ताजमहल परिसर की मस्जिद में बाहरी लोगों के नमाज़ अदा करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने साफ कह दिया है कि 'यहां कई और जगह हैं, जहां नमाज़ पढ़ी जा सकती है, फिर ताजमहल परिसर ही क्यों?'
सवाल लाजमी है, कि आखिर ताजमहल ही क्यों?
सदियों से मोहब्बत की निशानी रहता ताजमहल आज विवादों से घिरा हुआ है. यूपी की राजनीति गर्माने में तो ताजमहल का खास योगदान है. यूपी में शायद ही कोई राजनेता होगा तो ताजमहल पर बयानबाजी करने से बाज आया हो.
चूंकि ताजमहल दुनिया के चुनिंदा अजूबों में से एक है इस लिहाज से यह भारत के लिए गौरव का विषय है. और यदि बात गौरव की हो तो उससे हर भारतीय की संवेदनाएं जुड़ी होती है.
ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि ताजमहल आखिर किन विवादों से जूझ रहा है और क्यों—
मिथकों से घिरा हुआ है इसका इतिहास
ताजमहल के इतिहास पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह हर कोई जानता है कि इसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनाया था. बावजूद इसके कई मिथक हैं जो ताजमहल के अस्तित्व पर प्रश्न खड़े करते हैं.
जैसे शाहजंहा ने ताज महल के 20 हजार कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे!
शाहजंहापुर और मुमताज की कब्र पर हर वक्त पानी टपकता रहता है ताकि माठी गिली रहे! ताजमहल का नक्शा सपने में दिखाई दिया था या फिर वह चांदनी रात में चमकता है... आदि आदि इत्यादि!
किन्तु पुरात्व विज्ञान इन सब बातों को सिरे से नकार चुका है. इतिहासकारों के मुताबिक शाहजहां ने किसी के हाथ नहीं काटे, बल्कि कामगारों से आजीवन काम न करने का वायदा लेकर उन्हें जीवनभर का वेतन दे दिया था.
ऐसे ही किसी कब्र पर कभी पानी नहीं टपकता, केवल उर्स के दिन ताजमहल में ज्यादा लोग आते हैं और ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है. इस कारण दीवार पर पानी की बूंदे आ जाती है और जब लोग कम होते हैं तो बूंदे गायब हो जाती हैं.
इसी तरह ताजमहल कोई सपना नहीं था उसे वास्तुकारों ने डिजाइन किया था. बहरहाल इन तथ्यों और मिथकों के बीच अंतर करने के लिए पुरातत्व के शोध काफी हैं. फिर भी विवाद इससे कहीं ज्यादा गंभीर हैं.
सरकार के पास नहीं है कोई पॉलिसी!
ताजमहल के विवादों को दो श्रेणियों में बांट सकते हैं, जिसके अपने-अपने फायदे और नुक्सान हैं. पहली श्रेणी है, वो जो इसके अस्तित्व को बचाए रखना चाहती है. उनका विवाद ताजमहल की सुरक्षा के लिए है. दूसरी श्रेणी वह, जो ताजमहल के प्रति धार्मिक दृष्टिकोण अपनाए हुए है. शुरूआत करते हैं पहली श्रेणी के विवाद है.
दरअसल बढ़ते प्रदूषण के कारण ताजमहल 'सफेद' से 'पीला' होने लगा है. इस बात पर सुप्रीम कोर्ट 'लाल' हो रहा है. यमुना के पानी की वजह से नीचे पत्थरों पर करी जमने लगी है. जिसके बाद करीब दर्जन भर जनहित याचिकाएं उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लगाई जा चुकी हैं. इन्हीं में से एक जनहित याचिका पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है.
वहीं पुरातत्व विभाग ने मिट्टी से इसको फेसलिफ्ट देने की कोशिश की है. साथ ताज ट्रैपेजियम जोन में प्रदूषण वाली इकाई बंद कर दी गयी है. जब ये यूनिट बंद हो रही थीं तब भी आगरा में जमकर हंगामा हुआ था.
दरअसल यूनिट बंद होने से कई लोगों के सामने रोजगार का संकट बताया जा रहा है.
दूसरी समस्या है कि लगभग हर साल ताजमहल देखने आने वालों की संख्या में 20 प्रतिशत की तेजी आ रही है. ताजमहल में हर साल 70 से 80 लाख पर्यटक आते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार इस साल साल में जनवरी से जून महीने के बीच लगभग 45 लाख पर्यटक ताजमहल देखने पहुंचे थे.
इनमें से लगभग 5 लाख पर्यटकों की संख्या विदेशी थी. इतनी भीड़ को सम्हालने के लिए ताजमहल प्रबंधन को दिक्कतें आ रही हैं. गौरतलब है कि 2015-16 में ताजमहल से यूपी सरकार को 23.38 करोड़ की कमाई हुई.
2016-17 में ताजमहल से 8.31 करोड़ रुपया यूपी सरकार के खाते में पहुंचा.
यह कमाई हर साल बढ़ रही है, क्योंकि सरकार भीड़ को देखते हुए टिकिट के दाम बढ़ा रही है. 66 साल पहले ताजमहल का टिकिट 20 पैसे था जो आज 50 रुपए हो गई है. जबकि विदेशी पर्यटकों को 1000 रुपए प्रवेश शुल्क देना होता है.
हालांकि सरकार के पास भीड़ को नियंत्रित करने की कोई ठोस पॉलिसी नहीं है.
धार्मिक बयानों से गर्माती राजनीति
अब बात करते हैं उस दूसरी श्रेणी की जो इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति को गर्माए हुए है. सबसे पुराना विवाद पीएन ओक नाम के व्यक्ति ने शुरू किया था, जिसे आज तक हवा दी जा रही है.
70 के दशक के पूर्वार्द्ध में मराठी लेखक पीएन ओक ने दावा किया कि ताजमहल नहीं, बल्कि तेजोमहालय है जो एक तरह से हिंदू देवता शिव का मूल स्थान रहा है. उसने इस विषय पर लगातार लेख लिखे और कहा कि ताजमहल निर्माण के लिए एक शिव मंदिर को तोड़ा गया था. यदि इसकी खुदाई की जाए तो हमें मंदिर के अवशेष मिल जाएंगे.
बस फिर क्या था इतने सालों में ताज महल की खुदाई तो नहीं हुई, लेकिन इस तथ्य पर राजनीति शुरू हो गई.
राज्यसभा के सदस्य विनय कटियार ने तो यूपी सीएम से मांग कर डाली है कि ‘ताजमहल’ को ‘तेजमहल’ घोषित कर दिया जाए और वे वहां खुद जाकर हिंदू चिन्हों की पहचान कर लें. ओक की लिखी किताब 'द ताजमहल इज़ अ टेंपल प्लेस' के आधार पर कई और राजनेता ताज महल को शिव मंदिर घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं.
कब्र पर गिरती बूंदो के बारे में कहा जाने लगा है कि यहां शिवलिंग था, जिस पर लगातार पानी की बूंदे गिरती रहती हैं. बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को देश के इतिहास का हिस्सा मानने से ही इंकार कर दिया है.
उन्होंने कहा कि भारत हिंदूओं का देश है और यहां शाहजहां के इतिहास की बातें करना दुखद है.
बस उनके इस बयान के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के नेता और सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने आग में घी डाला और कहा कि जिन्हें मुसलमान और देशद्रोही कहा जा रहा है.
उन्हीं ने लालकिला भी बनवाया है, तो क्या मोदी वहां भाषण नहीं देंगे?
कुछ ऐसा है इससे जुड़ा दूसरा विवाद
दूसरा प्रमुख विवाद ताजमहल के भीतर नमाज अदा करने को लेकर है. जो लोग इसे शिव का मंदिर बता रहे हैं. वे यहां शिव चालीसा का पाठ करना चाहते हैं. यह भी सवाल उठा कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है, तो मुस्लिम यहां नमाज अदा क्यों करते हैं? यदि ऐसा है तो हिंदूओं को पूजा-पाठ करने की मनाही क्यों है?
2005 में उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद उस्मान ने ताजमहल के वक्फ प्रॉपर्टी होने का भी दावा किया था. नमाज के लिए ताजमहल के दक्षिणी गेट से प्रवेश बंद कर देने से भी विवाद बना हुआ है.
बाहरी मुस्लिम को नमाज अदा करने की अनुमति नहीं होना भी एक मसला है.
फिलहाल ये तमाम मामले कोर्ट में हैं और सुनवाई जारी है. साथ ही जारी है बयानबाजी!
एक अनुमान के अनुसार निचली अदालतों से लेकर शीर्ष अदालत तक ताजमहल विवाद से जुड़ी करीब 20 से ज्यादा जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. जबकि, बाहर बयानवाबाजी के चक्कर में दोनों कौमें एक दूसरे के आमने-सामने आ गई हैं.
ये ऐसे विवाद हैं जो कोर्ट तक पहुंचते ही नहीं, यदि दिलों में पैदा न होते. यदि यह समझता जाता कि ताजमहल भारत की धरती पर बना है और वह हमारी विरासत है. भारतीय वास्तुकला का नायाब प्रमाण है.
अब तो यही दुआ की जा सकती है कि काश की शाहजहां एक बार फिर जिंदा हो जाएं और इन तमाम विवादों को दूर कर फिर अपनी कब्र में आराम से दफ़्न हो जाएं!
क्या कहते हो आप?
Web Title: Taj Mahal Controversy, Hindi Article
Feature Image Credit: HolidayIQ