जब कभी हमारे दिमाग में द्वितीय विश्व युद्ध या तानाशाहों की बात आती है, तो हमारे मुंह पर एक ही नाम आता है, एडोल्फ हिटलर. पहले विश्व युद्ध के बाद हिटलर ‘राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन मज़दूर दल’ में शामिल हुआ, जिसे आगे चलकर नाज़ी पार्टी के नाम से जाना गया.
हिटलर एक ऐसा इंसान था, जिसने यहूदियों के प्रति अपनी नफरत के कारण दुनिया को 1939 में विश्वयुद्ध दे दिया. इस युद्ध का केंद्र पोलैंड और यूरोप रहा. कहते हैं कि उसके आह्वान पर लाखों लोग खड़े हो जाते थे. ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि हिटलर में ऐसा क्या खास था कि उसके एक इशारे पर लोग मरने को तैयार हो गए थे.
हिटलर के व्यक्तित्व पर हुई रिसर्च में पता चला कि वह एक बहुत प्रभावशाली व्यक्ति था. वह लोगों को अपनी बातों के जाल में कैद करना बखूबी जानता था.
नाज़ी पार्टी के हर समारोह में हिटलर खुद लोगों को संबोधित करता था. उसके शब्द लोगों के कान से होते हुए उनके ज़हन पर वार करते थे.
आखिर हिटलर में ये गुर आए कैसे? कैसे उसने पूरे जर्मनी को अपना बनाया आइए जानते हैं. उसके बाद ‘सीक्रेट रिकॉर्डिंग’ की कहानी की ओर बढ़ेंगे–
लोगों की नब्ज़ पहचानता था हिटलर
हिटलर ने अपने जीवनकाल में 5000 से भी अधिक भाषण दिए. अपने भाषण में वह काफी कठोर और सब कुछ बदल देने वाली बात किया करता था.
क्या आप जानते हैं कि हिटलर जो अपना व्यक्तित्व लोगों के सामने दिखाता था, वह असल में उससे बिल्कुल अलग था.
ये हम नहीं कह रहे, यह तो हिटलर की कुछ सीक्रेट रिकॉर्डिंग बता रही हैं.
उस समय हिटलर एक तानाशाह नेता नहीं बल्कि एक आम सैनिक की तरह जंग से जुड़ी चर्चा कर रहा था. जहां वह सामान्य व्यक्ति की तरह बातचीत कर रहा था. जनता से दूर बंद कमरों में हिटलर के द्वारा की गई उन बातों में हिटलर के भाषण जैसा आक्रोश नहीं था. उन बातों में तो किसी बूढ़े आदमी की तरह विनम्रता बसी हुई थी.
इस बात का जिक्र रॉन रोसेनबाम की किताब “Explaining Hitler” में किया गया है. इसमें फ्रेंच-अमेरिकी उपन्यासकार जॉर्ज स्टेनर ने हिटलर की आवाज को शक्तिशाली और मंत्रमुग्ध करने वाला बताया. हिटलर की बहुत सी सीक्रेट रिकॉर्डिंग हैं जिनमें आपको हिटलर के व्यक्तित्व का एक अलग पहलू देखने को मिलेगा.
कहते हैं कि हिटलर जानता था कि किस व्यक्ति से कैसे बात करनी है. वह लोगों की हर नब्ज़ को पहचानता था. यही कारण है कि उसने जर्मनी के लोगों को अपना दीवाना बनाया हुआ था. सेना के कितने ही जवान तो हिटलर के लिए मरने को भी तैयार थे.
Hitler Had A Very Influence Voice (Pic: time)
क्लिष्ट व्यक्तित्व की शख्सियत
कहते हैं कि हिटलर हमेशा अपनी फोटो खिचवाने और अपनी आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए सबको मना करता था. माना जाता है कि वह ऐसा इसलिए करता था क्योंकि वह बिना तैयारी के लोगों के आगे कुछ नहीं कहता था. हिटलर हमेशा ही जनता के सामने जो भी बोलता था उसकी पूरी तैयारी पहले से ही कर के रखता था. वह सोच के आता था कि उसने लोगों को किन बातों के जरिए अपनी तरफ करना है.
इन सब के बावजूद भी हिटलर की गुप्त रिकॉर्डिंग की गई!
यह बात 1942 की है जब हिटलर अचानक फिनिश डिफेंस बलों के कमांडर बैरन कार्ल गुस्टाफ का 75वां जन्मदिन मनाने फिनलैंड पहुंचे. वहां हिटलर और मैनेंरिम के अनौपचारिक वार्तालाप को फिनिश रेडियो इंजीनियर द्वारा गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया गया था.
यह रिकॉर्डिंग ज्यादा लम्बे समय तक रिकॉर्ड नहीं हो पाई क्योंकि ‘एस एस सिक्योरिटी’ वालों को इस सीक्रेट रिकॉर्डिंग की भनक लग गई थी. इसलिए उन्होंने रेडियो इंजिनियर को रिकॉर्डिंग नष्ट करने का हुक्म दिया.
वह इंजिनियर बहुत ही शातिर था. उसने एस एस सैनिकों के आगे रिकॉर्डिंग नष्ट तो की मगर वह असल में खाली टेप थी. वह इंजिनियर उनके सामने से टेप ले के निकल गया और उन्हें पता भी नहीं चला.
हिटलर की मौत से पहले तक उस इंजिनियर ने वह टेप संभाल के रखी और किसी को भी उसके बारे में नहीं बताया. जैसे ही एक बार हिटलर का किस्सा ख़त्म हुआ उसने वह टेप सार्वजनिक कर दी.
इस टेप में हिटलर के बात करने का तरीका उसके उसके आम तरीके से बिल्कुल विपरीत था.
इस टेप में हिटलर और मैनेंरिम दोनों एक दूसरे से बहुत ही निराशाजनक तरीके से बात करते हैं. हिटलर की आवाज तेज नहीं बल्कि बहुत धीमी और रुकी-रुकी सुनाई दे रही थी.
हिटलर उसे बताता है कि कैसे फ़्रांस को पूरी तरह से नहीं हथियाना जर्मनी के लिए एक गलत फैसला साबित हुआ. अगर वह फ़्रांस को जीत लेते तो शायद वह जंग जल्दी जीत जाते. उस पूरी रिकॉर्डिंग में हिटलर यही बताता है कि आखिर कैसे किस्मत ने उसके साथ खेल खेला और वह हाथ में आई हुई जीत को नहीं लपक सका.
जिस रेडियो इंजिनियर ने यह रिकॉर्ड किया था उसका नाम था थोर डैमेन. कहते हैं कि 1950 में जब थोर ने यह टेप निकाली तो कई लोगों को तो इसपर विश्वास ही नहीं हुआ. अधिकतर लोगों को लगा कि यह कोई और है जिसने हिटलर जैसी आवाज निकाली है. शुरुआत में भले ही किसी को भी इसपर विश्वास नहीं हुआ मगर थोड़े समय बाद यह बात साबित हो गई कि यह हिटलर की ही आवाज थी.
इस टेप के आने के बाद पता चला कि हिटलर दोहरी शख्सियत वाला व्यक्ति था. एक हिटलर था जो किसी से नहीं डरता था और बस अपनी चलाता था. यह वह हिटलर था जिसे जर्मनी की जनता और बाकी देश जानते थे.
वहीं दूसरी ओर जब हिटलर बंद कमरे में होता था तो वह कोई और ही बन जाता था. वह विनम्रता से बात करता. अपने कामों पर उसे भी पछतावा था.
He Used To Write His Own Speeches (Pic: biography)
इतिहासकारों ने हिटलर को बताया ‘सम्मोहनकारी’
हिटलर के बारे में उसके करीबी जोसेफ गोएबल्स ने अपनी डायरी में यह बताया है कि “वह अपने भाषण से पहले खुद अपनी स्पीच लिखते थे और काफी समय तक अकेले में उसे बोलने की प्रैक्टिस भी करते थे.’
दरअसल हिटलर को पसंद नहीं था कि उसके मुंह से निकलने वाले शब्द किसी और की कलम से निकलें. हम यूं भी कह सकते हैं कि शायद हिटलर को किसी पर भरोसा ही नहीं था.
इस बारे में अमेरिकी मनोचिकित्सक हेनरी मरे ने भी अपनी 229 पन्नों की रिपोर्ट में लिखा है. उन्होंने हिटलर की स्पीच को लेकर कई तरह के खुलासे किए हैं. उन्होंने बताया कि हिटलर के शब्द लोगों को सम्मोहित कर लेते थे और लोग चाह कर भी खुद को उससे बाहर नहीं निकाल पाते थे.
इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि हिटलर सिर्फ अपने शब्दों से ही मजबूत था, जबकि असल में वह बहुत कमजोर दिल का व्यक्ति था. वह बहुत ही नरम हाथों से हैंडशेक करता था जो कई बार लोगों को हैरान कर देता था.
हिटलर खुद को दुनिया से इतना अलग करके रखता था कि लोग उसके बारे में बहुत कम ही जान पाए हैं. वह लोगों के हिसाब से अपनी शख्सियत बदला करता था. यही कारण है कि वह जर्मनी के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर पाता था.
Hitler Was A Fearful Man In Real (Pic: zeit)
हिटलर की सीक्रेट रिकॉर्डिंग और उसकी लोगों को आकर्षित करने की कला के बारे में शायद ही आपने पहले कभी सुना होगा. बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं कि हिटलर आखिर असल जिंदगी में कैसा था.
आपके पास भी हिटलर के सम्बन्ध अगर ऐसी ही कुछ स्पेसिफिक जानकारी हो तो कमेन्ट-सेक्शन में अवश्य शेयर करें!
Web Title: Secret Recording Showed Hitlers Different Side, Hindi Article
Feature Image Credit: pepnews/independent