आजाद भारत का एहसास ही चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ला देता है. हम खुद को स्वतंत्र महसूस करते हैं. एक ऐसी स्वतंत्रता जो गुलामी की जंजीरों से टूट कर मिली है. इस वर्ष हम अपनी आज़ादी के 71 वर्ष पूरे कर लेंगे.
बावजूद इसके इस आज़ाद भारत में 'आधी आबादी' यानी महिलाओं की दशा कितनी बदली है. यह चर्चा का विषय है!
एक तरफ महिलाओं की तस्वीर भयानक प्रतीत होती है, जिसमें शोषण, प्रताड़ना, हिंसा आदि की झलक दिखाई पड़ती है. वहीं दूसरी ओर एक सुनहरी तस्वीर भी है, जिसमें भारत की महिलाओं ने जरूरत पड़ने पर हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दिया है.
फिर चाहे वह खेल का मैदान हो, राजनीति का क्षेत्र हो या फिर स्वावलंबन!
खासकर उद्यम के क्षेत्र में भारतीय महिलाओं की तूती बोलती है. इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि निजी क्षेत्र में महिलाओं का प्रभुत्व बढ़ रहा है.
शेरिना कपानी एक ऐसा ही नाम हैं, जिन्होंने विदेश की चकाचौंध को छोड़कर न सिर्फ भारत का रुख किया, बल्कि खुद को स्थापित कर महिला सशक्तिकरण की स्थिति को भी मजबूत किया.
तो आइए स्वतंत्र और मजबूत शेरिना कपानी के अब तक के सफर को जानने की कोशिश करते हैं-
एक लीडर बनना चाहती थीं शेरिना!
वर्तमान की बात करें, तो भारत में 58.5 मिलियन बिज़नेस हैं. जिसमें से महिलाओं द्वारा 8.05 मिलियन बिज़नेस चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा, 13.48 मिलियन महिलाएं बतौर कर्मचारी काम कर रही हैं.
एक सफल बिज़नेस वुमन मैरी के ऐश के मुताबिक ''कभी खुद को सीमित मत करो, क्योंकि यह सफलता की राह का सबसे बड़ा बाधक है''
''अक्सर लोग सिर्फ इसलिए खुद को सीमित कर लेते हैं, क्योंकि वो सोचते हैं कि वो इतना ही कर सकते हैं. जबकि हम और आप उतनी दूर जा सकते हैं, जितना हमारा दिमाग हमें ले जा सकता है. अगर हम कुछ पाने की सोचते हैं तो उसे पाना असंभव नहीं होता''
यह पंक्तियां शेरिना कपानी पर एकदम सटीक बैठती हैं. उन्होंने अमेरिका में एक अच्छी-खासी नौकरी को छोड़ दिया. क्योंकि वह सिर्फ एक कर्मचारी बनकर नहीं रहना चाहती थीं. फिर भले ही तनख्वाह कितनी भी अधिक क्यों न हो!
शेरिना एक लीडर बनना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने खुद को सीमित नहीं रखा...
केपजेमिनी (Capgemini) जैसी अमेरिकी कंपनी का हिस्सा रहीं
17 साल की उम्र में ही शेरिना अमेरिका चली गई थीं और वहां उन्होंने खुद को पढ़ाई में झोंक दिया.
इसके दम पर वह अच्छी नौकरी पाने में भी सफल रहीं. अमेरिका में वार्नर ब्रदर्स (Warner Bros.), केपजेमिनी (Capgemini) जैसी बड़ी कंपनियों का हिस्सा रहीं. इस दौरान उन्होंने 100 से भी ज्यादा लोगों की टीम को अपने कौशल से मैनेज किया.
सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था. फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने अपनी आरामदायक नौकरी को अलविदा कहने का मन बना लिया.
अंतत: 2013 में उन्होंने अमेरिका छोड़ दिया और अपने वतन यानी भारत वापस लौट आईं. फिर उन्होंने अपने अनुभव का प्रयोग किया और भारत में एक स्टार्टअप की नींव रखी!
आमतौर पर अमीर घरानों के बच्चे भौतिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर मेहनत का रास्ता नहीं चुनते. मगर शेरिना ने इस धारणा को तोड़ने का काम किया. बस यही वजह है कि उनकी कहानी दूसरी उद्यमियों से एकदम अलग हो जाती है!
पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं की धमक
भारत में शेरिना ने जिस स्टार्टअप की नींव रखी थी, उसका नाम था 'सनस्ट्रेटेजिक’. पहले यह एक एचआर कंसल्टेंसी थी, जोकि अब एक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी का रूप ले चुकी है.
शेरिना के शब्दों में यह कंपनी एकीकृत रणनीतियों के माध्यम से व्यक्तियों, ब्रांडों, उत्पादों और सेवाओं की प्रभावशाली छवि बनाती हैं.
इसमें पारंपरिक पीआर को कंटेंट मार्केटिंग, डिजिटल आउटरीच, वर्चुअल रियलिटी, इंटरैक्टिव गेमिंग, सोशल मीडिया, अन्य चीजों के साथ जोड़ा जाता है.
यह कंपनी पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं की धमक भी मानी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि ‘सनस्ट्रेटेजिक’ में ज्यादातर महिलाएं ही मैनेजमेंट टीम का हिस्सा हैं, जोकि उनकी असल ताकत मानी जाती हैं.
खास बात तो यह है कि उनकी टीम में सिर्फ आम महिलाएं नहीं, बल्कि उन महिलाओं को भी जगह मिली है, जिनकी प्रतिभा को समाज ने अनदेखा कर दिया. शेरिना की मदद से अब वे अपना सिर उठाकर समाज में चल रही हैं. साथ ही दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं!
शेरिना ने उनकी ज़िंदगी को एक बार फिर पटरी पर लौटाया है. ऐसे में यह सिर्फ एक बिज़नेस के तौर पर ही उपलब्धि नहीं है, बल्कि समाज की महिलाओं को ऊपर उठाने की एक सुंदर पहल भी है.
‘कंटेंट इज किंग’ का रखती हैं फंडा
शेरिना की सफलता का एक संकेत यह है कि आज सनस्ट्रेटेजिक के साथ बड़े और प्रमुख ग्राहकों में एयरटेल, आईसीआईसीआई प्रु, बजाज फिनसर्व, ऐ टी जी, जायडस, नोवार्टिस, सिप्ला शामिल हैं.
साथ ही सनस्ट्रेटेजिक किसी भी ब्रांड के लिए इनहाउस टीम की तरह काम करता है. यह एक कंटेंट-केंद्रित कंपनी है, इसलिए विचारों और रणनीतियों को मुफ्त में सांझा नहीं करना पड़ता है.
कंपनी का ध्यान भी कंटेट देने पर है, जो अब गेमिंग और फिल्म ब्रांडिंग डोमेन में भी फैल रहा है. पांच हजार रुपयों के साथ मुंबई-मुख्यालय में स्थापित सनस्ट्रेटेजिक आज दुबई, बाहरैन और अमेरिका तक अपना का विस्तार कर चुकी है.
अपने इस सफ़र में शेरिना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया.
नतीजा दुनिया के सामने है. दो बार से अधिक अपनी शुरुआत करने के बाद आखिरकार आज वह उस मुकाम पर है, जिसे पाने के लिए 2013 में उन्होंने अमेरिका को अलविदा कहा था!
महज़ 35 वर्ष की उम्र में शेरिना ने निश्चित रूप से भारत की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं! उन्होंने उन्हें साहस, सम्मान और साहस स्वावलंबन का नया रास्ता दिखाया है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.
शेरिना चाहतीं तो अमेरिका में ही अपने स्टार्टअप की शुरुआत कर सकती थीं. लेकिन, उन्होंने भारत लौटकर इस काम को करना पसंद किया और महिला सशक्तिकरण को नई आवाज देने वालीं उद्यमी के रूप में स्थापित हुईं!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शेरिना की प्रेरणादायक कहानी को जानकार लगता है कि भारतीय महिलाओं की दशा बदल रही है. स्वतंत्र भारत में आज की महिला पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से भरी है. वह हर चुनौती का डटकर सामना करने लिए तैयार है!
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Web Title: Sherina Kapany, Voice of Woman Empowerment, Hindi Article
Feature Image Credit: yourstory