देश की आज़ादी के बाद भारत ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया.
खेत-खलिहान से लेकर विज्ञान तक के क्षेत्र में भारत ने कई कीर्तिमान हासिल बनाए. यही कारण है कि आज़ादी से पहले लड़खड़ा चुका भारत आज़ादी के बाद निरंतर हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा था.
हर नई सुबह भारत अपनी योग्यता के दम पर विश्व स्तर पर अपनी अलग साख़ बना रहा था.
सरहद पर तैनात भारतीय सेना जहां अपने बुलंद हौंसलों से विरोधी सेना को परास्त कर रही थी. वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक अनुसंधान में भारतीय वैज्ञानिक रात भर जाग कर भारत को परमाणु विकसित देशों में शुमार करने के लिये जी तोड़ मेहनत कर रहे थे.
असल में परमाणु विकसित देशों में खुद को शुमार कर भारत का मकसद अन्य देशों को डराना नहीं था. बल्कि दुश्मन देशों को यह अहसास कराना भर था कि भविष्य में वह भारत को कमतर आंकने की भूल कतई न करें.
अपने वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के दम पर भारत अपना पहला परमाणु बम बनाने में सफल हो गया था. इस ऑपरेशन को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम दिया गया.
भारत के पहले परमाणु बम के सफल परीक्षण ‘स्माइलिंग बुद्धा’ के बारे में जानना निश्चित तौर पर प्रेरक और गौरव की अनुभूति कराने वाला होगा–
1944 में एक छोटी सी लैब में हुई शुरुआत
भारत को परमाणु विकसित देश बनने का सफ़र बहुत जल्द नहीं तय किया गया. परमाणु बम हासिल करने और उसके सफल परीक्षण के लिए भारतीय वैज्ञनिकों ने एक लंबा सफ़र तय किया था. जानकर हैरानी होगी की भारत को एटॉमिक बॉम्ब देने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने आज़ादी से चंद साल पहले ही काम करना शुरु कर दिया था.
जी हां, इसकी शुरुआत साल 1944 में ही हो गई थी. भारत के सफल भौतिक वैज्ञानिक होमी जे. भाभा के नेतृत्व में परमाणु शक्ति से भारत को जोड़ने का काम शुरू हुआ था. उन्होंने भारत को परमाणु ताक़त बनाने के लिए एक अहम रोल अदा किया था. होमी जे. भाभा के ही निर्देशन में भारत ने अपने इतिहास में परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था.
होमी भाभा ने भौतिक वैज्ञानिक राजा रमन्ना के साथ परमाणु कार्यक्रम पर काम करना शुरु किया. इसके बाद कई और बड़े वैज्ञानिक इस मुहीम से जुड़े. इस तरह भारतीय वैज्ञनिकों की छोटी सी टीम परमाणु कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये दशकों पहले जुट गई थी.
Homi Bhabha Father Of Indian Nuclear Program (Pic: mandarbookrevie)
रंग लाई ‘तीस साल की मेहनत’
भारतीय वैज्ञानिकों की टीम ने एक बहुत छोटी सी लैब में भारत के पहले परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की थी. आज तो भारत के वैज्ञानिकों के पास बहुत बड़ी-बड़ी लैब्स हैं मगर उस समय तो एक छोटी सी जगह पर ही काम करना पड़ा था.
भारत को परमाणु विकसित देश बनाने की यात्रा 1944 में शुरु की गई और इसका पहला परिणाम साल 1974 में मिला. इन सब के बीच करीब तीस साल का लंबा सफ़र गुज़र चुका था. इन तीस सालों में भारत ने काफी उतार चढ़ाव देखे. कई चीजें देश में बदल चुकी थीं और कई बदल रही थीं. इन सब के बावजूद परमाणु विकास कार्यक्रम निरंतर चलता रहा.
परमाणु कार्यक्रम ने प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में रफ़्तार पकड़ी थी. जब यह सफल कार्यक्रम अंत तक पहुंचा तब भारत देश की कमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों में थी. दोनों ने ही पूरा समर्थन इसे दिया. वैज्ञानिकों ने भी इसे बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
1974 के आते-आते भारतीय वैज्ञानिकों का दल भारत को एक परमाणु बम देने में कामयाब हो गया था.
तीस साल की अथक मेहनत और हर बाधाओं से पार पाते हुये भारतीय वैज्ञानिकों के लिए 18 मई 1974 का दिन मानो कोई ईद का दिन था. अब बस भारतीय वैज्ञानिकों को बेसब्री से इंतज़ार था तो इस परमाणु बम को परमाणु लैब प्लांट से बाहर निकाल कर इसका सफल परीक्षण करने का.
‘स्माइलिंग बुद्धा’ के नाम से हुआ पहले न्यूक्लियर बम का टेस्ट…
तीस साल की लंबी मेहनत के बाद भारत की झोली में एक परमाणु बम परिक्षण के लिए उपलब्ध था. वैज्ञानिकों की टीम ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को परमाणु बम के तैयार होने की अपनी उपलब्धि के बारे में भी बता दिया था. सेना से विचार विमर्श करने के बाद बम के सफल परीक्षण के लिये 18 मई 1974 का दिन चुना गया.
इससे बड़ी बात यह थी कि परमाणु टेस्ट को क्या नाम दिया जाए. हर कोई भारत के पहले परमाणु टेस्ट को यादगार बनाना चाहता था. सभी लोगों ने अपनी सूझबूझ से कई परमाणु टेस्ट के नाम सुझाये. कहा जाता है कि फिर परमाणु टेस्ट को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम दिया गया.
भारत के परमाणु टेस्ट को यह नाम देने के पीछे भी एक काफी ठोस वजह थी. जिस दिन परमाणु बम का परीक्षण होना था उसी दिन बुद्ध पूर्णिमा थी. इसी को देखते हुये वैज्ञानिकों ने परमाणु टेस्ट को स्माइलिंग बुद्धा का नाम दिया. इतना ही नहीं… कहते हैं कि मिसाइल पर स्माइलिंग बुद्धा की फोटो भी अंकित की गई.
राजस्थान के पोखरण में भारतीय सेना बेस में 75 वैज्ञनिकों की टीम ने स्माइलिंग बुद्धा टेस्ट का सफल परीक्षण किया. सुबह आठ बज कर पांच मिनट पर भारत ने अपने पहले परमाणु बम पोखरण का सफल टेस्ट कर पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया था.
उस बम की गोलाई करीब 1.2 मीटर थी और वजन 1400 किलोग्राम था. इसके इतने बड़े आकार से ही साबित हो जाता है कि यह आखिर कितना घातक रहा होगा. कहते हैं कि जब यह फटा था तो 8 से 10 किलोमीटर दूर तक धरती हिल गई थी.
इस एक परीक्षण ने पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा दिया था.
Indira Gandhi At First Nuclear Test (Pic: taiwannews)
स्माइलिंग बुद्धा ने छीनी कई देशों की ‘स्माइल’!
भारतीय वैज्ञानिक कई वर्षों से भारत को परमाणु विकसित देश बनाने की कोशिश में थे. यह कोशिश पूरी भी हो गई. भारत के पहले परमाणु बम की सफलता की ख़बर पूरी दुनिया में फैल गई. रेडियो के माध्यम से अन्य देशों ने जाना कि भारत ने अपने पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण कर लिया है.
बस फिर क्या था, इस ख़बर के बाद कई देशों को तो जैसे सांप सूंघ गया.
असल में किसी भी देश ने यह नहीं सोचा था कि इतने साल गुलामी की ज़ज़ीरों में जकड़े रहने वाला भारत इतने कम समय में परमाणु बम हासिल कर लेगा. बल्कि न सिर्फ हासिल कर लेगा उसका परीक्षण भी कर डालेगा. भारत का स्माइलिंग बुद्धा खुद तो स्माइल कर रहा था, लेकिन कई देशों की स्माइल छीन चुका था.
Many Countries Raised Questions On India’s Nuclear Test (Representative Pic: un)
सबसे पहले अमेरिका ने भारत के परमाणु टेस्ट की शिकायत यूएन में कर दी. अमेरिका का कहना था कि भारत ने बिना यूएन को सूचित किये परमाणु बम का टेस्ट कर लिया, जिससे दूसरे देशों में असुरक्षा और भय का माहौल बनेगा. वहीं भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिकों ने सटीक जवाब देते हुये कहा कि उनका परमाणु बम परीक्षण शांतिपूर्ण कारणों के लिए था. भारत की ओर से जवाब दिया गया कि युद्ध करने के लिए उन्होंने परमाणु बम नहीं बनाया है.
कोई भी इसके बाद भारत पर ऊँगली नहीं उठा पाया. सब भारत के इतिहास से वाकिफ थे. भारत ने कभी भी किसी जंग की पहल नहीं की. वह तो हमेशा ही शांतिपूर्ण तरीके से रहने के लिए जाने जाते हैं.
हर देश अपनी ताक़त के अनुसार भारत के परमाणु परीक्षण को ग़लत साबित करने में लगा था. अमेरिका ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान, चाइना इत्यादि भारत के परमाणु परीक्षण को ग़लत ठहराने में लगे हुये थे. हालांकि इन सब बातों का भारत पर कोई ख़ासा असर नहीं पड़ा और भारत विश्व में एक मज़बूत राष्ट्र बनकर उभरा.
बाद के दिनों में भारत की परमाणु ताकत और बढ़ी!
कड़ी मेहनत के कारण ही आज भारत का नाम परमाणु शक्ति वाले देशों में आया है. इन सब के बावजूद भी भारत कभी भी परमाणु बम को किसी देश को धमकाने के लिए इस्तेमाल नहीं करता. यह महज़ देश की सुरक्षा के लिए है जिसे शायद ही कभी इस्तेमाल किया जाए.
हाँ, अगर कोई आँख दिखाने की हिम्मत करता है तो…
आप बताइए कमेन्ट-बॉक्स में क्या करना चाहिए भारत को?
Web Title: Smiling Buddha First Indian Nuclear Program, Hindi Article
Feature Image Credit: armscontrol