चेतन चीता (Link In English) ‘सीआरपीएफ’ का एक ऐसा सिपाही, जो देश में अपने शौर्य के लिए याद किया जाता है. चेतन देश के उन शूरवीरों में से हैं, जिसने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. मोर्चे पर उन्होंने अकेले दम पर मौत बांटने वाले आतंकियों का न सिर्फ सामना किया, बल्कि उन्हें सीआरपीएफ की ताकत का ऐहसास कराया.
चेतन ने दुश्मन को यह बता दिया कि भारतीय सैनिक आर्मी का हो, एयरफोर्स का हो या फिर सीआरपीएफ का, उसके लिए देश सर्वोपरि होता है. वह अपने देश के लिए सिर पर कफन बांधकर घर से निकलते हैं. तो आज कहानी महावीर चेतन चीता की:
आतंकी घुसपैठ की मिली जब खबर…
चेतन ‘सीआरपीएफ’ की तरफ से बतौर कमांडेंट ऑफिसर कश्मीर के बांदीपुर में ड्यूटी पर तैनात थे. बांदीपुर कश्मीर की एक ऐसी पोस्ट है, जहां अक्सर आतंकी घुसपैठ की कोशिश करते रहते हैं. इस लिहाज से इस पोस्ट को काफी संवेदनशील माना जाता है. यहां तैनात सभी सैनिकों को हर पल सतर्क रहने की हिदायत दी जाती है.
14 फरवरी 2017 को चेतन अपने साथियोंं के साथ इस पोस्ट पर मुस्तैद थे. इसी बीच स्थानीय पुलिस ने उन्हें संपर्क करते हुए एक इनपुट दिया. (Link In English) इस इनपुट के तहत उन्होंने चेतन को जानकारी दी कि दो आतंकी उनकी पोस्ट के आसपास कहीं छिपे हुए हैं. यह इनपुट बहुत महत्वपूर्ण था. छिपे हुए आतंकी किसी पल भी एक बड़ी घटना को अंजाम दे सकते थे. चेतन ने इसको गंभीरता से लेते हुए अपनी तफ्तीश शुरु कर दी. वह अपनी टीम के साथ पेट्रोलिंग पर थे. इस सर्च के दौरान उन्हें इस बात का भी ख्याल रखना था कि स्थानीय लोगों को कोई समस्या न हो. आतंकवादियोंं को ढूंढना आसान काम नहीं था.
चेतन के पास बस इतनी ही जानकारी थी कि वह संख्या में दो थे. उनका हुलिया कैसा है? वह दिखते कैसे हैं, इसकी जानकारी उनके पास नहीं थी. तभी खबर लगी कि आतंकी बांदीपुरा के हज्जिन में छिपे हुए थे. तेजी से उन तक पहुंचने के लिए चेतन अपनी टीम के साथ आगे बढ़े. उन्होंने समझदारी दिखाते हुए अपनी टीम को कई भागों में बांट दिया, ताकि दुश्मन को कहीं से भी भागने का मौका न मिले.
Brave Story Of Chetan Cheetah (Pic: theepochtimes.com)
आमने-सामने दुश्मन से दो-दो हाथ
जल्द ही चेतन हिज्जन पहुंच गये, जहां आतंकियों के छिपे होने की खबर थी. शुरु में चेतन को शक था कि यह खबर गलत हो सकती है, लेकिन दुश्मन की हलचल ने इस पर मुहर लगा दी. वह तेजी से दुश्मन की ओर लपकते हुए आगे बढ़े. वह इतना ज्यादा आगे बढ़ गये थे कि उनके साथी पीछे छूट गये थे. आतंकियों ने जैसे ही देखा की चेतन अकेले रह गए हैं, उन्होंने उन पर हमला कर दिया. चेतन ने तुरंत दुश्मन की चाल भांप ली और अपनी पोजीशन ले ली.
आतंकियों के पास भारी मात्रा में हथियार थे. वह ए.के 47, ग्रेनेड जैसे विस्फोटक थे. इधर चेतन के पास बस अपनी एक सर्विस राइफल थी. इस लिहाज से वह दुश्मन की तुलना में बहुत कमजोर थे, पर उनका ज़ज्बा दुश्मन के सारे हथियारों पर भारी था. (Link In English)
चेतन ने आतंकियों पर गोली बरसाई. दूसरी ओर से आतंकियों ने भी हमला कर दिया. वह दोनों आतंकी भागने की फिराक में थे. चेतन उनकी राह का कांटा बन गए थे. वह उन्हें भागने नहीं दे रहे थे. आतंकी अब हद से बाहर हो गए थे. उन्होंने बाकी सेना को आते देखा तो वह बौखला गए. उन्होंने चेतन को अपने रास्ते से हटाने का सोच लिया था. चेतन जो अभी तक सुरक्षित थे, उन्हें अचानक एक गोली आकर लगी. वह अपने को संभालते, इससे पहले ही उन पर गोलियों की बौछार होने लगी.(Link In English)
चेतन ज़ख़्मी जरूर हो गये थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वह मोर्चे पर डटे रहे. बावजूद इसके कि उनके शरीर से खून तेजी से बह रहा था. आतंकियों को गलतफहमी हो गई थी कि चेतन अब उनका कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने भागने की कोशिश शुरू की थी.
Brave Story Of Chetan Cheetah (Pic: thewire.in)
सांसे थी कम, पर हौंसलों में था दम!
आतंकवादियों ने जैसे ही अपने कदम बढ़ाए, चेतन ने उनको ललकारते हुए बंदूक तान दी. दुश्मन कुछ करता इस पहले उन्होंने फायरिंग शुरु कर दी. चेतन जानते थे कि अगर आज दुश्मन बच निकला, तो फिर उत्पात मचायेगा. उन्होंने तकरीबन 16 गोलियां आतंकियों पर चलाई थी. आखिरकार चेतन की मेहनत रंग लाई. एक आतंकी इस मुठभेड़ में ढेर हो चुका था. चेतन दूसरे आतंकी की तरफ तेजी से बढ़ना चाहते थे, तभी उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह बेहोश होकर नीचे गिर गए थे. (Link In English)
चेतन बेहोश पड़े थे. उनका बहुत खून बह चुका था. हर किसी को लगने लगा था कि वह अब नहीं बचेंगे. उन्हें जल्द से जल्द श्रीनगर के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. चेतन की हालत बहुत गंभीर थी. श्रीनगर के डॉक्टर हिम्मत हारते दिख रहे थे. माना जाने लगा था अब वह अब नहीं बचेंगे. अब उनको बचाने का एक ही विकल्प था कि जल्द से जल्द उनको दिल्ली पहुंचा दिया जाये. आनन-फानन में उन्हें दिल्ली लाया गया. उनकी हालत एम्स आते-आते बहुत गंभीर हो चुकी थी. चेतन मौत से लड़ रहे थे.
पूरे देश की दुआ थी चेतन के साथ
इधर चेतन मौत से लड़ रहे थे, उधर उनके शौर्य की कहानी पूरे देश में आग की तरह फैल गई थी. पूरा देश उनकी सलामती की दुआ करने लगा था. डॉक्टर की गुजरते हर एक मिनट पर नजर थी. शुरुआत में किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये. फिर थोड़ा वक़्त और गुजरा तो डॉक्टरों की जान में जान आई. दवाओं ने अपना काम करना शुरु कर दिया था. चेतन की हालत सुधरने लगी थी. वह जल्द ही खतरे से बाहर आ चुके थे. हालांकि उन्हें महीने भर तक आईसीयू में रहना पड़ा था.
Brave Story Of Chetan Cheetah (Pic: newindianexpress.com)
चेतन ने अपनी बहादुरी से देश का नाम रोशन कर दिया. वह अपने साथियों के साथ-साथ देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. उनकी वीरता को सदा ही याद किया जाना चाहिए.
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