दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके व्यक्तित्व से सिर्फ उनके आस-पास के लोग ही नहीं बल्कि, दुनिया भर के लोग प्रभावित होते हैं. उन्हीं में से एक हैं ‘दलाई लामा’.
आज उन्हें दुनिया के अधिकांश लोग जानते हैं. वह पूरी दुनिया का भ्रमण करते हैं और लोगों को शांति का संदेश देते हैं.
दलाई लामा को एक धर्मगुरु के रुप में तो कई लोग जानते हैं, लेकिन उन्हें व्यक्तिगत रुप से बहुत कम लोग जानते हैं.
साथ ही जिस उपाधि पर वह इस समय विराजमान हैं यानि ‘लामा’ की, क्या आप उसके बारे में जानते हैं? आखिर कौन होते हैं लामा, उनका क्या कार्य होता है और इनका चयन कैसे किया जाता है. अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं लामा के इतिहास और वर्तमान लामा, दलाई लामा के बारे में.–
पुनर्जन्म से मिलते हैं नए दलाई लामा...
वर्तमान दलाई लामा के बारे में जानने से पहले, यह जानना जरुरी है कि आखिर ये लामा कौन और क्या होते हैं?
लामा असल में बौद्ध मोंक होते हैं. यह कड़े ध्यान व सालों के परिश्रम के बाद जीवन के परम सत्य को जान पाते हैं. कई सालों की मेहनत लगती है एक लामा के बराबर होने के लिए.
ज्ञान पाने के बाद एक लामा का कर्तव्य होता है कि वह उस ज्ञान को लोगों में बांटें. यह लोग धरती पर रहते हुए, हर इंसान को जीवन का सही मार्ग बतलाते हैं.
इनकी एक ही इच्छा होती है कि इंसान शांति और प्रेम से एक दूसरे के साथ रहे और ईश्वर की भक्ति में डूब जाए. जब एक बार उनका मन शांत हो जाएगा, तब अपने आप ही उनकी सारी परेशानियां भी चलाई जाएंगी.
लामा ध्यान लगाने के लिए एक अलग तरह का तरीका अपनाते हैं. इसे मंडलास कहा जाता है. इस प्रक्रिया के जरिए ही यह खुद को ध्यान में इतना लीन कर पाते हैं.
इन सभी लामा में से दलाई लामा सबसे उच्च होते हैं. इसे लेकर एक बेहद रोचक मान्यता है. इनके मुताबिक, जब कभी एक दलाई लामा मरता है, तो वह एक नए रूप में दोबारा से धरती पर जन्म लेता है.
इसके बाद धर्म अधिकारी उस बच्चे की खोज करते हैं और फिर उसे ही अगला दलाई लामा नियुक्त किया जाता है. क्या आप जानना चाहेंगे कि आखिर नए दलाई लामा को किस प्रकार खोजा जाता है? चलिए इस बारे में भी जानते हैं.
नए दलाई लामा की खोज नहीं होती इतनी आसान!
इतना तो आप जान ही चुके हैं कि दलाई लामा को कोई चुनता नहीं बल्कि उन्हें खोजा जाता है. तिब्बतियन मान्यता के मुताबिक उनके दलाई लामा एक ही रहते हैं.
हालांकि, केवल समय के साथ-साथ उनका रूप बदलता रहता है. दलाई लामा का चयन पुनर्जन्म की मान्यता पर अधारित है.
इसलिए लामा की मृत्यु के बाद नए लामा की खोज का दायित्व गेलगुपा परंपरा के मुताबिक उच्च लामास और तिब्बत सरकार का रहता है. हालांकि, इस खोज में कई वर्ष लग जाते हैं.
तिब्बत के वर्तमान 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को खोजने में 4 वर्षों का समय लगा था. इस खोज की शुरुआत उच्च लामा को दिखने वाले दृश्यों व सपनों से होती है.
इसके बाद ही आगे की खोज आरंभ की जाती है. एक और प्रथा के मुताबिक अगर पिछले दलाई लामा के मरने के बाद उन्हें जलाया जाता है, तो उनकी चिता से उठने वाले धुएं पर ध्यान दिया जाता है.
उनके मुताबिक यह धुआं लामा के पुनर्जन्म का संकेत देता है. अपनी इस खोज प्रक्रिया के दौरान उच्च लामा अक्सर केंद्रीय तिब्बत की पवित्र नदी ला-तसो के पास जाकर ध्यान लगाते हैं.
वहां पर ध्यान लगाते हुए वह, अगले संकेत का इंतजार करते हैं. कहते हैं कि इससे उन्हें आगे किस दिशा में बढ़ना है यह पता चलता है.
नदी में इस प्रकार से ध्यान लगाने के पीछे तिब्बती लोगों की एक धारणा है. उसके मुताबिक इस पवित्र नदी की पवित्र आत्मा ने प्रथम दलाई लामा को वचन दिया था, कि उनके वंशज को ढूंढने में यह सदैव उनकी सहायता करेगी.
इसलिए उस हर बार दलाई लामा को खोजने के लिए यहाँ पर आया जाता है. माना जाता है कि यहाँ आने के बाद ही दलाई लामा की खोज पूरी हो पाती है.
कई परीक्षाओं के बाद होता है चुनाव
मिले गए संकेतों के आधार पर ही, उस बच्चे को खोजा जाता है, जिसकी किस्मत में दलाई लामा बनना लिखा होता है. एक बार, जब उस बच्चे को खोज लिया जाता है, तो उसकी कई परीक्षाएं ली जाती हैं.
यह इस बात को प्रमाणित करने के लिए होता है कि वही असली लामा वंशज है. इसके लिए उससे कुछ विशेष कार्य करवाए जाते हैं. उनके द्वारा देखा जाता है कि वह सही चयन है कि नहीं.
इसके अलावा उससे कुछ खास चीजों की पहचान करवाई जाती है. यह सभी चीजें पिछले दलाई लामा से संबंधित होती हैं.
एक बार यह सब कार्य पूरे हो जाएं, तो फिर उच्च लामा धार्मिक आकलन पर बच्चे को आंकते हैं. सभी प्रमाण सिद्ध होने के बाद ही उसके बारे में सरकार को बताया जाता है.
इसके बाद फिर लोगों को बच्चे से परिचित करवाया जाता है. आखिर में बच्चे को बौद्ध धर्म से जुड़ी जानकारी दी जाती है, ताकि वह आगे चलकर धर्म का नेतृत्व कर सकें.
2 साल की उम्र में शुरू की दलाई लामा की ट्रेनिंग
वर्तमान दलाई लामा की बात शुरू की जाए, तो सबसे पहले उनके बारे में कुछ बातें जान लेनी चाहिए. उनका असली नाम ल्हामो दोंडुब है.
दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई को तक्तसेर में हुआ था, जोकि वर्तमान में उत्तरी तिब्बत का एक हिस्सा है. ल्हामो दोंडुब जब 2 वर्ष के थे, तो उन्हें 13वें दलाई लामा थूबोन ग्यात्सो ल्हामो के पूर्णावतार के रुप में चुना गया था.
इसके बाद ल्हामो दोंडुब को उनका नया नाम तेनजिन ग्यात्सो दिया गया. आपको बता दें कि तिब्बत समाज में दलाई लामा को अवलोकेश्वर, चिरनजीवि और तिब्बत का संरक्षक माना जाता है.
तेनजिन ग्यात्सो ने मठ से जुड़ी अपनी शिक्षा 6 वर्ष की आयु में शुरू की. उनकी शिक्षा नालंदा परंपरा पर आधारित थी.
इसमें उन्हें तर्कशास्त्र, ललित कला, संस्कृत व्याकरण और औषधि का ज्ञान लेना पड़ा. उन्हें बौद्ध दर्शन का ज्ञान भी अर्जित करना पड़ा, जोकि पांच भागों में वितरित था.
...लेना पड़ता है कई विषयों का ज्ञान
दलाई लामा को ज्ञान की पूर्णता, मध्य मार्ग का दर्शन, मठवासी अनुशासन सिद्धांत, आध्यात्मिकता और आखिर में तर्क और महामारी विज्ञान का ज्ञान लेना पड़ा.
इन सब के साथ-साथ उन्हें कविता, चरितार्थ, ज्योतिष, रचना व समानार्थी शब्दों की भी शिक्षा दी गई. जब वह 11 साल के हुए, तो उन्हें एक ऑस्ट्रियन पर्वतारोही हेनरिच हेरेर मिले.
उन्होंने तेनजिन को बाहरी दुनिया से जुड़ी बहुत सी जानकारी दी. वर्ष 1950 में, जब तेनजिन 15 साल के हुए तो उन्हें सभी राजनीतिक अधिकार भी दे दिए गए.
नोबेल पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित...
दलाई लामा के शुरूआती समय में, तिब्बत और चीन के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे. दोनों देशों के बीच कई मतभेद होते रहते थे.
ऐसे में रिपब्लिक ऑफ चाइना ने दलाई लामा तेनजिन पर हमला करने की योजना बनाई. हालांकि, दलाई लामा के एक विश्वासपात्र ने पहले ही इस बारे में जानकारी दे दी.
इसके चलते लामा अपने हजारों अनुयायियों के साथ भारत धर्मशाला में आकर बस गए. वहां उन्होंने भारत से अलग एक अपनी खुद की सरकार व नियम बना लिए.
इस सब के बाद दलाई लामा ने अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए दुनिया भर का भ्रमण किया. उन्होंने न सिर्फ तिब्बत और चाइना के आपसी संबंधों को सुधारा बल्कि, अमेरिका समेत दुनिया के कई हिस्सों में जाकर लोगों में शांति का संदेश दिया.
उनके इन कार्यों को देखते हुए साल 1989 में उन्हें विश्व के सबसे बड़े पीस प्राइज नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. अभी भी दलाई लामा अपने जीवन के उद्देश्य की पूर्ति हेतु विश्व के अलग-अलग कोनों में जाकर लोगों को शांति का संदेश देते हैं.
देखा आपने, एक दलाई लामा बनना इतना भी आसान नहीं है. सिर्फ किस्मत ही यह फैसला करती है कि कौन अगला दलाई लामा बनेगा. हालांकि, दलाई लामा कोई भी बने उसका उद्देश्य एक ही होता है, विश्व शांति. आज भी दलाई लामा इसी उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
Web Title: Story Of Making A Dalai Lama
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