दुनिया भर के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले ढेरों ऐसे लोग हैं, जिन्हें हजारों लाखों लोग पसंद करते हैं. यह लोग कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा हैं.
ऐसे में जब कभी लोगों को इनसे रुबरु होने का मौका मिलता है, तो वह उनका ऑटोग्राफ लेना नहीं भूलते. हालांकि क्या आप इस ऑटोग्राफ की कहानी को जानते हैं! आखिर क्या होता है ये ऑटोग्राफ और यह कब से चलन में आया...
आपने बहुत से ऐसे लोगों के बारे में सुना होगा, जिनके लिए प्रसिद्ध लोगों के ऑटोग्राफ इकठ्ठा करना उनका शौक होता है. बहुत से लोग अपने इस शौक के पीछे काफी ज्यादा दीवाने होते हैं. आपको इंटरनेट पर ढे़रों ऐसे फेमस 'ऑटोग्राफ कलेक्टर' मिल जाएंगे, जो अपने इस शौक के चलते प्रसिद्ध हुए हैं.
तो चलिए जरा इतिहास में कुछ दशक पीछे जाकर पता लगाते हैं कि आखिर ऑटोग्राफ के चलन की शुरुआत कैसे और किसने की–
आखिर होता क्या है ऑटोग्राफ?
इस शब्द के इतिहास के बारे में जानने से पहले बहुत जरूरी है कि हम पहले ये जानें कि आखिर ऑटोग्राफ शब्द का मतलब क्या है और असल में ये होता क्या है? ऑटोग्राफ का अर्थ है 'खुद का लिखा हुआ'. यह शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है.
इस शब्द को उस स्थान पर इस्तेमाल किया जाता है, जब कोई शख्स खुद के द्वारा कुछ लिखें या खुद के लिए कुछ लिखें.
यह जरूरी नहीं कि वह एक शब्द हो या फिर एक पूरा प्रसंग. हालांकि, आज के समय में इसे हस्ताक्षर के लिए ही प्रयोग किया जाता है.
जर्मनी से हुई इसकी शुरुआत...
अब अगर बात की जाए इसके चलन में आने की, तो यह क्लचर 16वीं शताब्दी में जर्मनी से शुरु हुआ. उस समय जर्मनी के स्कूलों कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे अपने दोस्तों के ऑटोग्राफ कलेक्टर लिया करते थे. वह उन्हें एक डायरी में इकठ्ठा करते रहते थे.
यहां तक कि अगर बच्चों को कोई अध्यापक पसंद आता था, तो वह उनके हस्ताक्षर भी लेते थे. धीरे-धीरे यह चलन जर्मनी के आस-पास के देशों और फिर दुनिया भर में फैल गया. कुछ समय बाद लोग उन लोगों के हस्ताक्षर इकठ्ठा करने लगे, जो अपनी कला और हुनर के चलते आम लोगों से अलग थे.
उस समय के कुछ बेहद मशहुर कलेक्टर भी रहे, जिनका नाम ऑटोग्राफी के इतिहास में सम्मान के साथ लिया जाता है. इन कलेक्टरों द्वारा बनाई गई ऑटोग्राफ डायरियों को आज संभाल के ब्रिटिश म्यूजियम में रखा गया है. यहाँ बहुत से लोग आकर इतिहास की इस पूंजी को निहारते हैं.
दूसरों के ऑटोग्राफ क्यों इकठ्ठा करते हैं लोग?
यह काफी जरूरी सवाल है कि आखिर लोग दूसरे लोगों के ऑटोग्राफ क्यों इकठ्ठा करते हैं, और जो लोग किसी मशहूर हस्ती के हस्ताक्षर लेते भी हैं, तो वह उनका क्या करते हैं!
इस बारे में मनोविज्ञान बताता है कि ऑटोग्राफ लेने के पीछे अधिकतर लोगों की यह मानसिकता रहती है कि वह इसे एक प्रमाण की तरह अपने पास रखें. इसके जरिए वह दूसरों के सामने यह बात साबित कर सकेंगे कि वह उस शख्सियत से मिले थे.
वहीं दूसरी अरो लोग ऑटोग्राफ अपनी कमाई के लिए भी इकठ्ठा करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कई कलेक्टर बड़े स्टार्स के ऑटोग्राफ के लिए मुंह मांगी कीमत देते हैं.
वैसे तो आपको दुनिया में ऐसे अनगिनत नाम मिल जाएंगे, जिनके लिए ऑटोग्राफ इकठ्ठा करना शौक नहीं बल्कि, उनका जनून है.
एक ऐसे ही जूनूनी शख्स थे इंग्लैंड के अल्फ्रेड मॉरिसन. इन्हें लेकर कहा जाता है कि अल्फ्रेड के घर में ऑटोग्राफ की इतनी बड़ी कलेक्शन थी कि उन्हें रखने के लिए जगह कम पड़ती थी.
अल्फ्रेड को चीजें संग्रहित करने का गुर उनके पिता जेम्स मॉरिसन से विरासत में मिला था. अल्फ्रेड की कलेक्शन को साल 1883-92 के दौरान प्रकाशित किया गया. इसके बाद पूरा इंग्लैंड उनके नाम से परिचित हो गया.
दुनिया के सबसे महंगे ऑटोग्राफ
एक ऑटोग्राफ कितना कीमती हो सकता है यह निर्भर करता है हस्ताक्षर देने वाले व्यक्ति की तरक्की पर. अगर किसी इंसान ने दुनिया में बड़ा नाम कमाया है, लोगों के लिए कुछ बड़ा किया है या फिर समाज में एक बड़ा बदलाव लाया है, तो उसका हस्ताक्षर उतना ही कीमती बन जाता है.
अगर दुनिया के सबसे कीमती ऑटोग्राफ की बात की जाए तो कुछ लोग हैं, जिनके हस्ताक्षर की कीमत लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों में है. इस कड़ी में सबसे पहला नाम है अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन का.
उनकी साइन की हुई किताब की कीमत 9.8 मिलियन आंकी गई है. यह किताब फिलहाल व्हाइट हाउस की प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में संभालकर रखी हुई है. इसी तरह दूसरे नंबर है अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा हस्ताक्षर किया गया उद्घोषणा पत्र.
यह अमेरिका में गुलाम चलन के अंत का एक एतिहासिक दस्तावेज था जिसे उन्होंने अपनी मौत से एक साल पहले 1864 में जारी किया था. इसकी कीमत की बात करें, तो निलामी के दौरान यह 3.7 मिलियन डॉलर में बिका था.
जॉन लेनन के हत्यारे द्वारा साइन की गई उनकी तस्वीर 525,000 डॉलर की है.
चौथा नाम है बेब रुथ का. इनकी साइन की गई बेसबॉल पर नीलामी में 388,373 डॉलर की बोली लगी थी. इस सूची का आखिरी नाम है जिमी हेंड्रिक्स का. उनका साइन किया कॉन्ट्रैक्ट 200,000 डॉलर में नीलाम हुआ था.
वैसे तो यह सूची बहुत बड़ी है, मगर ये पांच नाम दुनिया के सबसे महंगे हस्ताक्षरों में शुमार हैं.
बहरहाल हमें उम्मीद है कि अब आप शायद ऑटोग्राफ के इतिहास और इसकी अहमियत से भलीभांति परिचित हो गए होंगे.
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Web Title: Why Does a Small Autograph Matters a Lot?, Hindi Article