सलवार सूट में महिला पहलवानों को जमकर पटखनी देने वाली कविता देवी ने WWE में धूम मचा रखी है. द ग्रेट खली से ट्रेनिंग ले चुकी कविता ऐसी पहली भारतीय महिला पहलवान बन गयी हैं, जो WWE के रिंग तक पहुंची हो.
उनका एक विडियो सोशल मीडिया बहुत वायरल हुआ था. इसमें वह एक महिला पहलवान को उठा-उठा कर खूब पटखनी दे रही थीं. खास बात तो ये है कि उन्होंने यह कुश्ती भारतीय परिधान में की.
उन्होंने सूट सलवार में इस लड़ाई को लड़ा, जिसके बाद, उनका नाम हर भारतीय की ज़ुबान पर चढ़ गया.
दिलचस्प बात तो ये है कि कविता शुरुआत से कोई पहलवान नहींं हैं. उनका रिश्ता तो खेलों से रहा है. उन्होंने एशियाई खेलों में पदक भी जीते हैं.
तो चलिए जानते हैं, कैसे पहलवानी से कोई रिश्ता न होने के बावजूद वह WWE तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गयीं–
...और अपने पति का घर छोड़ना ही पड़ा!
कविता का असली नाम कविता दलाल है, लेकिन उन्होंने रिंग में अपना नाम बदलकर कविता देवी रख लिया. कविता वैसे तो हरियाणा के जींद से ताल्लुक रखती थीं, लेकिन साल 2009 में उनकी शादी उत्तरप्रदेश में हो गयी.
हालांकि, जल्द ही उन्हें अपने पति का घर छोड़ना पड़ा. ऐसा इसलिए क्योंकि, उनके पति और सास-ससुर को उनका खेलों में इस तरह भाग लेना पसंद नहीं था.
कविता एक पॉवर-लिफ्टर थीं. भारी-भारी वेट उठाना उनकी खासियत थी. कहते हैं कि इसके लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी.
हर दम कविता के दिमाग में खेल की ही बात चलती रहती थी. उन्होंने अपना खेल इतना अच्छा कर लिया था कि 2016 के साउथ एशियाई गेम्स ने उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया. हालांकि इसके बाद भी कविता के ससुराल में कोई खुश नहीं हुआ.
वह इसके खिलाफ थे. कविता ने बताया था कि उन्हें झाड़ू-बर्तन करने के लिए कहा जाता था. उनके बहुत समझाने पर भी उनके परिवार न उनका साथ नहीं दिया.
ऐसे में कविता बहुत संकट में आ गयी थीं. उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि घर संभाले या फिर अपना करियर? आखिर में काफी सोचने के बाद कविता ने फैसला किया और उन्होंने अपने पति का घर छोड़ दिया!
हालांकि, आपको बता दें कि उनके माता-पिता ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा. जब दुनिया कविता के खिलाफ थी, तब भी कविता के माता-पिता उनके साथ डटे रहे. लोगों ने कई बातें की मगर उन्हें किसी चीज से फर्क नहीं पड़ा.
एक बार जैसे ही कविता अपने घर वापस आईं उन्होंने अपनी ट्रेनिंग फिर से शुरू की. इस बात वह और भी बड़े लेवल पर जाना चाहती थीं इसलिए उन्हें अच्छी ट्रेनिंग की जरूरत थी. हालांकि दिक्कत यह थी कि अच्छी ट्रेनिंग के लिए काफी पैसा लगता है.
उनके परिवार के लिए यह बहुत मुश्किल था मगर फिर भी उन्होंने कविता को अच्छी से अच्छी ट्रेनिंग दिलानी चाही. जब ट्रेनिंग के लिए पैसों की कमी पड़ी, तब उनके पिता ने इसके लिए लोन भी लिया.
परिवार के साथ के साथ कविता ने अपनी ट्रेनिंग फिर से शुरू की.
तंगी की वजह से मंदिर से चुराए पैसे...
कविता के पिता ने उन्हें गांव वालों के लाख मना करने पर भी ट्रेनिंग के लिए भेजा था. कहीं न कहीं, उन्हें भी अपनी बेटी पर पूरा विश्वास था. वह जानते थे कि थोड़ी सी मेहनत के बाद कविता कुछ बड़ा जरूर करेंगी.
जब कविता ट्रेनिंग के लिए गयीं, तो वहां वह हॉस्टल में रहती थीं. उनके पिता हर महीने उन्हें पैसे भेजते थे. ऐसे में, एक बार पैसे नहींं आये! कविता को पता था कि उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहींं है.
ऐसे में, उन्होंने पैसे न आने का जिक्र किसी से नहींं किया. जबकि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत थी. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि टूथपेस्ट खरीदने के लिए उन्होंने मंदिर से पैसे चुरा लिए. आज भी वह दिन और वह घटना उनके ज़हन में बसी हुई है.
मंदिर से 15 रुपए चुराते हुए, उन्होंने भगवान से वादा किया कि वह ये पैसे लौटा देंगी. कविता के लिए वक्त बहुत ही मुश्किल था मगर उन्होंने हार नहीं मानी.
एक तरफ समाज की बातें, तो दूसरी तरफ आर्थिक हालत. दोनों मिलकर कविता को कमजोर बना रही थीं मगर फिर भी वह डटी रहीं.
यही वजह थी कि वह अपनी लगन और मेहनत की वजह से WWE की रिंग तक पहुंची.
‘द ग्रेट खली’ की शागिर्द भी रहीं!
वक्त के साथ कविता का रुझान रेसलिंग की ओर जाने लगा. उनका शरीर पहले से ही किसी रेसलर की तरह था इसलिए वह आसानी से इसे कर सकती थीं. उन्होंने भी इसके बारे में खूब सोचा.
एक बार फैसला करने के बाद कविता ने रेसलिंग में अपना करियर बनाने की ठान ली. उन्हें रेसलिंग आती नहीं थी मगर उनके अंदर जज़्बा था कुछ कर दिखाने का. थोड़े ही समय में उन्होंने अपने लिए एक रेसलिंग अकादमी ढूंढना शुरू कर दिया.
कविता ने किसी और से नहींं बल्कि कई बार WWE टाइटल के विजेता रह चुके खली से ट्रेनिंग ली है. वह अंडरटेकर को भी हरा देने वाले खली के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग ले चुकी हैं. चूँकि वह पेशेवर रेसलर नहींं हैं. इसलिए खली ने उन्हें रेसलिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी.
उनकी ट्रेनिंग खली की पंजाब स्थित ट्रेनिंग अकादमी में हुई. इसके बाद से ही वह रेसलिंग में अपना हाथ आजमाने लगीं.
गौरतलब है कि साल 2017 में कविता ने WWE दुबई ट्राई आउट में हिस्सा लिया था. वहां भी वह काफी चर्चा में रहीं. इसके बाद वह अमेरिका में भी कुछ दिन प्रोफेशलन ट्रेनिंग लेंगी.
थोड़े ही समय में वह पूरी तरह से तैयार थीं अपनी ट्रेनिंग को रिंग में आजमाने के लिए.
...और जब सूट पहनकर उतरीं रिंग में
कविता ने अपनी पहली फाइट में ही अच्छी खासी शोहरत जुटा ली. जब वो रिंग में उतरीं, तो देखने लायक मंजर था. दरअसल, उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी डकोटा को कई बार उठा-उठाकर रिंग में जिस अंदाज से पटका. उससे उन्होंने सबका दिल जीत लिया.
उनका चर्चा में रहने का एक कारण उनका परिधान भी था. ऐसा इसलिए क्योंकि, इस फाइट को लड़ने के लिए 35 साल की कविता सलवार सूट पहनकर रिंग में कमाल करती नजर आईं.
आपको बता दें कि, उन्होंने पहले राउंड में ही न्यूजीलैंड की रेसलर को पीट-पीटकर बेहाल कर दिया. हालांकि, पहले राउंड में भारी पड़ने के बाद भी कविता हार गई और बाहर हो गईं.
WWE की रिंग तक पहुंचकर रचा इतिहास!
इतना किया हुआ संघर्ष कभी विफल नहींं हो सकता था. कविता की मेहनत रंग लायी. कविता के जरिए यह पहली बार हुआ था, जब भारत की किसी महिला को WWE ने अपने रिंग में जगह दी.
उन्होंने कविता के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किया, जिसके मुताबिक, अब वो रिंग में अपना कमाल दिखा सकती थीं.
इसके अलावा WWE ने कविता को महिलाओं के लिए पहली बार हो रहे 'मे यंग क्लासिक' में 31 महिला पहलवानों की सूची में शामिल किया था. इस टूर्नामेंट में केवल सबसे बेहतर महिला पहलवानों को जाने का हक था. कविता भी उन्हीं मशहूर पहलवानों में से एक थीं.
आज कविता दुनिया भर में पहली भारतीय महिला रेसलर के रूप में प्रसिद्ध हैं. यूँ तो अब उनके पास बहुत कुछ है मगर इस सब के लिए उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
हालांकि मुसीबतों की राह पार करने के बाद आज उन्हें अपनी मंजिल मुकम्मल हो ही गयी.
Web Title: Kavita Devi First Indian Female Wrestler to Reach WWE , Hindi Article
Feature Image Credit: buzzhawker.com