टाइटैनिक जहाज़ के डूबने के किस्से से कौन परिचित नहीं है…
(इस कहानी को विस्तृत रूप में यहाँ पढ़िए)
यह बात और है कि हम में से किसी ने उस जहाज़ को अपनी आंखों के सामने समुद्र में समाते नहीं देखा. हालांकि हॉलीवुड में टाइटैनिक नाम से आई फिल्म में टाइटैनिक जहाज़ के डूबने की दास्तान को बड़ी खूबी से पेश किया है.
फिल्म के कई सीन को देखने भर से ही लगता है कि टाइटैनिक जब डूब रहा था तो उस वक़्त जहाज़ पर कितना दहशत का माहौल होगा. हज़ारों लोग टाइटैनिक जहाज़ के साथ समुद्र के ठंडे पानी में हमेशा के लिए डूब गये, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला की दास्तान सुनाने जा रहे हैं जो टाइटैनिक जहाज़ पर डूबने के दौरान सवार थी. हालांकि उसकी किस्मत में बाकियों की तरह मौत नहीं बल्कि जिंदगी लिखी थी.
जी हां, वायलेट जेसप वह महिला जो मौत को चुनौती देकर समुद्र की लहरों से बाहर आई और दुनिया को उस ख़ौफनाक मंज़र की आपबीती सुनाई.
आइये हम आपको इस किस्मत की धनी महिला की ज़िंदगीं से रूबरू कराते हैं–
बहुत कठिन था बचपन…
वायलेट जेसप आयरिश और अर्जेंटीना मूल की नागरिक थीं. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1887 को अर्जेंटीना में हुआ. बाद में वह अपने परिवार के साथ आयरलैंड चली गईं थीं. इसलिए कहा जाता है कि वह दो जगह की मूल निवासी थीं.
वायलेट जेसप की उम्र जब सोलह साल की थी तब उनके पिता की बीमारी के कारण मौत हो गई. इसलिए उनकी मां उन्हें उनके भाई बहनों के साथ इंग्लैंड ले आईं. इंग्लैंड में ही उनकी स्कूली पढ़ाई हुई. भाई बहनों में सबसे समझदार होने के कारण वह अपने भाई बहनों की देखरेख करतीं थीं.
उनकी माँ को घर चलाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. वह नौकरी और बच्चों का ख्याल दोनों एक साथ नहीं रख सकती थीं. वायलेट भी इस बात से वाकिफ थीं इसलिए उन्होंने परिवार को संभालने का जिम्मा अपने ऊपर लिया. जब उनकी माँ घर से चली जाती थीं तब वह ही थीं जो परिवार का ख्याल रखती थीं.
शायद ही उन्हें मालूम हो कि लोगों की देखभाल करने का उनका पेशा उन्हें नर्स बना देगा. बल्कि न सिर्फ प्रोफेशनल नर्स बना देगा दुनिया के सबसे बड़े जहाज़ के डैक पर भी ले जायेगा.
छूटा माँ का साथ
पिता के मरने के बाद इंग्लैंड में आने के बाद वायलेट जेसप का परिवार संभलने लगा था. उनकी मां एक शिप पर बतौर नर्स काम करने लगीं थीं. माँ की वह नौकरी बहुत अच्छी तो नहीं थी मगर परिवार उसके जरिए संभलने लगा था.
सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी उनकी माँ की तबियत ख़राब होने लगी थी. वह काम पर नहीं जा पा रहीं थी. पिता के जाने के बाद जो मुश्किल के दिन उनके परिवार पर आए थे वह माँ की तबियत ख़राब होने पर फिर से आ गए थे. ऐसी स्तिथि में वायलेट को परिवार संभालने के लिए आगे आना पड़ा.
परिवार के लिए उन्होंने अपना स्कूल छोड़ दिया था. उनकी माँ के पास जितना पैसा था वह सब उन्होंने उनके इलाज में लगा दिया था.
मां के इलाज के लिए वायलेट जेसप ने कई जगह काम किये और मेहनत करके पैसे जुटाया, लेकिन अंत में उनकी मां को डॉक्टर बचा नहीं सके. लंबे इलाज के बाद उनकी मां दुनिया से अलविदा कह चुकीं थीं.
मां के मरने के बाद वायलेट जेसप पूरी तरह से टूट चुकी थीं. उन्हें अपनी मां से काफी लगाव था इसलिए उन्होंने अपनी मां के नर्स वाले पेशे को अपनाना बेहतर समझा.
She Take Care Of Her Sibling In Childhood (Representative Pic: cysticfibrosisnewstoday)
मां की मोहब्बत ने जेसप को ‘बना दिया नर्स’
अपनी मां से बेपनाह मोहब्बत करने वालीं वायलेट जेसप ने मां के गुज़रने के बाद उनके रस्ते पर चलने का मन बना लिया था. जेसप ने नर्स बनकर लोगों की सेवा करने का इरादा किया और 21 साल की उम्र में ही रॉयल मेल लाइन शिप में नर्स बनकर नौकरी की शुरुआत की.
उनके लिए अच्छी बात यह थी कि वह बचपन के दिनों से ही अपने बहन भाईयों की देखभाल करते हुये आ रही थीं. फिर उन्होंने अपनी मां के बीमार होने पर भी उनकी काफी सेवा की थी. उनके यह काम उनकी नौकरी में मददगार साबित हुये.
हमेशा चेहरे पर मुस्कान रखना और शिप पर बीमार हुये पुरुष और महिलाओं की देख़भाल करने के दौरान कब 21 साल की वायलेट जेसप एक बेहतरीन नर्स बन गईं उन्हें पता नहीं चला.
उनके अंदर इतनी ममता भरी हुई थी कि वह किसी का दर्द नहीं देख सकती थीं. कोई भी पीड़ा में दिखता तो वह पूरी जान लगा देतीं थी उसे ठीक करने में.
Violet Become Nurse After Her Mother’s Death (Pic: whaleoil)
…जब पहली बार मौत से हुआ सामना!
वायलेट जेसप नर्स बनकर बहुत बेहतरीन काम कर रही थीं. जिसका असर यह रहा उस समय की इंग्लैंड की मशहूर आरएमएस ओलंपिक कंपनी ने उन्हें अपने यहां काम करने का ऑफर दिया. वायलेट ने भी वह प्रस्ताव हँसते-हँसते स्वीकारा.
20 सितंबर 1911 को शिप ने साउथ एस्टन जाने का सफ़र शुरु किया. जहाज़ बीच समुद्र में पहुंचा ही था कि मौसम ने करवट बदली और पूरा समुद्र दूर दूर तक घने कोहरे की चपेट में आ गया.
शिप कैप्टन के लिए शिप को चलाना मुश्किल हो गया. इधर शिप में सवार मुसाफ़िर और घबरा गये. हालांकि वायलेट जेसप के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी. वह मुसाफिरों को दिलासा देती रहीं और सब कुछ ठीक होने की बात करती रहीं.
एक ज़ोर की टक्कर हुई और पता चला कि शिप एक अन्य जहाज़ से टकरा गया. कहा जाता है कि कई लोगों की इसमें मौत भी हुई. हालांकि शिप सकुशल किनारे पर आ गया. वायलेट जेसप की मौत से यह पहली मुलाक़ात थी. उस हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी. वायलेट भी उन लोगों में से एक हो सकती थीं मगर उनकी किस्मत में मरना नहीं लिखा था. उन्हें तो जीना था, इसलिए वह उस हादसे से सुरक्षित बाहर निकल आईं.’
टाइटैनिक पर देख़ा मौत का ‘भयानक मंज़र’
ओलंपिक शिप में हुये दर्दनाक हादसे को वायलेट जेसप पूरी तरह से भुला चुकी थीं.
वह सिर्फ अपने काम पर पूरी तरह से फोकस रखना चाहती थीं. बतौर नर्स काम अच्छा किया तो विश्व के सबसे बड़े पानी के जहाज़ माने जाने वाले टाइटैनिक शिप पर उन्हें नर्स का काम मिल गया.
महज़ 24 साल की उम्र में उन्होंने टाइटैनिक जहाज़ में नर्स बनकर काम करना शुरु कर दिया. उनके काम करने के चार दिन बाद ही टाइटैनिक जहाज़ अपने पहले सफ़र के लिए निकल पड़ा. जहाज़ काफी स्पीड से समुद्र की लहरों को चीरते हुये नार्थ अटलांटिक ओशियन की ओर बढ़ रहा था. जहाज़ पर खुशी का माहौल था.
वायलेट जेसप भी अपने काम में मशगूल थीं. एकाएक ज़ोर की आवाज़ हुई तो लोगों ने बाहर आकर देखा कि तेज़ स्पीड टाइटैनिक जहाज़ बर्फ की चट्टान से टकरा चुका था. पूरे जहा़ज में हाहाकार मच गई. वायलेट जेसप ने पूरे दो घंटे टाइटैनिक पर मौत का ख़ौफनाक मंज़र देखा और हज़ारों लोगों को अपनी आंखों के सामने डूबते देखा.
पूरे टाइटैनिक पर खौफ छाया हुआ था. हर कोई अपनी जिंदगी की दुआ मांग रहा था. लोग एक-एक कर मारे जा रहे थे. बर्फीला पानी लोगों की हड्डियाँ तक जमा दे रहा था.
इसी बीच वायलेट को एक बच्चा दिखाई दिया. वह अकेला था और कोई नहीं था जो उसको बचाने आता. वायलेट से उस बच्चे का दर्द नहीं देखा गया और उन्होंने उसे अपनी गोद में ले लिया. वह भागती हुई रेस्क्यू बोट के पास गईं और उस बच्चे के साथ खुद भी उसमें बैठ गई.
बोट ने उन्हें बचा लिया था और वह डूबते हुए टाइटैनिक से बहुत दूर जा चुकीं थी. उन्होंने अपनी आँखों से टाइटैनिक को डूबते हुए देखा.
Violet Survived Titanic Sinking (Representative Pic: taazatadka)
ब्रिटैनिक शिप पर भी मौत के साथ खेली ‘आंख मिचोली’
टाइटैनिक पर हुये भयंकर हादसे को वायलेट किसी भी तरह भूल जाना चाहती थीं. हालांकि यह उनके लिए इतना भी आसान नहीं था. क्योंकि टाइटैनिक पर हुई चीख़ पुकार की आवाज़े उनके कानों में गूंजती थीं. इधर प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन पर संकट आ गया था. पुरानी यादों पर पछताने से बेहतर उन्होंने घायल लोगों की मदद करना बेहतर समझा.
इसलिये वह जल्द ब्रिटिश रेड क्रॉस संस्था से जुड़ गईं. संस्था से जुड़ने के बाद वह एक बार फिर पुरानी यादों को भुलाते हुये शिप पर आ गईं थीं. जब शिप इंग्लैंड से युद्ध में घायल लोगों के लिए दवाई लेकर सफ़र के लिए निकला तो बीच समुद्र में एक बार फिर वायलेट ने मौत के साथ आंख मिचौली खेली. जर्मन एयर फोर्स के एक मिसाइल से शिप टूट गया और डूबने लगा.
एक बार फिर से वायलेट की जिंदगी खतरे में थी. वह फिर से एक डूबते जहाज पर थीं. इस बार भी लगा था कि उनकी मौत हो जाएगी मगर ऐसा हुआ नहीं. एक बार फिर वायलेट मौत से बच निकली. जहाज के डूबने से पहले ही वह सही सलामत उससे बाहर निकल गईं. उनकी किस्मत ने उन्हें एक बार फिर बचा लिया.
वायलेट के जीवन में तीन बड़े हादसे हुए जिनमें वह बाल-बाल बचीं. यह तीनों हादसे पानी के जहाजों पर हुए थे. इसके बावजूद भी वायलेट कभी डरी नहीं. उन्होंने इसके बाद भी कई और पानी के जहाजों पर अपनी सेवाएं दी.
साल 1971 में 83 साल की उम्र में हार्टअटैक ही उन्हें शिप से अलग कर सका. इस हार्टअटैक में उनकी मौत हो गई. अपनी मौत से पहले तक वायलेट के दिल में हमेशा के तरह बस ममता ही समाई हुई थी.
She Was In British Ship When German Air Attacked Them (Representative Pic: wikipedia)
परेशानियां सभी के जीवन में आती हैं. फर्क इतना है कि कोई इन्हें हंसकर सहता है तो कोई पछतावा कर अपना समय बर्बाद करता है. किसी ने सच ही कहा है कि किस्मत भी बहादुरों का साथ देती है. वायलेट जेसप बहादुर तो थीं ही और साथ में बहुत दयालु भी. उन्होंने मुसीबत के समय न जाने कितने ही लोगों की जान बचाई थी. शायद यही कारण था कि उन्हें मौत छू भी नहीं पाई.
कुछ तो कमेन्ट-बॉक्स में अवश्य कहिये, क्योंकि इतनी बहादुर और भाग्यवान महिलाएं बेहद कम ही मिलती हैं.
Web Title: Violet Jessop Women Who Survived Titanic, Hindi Article
Featured Image Credit: artstation