इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
18 जून के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी...
18 जून 1858 के दिन अंग्रेजों से लड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हो गईं. वे 1857 के गदर के प्रमुख चेहरों में से एक चेहरा थीं. लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी थीं. उन्होंने वीरता से अंग्रेजों का सामना किया था.
उनका जन्म 19 नवम्बर 1828 को वाराणसी में हुआ था. जब वो चार साल की थीं, तभी उनकी मां का देहांत हो गया था. लक्ष्मीबाई की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई. पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने घुड़सवारी और शस्त्र चलाना भी सीखा.
आगे 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव से इनकी शादी हुई. 1851 में दोनों को पहली संतान हुई. उनके बच्चे का नाम दामोदर राव था. दुर्भाग्य से चार साल की उम्र में ही दामोदर की मृत्यु हो गई. आगे दोनों ने एक बच्चे को गोद ले लिया.
इसी क्रम में 1853 में राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो जाती है. इसके बाद ब्रिटिश गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी गोद लिए हुए बच्चे को राजा का उत्तराधिकारी मानने से मना कर देता है. साथ ही वह आदेश देता है कि झाँसी के राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया जाए.
रानी इसका प्रतिवाद करती हैं, लेकिन डलहौजी झांसी को जबरन अपने कब्जे में ले लेता है. इसके अलावा रानी को 60,000 रुपए की पेशन के साथ झाँसी के किले और महल को छोड़ देने का आदेश देता है.
झाँसी से निकाले जाने के बाद रानी अंग्रेजों को हारने का प्रण लेती हैं. वे अपनी खुद की सेना का गठन करती हैं. आगे 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ देशव्यापी गदर उठता है. इसी के साथ रानी भी अंग्रेजों के खिलाफ मुक्ति का बिगुल फूंक देती हैं.
घमासान लड़ाई होती है, लेकिन अंग्रेजों की सेना रानी पर भारी पड़ती है और वे लड़ते-लड़ते शहीद हो जाती हैं.
बांग्लादेश ने किया उलटफेर
18 जून 2005 के दिन क्रिकेट में इतिहास रचा गया. इस दिन बांग्लादेश की क्रिकेट टीम ने अपने से कई गुना मज़बूत ऑस्ट्रेलिया की टीम को धूल चटा दी. बांग्लादेश ने यह कारनामा नेटवेस्ट ट्राफी के दौरान किया.
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की.
बांग्लादेश की तरफ से मशरफे मुर्तजा और तपश बैस्य ने सधी हुई गेंदबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष क्रम को तहस-नहस कर दिया. आगे मध्यक्रम में डेमियन मार्टिन और माइकेल क्लार्क ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया की लड़खड़ाती हुई पारी को संभाला. कुल पचास ओवर की समाप्ति पर ऑस्ट्रेलिया ने 5 विकेट खोकर 249 रनों का स्कोर खड़ा किया.
इसके जवाब में बांग्लादेश की शुरुआत ज्यादा अच्छी नहीं रही.
20 ओवेरों की समाप्ति पर बांग्लादेश ने 72 रनों पर तीन विकेट खो दिए. इस बीच मोहम्मद अशरफुल दूसरे छोर पर टिके रहे. उन्होंने सजगता से बल्लेबाजी करते हुए अपने कैरियर का पहला शतक लगाया.
वहीं हबीबुल बशर ने भी महत्वपूर्ण 47 रनों का योगदान दिया.
47 वें ओवर में अशरफुल के आउट होने पर टीम का स्कोर पांच विकेट पर 227 रन था. बांग्लादेश को अंतिम ओवर में जीत के लिए सात रनों की दरकार थी. अंतिम ओवर में स्ट्राइक पर आफ़ताब अहमद थे. उन्होंने जेसन गिलेप्सी की पहली ही गेंद पर छक्का जड़ दिया. अगली गेंद पर एक रन लेकर बांग्लादेश की टीम ने एक बड़े उलटफेर को अंजाम दिया.
...और हार गया नेपोलियन
18 जून 1815 को नेपोलियन बोनापार्ट को वेलिंगटन के ड्यूक ने वाटरलू में हरा दिया. इस हार के साथ ही यूरोप में नेपोलियन युग की समाप्ति हुई.
नेपोलियन का जन्म कोर्सिका में हुआ था. वह फ्रांसीसी क्रांति दल का हिस्सा था. सन 1800 में वह फ्रांस का प्रथम काउंसल बना था. इस समय फ़्रांस अनेक देशों के साथ युद्ध लड़ रहा था.
अपने देश की रक्षा करने के लिए नेपोलियन ने सेना को संगठित किया. सबसे पहले उसने ऑस्ट्रिया को हराया. इसके बाद 1802 में उसने नेपोलियन कोड लागू किया. यह फ़्रांस का नया कानून था.
इसी क्रम में नेपोलियन 1804 में फ़्रांस का राजा बना. 1807 तक आते आते उसने अपना साम्राज्य काफी विस्तृत कर लिया.
आगे 1812 में उसे अपने जीवन की पहली हार का सामना करना पड़ा. इस समय वह स्पेन को वेलिंग्टन के ड्यूक के हाथों हार गया. 1814 में वह काफी कमजोर पड़ गया और एल्बा द्वीप रहने चला गया.
1815 में वह फ़्रांस वापस आ गया. वहाँ उसने सेना को दोबारा से संगठित किया और बेल्जियम पर आक्रमण बोल दिया.
इसी क्रम में उसने प्रुशिया को हराया. इस जीत से उत्साहित होकर वेलिंग्टन के ड्यूक के ऊपर आक्रमण कर दिया. भयानक युद्ध हुआ. इस युद्ध में नेपोलियन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी.
अंतत: 18 जून को वह वाटरलू में पराजित हुआ.
चेकर कैब ने बने पहली टैक्सी
18 जून 1923 के दिन चेकर कैब कम्पनी ने कालामाजू फैक्ट्री में पहली टैक्सी का निर्माण किया. मोरिस मार्किंन इस कम्पनी के मालिक थे. मोरिस का जन्म रूस में हुआ था और उन्होंने 12 साल की बहुत छोटी सी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. 19 साल की उम्र में वे अपने दो चाचा के पास अमेरिका में रहने आ गए.
1921 में उन्होंने अपने एक दोस्त से 15,000 डालर का लोन लिया और चेकर कैब कम्पनी की नींव रखी.
1922 के अंत तक इनकी कम्पनी हर महीने 100 गाड़ियों का निर्माण करने लगी. जब उनका बिजनेस फला- फूला तो उन्हें कंपनी को और अधिक विस्तार देने की जरूरत महसूस हुई.
फलस्वरूप उन्होंने कम्पनी को कालामाजू में विस्थापित कर दिया. यहीं पर उन्होंने पहली टैक्सी का निर्माण किया.
1929 की महामंदी के समय कम्पनी को घाटा हुआ, तो उन्होंने कंपनी को बेच दिया.
हालाँकि, 1936 में उन्होंने कम्पनी को दुबारा से खरीद लिया. इसके बाद उनका कारोबार बहुत फला-फूला. 1962 में उनकी कम्पनी ने 8,173 कारों का निर्माण किया, इनमें से ज्यदातर टैक्सियाँ थीं.
तो ये थीं 18 जून के दिन इतिहास में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी ऐसी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 18 June, Hindi Article
Feature Image Credit: SwamiRaRa