महिलाओं के गाड़ी चलाने के कौशल को लेकर आपने बहुत से चुटकुले सुने होंगे!
हँसे भी होंगे! लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा था कि चुटकुलों में लिपटी इन धारणाओं को चुनौती देने के लिए एक महिला फाइटर विमान की उड़ान भरेगी!
ये धारणाएं चुटकुलों तक ही सीमित नहीं है. हमारे समाज में यह मान्यता है कि युद्ध , रण एक आदमी के काम हैं, जिसमे औरत का कोई भाग नहीं है.
खैर, रीवा की रहने वाली अवनि चतुर्वेदी ने इस धारणा को गलत साबित किया और महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर उभरीं.
कैसे आईए जानते हैं—
कल्पना चावला बनी प्रेरणा की स्रोत
27 अक्टूबर 1993 को अवनि का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुआ. उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई दियोलंद गाँव में स्थित ‘आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से की. बताते चलें कि यह एक हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल है, जहां आजकल लोग अपने बच्चों को भेजने से पीछे हटते नज़र आते हैं. इसके कई कारण है जिसकी चर्चा फिर कभी…
लौटते हैं अवनि पर…
अपने गांव के स्कूल से पढ़ते हुए अवनि आगे बढ़ी और दुनिया को यह बताने की कोशिश की, कि सफलता तक पहुँचने के लिए महंगी सुविधाओं की ज़रूरत नहीं होती, बस मन में लगन होनी चाहिए! पर्याप्त सुविधाएं न मिलने के बावजूद भी अवनि ने दसवीं और बारहवीं बढ़िया अंको से पास की.
आगे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है.
चूंकि, बचपन से ही अवनि ने कल्पना चावला को टीवी पर देखा था, इसलिए वह उन्हें अच्छी लगने लगी थी. बाद में उन्हें महसूस हुआ कि वह उनकी आदर्श बन चुकी हैं!
कहते हैं सफलता की ओर पहला कदम बढाने के लिए प्रेरणा चाहिए होती है. ऐसी ही प्रेरणा अवनि को कल्पना चावला में दिखी! हालांकि, एक फौजी परिवार से होने के कारण अवनि शुरू से ही फ़ौज में जाना चाहती थी, लेकिन इस इच्छा को एक सपने की शक्ल देने वाली कल्पना चावला से मिली प्रेरणा ही थी.
कल्पना चावला ही क्यों अवनि, भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम को भी बड़ी प्रेरणा मानती है. यह इत्तेफ़ाक नहीं है कि अवनि के दोनों ही आदर्श पायलट रह चुके हैं!
Avani Chaturvedi (Pic: TIMES)
बनस्थली विश्वविद्यालय बना ‘रन वे’
आगे अपने आदर्शों की तरह उन्होंने खुद पर काम किया और चुनौतियों को पार करते हुए राजस्थान के बनस्थली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने में संफल रहीं. वहाँ से उन्होंने ‘कंप्यूटर साइंस एंड इलेक्ट्रॉनिक्स’ में बीटेक की पढाई की.
यह विश्वविद्यालय अवनि के लिए एक ‘रन वे’ साबित हुआ, जिस पर उन्होंने एक तरीके से भारतीय वायुसेना में अपनी उड़ान से पहले की दौड़ लगायी.
वहां उन्होंने ग्लाइडिंग और फ्लाइंग क्लब जॉइन किया, जिसमें उन्होंने एविएशन को एक अतिरिक्त अनुशासन के तौर पर पढ़ा. बताते चलें कि एविएशन की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने पर उन्हें अपना छात्र पायलट लाइसेंस यहीं से मिला था.
Avani Chaturvedi in her flying suit(Pic: pinterest)
परिवार के साथ ने आसान की राह!
तो बस फिर क्या था, एविएशन स्कूल में भरी उड़ान ने उनका अपने सपने पर विश्वास और दृढ़ कर दिया था. सौभाग्य से, जब उन्होंने अपनी पायलट बनने की इच्छा अपने परिवार के सामने रखी तो उनके परिवार ने उनका पूरा समर्थन किया.
बस अब अपना सपना जीने के लिए तैयार अवनि को एक मौके का इंतज़ार था और यह मौका उन्हें मिला 2014 में, जब उन्होंने भारतीय वायुसेना की लिखित परीक्षा पास कर ली.
परीक्षा के लिखित, इंटरव्यू,पायलट टेस्ट, मेडिकल जैसे सभी चरण पार कर वो ट्रेनिंग के लिए भारतीय वायुसेना अकादमी, हैदराबाद चली गयी.
वहाँ उन्होंने पिलाटस ट्रेनर विमान पर एक साल तक ट्रेनिगं की. इसके बाद 6 महीने तक उन्होंने हाकिमपेट में किरण ट्रेनर विमान पर ट्रेनिगं की. आगे उन्होंने बिदर में एक साल तक हॉक ट्रेनर विमान पर भी ट्रेनिंग की.
इस सबके बाद 18 जून 2016 वह तारीख आई, जब भारत को अपनी पहली तीन महिला फाइटर पायलट मिलीं. इनमें अवनि का भी नाम था!
From left to Right, Bhawana Kanth, Avani Chaturvedi, Mohana Singh (Pic: twitter)
पहली एकल उड़ान के साथ रचा इतिहास!
19 फरवरी 2018 को अवनि पहली भारतीय महिला बनीं, जिन्होंने अकेले एक फाइटर विमान की उड़ान भरी. यह विमान कोई और नहीं, बल्कि सबसे ज्यादा लैंडिंग और टेक ऑफ गति वाला रूस का मिग 21 विमान था. गुजरात के जामनगर वायुसेना हवाई अड्डे से उन्होंने अपनी ऐतिहासिक उड़ान भरी, जो करीब 30 मिनट तक चली.
अवनि की इस उड़ान ने भारत को विश्व के नक़्शे पर उभार दिया है.
अब भारत उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो चुका है, जहां महिलाओं को फाइटर विमान उड़ाने की अनुमति है. आपको बताते चले कि 2015 में भारतीय वायुसेना ने 5 साल प्रयोग के आधार पर महिलाओं को कॉम्बैट भूमिका में रखे जाने की बात की थी.
एक पूर्ण फाइटर पायलट की कमान सँभालने की राह पर इसे एक बड़ा मुकाम माना जा रहा है. हालांकि, इसके लिए अवनि को अभी न्यूनतम 2 साल का अभ्यास और करना पड़ेगा.
बताते चलें कि अवनि अपने ट्रेनिंग के तीसरे चरण में हैं, जिसे पार करने के बाद ही वह सुखोई और तेजस जैसे फाइटर विमान भी उड़ा पाएंगी!
Avani Chaturvedi Pilot (Pic: NewsBugz)
छोटी उम्र में बड़ी समझ रखने वाली अवनि का मानना है कि पायलट बनने की सबसे ख़ास बात है कि आप एक मशीन को उड़ा रहे हैं, जो नहीं जानती कि उसके पीछे कौन बैठा है. वह महिला पायलट के साथ भी वैसा ही व्यवहार करेगी, जैसा कि एक पुरुष पायलट के साथ.
निश्चित रूप में अवनि के शब्द, खास तौर पर महिलाओं में ऊर्जा भरते होंगे और संभव है कि वह कल्पना चावला की तरह कईयों की आदर्श बन चुकी होगी!
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Web Title: First Woman Fighter Pilot of India, Hindi Article
Feature Image Credit: koshi24news