रोबर्ट फ्रेंक्लिन स्ट्राउट अमेरिका का एक कुख्यात आतंकी था, जिसने अपनी ज्यादातर जिंदगी सलाखों के पीछे गुजारी थी. वह पहली बार चार्ली नाम के एक व्यक्ति के खून के लिए जेल गया था. इसी दौरान उसने जेल के अंदर एक पुलिसकर्मी की हत्या करके हड़कंप मचा दिया. उसके गुस्से से लोग डरने लगे थे. उसे दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था और उसकी सजा भी बढ़ा दी गई थी. एक दिन उसकी नजर जेल के रोशनदान पर बैठी एक चिड़िया पर पड़ी. चिड़िया को देखते ही उसे लगाव हो गया.
बाद में उसने गौर किया कि जेल में उसकी जैसी ढ़ेर सारी चिड़िया थीं. धीरे-धीरे उसने उनमें दिलचस्पी लेना शुरु कर दिया. चिड़ियों के समूह ने उस पर इतना प्रभाव डाला कि उसने एक किताब तक लिख डाली. किताब में उसने बताया कि वह खुद से सीखा हुआ पक्षियों का एक विशेषज्ञ था. तो आईये रोबर्ट को विस्तार से जानते हैं:
गुस्से ने बना दिया था हत्यारा
रोबर्ट स्ट्राउट (Link In English) जनवरी 28, 1890 में अमेरिका के सीएटल में पैदा हुआ था. पिता को शराब की लत थी. एक दिन वह रोबर्ट की मौसी के साथ कहीं भाग गया था. 13 साल का रोबर्ट अब एकदम अकेला था. उसने घर छोड़ दिया और आगे के पांच साल गुमनामी में बिताये. जब वह 18 साल का हुआ तब दुनिया को पता चला कि वह घर से दूर अलास्का में था.
अलास्का में ‘किस ओ ब्रिएन्ने’ नाम की एक वेश्या से रोबर्ट की मुलाक़ात हुई. रोबर्ट ने उसके लिए दलाली करनी शुरू कर दी. 1909 में एक बार चार्ली नाम के एक ग्राहक ने ‘किस ओ ब्रिएन्ने’ को पैसे देने से मना कर दिया था. जब रोबर्ट ने पैसे मांगे तो चार्ली ने उस पर हाथ उठा दिया. रोबर्ट के गुस्से का पारा चढ़ गया. उसकी और चार्ली की हाथापाई होने लगी. लड़ाई ऐसे ही चलती रही और थोड़े ही देर में रोबर्ट ने अपनी बंदूक से चार्ली को मार डाला. हत्या के तुरंत बाद ही रोबर्ट पुलिस स्टेशन चला गया और अपनी बंदूक उन्हें देकर आत्मसमर्पण कर दिया.
हिंसा से सब सहम गए थे क्योंकि…
23 अगस्त 1909 को रोबर्ट बारह साल के लिए जेल भेज दिया गया. मक्लेय टापू की जेल उसकी सबसे पहली जेल बनी. जेल गए हुए रोबर्ट को कुछ ही दिन हुए थे कि वह फिर से हिंसक इंसान बन गया. बाकी कैदी व पुलिस वाले उसे छोटी-छोटी बात पर मारने लगे थे. खाना-चोरी और चाक़ू से हमला करने जैसे इल्जाम उस पर लगने लगे. उसने जेल में नशे की सामग्री लाने की भी कोशिश की थी. एक बार उसने अस्पताल में एक व्यक्ति को जान से मारने का भी प्रयास किया था, हालांकि वह उसमें विफल हो गया था. इन कुछ कारणों की वजह से सितंबर 1912 को रोबर्ट की सजा छह महीने और बढ़ा दी गई. रोबर्ट को कैनेडी जेल में भेज दिया गया.
जेल में किया दूसरा क़त्ल
नई जेल में जाते ही रोबर्ट ने फिर से लड़ाई शुरू कर दी. एक बार रोबर्ट का भाई उससे मिलने जेल में आया था. कुछ परेशानियों के कारण एक पुलिस ऑफिसर ने रोबर्ट को उसके भाई से नहीं मिलने दिया था. अपने भाई से न मिल पाने की वजह से रोबर्ट एक बार फिर से हिंसक हो गया. (Link In English) रोबर्ट ने सबके सामने उस ऑफिसर की चाक़ू मारकर हत्या कर दी थी.
इस कांड के बाद अदालत ने रोबर्ट को फांसी की सजा सुनाई. सजा के मुताबिक 23 अप्रैल 1920 की तारीख को रोबर्ट को फंसी दी जानी थी, लेकिन रोबर्ट की मां उस समय के राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन के पास गई थीं. उन्होंने रोबर्ट की गलती के लिए मांफी भी मांगी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. उसके बाद रोबर्ट एकांतवास के लिए चला गया.
चिड़िया के पंखों ने दी नई उड़ान
कुछ दिन बाद रोबर्ट को तीन ज़ख़्मी चिड़िया मिलीं, जिन्हें उसने ठीक कर दिया था (Link In English). उसके बाद रोबर्ट ने चिड़ियों को खरीदना शुरू कर दिया. उस समय कैदियों को चिड़िया खरीदने की इजाज़त थी. रोबर्ट को थोड़ा ही समय लगा और उसने एक साल से भी कम समय में करीब 300 चिड़ियाएं खरीद लीं. वह चिड़ियाओं को उनके बड़े होने तक अपने साथ रखता था. बड़े होते ही वह इन्हें बेच देता था. बेचने के बाद बचे पैसे को रोबर्ट अपनी मां के पास भेज देता था.
रोबर्ट की जेल के प्रबंधक बदल गए थे. नया प्रबंधक विलियम ज्यादा आजाद सोच वाला था. उसे रोबर्ट का काम काफी पसंद आता था. उसने रोबर्ट के काम से खुश होकर उसे एक बड़ा पिंजरा दिया. रोबर्ट अब चिड़ियों को आराम से पाल सकता था. बाहर के लोग भी रोबर्ट के इस काम में साथ देने लगे थे. सब ने साथ मिलकर एक बड़ा बर्डहाउस तैयार कर दिया था.
Robert Stroud The Greatest Birdman (Symbolic Pic: torrentbutler.eu)
इस तरह रोबर्ट हो गया मशहूर
रोबर्ट को इतने समय में चिड़ियों के बारे में काफी जानकारी हो गई थी. ठीक किसी विशेषज्ञ की तरह! अपने अनुभव को रोबर्ट ने किताब के रूप में लोगों के सामने पेश किया. रोबर्ट ने दो किताबें लिखी. 1933 में रोबर्ट ने अपनी पहली किताब प्रकाशित की. किताब की किस्मत बहुत अच्छी नहीं रही और उसकी हस्तलिपि जेल के बाहर जाते ही चोरी हो गई. दस साल बाद रोबर्ट ने उसी किताब को विस्तार में लिखा और प्रकाशित किया. किताब का शीर्षक था ‘पक्षियों की बीमारियां’.
किताब प्रकाशित होते ही हर जगह छा गई. उस किताब को पढ़कर पक्षियों से जुड़ी कई बीमारियों के इलाज सामने आए. लोग जान पाए कि कैसे उनकी देखभाल की जाती है. रोबर्ट को रोजाना कई सारी चिट्ठियां आने लगी. रोज रोबर्ट उनके जवाब देता था. जेल के क़ानून के मुताबिक़ रोबर्ट की चिट्ठी पहले जेल प्रशासन पढ़ता था फिर रोबर्ट. धीरे-धीरे रोबर्ट का बिजनेस इतना बढ़ गया कि उसने अपने लिए एक सेक्रेटरी रख ली.
रोबर्ट की इस प्रशंसा से जेल प्रशासन को बहुत परेशानी होने लगी थी. 1931 में जेल प्रशासन ने फैसला किया कि वह रोबर्ट का बिजनेस बंद कर देंगे. प्रशासन की इस बात का पता ‘स्त्रवंड’ और ‘देल्ला जोंस’ को चला. यह दोनों इंडियाना राज्य के शोधकर्ता थे. उन दोनों ने यह सारी बातें पत्रिका में प्रकाशित करवा दी. इस खबर के बाहर आते ही हर जगह प्रदर्शन होने लगे. रोबर्ट के पक्षियों को बचाने के लिए उस समय के राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर को लोगों ने कई सारी चिट्ठियां भेजी. अपनी एकता दिखाने के लिए पचास हजार लोगों ने अपने दस्तखत करके राष्ट्रपति को भेजे. उन चिट्ठियों ने अपना काम किया और रोबर्ट को अलग से जगह दे दी गई अपने पक्षियों को रखने के लिए.
Robert Stroud The Greatest Birdman (Pic: amazon.com)
शादी और नई जेल का सफ़र
डेल्ला जोंस को रोबर्ट भा गया था. डेल्ला ने इंडियाना को छोड़ दिया. वह कंसास में आकर रोबर्ट के साथ व्यापार करने लगी थी. वह दोनों पक्षियों की दवाइयां बेचते थे. जेल प्रशासन एक बार फिर रोबर्ट से परेशान हुआ और उसे दूसरी जेल में भेजने की सोचने लगा. रोबर्ट को यह बात पता चल गई थी कि अगर कंसास में कोई कैदी शादी करता है, तो उसे किसी दूसरी जेल में नहीं जाना पड़ता. अपने पक्षियों को बचाने के लिए रोबर्ट और डेल्ला शादी के बंधन में बंध गए. इसके बाद जेल प्रशासन जिद्द पर उतर आया. उन्होंने डेल्ला और रोबर्ट के बीच साझा होने वाले पत्रों की आवाजाही रोक दी.
अपनी पहली किताब के प्रकाशन के बाद रोबर्ट ने एक अख़बार को बताया कि उस किताब के लिए उसने पैसे नहीं लिए, जिसने वह किताब छापी थी. उसे काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. प्रकाशक ने इसका बदला निकालने के लिए रोबर्ट के बारे में गलत-गलत कहना शुरू कर दिया. इसके बाद आखिर में जेल प्रशासन रोबर्ट को दूसरी जेल में भेजने में कामयाब हो ही गया. उनकी नई जेल थी मशहूर अल्काट्राज जेल.
Robert Stroud The Greatest Birdman (Pic: biography.com)
जेल में चलाई जमकर गोलियां!
अल्काट्राज एक टापू था, जो सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी के पास था. वह जेल 1934 से 1963 के बीच जितने भी घातक कैदी थे. उनके लिए खासकर बनवाई गई थी. उस टापू को शैतानी टापू भी कहा जाता था. 1942 के अंत तक रोबर्ट को उस जेल में भेज दिया गया था. रोबर्ट को केवल 10 मिनट का समय दिया गया था जेल बदलने के लिए. उसी समय में उसे अपने पक्षियों का कुछ करना था. रोबर्ट ने तुरंत ही वह सारे पक्षी अपने छोटे भाई को भेज दिए.
अल्काट्राज जेल किसी एकांत कारावास से कम नहीं था. वहां पर कोई भी रोबर्ट के पक्षी प्रेमी होने का जश्न नहीं मनाने वाला था. इन सबके बावजूद जेल प्रशासन ने रोबर्ट को लिखने की अनुमति दे दी थी. उसके बाद रोबर्ट ने दो और किताबें लिखी. पहली किताब उसने अपनी खुद की जीवनी पर लिखी और दूसरी अमेरिका के जेल जीवन पर. जेल प्रशासन ने रोबर्ट को किताब लिखने तो दी, लेकिन प्रकाशित नहीं होने दिया. उन्हें डर था कहीं रोबर्ट बाहर की दुनिया तक यह बातें न पहुंचा दे. रोबर्ट की मौत के बाद उसके वकील रिचर्ड को रोबर्ट की वह किताबें दी गई.
उसके बाद 1955 में थॉमस नाम के एक लेखक ने रोबर्ट की जीवनी को प्रकाशित किया. उस किताब पर आगे चल कर एक फिल्म भी बनाई गई. बताते चलें कि रोबर्ट ने अल्काट्राज की जेल में क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी. इस बीच वह अपनी रिहाई की मांग करता रहा. उसकी मौत की सजा को तो बख्श दिया गया था, लेकिन जेल की सजा वैसी ही रही. रोबर्ट ने अपनी जिंदगी के 42 साल जेल में काट लिए थे. अतत: वह जेल से छूटा और 21 नवम्बर 1963 को अपनी आखिरी सांसे ली और दुनिया से विदा ले लिया.
कैदी होने के बावजूद रोबर्ट एक मिसाल के तौर पर रहा. वह यह बताने में कामयाब रहा कि जिंदगी को नए तरीके से जिया जा सकता है. पक्षियों ने कैसे उसकी जिंदगी बदल दी यह बहुत ही हैरानी वाली बात थी. वह ‘बर्डमैन’ के नाम से भी जाना जाता था और इन सबसे बढ़कर नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ने वाली प्रेरणा भी!
Original Article Source / Writer: Roar Bangla / Fuad Al Abir
Translated by: Vimal Naugain
Web Title: Robert Stroud The Greatest Birdman, Hindi Article
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