हर दिन कुछ न कुछ घटता है और उसमें से कुछ इतिहास में अमर हो जाता है.
इसी क्रम में आने वाली पीढ़ियां देखती हैं कि हमारे अतीत में क्या-क्या हुआ है. वो इससे सीखती हैं और आगे बढ़ती हैं.
'डे' इन हिस्ट्री की इस कड़ी में अाज हम 27 जून को घटित महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानेंगे–
इबोला वायरस ने ली सैंकड़ों जानें!
27 जून 1976 के दिन सूडान के नजारा कस्बे की एक फैक्ट्री में काम करने वाला एक मजदूर बीमार हो गया. अगले पांच दिनों में उसकी मृत्यु भी हो गई. बाद में पता चला कि उसकी मृत्यु इबोला नामक एक वायरस की वजह से हुई है.
आगे देखते ही देखते इस बीमारी ने महामारी का रूप धारण कर लिया. इस दौरान 142 लोग इस महामारी में मारे गए. इस प्रकार यह इबोला वायरस द्वारा फैली विश्व की प्रथम महामारी साबित हुई.
इबोला के लक्षण चार से पंद्रह दिनों के बीच दिखाई देने लगते हैं. जब एक व्यक्ति इबोला वायरस से ग्रसित हो जाता है, तब उसे बुखार, सर दर्द और कमजोरी का एहसास होता है.
इसके बाद अगले कुछ दिनों में उल्टियां होती हैं और शरीर में जगह-जगह निशान पड़ जाते हैं. आगे शारीर के भीतरी और बाहरी हिस्सों से खून रिसने लगता है, जिससे रोगी की मृत्यु हो जाती है.
यह एक ऐसी बिम्मारी भी है जिसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में हो जाता है. फैक्ट्री मजदूर एक के बाद एक बीमार पड़े, तो वह अपना इलाज करवाने के लिए पास के अस्पताल में भर्ती हुए.
यहाँ वे ठीक तो नहीं हुए, लेकिन कई नर्सों और डॉक्टरों को यह बीमारी जरूर हो गई. इस प्रकार 33 नर्सें भी काल के गाल में समा गईं.
जब यह बीमारी रोके नहीं रुकी, तो अंत में विश्व स्वास्थ्य संगठन को आना पड़ा. उन्होंने बीमार लोगों को बाकियों से अलग रखकर इस बीमारी को फैलने से बचाया. हालाँकि, अभी तक वैज्ञानिक इस बीमारी का कोई तोड़ नहीं निकाल पाए हैं.
तीन मूर्ति भवन बना नेहरू संग्राहलय
27 जून 1964 के दिन तीन मूर्ति भवन को नेहरू संग्राहलय में बदल दिया गया. इससे पहले यह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का घर था.
जवाहर लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में हुआ था. उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इसके फलस्वरूप भारत को आजादी मिलने के बाद वे देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे.
नेहरू ने भारत को संप्रभु, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई थी. तीन मूर्ति भवन राष्ट्रपति भवन के उत्तर में स्थित है. पटियाला स्टेट में स्थित इस भवन का निर्माण संगमरमर के चूने और पत्थरों से किया गया है.
आजादी मिलने के बाद इसे प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास बना दिया गया. जवाहर लाल नेहरू यहाँ 16 वर्षों तक रहे. 27 मई 1964 के दिन उनकी हृदयघात से मृत्यु हो गई.
इसके बाद निर्णय लिया गया कि इस भवन को नेहरू संग्राहलय के रूप में परिवर्तित किया जाएगा. आज इसमें नेहरू के जीवन से जुड़ी लगभग सभी चीजें सावधानी से सहेजी गई हैं.
इसके अनतर्गत एक लाइब्रेरी का भी निर्माण किया गया है. भारत सरकार का संस्कृति मंत्रलाय इसकी देख-रेख करता है. इतिहास के विद्यार्थियों और रिसर्चर्स के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.
उत्तर कोरिया पर हमले का प्रस्ताव हुआ पारित
27 जून 1950 के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने उत्तर कोरिया के ऊपर हमले के प्रस्ताव को पारित कर दिया. यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने आगे रखा था.
इससे पहले 25 जून को कम्युनिस्ट उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला कर दिया था. यह प्रस्ताव इसी कारण अमेरिका ने आगे रखा था.
हमले के कुछ देर बाद ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने सीजफायर का आदेश दिया. हालांकि उत्तर कोरिया ने इसे गैरकानूनी बताते हुए हमला जारी रखा.
इसके बाद 27 जून को सुरक्षा परिषद में अमेरिकी प्रतिनिधि वारेन ऑस्टिन ने एक प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव में कहा गया कि उत्तर कोरिया ने सीजफायर का आदेश मानने से इंकार कर दिया है.
इसलिए सभी देशों को मिलकर उसके हमले के खिलाफ दक्षिण कोरिया की मदद करनी चाहिए. यह प्रस्ताव एक के मुकाबले सात वोट से पारित हो गया.
इस प्रस्ताव को सोवियत संघ आसानी से वीटो कर सकता था. हालांकि वह सुरक्षा परिषद में चीन को शामिल न किए जाने के कारण इसका बहिष्कार कर रहा था.
आगे प्रस्ताव पारित होने के तीन दिनों के बाद अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर हमला बोल दिया. तीन साल तक घमासान युद्ध चला. इसमें अमेरिका के पचास हजार सैनिक मारे गए.
अंत में दोनों के बीच एक समझौता हुआ और कोरिया दो देशों में बंट गया. आजतक ये दोनों देश एक नहीं हुए हैं.
माइक टायसन ने दुनिया को मनवाया अपना लोहा
27 जून 1988 के दिन विश्व के महानतम मुक्केबाजों में शुमार माइक टायसन ने एक मैच के दौरान अपने प्रतिद्वंदी को मात्र 91 सेकंड्स में हरा दिया. उनके इस अभूतपूर्व प्रदर्शन ने मुक्केबाजी जगत को अचंभित कर दिया. लोग कहने लगे कि माइक टायसन को हराना नामुमकिन है.
माइक का जन्म 30 जून 1966 को ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में हुआ था. माइक के आसपास का माहौल बहुत ही हिंसक और अराजक था. जल्द ही माइक भी इस माहौल की चपेट में आ गए और चोरी से लेकर मारपीट तक करने लगे. इस कारण उन्हें पकड़कर बाल सुधारगृह में भेज दिया गया.
वहां उनकी मुलाकात महान बॉक्सिंग ट्रेनर डी एमेतो से हुई. एमेतो उन्हें अपने घर ले गए और उन्हें ट्रेन करना शुरू किया. टायसन ने अपने जीवन के 19 मैच अपने प्रतिद्वंदियों को पूरी तरह से चित करके जीते. इसके साथ ही वे हैवीवेट चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे युवा मुक्केबाज भी बने. यह मुकाम उन्होंने 1987 में हासिल किया.
अगले साल उन्होंने अपने चार प्रतिद्वंदियों को हराकर अपना खिताब बचाए रखा. इस दौरान माइकेल स्पिंक ने उन्हें चुनौती दी. मैच शुरू हुआ, तो टायसन ने घंटी बजते ही स्पिंक पर सीधा आक्रमण कर दिया. स्पिंक इसके लिए तैयार नहीं थे. माइक के सीधे हाथ का मुक्का उनके मुंह पर पड़ा.
इससे पहले कि वे संभलते तब तक बाएं हाथ का मुक्का उनके जबड़े पर पड़ गया. इसके बाद स्पिंक जमीन पर गिर गए. रेफरी ने गिनती की, लेकिन वे नहीं उठे. इस तरह टायसन ने स्पिंक को मात्र 91 सेकंड्स में हराकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया.
तो ये थीं 27 जून के दिन इतिहास में घटी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण घटना की जानकारी हो, तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Day In History 27 June: Mike Tyson Knocks Out His Opponent In Just 91 Seconds, Hindi Title
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