हर भारतीय के लिए 15 अगस्त और 26 जनवरी दो बहुत ही अहम तारीखें हैं!
जहाँ 15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेजी हुकूमत से आजादी प्राप्त हुई थी. वहीँ 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र देश बनकर उभरा. भारत का गणतंत्र बनने का अर्थ था कि यहाँ का राज्याध्यक्ष जनता के द्वारा चुना हुआ होगा, न की अनुवांशिक होगा.
इसका मतलब है की चुनाव के जरिए ही यह तय किया जायेगा कि हमारे देश का राष्ट्राध्यक्ष कौन होगा. इसके अलावा देश में कानून व्यवस्था का राज होगा और लोगों को कईं मौलिक अधिकार प्राप्त होंगे.
गणतंत्र दिवस को खास बनाता है इस दिन मनाया जाने वाला जश्न, जो हर भारतीय को गर्व और उल्लास से भर देता है. इस दिन देश के महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा तिरंगा फहराया जाता है. इसके अतिरिक्त गणतंत्र दिवस के मौके पर 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है, जो सबका ध्यान आकर्षित कर लेती है.
वैसे तो तोपों की ये सलामी राष्ट्रपति के सम्मान में दी जाती है, जो राष्ट्रगान के साथ-साथ चलती है. किन्तु, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर गणतंत्र दिवस पर तोपों की सलामी दी जाती है?
अगर नहीं तो, आईये जानते हैं–
सम्मान देने के लिए किया गया था पहला इस्तेमाल!
21 तोपों की सलामी देना एक रिवाज़ है, जो दुनिया के बहुत से देशों में प्रचलित है. इसका प्रयोग खास तौर पर देश के सर्वोच्च लोगोंं के सम्मान के लिए किया जाता है. हमारे देश में इसका उपयोग राष्ट्रपति के सम्मान में किया जाता है.
इसके अतिरिक्त जब किसी दूसरे देश का कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति जैसे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हमारे देश के दौरे पर आता है, तो उसे भी आदर देने के लिए तोपों से सलामी दी जाती है.
मगर इस रिवाज की शुरुआत को लेकर कईं कहानियां हैं जिसमें से सबसे ज्यादा मान्य कहानी 17वीं शताब्दी की ब्रिटिश नौसेना से जुड़ी है. इस कहानी के अनुसार एक बार ब्रिटिश नौसेना समुद्र में अपने दुश्मन को दिखाना चाहती थी कि वह शांतिपूर्ण तरीके से रह सकते हैं. इसके लिए उन्होंने अपनी हथियारों को खाली करने की बात उनसे कही.
सैनिकों से जहाज पर जो हथियार मौजूद थे उनसे हवाई फायर करके हथियारों को खाली करने के लिए कहा गया. इसके बाद दुश्मन नौसेना ने भी ऐसा ही किया. दोनों सेनाओं की बंदूकें खाली थे जिसका मतलब था कोई किसी पर वार नहीं कर सकता था. उस दिन के बाद से यह तरीका दुश्मन के साथ शांति फैलाने के लिए इस्तेमाल में आने लगा.
इस सलामी का मतलब था कि सेना दूसरी सेना को शांति बनाए रखने के लिए धन्यवाद कर रही है.
समय के साथ-साथ यह प्रथा विभिन्न क्षेत्रों में फ़ैल गयी और न सिर्फ शांति के लिए बल्कि तोपों की सलामी का उपयोग प्रतिष्ठित व्यक्तियों के आदर और सम्मान में भी होने लगा. आज तोपों की सलामी कईं प्रकार से दी जाती है और विशेष तौर पर इसका प्रयोग देश के शहीदों के प्रति आदर दिखाने के लिए किया जाता है.
सलामी के लिए 21 तोप ही क्यों?
अभी आप सोच रहे होंगे की सलामी 21 तोपों की ही क्यों दी जाती है? वास्तव में उस समय जो ब्रिटिश युद्धपोत होते थे उनमें एक स्थान पर 7 हथियार रखे जाते थे. इसका कारण था बाइबिल में ‘7’ अंक का उल्लेख होना जिसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए, विषम अंकों को शुभ माना जाता है और जैसा अभी बताया गया कि ब्रिटिश नौसेना ने दुश्मन को शांतिपूर्ण माहौल बनाने के लिए हवाई फायर करने के लिए कहा, तो वो 7 हथियारों से किया था.
इसके अलावा जंग के समय पानी में मौजूद लड़ाकू जहाजों की तुलना में किनारे पर मौजूद किले जल्दी से और ज्यादा मात्रा में बारूद रखने के लिए फायदेमंद थे. इसकी वजह से पानी में से एक फायर करने के मुकाबले वहां से उतने ही समय में तीन फायर किये जा सकते थे.
बाद में ये 7 हथियारों से 3-3 बार फायर करने का रिवाज बन गया और इस तरह 7 तोपों से 3-3 बार फायर करने से इसे 21 तोपों की सलामी से जाना जाने लगा. यह रिवाज शांति कायम करने के उद्देश्य से किया जाने लगा.
दुनियाभर में होती है तोपों की सलामी...
भारत में इस रिवाज की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई और आजादी के बाद आज भी 21 तोपों की सलामी हर गणतंत्र दिवस पर दी जाती है.
ये सलामी गणतंत्र दिवस की परेड से पहले जब राष्ट्रगान गया जाता है, तो उसके साथ ही दी जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी की 21 तोपों की सलामी 52 सेकंड तक चलने वाले राष्ट्रगान के साथ-साथ 2.25 सेकण्ड्स के अंतराल पर दी जाती है. इसके लिए भारतीय सेना की 7 तोपों (जो ‘25 पाउंडर्स‘ के नाम से जानी जाती हैं) का प्रयोग किया जाता है.
बहरहाल, 21 तोपों की सलामी के पीछे कहानी जो हो दुश्मन को शांति का संदेश देने के लिए यह एक अनोखा माध्यम है और इसे बहुत बड़े आदर के रूप में भी देखा जाता है. हमारे देश के अलावा ये और देशों जैसे चीन, बांग्लादेश, कनाडा आदि में भी दी जाती है.
हालाँकि, गणतंत्र दिवस पर तोपों से सलामी देने की परंपरा ब्रिटिश शासन के बाद से शुरू हुई, लेकिन आजादी से पहले भी तोपों से सलामी देने की परंपरा कई रियासतों में थी जैसे जम्मू और कश्मीर रियासत के प्रमुखों को 17 या 19 तोपों की सलामी दी जाती थी.
तो देखा आपने कैसे 21 तोपों की सलामी भारत के गणतंत्र दिवस से जुड़ी.
भारत में इस सलामी की एक अलग ही अहमियत है. इसके बिना 26 जनवरी का जश्न पूरा नहीं हो सकता.
क्यों सही कहा न?
Web Title: What is the Reason for 21 Gun Salute on Republic Day, Hindi Article
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