भारत देश अपनी सामाजिक व धार्मिक विभिन्नताओं के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है. भारत में कई जातियों व धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं.
यहां सैकड़ों अलग अलग जातियां हैं, जिनसे जुड़े लोगों की संख्या लाखों में है. वह सभी अपने धर्म व संस्कृति के मुताबिक अपने रीति रिवाज करते हैं तथा अपना जीवन बसर करते हैं.
हालांकि, एक चीज जो सभी में समान है, वह ये कि यह सभी लोग एक साथ रहते हैं, पर यह सिर्फ सिक्के का एक ही पहलू है. शायद आप इस बात से अंजान हैं कि भारत में भी कुछ ऐसी जातियां निवास करती हैं, जिन्हें समाज से अलग रखा गया है!
इसके कारण वह लोग जंगलों में रह कर अपना जीवन बसर करने पर मजबूर हैं. इन्हीं में से एक जाति है, “सिदी”. इस जाति के लोगों से मिलने के बाद आपको पता चलेगा कि अफ्रीका के साथ भारत का संबंध कितना पुराना है. इन लोगों को भारतीय मूल के अफ्रीकन भी कहा जाता है.
चलिए जानते हैं सिदी से इतिहास के बारे में कि आखिर कैसे सिदी लोग भारत का हिस्सा बने–
गुलामों के रूप में भारत आए थे सिदी
सिदी एक इंडो अफ्रीकन आदिवासी समुदाय है, जो कि अफ्रीका के बांटु समुदाय के वंशज हैं. इनका भारत में आगमन 7वीं शताब्दी के समय हुआ था. इसके कई अलग अलग कारण थे, जैसे कि उस समय व्यापार के लिए मुद्रा के स्थान पर गुलामों को खरीदा बेचा जाता था.
सिदी लोग भी उन चंद गुलामों में से थे, जिन्हें उस समय के अरबी व यूरोपियन लोगों द्वारा लाया गया था.
हालांकि 18वीं व 19वीं शताब्दी में गुलाम व्यापार प्रथा को भंग कर दिया गया और इन लोगों को गुलामी से आजादी मिल गई.
इस दौरान अधिकतर लोग जंगलों में जाकर बस गए ताकि उन्हें फिर से गुलामी न करनी पड़े. तभी से यह जाति भारत के जंगलों में निवास करती है.
इतनी शताब्दियों से भारत में रहने के बावजूद आज भी इन्हें समाज द्वारा सभ्य रुप से स्वीकार नहीं किया जाता.
इसका मुख्य कारण इनकी शारीरिक प्रतीति है, क्योंकि यह लोग दिखने में किसी आम भारतीय की तरह नहीं बल्कि किसी अफ्रीकन की तरह ही दिखते हैं.
जिस वजह से न तो इन्हें समाज में जगह दी गई और न ही कोई सामाजिक सहूलियत दी गई. हालांकि इसके बावजूद यह लोग निरंतर समाज के हर कार्य में अपना योगदान देते रहे.
भारत में भले ही लोग इन्हें अपना नहीं मानते हो मगर यह लोग दिल से भारत को अपना घर मानते हैं.
Siddis Community In Karnataka (Pic: NEWS Magazine 9 – WordPress.com)
खेलों से मिली पहचान, मगर…
इतनी शताब्दियों से भारत में रहने के बावजूद इन लोगों को अपना वजूद पाने के लिए साल 1980 तक इंतजार करना पड़ा! यह भी तब संभव हो पाया जब इन लोगों की एथलेटिक्स की अद्भुत प्रतिभा राष्ट्रीय स्तर पर नजरबंद हुई.
खेलों के कारण इन्हें भारत में छोटा सा ही सही मगर अपना वजूद मिला. खेलों ने लोगों को बताया कि आखिर सिदी समुदाय कौन है. कई राष्ट्रीय खेलों में सिदी लोगों ने हिस्सा लिया. इसके बाद हर कोई उन्हें जानने लगा.
1987 में सिदी लोगों के लिए कुछ स्पेशल गेम्स करवाए गए थे. उनमें लोगों के अंदर का उत्साह देख हर कोई हैरान हो गया था.
अधिकतर सिदी दौड़ने में काफी अच्छे थे. कहते हैं कि कई लोगों ने तो सोचा कि अगर भारत को अच्छे धावक चाहिए तो उन्हें सिदी लोगों में से किसी को लेना चाहिए.
खेलों ने सिदी लोगों के लिए समाज में आने का द्वार खोला था, मगर यह द्वार ज्यादा समय तक नहीं खुला.
कुछ वर्ष बाद इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया और सिदी लोग फिर से जंगलों व बाहरी क्षेत्रों में पहुंच गए. हालांकि सिदी लोगों ने इस कार्यक्रम की पुन् शुरुआत हेतु बहुत कोशिश की मगर उनकी सभी कोशिशें व्यर्थ रही.
Because The Society Not Accept Them, Siddis Bound To Live In Tribe (Pic: CLICKeD! – WordPress.com)
सालों से बनना चाहते हैं समाज का हिस्सा!
इस समय पूरे देश में 55000 के करीब सिदी रहते हैं. यह लोग देश के कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्यों में रहते हैं.
बाहरी क्षेत्रों में रहने के कारण यह लोग शहरी चीजों से पूरी तरह से अंजान हैं. स्थानीय लोगों द्वारा इन्हें अफ्रीकन माना जाता है, जबकि इनमें से कुछ लोगों ने तो कभी अफ्रीका के बारे में सुना तक नहीं है!
सिदी लोगों की संगीत व नृत्य की कला इन्हें अन्य सभी लोगों से अलग करती है. इनके नृत्य की शैली काफी हद तक ब्राजील के आदिवासी कबिलों से मिलती जुलती है.
भारत के साथ अफ्रीकन लोगों का रिश्ता महज कुछ शताब्दियों से नहीं बल्कि उससे भी प्राचीन है. माना जाता है कि 60,000 साल पहले पूर्वी अफ्रीकन कोस्ट की ओर से ढेरों अफ्रीकन भारत आए थे.
यह अलग अलग समुदाय थे, जिनमें से एक थे, नेगरिटोस. दिखने में यह काले, बिना बालों के और छोटे कद के थे.
यह सब लोग अंडमान व निकोबार तट के क्षेत्रों में आकर बसे. इसके बाद एक बार फिर से अफ्रीकन लोगों का एक और ग्रुप भारत पहुंचा जिन्हें प्रोटो आस्ट्रेलायड कहा जाता था.
यह लोग दिखने में नेगरिटोस से थोड़े अगल थे. आज यह लोग देश के अलग अलग राज्यों में बसे हुए हैं, सिदी भी इन्हीं का हिस्सा हैं.
Siddis Have Different Form Of Dance (Representative Pic: Undiscovered Indian Treasures)
वजूद की जंग आज भी है जारी
अभी भी अधिकतर सिदी लोग शहरों गांवो से दूर जंगलों व बंजर इलाकों में रहने के लिए मजबूर हैं. समय के बदलने से चाहे भारत ने आज तकनीक व उन्नति की कई उंचाईयां छू ली हैं, मगर इसी देश में बसने वाले लोग आज भी आदिवासी जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हैं.
हालांकि फिलहाल युवा पीढ़ी के कुछ सिदी युवा अपनी प्रतिभा की बदौलत खेलों में हिस्सा ले रहे हैं.
इस समय भी सिदी समुदाय की एक फुटबाल टीम द्वारा जी तोड़ मेहनत की जा रही है. ताकि उन्हें 2024 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल जाए.
अगर ऐसा होता है तो इस समुदाय के लिए एक उम्मीद की किरण जाग जाएगी कि इसकी बदौलत उन्हें उनकी पहचान और समाज में समानता से जीने का हक मिल जाए.
हालांकि इतनी मेहनत के बाद भी सिदी लोगों को आलोचनाओं का सामान करना पड़ता है. इनकी राह मुश्किल जरूर है मगर नामुमकिन नहीं.
उम्मीद की जा रही है कि इन्हें भी एक दिन भारत का हिस्सा मान लिया जाएगा.
Siddi People Are Still Hoping For Recognition (Pic: bbc)
भला किसने सोचा होगा कि भारत में सिदी समुदाय के लोग भी रह सकते हैं. बहुत कम ही लोग होंगे जिन्हें इनके बारे में पता है.
आज भी यह अपने वजूद को सबके सामने लाने से वंचित हैं. सिदी लोगों के बारे में आप क्या सोचते हैं, कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं.
Web Title: Siddis: The African Tribe of India, Hindi Article
Featured Image Credit: BBC