इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
23 जुलाई के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
सिकंदर सूरी को हराकर, दिल्ली पहुंचा हुमायूँ
23 जुलाई 1555 के दिन हुमायूँ ने सरहिंद में सिकंदर सूरी को हरा दिया. इस प्रकार हुमायूँ एक बार फिर से दिल्ली की गद्दी पर बैठा.
हुमायूँ मुग़ल शासक बाबर का उत्तराधिकारी था. बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी थी. बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूँ दिल्ली की गद्दी पर बैठा था.
आगे 1540 में शेर शाह सूरी ने हुमायूं को हरा दिया. इसके बाद हुमायूँ को भारत से बाहर जाने पर मजबूर होना पड़ा. दिल्ली और आगरा को कब्जे में लेने के बाद शे शाह ने अपने साम्राज्य का विस्तार करना शुरू किया.
आगे शेर शाह सूरी 1545 में कलिजर में मारा गया. उसके मरने के बाद उसका छोटा बीटा इस्लाम शाह गद्दी पर बैठा. आगे 1553 में इस्लाम शाह की भी मृत्यु हो गई. इसके बाद गद्दी के लिए उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गई.
इस समय साम्राज्य में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था. सत्ता पाने के लिए जगह-जगह से राजनीतिक विद्रोह उठ रहे थे.
इस्लाम शाह का 12 वर्षीय पुत्र फ़िरोज़ खान साम्राज्य का अगला शासक बना. आगे उसके ममेरे चाचा आदिल शाह सूरी ने उसकी ह्त्या कर दी. इसके बाद सिकंदर सूरी दिल्ली की गद्दी पर बैठा.
हालांकि, राजनीतिक संकट पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ था और राज्य में उथल-पुथल मची हुई थी. उधर हुमायूँ ने भी अपनी सेना को संगठित कर लिया था. इसी उथल-पुथल का फायदा उठाकर हुमायूँ ने सिकंदर सूरी पर आक्रमण कर दिया.
आगे सरहिंद में दोनों के बीच लड़ाई हुई और हुमायूँ को जीत मिली.
पैदा हुए क्रांतिकारी 'चंद्रशेखर आजाद'
23 जुलाई 1906 के दिन भावरा, मध्य प्रदेश में अमर शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म हुआ. उनका बचपन का नाम चंद्रशेखर तिवारी था. मात्र 15 वर्ष की उम्र में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. इसी दौरान उनको गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’ रख लिया.
1922 में असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद आजाद का मन गांधी जी के अहिंसा के रास्ते से उठ गया. इसके बाद उनकी मुलाक़ात राम प्रसाद बिस्मिल से हुई. बिस्मिल उस समय हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन नाम का संगठन चला रहर थे. इस संगठन का उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के द्वारा भारत को आजाद कराना था.
आजाद जल्द ही इस संगठन का हिस्सा बन गए और अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजी अफसरों के खिलाफ हिंसात्मक कार्वहियाँ करने लगे. रूसी क्रांति का आजाद के अवचेतन पर गहरा प्रभाव पड़ा. इस प्रकार वे एक समाजवादी क्रांतिकारी बन गए.
1925 में उन्होंने काकोरी में ट्रेन को लूटा. इस दौरान उनके बहुत से साथी पकड़े गए, लेकिन आजाद बच गए. आगे उनकी मुलाक़ात भगवती चरण वोहरा से हुई. वोहरा ने उन्हें भगत सिंह और सुखदेव से मिलवाया. इन लोगों ने मिलकर हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन का नाम बदलकर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन कर दिया.
27 फरवरी 1931 को आजाद सुखदेव से मिलने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क पहुंचे. पुलिस को इसकी खबर लग गई. उसने आजाद को चरों तरफ से घेर लिया. भीषण गोलीबारी हुई और तीन पुलिसवालों को मारने के बाद आजाद बुरी तरह से घायल हो गए.
आजाद ने वादा किया था की वे जीवित रहते ब्रिटिश हुकूमत की पकड़ में नहीं आएँगे. इस वादे को पूरा करने के लिए उन्होंने खुद को गोली मार ली.
भारत में रेडियो प्रसारण की हुई शुरुआत
23 जुलाई 1927 के दिन बम्बई से रेडियो सेवा आकाशवाणी का नियमित प्रसारण शुरू हुआ. इसे ‘इंडियन ब्रोडकास्टिंग कंपनी’ नाम की एक निजी संस्था ने शुरू किया. इसके एक महीने के बाद कोलकाता से भी रेडियो प्रसारण शुरू हुआ.
इससे पहले 1921 में छोटी-छोटी संस्थाएं रेडियो का प्रसारण करती थीं. आगे भारत सरकार ने रेडियो प्रसारण के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया था.
आगे बम्बई और कोलकाता के रेडियो केन्द्रों ने देश की लगभग 99 प्रतिशत जनसँख्या के पास रेडियो प्रसारण पहुँचाया. इसके बाद भी इन दोनों केन्द्रों को वांछित मुनाफा नहीं हुआ.इसको देखते हुए सरकार ने इन केन्द्रों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया.
आगे 1932 में इंडियन ब्रोडकास्टिंग कम्पनी का नाम बदलकर आल इंडिया रेडियो रख दिया गया.
आजादी के बाद इसे विविध भारती के नाम से जाना गया. वर्तमान भारत में 415 रेडियो केंद्र हैं. इसकी पहुँच भी 92 जनसँख्या तक है.
बाल गंगाधर तिलक का हुआ जन्म
23 जुलाई 1856 के दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का जन्म हुआ.
आगे उन्होंने पुणे के डेक्कन कॉलेज से स्नातक किया. इसके बाद वे गणित के अध्यापक बन गए. इसी क्रम में उन्होंने युवाओं को अच्छी शिक्षा देने के लिए एक संगठन का निर्माण किया.
इस समय ब्रटिश हुकूमत के जुल्म बढ़ते जा रहे थे, तो 1890 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बन गए. हालाँकि, वे कांग्रेस के नेताओं द्वारा आजादी के लिए अपनाए जा रहे नरमपंथी रवैये से काफी निराश थे.
आगे उन्होंने अपना अखबार निकाला. इस अखबार का नाम केसरी था. इसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ लगातार लेख लिखे. इसी क्रम में दो अंग्रेजी अधिकारियों का खून हो गया.
तिलक को हिंसा भड़काने के आरोप में 18 महीने के लिए जेल में डाल दिया गया. जब वे जेल से बाहर आए तो वे राष्ट्रीय हीरो बन चुके थे.
यह वर्ष 1905 था, जब अंग्रेजी सरकार ने बंगाल का विभाजन कर दिया. इसके विरोध में तिलक ने स्वदेशी आन्दोलन चला दिया. अब तिलक अंग्रेजी सरकार की नजर में चढ़ते जा रहे थे. 30 अप्रैल 1908 को दो युवा भारतीय क्रांतिकारियों ने मुजफ्फरपुर में एक अंग्रेजी अधिकारी को मारने के लिए बम फेंका. आगे तिलक ने इन दोनों के समर्थन में अपने अखबार में लेख छाप दिया.इसी क्रम में अंग्रेजी सरकार ने उन्हें हिंसा का महिमामंडन और राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उन्हें 1908 से 1914 तक जेल में रहने की सजा मिली.
1914 में जब वे जेल से बहार आए तो उनका रुख थोडा नरम पड़ गया. जब 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ तो उन्होंने ब्रिटेन के राजा से वादा किया कि वे उनके लिए भारतीय सैनिकों को लड़ाई के लिए तैयार करेंगे. हालांकि, वे गाँधी जी के अहिंसा के मार्ग की हमेशा आलोचना करते रहे.
तो ये थीं 23 जुलाई के दिन भारतीय इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In Indian History 23 July: Radio Broadcasting Starts From Bombay, Hindi Article
Feature Image Credit: New Age