इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
1 जुलाई के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
चीन को वापस मिला हांग-कांग
1 जुलाई 1997 के दिन ब्रिटेन ने हांग-कांग को चीन को वापिस कर दिया. इसको लेकर हांग- कांग के निवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया. ब्रिटेन यह काम एक समारोह का आयोजन करके किया. इस समारोह में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, वेल्स के युवराज चार्ल्स, चीन के प्रधानमंत्री जियांग झेमिन और अमेरिका के सचिव मैडेलीन एलब्राइट मौजूद थे.
असल में 1839 में जब ब्रिटेन ने चीन पर हमला किया था, तो उसका प्रमुख उद्देश्य हांग-कांग को कब्जे में लेना था. हम आपको बता दे कि हांग-कांग उस समय रणनीतिक रूप से ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि वह चीन पर अमेरिका, फ़्रांस और जर्मनी के मुकाबले ज्यादा से ज्यादा कब्जा ज़माना चाहता था.
आगे 1842 में चीन और ब्रिटेन के बीच नानकिंग की संधि हुई. इस संधि के तहत चीन ने हांग- कांग को ब्रिटेन के हवाले कर दिया. इसी के साथ प्रथम ओपियम युद्ध का भी अंत हो गया. आगे 1898 में ब्रिटेन ने पेकिंग संधि के तहत हांग-कांग को अगले 99 वर्षों तक अपने पास बनाए रखने का अधिकार प्राप्त कर लिया.
हांग-कांग ब्रिटेन के व्यापर के लिए बहुत सहायक सिद्ध हो रहा था.
1984 में ब्रिटेन और चीन के बीच एक संधि और हुई. इस संधि में तय किया कि 1 जुलाई 1997 को ब्रिटेन हांग-कांग को चीन को वापस कर देगा, लेकिन शर्त यह होगी की चीन हांग-कांग की पूंजीवादी व्यवस्था में कोई दखल नहीं देगा.
यह शर्त इसलिए रखी गई क्योंकि इस समय चीन कम्युनिस्ट देश हो चुका था. चीन ने इस शर्त को मान ली और हांग-कांग उसे वापस मिल गया. इसी के साथ ‘एक देश, दो व्यवस्था’ के आधार पर हांग- कांग में चीन का शासन चल रहा है.
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म
1 जुलाई 1938 के दिन मशहूर बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म इलाहबाद में हुआ.
हरिप्रसाद चौरसिया ने मात्र पंद्रह वर्ष की उम्र में ही बांसुरी बजाना सीखना शुरू कर दिया. उनके पिता पहलवान थे, इसलिए उन्होंने अपने पड़ोस में रहने वाले पंडित राजाराम से बांसुरी बजाना सीखा. आगे वे तब के मशहूर बांसुरी वादक पंडित भोलानाथ के सानिध्य में चले गए. उनके पास उन्होंने आठ साल तक प्रशिक्षण लिया.
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया केवल भारत में ही मशहूर नहीं हुए, बल्कि अमेरिका और यूरोप में भी उन्होंने अपनी बांसुरी की सुरीली धुन का सबको कायल बना लिया. वे हिन्दुस्तानी संगीत में तो पारंगत थे ही, इसके साथ उन्होंने फिल्मों के लिए भी संगीत का निर्माण किया. उन्होंने अपने जीवन में कई मशहूर शास्त्रीय संगीत के फनकारों के साथ काम किया.
इनमें उस्ताद जाकिर हुसैन, पंडित शिवकुमार शर्मा और पंडित जसराज जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है. उन्होंने मुंबई और भुवनेश्वर में संगीत विद्यालय भी खोले. इन विद्यालयों में गुरु- शिष्य परम्परा के तहत प्रशिक्षुओं को संगीत की दीक्षा दी जाती है. इन विद्यालयों से बहुत सारे जहीन संगीतज्ञ भी निकले हैं.
संगीत के क्षेत्र में दिए गए योगदान की वजह से उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. इन पुरस्कारों में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, पद्म भूषण और पद्म विभूषण प्रमुख हैं.
सोनी ने लांच किया वाकमैन
1 जुलाई 1979 के दिन संगीत के क्षेत्र में नई क्रांति हुई. इस दिन सोनी कारपोरेशन ने अपना पहला स्टीरिओ कैसेट प्लेयर बाजार में लांच किया. इसका नाम वाकमैन रखा गया. इसने संगीत की गुणवत्ता को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया. इससे पहले लोग रेडिओ पर संगीत का आनंद लेते थे. यह वाकमैन सोनी कारपोरेशन के चेयरमैन मसुरा इबूका के दिमाग की उपज था.
असल में इबूका संगीत प्रेमी थे. वे जब भी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर जाते थे तो अपने साथ कम्पनी का टेप रिकॉर्डर ले जाते थे. लेकिन यह टेप रिकॉर्डर काफी बड़ा और भारी था. आगे सोनी कारपोरेशन के इंजीनियरों ने फिर इस वाकमैन का निर्माण किया.
यह पहले के टेप रिकॉर्डर से काफी छोटा और हल्का था. इसको लेकर आराम से लंबी दूरियों पर जाया जा सकता था. इसलिए ही इसका नाम ‘वाकमैन’ रखा गया था. प्रारम्भ में इसकी कीमत 150 डालर थी, इसलिए यह जादा नहीं खरीदा गया.
आगे कम्पनी ने जब इसको थोड़ा सस्ता किया, तो इसकी बम्पर बिक्री हुई.
मशहूर लेखिका जॉर्ज सैंड का हुआ जन्म
1 जुलाई 1804 के दिन मशहूर लेखिका जॉर्ज सैंड का जन्म हुआ. इनके पिटा पेरिस में पक्षियों को खरीदने- बेचने का कारोबार करते थे. जब ये मात्र चार साल की थीं तो इनके पिटा का देहांत हो गया. इसके बाद ये अपनी दादी के यहाँ रहने लगीं.
सैंड ने पेरिस के कान्वेंट स्कूल से शिक्षा प्राप्त की. उनकी दादी जल्द ही उनकी शादी कराना चाहती थीं, लेकिन सैंड राजी नहीं हुईं. आगे 1820 में उनकी दादी का देहांत हो गया तो 1821 में उन्होंने शादी कर ली. उनके पति का नाम कासिम्मिर फ़्रन्सोइस था. उन्हें दो बच्चे हुए. आगे पति से उनका मनमुटाव हुआ तो वे पेरिस में अपने एक प्रेमी के साथ रहने लगीं.
इसी समय उन्होंने पेरिस के अखबार ‘ले फिगारो’ में लिखना शुरू कर दिया.
उनका पहला उपन्यास ‘इंडियाना’ 1832 में प्रकाशित हुआ. इसके साथ ही उनके कई अफेयर भी चलते रहे. बाद में उन्होंने अपने इन्हीं सब अनुभवों के बारे में लिखा. 1836 में उन्होंने अपने पति को तलाक के लिए लीगल नोटिस भेजा. इसके दो साल बाद संगीत निर्माता फ्रेडेरिक चोपिन के साथ उनका एक दशक तक अफेयर चला गया.
इसके बाद वे वापस से अपनी दादी के पुश्तैनी घर में लौट गईं. यहाँ उन्होंने फिर तल्लीनता से लिखना शुरू किया. यहाँ उन्होंने 20 वॉल्यूम की अपनी आत्मकथा लिखी. इसके साथ ही ढे़र सारी किताबें और उपन्यास भी लिखे. अपने लेखन में उन्होंने स्त्रियों के साथ होने वाली ज्यदिती को जगह दी. उ
न्होंने स्त्रियों की कामुक जरूरतों और अरेंज मैरिज में व्याप्त अन्याय पर भी खूब लिखा. जून 1876 में उनकी मृत्यु हो गई.
तो ये थीं 1 जुलाई से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुडी किस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की जानकारी है, तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 1 July: Sony Launched Its First Walkman, Hindi Article
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