम की देखरेख में वैज्ञानिकों की टुकड़ी पोखरण-2 पर कार्य कर रही थी.
दूसरा परमाणु बम बनाने के लिए भी भारत को पहले जैसी मेहनत करनी पड़ी. परमाणु बम हासिल करने और उसके सफल परीक्षण के लिए भारतीय वैज्ञनिकों ने एक लंबा सफ़र तय किया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत को दूसरा परमाणु बम देने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने साल 1990 के बाद ही इसपर काम करना शुरु कर दिया था.
अब्दुल कलाम और परमाणु ऊर्जा विभाग के डायरेक्टर राजगोपाल चिदंबरम संयुक्त रूप से पोखरण-2 को सफल बनाने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे थे.
भारत का मिसाइल प्रोग्राम अब्दुल कलाम के नेतृत्व में चल रहा था. राजस्थान के पोखरण की आर्मी बेस लैब में अब्दुल कलाम वैज्ञानिकों की टीम के साथ पोखरण-2 पर काम कर रहे थे.
काम बहुत मुश्किल था पर नामुमकिन नहीं. सब जानते थे इसमें समय बहुत लगेगा मगर वह तैयार थे. वह किसी भी हालात में इसे पूरा करना चाहते थे.
आखिर में साल 1998 में मई माह में पोखरण-2 को बनाने में वैज्ञानिकों ने सफलता हासिल कर ली. अब दूसरा परमाणु बम बनाने के बाद वैज्ञानिकों की टीम बस उसके सफल परीक्षण करने की कामना कर रही थी.
परीक्षण में छोटी भी कोई खामी आती तो वैज्ञानिकों को दोबारा नये सिरे से परमाणु बम पर काम करना पड़ता!
जब तक पोखरण-2 का सफल परीक्षण नहीं हुआ था, इसे बनाने वाले वैज्ञानिक इसकी सफलता को लेकर काफी चिंतित थे.
उन्होंने कई सालों की मेहनत के बाद इसे तैयार किया था. वह बस चाहते थे कि उनका यह काम सफल हो. शायद किस्मत भी यही चाहती थी.
After Many Years Scientist Finally Made Pokhran-2 (Representative Pic: brookings)
‘ऑपरेशन शक्ति’ से हुआ दूसरे परमाणु बम का परीक्षण…
कई साल की लंबी तपस्या और लैब में दिन-रात मेहनत करने के बाद भारत की झोली में दूसरा परमाणु बम परीक्षण के लिए मौजूद था.
स्माइलिंग बुद्धा का सफल परीक्षण करने के बाद भारत के विज्ञान क्षेत्र के लिये यह दूसरा सबसे बड़ा ऐतिहासिक मौका था.
अब्दुल कलाम और राजगोपाल चिदंबरम ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को परमाणु बम के तैयार होने की अपनी उपलब्धि के बारे में बताया.
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय सेना से विचार विमर्श करने के बाद परमाणु बम के परीक्षण के लिये 11 मई 1998 का दिन चुना गया.
इस परीक्षण को ‘ऑपरेशन शक्ति’ का नाम दिया. इसके साथ से भारत की शक्ति बढ़ने वाली थी. इसलिए ही शायद इसे ‘ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया.
ऑपरेशन शक्ति के दौरान पांच परमाणु उपकरणों का परीक्षण हुआ. वह परीक्षण शक्ति-1,शक्ति-2, शक्ति-3, शक्ति-4 और शक्ति-5 कहलाये. राजस्थान में यह परमाणु परीक्षण 11 से 13 मई तक चला.
आखिर में यह परीक्षण भी उम्मीद पर खड़ा हुआ. यह भी सफल रहा. 13 मई को अटल बिहारी वाजपेयी ने अधिकारिक रूप से ऑपरेशन शक्ति के सफल होने की जानकारी भारत वासियों के सामने रखी.
11 मई की सफलता के बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दिन को ‘राष्ट्रिय प्रौधोगिकी दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा कर दी.
यह दिन वाकई में तकनिकी विकास की ओर भारत का एक बड़ा कदम था.
Picture After Pokhran-2 Success (Pic: thequint)
ऑपरेशन शक्ति के बाद कई देश हुये शक्तिहीन!
भारतीय वैज्ञानिक कई सालों से भारत को परमाणु विकसित देश बनाने की कोशिश में थे. यह कोशिश पूरी भी हो गई. भारत के दूसरे परमाणु बम की सफलता की ख़बर पूरी दुनिया में फैल गई.
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से पूरी दुनिया को बता दिया था कि भारत ने अपना दूसरा परमाणु बम परीक्षण सफल तौर पर पूरा कर लिया है.
बस फिर क्या था, इस ख़बर के बाद कई देशों को तो जैसे सांप सूंघ गया.
असल में किसी भी देश ने यह नहीं सोचा था कि इतने साल गुलामी की ज़ज़ीरों में जकड़े रहने वाला भारत इतने कम समय में दो परमाणु बम हासिल कर लेगा!
भारत के ऑपरेशन शक्ति के बाद भारत वैश्विक स्तर पर शक्तिशाली राष्ट्र बनकर उभरा. वहीं दूसरी ओर भारत की ताक़त को देखकर कई देश शक्तिहीन हो चुके थे.
कहते हैं कि भारत के वैज्ञानिक सब कुछ भूल कर पोखरण-2 को कामयाब करने में लगे थे. वहीं दूसरी ओर अमेरिका की खुफीया एजेंसी सीआईए को इसकी भनक लग गई थी. इसलिए अमेरिका जासूसी सैटेलाइट से राजस्थान के पोखरण आर्मी बेस पर नज़र बनाये हुये था.
हालांकि भारत की सूझबूझ के आगे अमेरिका भी हार गया था. यही काम इतने खुफिया तौर पर किया गया कि अमेरिका कोई भी हरकत पकड़ ही नहीं पाया.
इतना ही नहीं 13 मई साल 1998 में भारत के पोखरण परीक्षण के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत की काफी अलोचना करते हुये भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया था!
अमेरिका का कहना था कि भारत ने बिना यूएन को सूचित किये परमाणु बम का टेस्ट किया. इससे दूसरे देशों में असुरक्षा और भय का माहौल बनेगा.
हालांकि भारत की ओर से जवाब दिया गया कि युद्ध करने के लिए उन्होंने परमाणु बम नहीं बनाया है.
कोई भी इसके बाद भारत पर ऊँगली नहीं उठा पाया. सब भारत के इतिहास से वाखिफ थे. भारत ने कभी भी किसी जंग की पहल नहीं की.
हर देश अपनी ताक़त के अनुसार भारत के परमाणु परीक्षण को ग़लत साबित करने में लगा था. अमेरिका ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान, चाइना इत्यादि भी भारत के परमाणु परीक्षण को ग़लत ठहराने में लगे हुये थे.
हालांकि इन सब बातों का भारत पर कोई ख़ासा असर नहीं पड़ा और भारत विश्व में एक मज़बूत राष्ट्र बनकर उभरा.
Many Countries Blamed India In UN Meeting For Pokhran-2 (Representative Pic: un)
कड़ी मेहनत के कारण ही आज भारत का नाम परमाणु शक्ति वाले देशों में आया है. इन सब के बावजूद भी भारत कभी भी परमाणु बम को किसी देश को धमकाने के लिए इस्तेमाल नहीं करता.
यह महज़ देश की सुरक्षा के लिए है जिसे शायद ही कभी इस्तेमाल किया जाए. परमाणु बम बनाकर भारत ने बस इतना साबित किया कि वह किसी से भी कम नहीं है.
Web Title: Pokhran-2: India’s Second Nuclear Program, Hindi Article
Feature Image Credit: wallpapersafari