तकनीक के इस दौर में सब कुछ आसान और संभव है!
लेकिन वो समय जब मानव सभ्यता में इन नई तकनीकों का इजाद नहीं हो पाया था तब चीजें इतनी सहज और सरल न थीं. जाहिर तौर पर किसी काम को करने के लिए अज़ब-गज़ब तरीके अपनाए जाते थे.
अब गर्भधारण को ही ले लीजिए… विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि भ्रूण को आज शरीर के बाहर भी विकसित किया जा सकता है… वहीं प्राचीन समय में तकनीकी प्रगति न होने के कारण पारंपरिक तरीकों और पूर्व प्रचलित मान्यताओं पर आधारित रीति-रिवाजों के द्वारा ही इन समस्याओं का समाधान किया जाता था. हालांकि इसमें कई प्रकार की कमियां भी थीं, पर तब इसके सिवा कोई अन्य रास्ता भी तो नहीं था!
आज हम प्राचीन समय से इस्तेमाल किए जा रहे ऐसे संसाधनों पर बात करेंगे जो गर्भधारण को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. यकीनन यह एक दिलचस्प विषय है. तो आइये इस विषय की विस्तृत जानकारी लेते हैं–
छींकना और कूदना
आज से 100-150 साल और उससे भी पहले जिंदगी इतनी आसान नहीं थी… इसलिए प्राचीन समय में गर्भधारण से बचने के लिए महिलाओं को पारंपरिक रीति-रिवाजों पर ही विश्वास करना पड़ता था.
जहां प्राचीन ग्रीनलैंड के निवासियों की मान्यता थी कि चांद की तरफ पीठ करके सोने से महिलाएं गर्भवती हो जाएंगी, वहीं दूसरी शताब्दी के ग्रीक स्त्री रोग विशेषज्ञ सोरनस ने सेक्स के बाद महिलाओं को सात बार पीछे कूद कर जाने की सलाह दी. इसके अलावा छींक आने को भी गर्भधारण से बचाव में इस्तेमाल किया जाता था. वहीं प्राचीन काल में एक और मान्यता काफी प्रचलित थी, जिसके अनुसार अपनी सांस रोक कर ऊपर नीचे कूदने से गर्भनिरोध किया जा सकता है.
Woman Sneezing. (Pic: videoblocks)
जानवरों के मल और अंडाशय का इस्तेमाल!
पुराने समय में महिलाएं गर्भनिरोध के लिए जानवरों का सहारा लेती थीं.
आपको जानकर हैरानी होगी मगर ये सच है कि महिलाएं उस दौर में मगरमच्छ के मल और शहद को अपने वजाइना में मलती थीं. उनका मानना था कि ऐसा करने से वो गर्भवती होने से बच जाएंगी. शारीरिक संबंध बनाने से पहले अक्सर महिलाएं इसका इस्तेमाल किया करती थीं. इतिहास बताता है कि काफी लंबे वक्त तक ये प्रकिया चलन में बनी रही.
माना गया था कि शहद योनि में अम्लता को बदलने और गर्भावस्था को रोकने के लिए कारगर है. मगरमच्छ के मल, शहद, कपास और अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण भी इस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता था. जानवरों की खाल और उनके अंडाशय का भी उपयोग किया जाता था. माना जाता था कि जानवर के अंडाशय को अगर इंटरकोर्स के दौरान महिलाओं के गले में बांध दिया जाए तो गर्भनिरोध का काम हो जाएगा.
यूरोप में 500-100 ईस्वी के बीच, महिलाओं ने गर्भवती होने से रोकने के लिए संभोग के दौरान अपने पैर के आसपास नेवला का अंडकोश भी लगाया. पौराणिक कथाओें पर यकीन करें तो उसमें ऐसा वर्णन किया गया है कि महिलाएं प्रेगनेंसी रोकने के लिए गधे के मल और काली बिल्ली की एक खास हड्डी का भी इस्तेमाल किया करती थीं. उन्हें यकीन था कि मल और हड्डी का मिश्रण वजाइना में लगाने से वो प्रेगनेंट नहीं होंगी. इस उपाय को भी दशकों तक महिलाओं ने खूब अपनाया.
हालाँकि, यह सीधे तौर पर अंधविश्वास ही था… किन्तु कुछ न कुछ तो लोगों ने करना ही था और ऐसे में अजीबो गरीब तरीको का विकास हुआ.
सिल्फीम जड़ी-बूटी का उपयोग
बहुत साल पहले राेमन साम्राज्य के प्राचीन शहर साइरेनियम में सिल्फीम नामक एक जड़ी बूटी मिलती थी. हालांकि ये अब विलुप्त हो चुकी है, लेकिन तब इसका इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता था. ये कुछ-कुछ आधुनिक सूरजमुखी जैसी ही थी जिसमें छोटे छोटे पीले फूलों के गुच्छे लगे रहते थे. प्लीनी द एल्डर का दावा है कि सिल्फीम की सबसे आखिरी डाली रोमन सम्राट नीरो को एक विषम बीमारी के लिए दिया गया था. आज भी यहां के लोग मानते हैं कि ये पौधा अस्तित्व में है. सिर्फ इसे गलत पहचान दी गई है.
प्राचीन ग्रीस में सिल्फीम को परिवार नियोजन के लिए उपयोग किया जाता था. उस समय इसकी मांग लगातार बढ़ रही थी, कहा जाता है कि एक समय बाद इसे सोने के बदले दिया जाने लगा. माना जाता है कि इसके बीज गर्भधारण रोकने में कारगर थे. वहीं 1550 ईस्वी के आसपास मिस्र के एबर्स पेपाइरस और 1850 ईसा पूर्व के काहुन पेपाइरस में परिवार नियोजन के कुछ आरंभिक दस्तावेजों में भी वर्णन मिलता है. इस दस्तावेज में शहद और अकासिया की पत्तियों के इस्तेमाल की बात कही गई है.
कुछ प्राचीन मिस्र के रेखाचित्र भी निरोधों के उपयोगो को दर्शाते हैं. बुक ऑफ जेनेसिस में योनि से बाहर स्खलन या कॉएटस इंट्रप्टस (स्खलन पूर्व निकास) को परिवार नियोजन के एक बेहतर साधन के रूप में पेश किया गया है.
Lost Herb of Rome Silphium. (Pic: bbc)
पारा, नीम और नींबू का सहारा
4,000 साल पहले चीन में महिलाएं गर्भावस्था को रोकने के लिए पारा पीती थीं. वहीं माना जाता है कि पारा एक जहरीला रासायनिक तत्व है. कहा जाता है कि महिलाएं प्रेगनेंट होने से बचने के लिए पुराने जमाने में लेड (शीशा) मिला हुआ पानी पीती थीं. महिलाओं को खाली पेट तेल और पारे का घोल पिलाया जाता था. दरअसल पारा शरीर के लिए ज़हर समान है.
असल में इसके अधिक सेवन से इनफर्टिलिटी हो जाती है. इसी मान्यता पर लेड का सहारा गर्भनिरोध के तौर पर लिया जाता था. सबसे ज्यादा चीन में इस डरावनी पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था. लेड के इस्तेमाल का एक साइड इफेक्ट फर्टिलिटी घटना भी थी.
वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि नींबू का इस्तेमाल भी प्रेंगनेंसी रोकने के लिए किया जाता था. 18वीं सदी में दुनिया के महान लवर के नाम से मशहूर कैसानोवा ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए गर्भावस्था को रोकने के रूप में नींबू का इस्तेमाल करने वाली अपनी पार्टनर्स का जिक्र किया था. यही नहीं उसने इतावली नवजागरण के दौरान गर्भधारण रोकने के लिए भेड़ की खाल के उपयोग के बारे में भी बताया था.
नीम का इस्तेमाल भी प्राचीन काल से निरोध रूप में किया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि नीम शुक्राणु नाशक बूटी है. पिछले जमाने के लोग मानते थे कि योनी के माध्यम से नीम के तेल को शरीर के अंदर डालने से आंशिक रूप से बांझपन आता है, जिसका असर एक साल तक रहता है.
Liquid Mercury in Mouth. (Pic: postaddict)
यकीनन पुराने जमाने के गर्भनिरोध के ये तरीके जानकर आप हैरान हो गए होंगे. हालांकि हम इस तरह के किसी भी रीति-रिवाजों और वस्तुओं या तत्व के इस्तेमाल का समर्थन नहीं करते. वहीं आज के आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत दौर में इन बातों पर लोग विश्वास नहीं करते.
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Web Title: Strange Things Used in Ancient Time for Contraception, Hindi Article
Featured Image Credit: Live Science