बचपन की बात हो और कार्टूनों का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता. स्कूल से आते ही टी.वी खोलकर बैठ जाना कार्टून देखते-देखते ही कपड़े बदलना और खाना भी खाना.
सुबह स्कूल में या फिर शाम को खेल के मैदान में जब भी दोस्तों से मुलाकात होती थी, कार्टून की चर्चा जरूर चलती थी. टॉम एंड जेरी का नया एपीसोड देखा? पोपाए को कैसे पालक खाने से ताकत मिल जाती है?
ऐसी न जाने कितनी बातें हम बचपन में कार्टून के बारे में किया करते थे. कार्टून का हमारी जिंदगी पर एक अलग ही प्रभाव पड़ता है.
इनसे बच्चे नई और अच्छी चीजें सीखते थे. हालांकि कुछ कार्टून ऐसे भी रहे जिनका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ा. इन कार्टून को मजबूरन सरकार को बैन करना पड़ा.
शायद ही आपने कभी सुना हो कि कार्टून भी बैन होते हैं मगर ये सच है. तो चलिए जानते हैं उन कार्टून के बारे में जिनपर गिरी बैन की बिजली–
Coal Black and de Sebben Dwarfs
Coal Black and de Sebben Dwarfs कोई ज्यादा बड़ा कार्टून नहीं था. हालांकि, इसके पात्रों का अपमानजनक चित्रण और मूल तथ्य को नजरअंदाज करना उस वक्त अमेरिका में चल रहें गोरे-कालों के बैर को और भी बढ़ा सकता था.
इस कार्टून में स्नो वाइट की जगह मेन लीड में एक लड़की थी जिसका रंग काला था. वहीं दूसरी ओर जो सेवेन ड्वार्फ्स थे वो काफी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते थे.
यूँ तो ये स्नो वाइट का पैरोडी था, लेकिन इसने मजाक को एक अलग ही लेवल पर पहुंचा दिया था. इस कार्टून के मजाक बहुत ही भद्दे होते थे जिन्हें सुनकर बड़ों को भी सिर झुकाना पड़ता था.
इसके कारण ही लोगों को लगा कि उनके बच्चे इसके कारण बिगड़ जाएंगे. वहीं दूसरी ओर ये रंगभेद को भी बढ़ावा दे रहे थे.
इसके कारण सरकार भी इस कार्टून के विरोध में आ गयी थी. हैरत की बात तो ये थी कि इस कार्टून को भी वॉल्ट डिज़्नी ने ही बनाया था.
स्नो व्हाइट एनिमेशन का बेहतरीन टुकड़ा था, लेकिन इसके पैरोडी शो ने इसकी पूरी इज्जत डूबा दी.
इस शो को एडल्ट कंटेंट, नस्लवाद और कई अन्य कारणों के चलते प्रतिबंधित कर दिया गया. उस दिन के बाद इसे कभी भी वापस टेलीविजन पर प्रसारित नहीं किया गया.
Bugs Bunny Nips The Nips
"Bugs Bunny Nips The Nips" को 22 अप्रैल 1944 को ऑन एयर किया गया था. ये वो वक्त था जब अमेरिका और जापना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आमेने-सामने थे.
इस कार्टून की कहानी भी कुछ इस चीज पर ही आधारित थी. यह कार्टून "आकाश में कहीं और" लेबल के साथ शुरू होता है.
जैसे ही कैमरे दृश्य में पैन करता है, फिर हम बग्स को आलसी लिन के साथ "रॉकिंग माई ड्रीमबोट" गाते हुए सुनते हैं. लिन एक अंग्रेजी गायक थे, जो युद्ध के दौरान बेहद लोकप्रिय हुए थे.
इसके बाद बग्स बनी के कान खड़े हो जाते हैं और स्क्रीन में एक सैनिक भी आ जाता है. सैनिक को जापानी लोगों के क्लासिक स्टीरियोटाइप के रूप में चित्रित किया जाता है- लघु, हिरन-दांत और बड़ा गोल चश्मा जिसके बाद दोनों के बीच का संघर्श दिखाया गया है.
कभी वो सैनिक को जलाया हुआ बम हाथ में देता है, तो कभी दोनों के बीच की नोक-झोंक और लड़ाई दिखाई गई. मूल रूप से कार्टून में दिखाया गया कि कैसे अमेरिका में जापानियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है.
उस वक्त अमेरिका में रहने वाले लोग जापानियों से वैसे ही नफरत करने लगे थे. इस कार्टून के प्रसारित होने के बाद बच्चों में भी वही भावनाएं पैदा होने लगी थीं. इसे रोकने के लिए ही इस कार्टून को बैन कर दिया गया था.
स्वच्छ पैशर
1936 में वॉर्नर ब्रॉस कंपनी द्वारा जारी ग्रीन पाश्चर फिल्म धर्म, भगवान, स्वर्ग, नरक और बाइबिल की घटनाओं के विभिन्न पहलुओं को मुख्य रूप से अफ्रीकी-अमेरिकियों के केंद्रीय चरित्र में रखे हुए आई.
कुछ देशों में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. तभी एक व्यक्ति ने सोचा कि हम इस फिल्म की तरह कुछ नया क्यों नहीं करते?
तो अगले वर्ष (1937) में उसने एक पैरोडी कार्टून 'क्लीन पाश्चर' को बेकार कहने के लिए बनाया गया. ये एक मेरी मेलोडी कार्टून भी था.
प्लॉट मैनहट्टन के हार्लेम शहर में शुरू होता है, जिसे अफ्रीकी-अमेरिकियों का सबसे बड़ा निवास माना जाता था. ब्लैक अमेरिकियों का सांस्कृतिक और वाणिज्यिक केंद्र हार्लेम सिटी है.
इसके बाद भगवान ने स्वर्ग के स्टॉक मूल्य धीरे-धीरे घटते देखे. यहां स्वर्ग को 'जोड़ी-ओ-पासा' कहा जाता है, स्पष्ट रूप से यह अंग्रेजी शब्द 'पैराडाइस' को तानाशाह करता है.
इस बीच, हार्लेम शहर के दिल में हर कोई नाच रहा है और पी रहा है. इसलिए भगवान ने अपने दूतावासों में से एक को हार्लेम भेजा. वहां से उन्हें कुछ लोगों को जोड़ी-ओ-डाइस में लाने के लिए कहा गया था.
हालांकि धीमी गति से चलने वाला दूत वहां से किसी को भी नहीं ला सका. बाद में, 'संगीत एंजल्स' का एक समूह हार्लेम को भेजा गया. जो नृत्य करने के लिए आकर्षित हुए और न केवल लोगों को, बल्कि खुद, शैतान जोड़ी-ओ-डाइस में आना चाहता था.
यह माना जा सकता है कि कार्टून में धर्म अवमानना और नस्लवाद की उपस्थिति थी. इसके अलावा, हार्लेम शहर को एक पापी शहर के रूप में दिखाया गया. इससे अफ्रीकी-अमेरिकियों में व्यापक हिंसा हुई और इसलिए स्वच्छ प्रसार कार्टून टेलीविजन पर बैन कर दिया गया.
Jungle Jitters
जंगल जिटर्स, वॉर्नर ब्रॉस की "मेरी मेलोडी" श्रृंखला का टेक्नीकलर एपिसोड था. इस कार्टून में एक काल्पनिक रेडियो चरित्र एल्मर ब्लर्ट का एक डोपी, कैनाइन कार्टिकचर जंगल में आता है. उसके जंगल में आते ही जगल के समुदाईक लोग उसे पकड़ लेते हैं और खाने के लिए पकाने लगते हैं.
इसी बीच वो लोग अपनी रानी को उसके बारे में बताते हैं कि बाहर से कोई गोरा आया है. रानी सुनकर उसे बुलाती है और उसे देखकर मोहीत हो जाती है और शादी का प्रस्ताव रख देती है.
वो शादी के प्रस्ताव को ठुकराकर मरना पसंद करता है क्योंकि रानी का रंग काला होता है. यहां तो आप समझ हे गए होंगे कि ये कार्टून, नस्लवाद के कारण आधिकारिक रूप से कभी रिलीज क्यों नहीं हुआ!
बच्चे इसे देखते, तो वो भी गोरे-काले लोगों में फर्क करना सीखते. इसलिए सरकार ने इसे रिलीज नहीं करना ही सही समझा.
टीवी पर तो इनके बाद भी कई कार्टून बैन किए गए, लेकिन ये कुछ ऐसे कार्टून थे जिनका इतिहास कुछ ज्यादा ही खराब था. इनहें बैन करने के पीछे की वजह गहरी थी. हम जो भी चीज टीवी पर देखते हैं उससे हम प्रभावित होते हैं. कार्टून तो सीधा हमारे बच्चों पर असर करता था. ऐसे में इन्हें बैन करना ही अच्छा था.
Feature Image: atlantablackstar