क्या अपने कभी भी दो भाइयों की लड़ाई में पूरे शहर को कूदते देखा है!
यह बात सुनने में भले अजीब लगे, पर है एकदम सच! यह अनोखी लड़ाई है एडिडास और प्यूमा कंपनी के मालिक भाइयों की, जिनका किस्सा कॉर्पोरेट जगत में भाइयों की लड़ाई का सबसे दिलचस्प किस्सा है.
दिलचस्प इसलिए, क्योंकि इस जंग में न सिर्फ पूरा शहर कूद पड़ा. यहां तक कि लोगों के व्यक्तिगत रिश्ते भी दांव पर लग गए.
शहर के लोग इस लड़ाई में इस तरह शामिल हुए कि एक समय में वे अपने साथी चुनते समय भी देखते थे कि उन्होंने जूते किस कंपनी के पहने रखे हैं.
तो आईए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम को-
पहले विश्व युद्ध का हिस्सा रहे
इस दोनों भाइयों की कहानी की शुरुआत होती है जर्मनी में औराह नदी के किनारे बसे है त्सोगेनाउराख शहर से. इसी शहर में रुडोल्फ यानि रूडी और अडोल्फ़ यानि एडी अपने माता पिता क्रिस्टोफ डैस्लर व पॉलिना के साथ रहते थे.
उनका एक और भाई फ्रिट्ज और बहन मैरी डैस्लर भी उनके साथ रहते थे. पिता क्रिस्टोफ जूते बनाने वाली कंपनी में काम करते थे और माँ पॉलिना लॉन्ड्री चलाती थीं. तीनों भाई माँ की मदद करते थे, इसलिए लॉन्ड्री बॉयज के नाम से मशहूर थे.
इसे किस्मत कहें या नियति कि तीनो भाइयों को पहले विश्व युद्ध के दौरान में सेना में भर्ती होना पड़ा. जर्मनी के कानून के हिसाब से पहले विश्व युद्ध में फ्रिट्ज और रूडी को सेना में भर्ती होने का हुक्म आया. रूडी उन दिन पिता के साथ जूते बनाने का काम सीख रहा था और फिर एडी भी सेना में चला गया.
First World War (Pic: The Royal)
‘डैस्लर ब्रदर्स’ से शुरु हुआ सफर
जब विश्वयुद्ध खत्म हुआ, तब एडी ने माँ के बंद पड़ चुके लॉन्ड्रीघर को जूते बनाने की कंपनी में तब्दील कर लिया और जूते बनाने लगा.
1924 में रूडी-एडी ने डैस्लर ब्रदर्स शू कंपनी की स्थापना की. दोनों भाइयों में खेल के लिए ज़बरदस्त लगाव था. यही कारण था कि दोनों ने तय किया कि उनकी कंपनी में सिर्फ़ स्पोर्ट्स शूज ही बनेंगे. किस्मत ने साथ दिया और कंपनी चल निकली.
फैक्ट्री चल निकली तो दोनों भाइयों का लाइफस्टाइल भी बदला. दोनों भाइयों के फैक्ट्री के पास ही एक शानदार घर बनवाया. शादी के बाद ऊपरी मंज़िल पर रूडी और उनकी पत्नी फ्रिदल रहते थे और नीचे एडी और उनकी पत्नी कैथी.
यह वह वक्त था, जब समाज में उनका रुतबा बढ़ रहा था. इसी बीच दोनों भाईयों की दिलचस्पी खेलों के प्रति भी बढ़ी. खासकर फुटबाल के तो वे दोनों दीवाने थे. कहते हैं कि एक समय में दोनों ही शहर में अलग-अलग फुटबाल टीमों के समर्थक हुआ करते थे.
जेसी ओवेंस बनें ब्रांड एम्बेसडर
1936 में जर्मनी के बर्लिन शहर में हुए ओलिंपिक खेल दुनिया के इतिहास में अहम मुकाम रखते हैं और एडी-रूडी भाइयों के जीवन में भी. खेल शुरू होने से कुछ दिन पहले एडी डैस्लर ने जेसी ओवेंस को अपनी कंपनी के जूते पहनने के लिए राज़ी कर लिया. जेसी ओवेंस कंपनी के पहले ब्रांड एम्बेसडर बने.
यह ‘डैस्लर शू कंपनी’ के लिए किसी बड़ी सौगात से कम नहीं था. ओलिंपिक में ओवेन्स के चार स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनकी सफलता ने दुनिया के सबसे प्रसिद्ध खिलाड़ियों के बीच ‘डास्लर जूतों’ को नई पहचान दिलाई दी.
इसा नजीता यह रहा कि दोनों भाइयों को अन्य राष्ट्रीय टीमों के प्रशिक्षकों के पत्र आने लगे. वह उनकी कंपनी का जूता खरीदना चाहते हैं. इस तरह कारोबार तेजी से आगे बढ़ा और डास्लर बंधु द्वितीय विश्व युद्ध से पहले तक प्रति वर्ष करीब 200,000 जोड़ी जूते बेचने में सफल रहे!
गहराने लगे गलतफहमियों के बादल
समय के साथ दोनों भाई नाजी पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन रुडोल्फ पार्टी के थोड़ा ज्यादा ही करीब थे और यह बात कहीं न कहीं एडी को अखरती थी.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस जोड़ी के बीच बढ़ती दरार 1943 में टूट के कगार पर पहुँच गयी. गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार का काम किया. जंग में अमेरिकी फौजों से हारने के बाद हिटलर ने आत्महत्या कर ली थी और उधर अमेरिकी सेना ने उन लोगों को तलब किया, जिन पर हिटलर को सहयोग देने का शक था.
इसी क्रम में दोनों भाई बुलाए गए. एडी तो जेसी ओवेंस को दी गयी मदद का हवाला देकर बच निकले पर रुडोल्फ को एक साल के लिए नज़रबंद कर लिया गया. नज़रबंदी के दौरान रूडी को मालूम हुआ कि किसी नज़दीकी व्यक्ति ने उनकी राजनैतिक निकटता के बारे में अमेरिकी सेना को जानकारी दी थी.
उनका शक सीधे अपने भाई पर गया. इससे दोनों में झगड़ा और बढ़ गया. नज़रबंदी से छूटकर आने के बाद दोनों भाइयों के परिवारों के बीच झगड़ा आम हो गया.
Fight Between Rudolf and Adolf (Representative Pic: Gigazine)
…और दो फाड़ हो गई ‘डैस्लर ब्रदर्स’
इसी के चलते 1948 में दोनों भाइयों ने अपना कारोबार अलग-अलग कर लिया. इस विभाजन के बाद से एडोल्फ ने अपनी खुद की खेल संबंधी पोशाकों की कंपनी शुरू की, जिसका नामकरण करते हुए उन्होंने अपने उपनाम एडी और अपने अंतिम नाम के पहले तीन अक्षरों डास को मिलाकर इसे एडिडास के रूप में स्थापित किया.
रूडी ने भी अपनी खुद की कंपनी शुरू की और एडी की नक़ल करते हुए रूडी ने रूडा नामक एक नई फर्म गठित की, जिसमें रुडोल्फ में से रू और डास्लर में से डा लिया गया था. खैर, आगे चलकर इसी कंपनी का नाम प्यूमा रखा गया.
अपनी-अपनी कंपनी बनाने के बाद दोनों एक दूसरे की पीछे करने की होड़ में लग गए. दोनों कंपनियां एक-दूसरे की काट में इतनी मशगूल हो गईं कि उन्हें किसी तीसरी कंपनी का ध्यान ही नहीं रहा.
अपनी इस निजी लड़ाई में एडिडास मशहूर बास्केटबाल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन को अनुबंधित करने से चूक गयी और इसका फायदा उठा लिया जूते बनाने वाली दूसरी बड़ी कंपनी ‘नाइकी’ ने.
बताते चलें कि आज नाइकी का व्यवसाय एडिडास और प्यूमा से कहीं ज़्यादा है!
फिर भी आखिरी सांस तक लड़ते रहे
बावजूद इसके दोनों झगड़े नहीं रुके. दिलचस्प बात तो यह थी कि इन दोनों के साथ-साथ उनके शहर हैत्सोगेनाउराख के लोग भी लड़ रहे थे. कारण था दोनों कंपनियों का महज़ पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थापित होना.
चूंकि, शहर की एक बड़ी आबादी इन दोनों कंपनियों में काम करती थी. लिहाज़ा शहर के ज़्यादातर लोग इस झगड़े की चपेट में आ जाते. एक-दूसरे से बात करने से पहले लोग जूतों की तरफ़ देखते. इसका नतीजा यह हुआ कि हैत्सोगेनाउराख को झुकी हुई गर्दनों वाला शहर कहा जाने लगा.
हैरत की बात यह है कि एक समय ऐसा भी आया जब इस शहर में शादियां भी जूतों के आधार पर ही की जाने लगी थीं. एडिडास पहनने वाले एडिडास के जूते पहनने वालों से शादी करते और यही हाल प्यूमा का भी था.
रूडी और अडोल्फ़ की मौत के बाद क्या!
दोनों भाई चार साल के अंतराल पर चल बसे और उनके टकराव को ध्यान में रखते हुए दोनों की कब्रें कब्रिस्तान के दो सिरों पर बनाई गई हैं.
आगे 1980 में रुडोल्फ के परिवार ने प्यूमा कंपनी में अपनी 75 फीसदी भागीदारी फ्रांस की केरिंग कंपनी को बेच दी. इसके 10 साल बाद यानी 1990 में जिस दिन जर्मनी की फुटबाल टीम विश्व कप फाइनल में पहुंची थी, उस दिन अडोल्फ़ डैस्लर के परिवार के हाथों से एडिडास का मालिकाना हक़ छूट गया.
2009 में दोनों कंपनियों के कर्मचारियों ने आपसी बैर को भुलाते हुए शहर में एक दोस्ताना फुटबाल मैच खेला. बाद में रुडोल्फ डैस्लर के पोते फ्रैंक डैस्लर ने दुश्मनी भुलाते हुए एडिडास में मुख्य क़ानूनी सलाहकर के पद पर काम किया.
आज हैं दुनिया के दो बड़े ब्रांड्स!
एडिडास का विश्वस्तरीय मुख्यालय जर्मनी में है और पूरी दुनिया में कई अन्य व्यापारिक स्थान हैं. इनमें होंग कोंग, इंग्लैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया और स्पेन कुछ मुख्य हैं. 2015-16 में नाइकी के स्थान पर ‘मैनचेस्टर यूनाइटेड’ के साथ एडिडास ने 10 साल के लिए किट सौदा किया, जोकि करीब 750 मिलियन डॉलर के आसपास था.
खेल के इतिहास में अभी तक का यह सबसे अधिक मूल्यवान किट सौदा है. गौरतलब हो कि एडिडास रिबॉक का भी मालिक है. 2005 में एडिडास ने 3.8 मिलियन डॉलर में कंपनी को खरीदा था.
वहीँ प्यूमा को अपने फुटबॉल के जूतों के लिए जाना जाता है.
वह पेले, यूसेबियो, योहन क्रायफ़, एंजो फ्रांसेस्कोली, डिएगो माराडोना, लोथार मथायस, केनी डेलग्लिश, डिडियर डेसचैम्प्स और गियानलुइगी बफोन जैसे प्रतिष्ठित फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रायोजित कर चुकी है.
Adidas and Puma (Pic: Handelsblatt )
प्यूमा जमैका के ट्रैक एथलीट उसैन बोल्ट की भी प्रायोजक है!
कंपनी लैमिने कॉयेट, एमी गार्बर्स और अन्य के द्वारा डिजाइन किए गए लाइंस शूज और स्पोर्ट्स क्लोथिंग भी पेश करती है.
ऐसे में कौन नम्बर एक है, यह कहना कठिन है.
हां! एक बात जरूर है कि दोनों दुनिया के बेहतरीन ब्रांड्स में से हैं.
क्यों सही कहा न?
Web Title: The History of Adidas and Puma, Hindi Article
Feature Image Credit: Procaffenation