इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
24 जुलाई के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
शुरू हुआ रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान
24 जुलाई 1932 के दिन रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान की स्थापना हुई. इसकी स्थापना स्वामी दयानंद महाराज ने कोलकाता में की. पहले-पहल इसे एक किराए के मकान में खोला गया. एक अमेरिकी विदूषी हेलेन रूबेल ने इसे स्थापित करने में वित्तीय सहायता प्रदान की. हेलेन रूबेल को ‘सिस्टर भक्ति’ के नाम से भी जाना जाता है.
आगे कुछ वर्षों के बाद लैंडसम रोड पर एक प्लाट खरीदा गया. 4 मार्च 1938 के दिन श्रीमत स्वामी महाराज ने इस प्रतिष्ठान के पक्के भवन की नींव रखी. श्रीमत स्वामी महाराज स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य रह चुके थे.
वे रामकृष्ण मठ के चौथे प्रमुख भी थे. 1939 के आते-आते यह प्रतिष्ठान मातृत्व और शिशु सेवा और सुरक्षा के लिए प्रसिद्द हो गया. अब इसका नाम ‘शिशुमंगल’ रख दिया गया. 1957 के आते-आते यह पुरुषों की भी देखभाल करने लगा.
अब एक बार फिर से इसका नाम बदलकर ‘सेवा प्रतिष्ठान’ कर दिया गया.
आगे 1977 में यह ‘विवेकानंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस’ हो गया. इस समय तक इसकी सेवाओं में भी बढ़ोत्तरी हो गई. आगे इसमें और भी विकास हुए. 2015 में भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जन्मशती के अवसर पर ‘स्वामी विवेकानंद कार्डियक सेंटर’ का उद्घाटन किया.
कुतुबुद्दीन ऐबक बना सुल्तान
24 जुलाई 1206 के दिन लाहौर में कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्याभिषेक हुआ. यह कार्य मोहम्मद गौरी के मृत्यु के बाद हुआ.
इससे पहले मोहम्मद गौरी ने उत्तरी भारत के कई इलाकों को जीतकर दिल्ली सल्तनत की नींव रखने में प्रमुख भूमिका निभाई थी. कुतुबुद्दीन ऐबक उसका सेनापति था. दिल्ली सल्तनत को मध्कालीन भारतीय इतिहास में प्रमुख स्थान प्राप्त है.
असल में तराइन की दूसरी लड़ाई के बाद तुर्कों ने दिल्ली पर फतह हासिल कर ली थी. इसके बाद मोहम्मद गौरी कुतुबुद्दीन एबक को जीते हुए इलाकों की जिम्मेदारी सौंपकर खुरासान वापस चला गया था.
आगे ऐबक ने दिल्ली को अपना केंद्र बनाया और सल्तनत का प्रसार दोआब क्षेत्र तक कर लिया. इसके बाद उसने राजपूतों के ऊपर आक्रमण किया. इसी बीच उसके लेफ्टिनेंट बख्तियार खिलजी ने बिहार और बंगाल पर नियंत्रण स्थापित कर लिया.
बहरहाल, जल्द ही ऐबक ने लाहौर को अपना केंद्र बना लिया.
आगे उसने संधियों और कूटनीति के सहारे उत्तर-पश्चिम के एक बड़े हिस्से पर अपना दबदबा कायम कर लिया. 1210 में उसकी मृत्यु हो गई तो उसका दामाद इल्तुतमिश दिल्ली का नया सुल्तान बना.
कुतुबुद्दीन ऐबक को अपने राज्य से चोरी और दूसरे छोटे-मोटे अपराधों को ख़त्म करने का श्रेय जाता है. उसने दिल्ली और अजमेर में मस्जिदों का निर्माण भी करवाया. उसके शासन में हिन्दुओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. उसकी उदारता की वजह से ही उसे ‘लाखबख्स’ की उपाधि मिली.
एस विजयलक्ष्मी बनीं पहली महिला ग्रैंडमास्टर
24 जुलाई 2000 के दिन एस विजयलक्ष्मी शतरंज की पहली भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर बनी. यह सफलता उन्होंने विप्रो द्वारा आयोजित की गई अंतरराष्ट्रीय चेस चैम्पियनशिप के दौरान हासिल की. इस दौरान उन्होंने विप्रो के पी. हरिकिशन को पराजित किया. एस विजयलक्ष्मी ने इस प्रतियोगिता में इंडियन एयरलाइंस की तरफ से हिस्सा लिया था.
इस प्रतियोगिता का आयोजन हैदराबाद में किया गया था.
फाइनल मैच के पहले विजयलक्ष्मी नर्वस थीं. हालाँकि, इससे पहले वे तीन बार चैंपियन बन चुकी थीं. खैर, मैच शुरू हुआ तो विजयलक्ष्मी को प्रथम भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर बनने में ज्यादा समय नहीं लगा.
उन्होंने मैच के 9 राउंड ड्रा खेलकर यह खिताब अपने नाम किया. हालाँकि, सबसे पहले राउंड में वे लगभग हार ही गई थीं.
मैच के बाद विजयलक्ष्मी ने बताया कि वे इस जीत से काफी खुश हैं. उन्होंने बताया कि मैच से पहले वे काफी नर्वस थीं, इसलिए उन्होंने भगवत गीता का पाठ भी किया था. उन्होंने बताया कि इससे पहले वे तीन बार महिला श्रेणी में चैंपियन बन चुकी हैं, लेकिन भारत की पहली महिला चेस ग्रांडमास्टर बनना उनके लिए बेहद खास था.
उनकी इस जीत के बाद उनके पास बधाइयों का तांता लग गया.
विपक्ष के सांसदों ने दिया इस्तीफ़ा
24 जुलाई 1989 के दिन लोकसभा में विपक्ष के अधिकतर सांसदों ने इस्तीफ़ा दे दिया. बाद में इन इस्तीफों को स्वीकार भी कर लिया गया. यह इस्तीफे बोफोर्स घोटाले को लेकर दिए गए थे.
हम आपको बता दे कि बोफोर्स एक ऐसा घोटाला था, जिसने 1980 और 1990 में देश में कोहराम मचा दिया था. इस घोटाले में कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं का नाम आया. इसमें तब के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का भी नाम था.
इनके ऊपर स्वीडेन की हथियार निर्माता कम्पनी बोफोर्स से घूंस लेकर भारतीय सेना को तोप सप्लाई करने का आरोप था.
इस घोटाले को एन राम नाम के एक खोजी पत्रकार ने प्रकाश में लाया था. वह तब दि हिन्दू में कार्यरत थे. इस घोटाले की वजह से 1989 के आम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी.
बाद में जांच में पता चला था कि कांग्रेस के कई मंत्रियों को बोफोर्स कम्पनी से 12 मिलियन डालर की घूस मिली थी.
आरोप लगने के बाद कैग ने इसकी जांच की थी. कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 392 करोड़ के हथियारों को मानकों का उलंघन करके कैग से ख़रीदा गया था. इसके साथ कैग ने यह भी बताया कि हथियारों की डिलीवरी में जानबूझकर देरी की गई.
इस रिपोर्ट के बाद कहा गया कि घोटाले पर सदन में विस्तृत चर्चा हो, लेकिन विपक्ष ने इसपर चर्चा करने से मना कर दिया. विपक्ष ने मांग की राजीव गाँधी अपने पद से इस्तीफ़ा दें.
बाद में जब राजीव ने इस्तीफ़ा नहीं दिया तो विपक्षी सांसदों ने इस्तीफ़ा दे दिया. आगे इन बोफोर्स तोपों का कारगिल युद्ध में इस्तेमाल हुआ. इन तोपों ने भारत को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
तो ये थीं 24 जुलाई के दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुडी ऐसी किसी ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In Indian History 24 July, Hindi Article
Feature Image Credit: Total Center