इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन हर दिन इतिहास के बनने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
12 जुलाई के इतिहास के लिए भी यही मायने हैं. इस दिन इतिहास की कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं.
तो आईए नज़र डालते हैं, इस दिन घटी ऐतिहासिक घटनाओं पर-
लोदी राजवंश के संस्थापक की मृत्यु
12 जुलाई 1498 के दिन लोदी राजवंश के संस्थापक बहलोल खान लोदी की मृत्यु हो गई. बहलोल खान अफ़गानी मूल का था. वह व्यापारियों के घराने से ताल्लुक रखता था. वह 19 अप्रैल 1451 के दिन दिल्ली की गद्दी पर बैठा था.
बहलोल ने गद्दी पर बैठते ही अपनी सत्ता का पंजाब तक विस्तार कर लिया था. इतिहास में बहलोल लोदी को एक लड़ाकू शासक के रूप में याद किया जाता है. 1487 तक उसने ग्वालियर, जौनपुर और उत्तरी उत्तर प्रदेश तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था.
जौनपुर को जीतने के बाद वहां बहलोल के खिलाफ कई बार विद्रोह हुए. इन विद्रोहों को बहलोल ने बड़ी निर्ममता से कुचला. आगे उसने अपने पुत्र बब्राक खान को जौनपुर की जिम्मेदारी सौंप दी थी.
बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र सिकंदर लोदी दिल्ली की गद्दी पर बैठा. उसने 1517 ईसवी तक सत्ता की बागडोर संभाली. आगे बहलोल का दूसरा पुत्र इब्राहीम लोदी गद्दी पर बैठा.
यह इब्राहिम लोदी का ही शासनकाल था, जब बाबर ने लोदी राजवंश पर हमला किया. बाबर ने पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली.
बहलोल लोदी का मकबरा चिराग दिल्ली में स्थित है. उसके मकबरे में कुरान की आयतें उकेरी गई हैं.
ब्राजील को हराकर फ्रांस बना विजेता
12 जुलाई 1998 के दिन फ़्रांस ने ब्राजील को हराकर फीफा फ़ुटबाल विश्व कप जीत लिया. फ़्रांस ने पहली बार इस ख़िताब को अपने नाम किया. फाइनल मैच में फ़्रांस की टीम ने ब्राजील को 3-0 से हराया. यह विश्व कप फर्न्स में ही आयोजित हुआ था.
मैच से पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि फ़्रांस की टीम ब्राजील के सामने टिक नहीं पाएगी. यह अनुमान स्वाभाविक भी था, क्योंकि उस समय ब्राजील की टीम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थी. ब्राजील की टीम को फुटबाल जगत के जाने- माने खिलाड़ी रोनाल्डो का नेतृत्व प्राप्त था.
हालाँकि, फ़्रांस की टीम भी बहुत अच्छा प्रदर्शन करके ही फाइनल में पहुंची थी. फ़्रांस ने क्वार्टर फ़ाइनल में इटली को हराया था तो सेमी फ़ाइनल में क्रोएशिया को.
रोनाल्डो इस मैच में अपने चोटिल घुटने के साथ उतरे थे. इसलिए फ़्रांस के पास पूरा मौका था कि वह यह मैच जीतकर खिताब अपने नाम कर ले. उसने ऐसा किया भी.
आगे मैच शुरू हुआ तो ब्राजील के खिलाड़ी फ़्रांस की रक्षापंक्ति को तोड़ने में असहाय दिखे. मैच के 27 वें मिनट में फ़्रांस की तरफ से जिनेडिन जिडान ने पहला गोल किया. आगे 21 मिनट के बाद जिडान ने ही दूसरा गोल किया. मैच के अंतिम क्षणों में ब्राजीली खेमे में निराशा छा गई तो इसका फायदा उठाकर फ़्रांस ने तीसरा गोल दाग दिया.
इस प्रकार फ़्रांस ने अपना पहला फीफा विश्व कप खिताब जीता.
हीट वेव से गई हजार जानें
12 जुलाई 1995 के दिन शिकागो में हीट वेव आई. इसका प्रकोप एक सप्ताह तक रहा. इस हीट वेव से 1,000 लोग मारे गए.
13 जुलाई को तापमान 106 डिग्री फारेनहाईट तक पहुँच गया. अगले कुछ दिनों में यह 120 डिग्री फारेनहाईट हो गया. इस दौरान सबसे ज्यादा नुक्सान बच्चों और बूढों को हुआ.
शिकागो के अस्पताल मरीजों से भरने लगे. उनमें जगह नहीं बची तो भारी मात्रा में लोग मरने लगे. एक अनुमान के मुताबिक शिकागो के अस्पतालों में रोज कम से कम 17 लोग मर रहे थे. जब मरीजों की संख्या बढ़ी तो रेफ्रिजरेटर ट्रकों का इस्तेमाल लोगों के इलाज के लिए किया जाने लगा.
इस हीट वेव में वे लोग सबसे ज्यादा मारे गए जो बूढ़े थे और अकेले अपने घरों में रहते थे. इनकी तुलना में अकेली रहने वाली बूढी स्त्रियों को ज्यादा नुक्सान नहीं पंहुचा. बाद में जब जांच हुई तो पता चला कि इस आपदा से निपटने के लिए शहर का प्रशासन पहले से तैयार नहीं था.
आगे चार साल बाद शहर में एक बार फिर से हीट वेव आई. हालांकि, इस बार प्रशासन पहले से तैयार था, इसलिए इस बार केवल 100 के आस- पास ही लोग मारे गए.
येल्तसिन ने दिया कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफ़ा
12 जुलाई 1990 के दिन बोरिस येल्तसिन ने सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया. यह इस्तीफ़ा मिखाइल गोर्बाचेव के दूसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद आया. इस प्रकार सोवियत संघ को एक करने की उम्मीदों को बहुत बड़ा झटका लगा.
असल में इससे पहले सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए इकठ्ठा हुए थे. इस दौरान पार्टी के कुछ नेताओं ने मिखाइल गोर्बाचेव के ऊपर जमकर निशाना साधा. उन्होंने मिखाइल पर आरोप लगाया कि उनकी आर्थिक और प्रशासनिक नीतियां पार्टी की पकड़ कमजोर कर रही हैं.
आगे मिखाइल ने खुद का बचाव किया और कहा कि पुरानी नीतियां देश को और पीछे ले जा रही हैं. इसके बाद चुनाव हुआ तो मिखाइल गोर्बाचेव को एक बड़े बहुमत से अध्यक्ष चुना गया. इसके बाद येल्तसिन ने इस्तीफ़ा दे दिया.
येल्तसिन सोवियत संघ में बहुदलीय व्यवस्था की वकालत कर रहे थे, लेकिन मिखाइल इसके खिलाफ थे.
आगे गोर्बाचेव की शक्ति क्षीण होती चली गई तो येल्तसिन और मजबूत हुए. 1991 में गोर्बाचेब ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया तो इसके साथ ही सोवियत संघ का विघटन हो गया. आगे येल्तसिन रूस के नए राष्ट्रपति बने. उन्होंने 1999 तक यह पद संभाला.
येल्तसिन ने अपने शासनकाल में अनेक आर्थिक सुधार किये, लेकिन इसके बाद भी देश में आर्थिक संकट छाया रहा और भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया. इसके कारण उनकी बहुत आलोचना हुई. इसी आलोचना की वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
तो ये थीं 12 जुलाई से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं.
यदि आपके पास भी इस दिन से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की जानकारी हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: As Yeltsin Resigns Soviet Union Started To Crumble Down, Hindi Article
Feature Image Credit: WallpaperCave