कहा जाता है कि जो लोग अपना इतिहास नहीं जानते हैं, वे उस पेड़ की तरह होते हैं, जिसकी जड़ें नहीं होती हैं.
ऐसे में जरूरी है कि हम देश-विदेश में घटी हुई उन घटनाओं का जानें, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.
तो आईये इसी क्रम में 17 जून में दर्ज कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को जानते हैं-
जीत के मुहाने पर पहुंचकर हारा मैच
17 जून 1999 के दिन दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम का वर्ल्ड कप जीतने का सपना चूर-चूर हो गया. दक्षिण अफ्रीका की टीम जीत के बिल्कुल करीब पहुंचकर हार गई. यह मैच इस विश्व कप का सेमीफाइनल था.
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका ने लीग और सुपर सिक्स मैचों में शानदार प्रदर्शन किया था. उसके इस प्रदर्शन को देखकर उसे विश्व कप जीतने का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था.
उस समय दक्षिण अफ्रीका की टीम में गैरी कर्स्टन, हर्शल गिब्स, हैन्सी क्रोंजे, जैक्स कालिस, जोह्न्टी रोड्स, शान पोलैक और एलन डोनाल्ड जैसे एक से बड़े एक धुरंधर मौजूद थे.
सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका के सामने ऑस्ट्रेलिया की टीम थी.
ऑस्ट्रेलिया की टीम में भी उस समय एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग, स्टीव वा, डेरन लेहमन और ग्लेन मैक्ग्रा जैसे बड़े नाम मौजूद था. मैच शुरू होने से पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि मुकाबला टक्कर का होने वाला है.
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की.
पोलैक और डोनाल्ड ने मिलकर आस्ट्रेलिया के ऊपरी क्रम को ध्वस्त कर दिया. माइकल बेवन और स्टीव वा ने मिलकर टीम को संभाला और ऑस्ट्रेलिया ने अपने सभी विकेट खोकर 213 रनों का स्कोर खड़ा किया.
मैच की पहली पारी ख़त्म होने के बाद ऐसा लग रहा था कि दक्षिण अफ्रीका की टीम यह मैच आसानी से जीत जाएगी. 40 ओवर का खेल ख़त्म होने तक दक्षिण अफ्रीका ने पांच विकेट खोकर 145 रन भी बना लिए थे.
किन्तु, 48 वें ओवर तक दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 9 विकेट पर 198 रन हो गया. हालांकि, अभी क्रीज पर उस समय के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज लांस क्लूजनर टिके हुए थे.
अंतिम ओवर में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए नौ रनों की दरकार थी. लांस क्लूजनर स्ट्राइक पर थे. उन्होंने पहली दो गेंदों पर दो चौके लगाकर स्कोर बराबर कर दिया. अब आखिरी की चार गेंदों पर मात्र 1 रन की जरूरत थी. तभी ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ने अपने सभी क्षेत्ररक्षकों को तीस गज के घेरे के भीतर बुला लिया. अगली गेंद पर कोई रन नहीं बना.
दर्शकों की तेज धड़कनों के बीच क्लूजनर ने ओवर की चौथी गेंद को मिड ऑफ़ की तरफ खेला. दूसरे छोर पर खड़े एलन डोनाल्ड बिना कुछ सोचे रन लेने के लिए दौड़ पड़े.
गेंद सीधे फील्डर के हाथों में थी और उसने जल्दी से उसे विकेटकीपर के पास फेंक दिया. विकेटकीपर ने बिल्कुल भी वक्त ना जाया करते हुए डोनाल्ड को रन आउट कर दिया. इस तरह दक्षिण अफ्रीका की टीम भी 213 रनों के स्कोर पर आउट हो गई.
मैच ड्रा हो गया, लेकिन बेहतर रन रेट की वजह से ऑस्ट्रेलिया की टीम फाइनल में पहुँच गई.
फ्रांस ने उपहार में दिया स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी
17 जून 1885 को 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' अमेरिका पहुंचा.
यह अमेरिका को फ्रांस की तरफ से दोस्ती में दिया गया एक उपहार था. इस उपहार के 350 अलग-अलग टुकड़ों को 200 बक्सों में भरकर अटलांटिक महासागर के रास्ते फ़्रांस ने अमेरिका तक पहुँचाया था.
'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' तांबे और लोहे से बनी एक मूर्ति है. इसे स्वतंत्रता और प्रजातंत्र का प्रतीक माना जाता है. फ़्रांस ने इसे अमेरिकी क्रांति और फ़्रांस-अमेरिका मित्रता के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसे अमेरिका को उपहार स्वरुप प्रदान किया था.
इस मूर्ति का निर्माण फ़्रांस के मशहूर मूर्तिकार फ्रेडेरिक ऑगस्ट ने इंजीनियर गुस्तावे आइफ़िल के साथ मिलकर किया था. वैसे इसका निर्माण 1876 में किया जाना था, लेकिन फंड की कमी के कारण इसमें देरी होती गई.
अंततः यह 1884 में बनकर तैयार हुआ.
इसके बाद 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिकी राष्ट्रपति क्लीवलैंड ने इसे अमेरिकी जनता को सौंपा. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि स्वतंत्रता ने इस मूर्ति के रूप में अपना घर बनाया है.
इसलिए इस मूर्ति को न तो बदला जा सकता सकता है और न ही इसकी उपेक्षा की जा सकती है.
इस मूर्ति की ऊंचाई 305 फीट से भी अधिक है. इसका वजन 4 लाख 50 हज़ार पाउंड है. प्रारंभ में इसका रंग तांबे के प्राकृतिक रंग जैसा ही था, लेकिन आज यह हरे-नीले रंग में रंगी दिखती है.
इसके साथ ही समय- समय पर इसमें सुधार होते रहे...
1924 में इसकी टॉर्च को बदला गया था. 4 जुलाई 1986 को अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने इसे दोबारा से लोगों सौंपा. 9/11 के हमले के बाद इसे कुछ दिनों तक बंद कर दिया गया. आज स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिका का सबसे प्रसिद्द स्मारक है.
मुमताज महल ने ली अंतिम सांस
17 जून 1631 को शाहजहाँ की सबसे प्रिय पत्नी मुमताज महल की मृत्यु हो गई.
अपनी मृत्यु के समय मुमताज शाहजहाँ की चौदहवीं संतान को जन्म दे रहीं थीं. उनकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने उनकी याद में बीस वर्ष लगाकर ताजमहल का निर्माण करवाया था.
मुमताज महल का जन्म 6 अप्रैल 1593 को आगरा में हुआ था.
14 वर्ष की उम्र में इनकी सगाई शाहजहाँ से हो गई थी. हालाँकि, दोनों को अपने निकाह के लिए और पांच साल तक का इन्तजार करना पड़ा. आगे 1612 में दोनों का निकाह हुआ और मुमताज शाहजहाँ के जीवन का प्रेम बन गयीं.
उस समय मुमताज के बराबर सुंदर कोई और ना था. अनेक कवियों ने उनकी सुन्दरता का वर्णन करते हुए लिखा कि मुमताज इतनी सुंदर हैं कि उनके सामने चाँद भी खुद को छुपा लेता है.
यही कारण था कि शाहजहाँ ने दो और बीवियां होते हुए भी मुमताज को सबसे ज्यादा प्यार किया, उनका हमेशा ख्याल रखा.
अपने बाहरी सौन्दर्य के साथ-साथ वे दिल की भी बड़ी नेक थीं. वे हमेशा शाहजहाँ से गरीबों की मदद करने के लिए कहती रहती थीं. शाहजहाँ भी उनकी बात मान जाते थे और उनके लिए ही शाहजहाँ ने ताजमल का निर्माण करवाया.
आज ताजमहल विश्व के सात अजूबों में से एक है.
तो ये थीं 17 जून के दिन इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुडी किसी घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 17 June: Statue Of Liberty Reached U.S.A. , Hindi Article
Feature Image Credit: thecricketmonthly