आज हमारे-खान पान से लेकर हमारा लाइफस्टाइल सब कुछ काफी हद तक बदल गया है. आज लोगों में बढ़ते वजन, बीपी, सुगर जैसी बीमारियाँ आम हो गयी हैं. इन बीमारियों की लिस्ट में एक नाम और जुड़ गया है, जो बड़ी तेज़ी से भारत में अपने पैर फैला रहा है.
वह है, थायराइड!
आपको ये जान के बड़ी हैरानी होगी कि, एक आंकड़े के अनुसार, भारत की कुल आबादी का 32 प्रतिशत हिस्सा, आज थायराइड से ग्रस्त है. इस रिपोर्ट के अनुसार इसमें थायराइड के कई सारे प्रकार शामिल है, जिसमे थायराइड कैंसर, गोइटर, हाइपोथायरायडिज्म आदि हैं.
इसके अलावा ज्यादातर लोगों को हल्के हाइपोथायरायडिज्म की शिकायत होती है.
तो आईए जानते हैं, क्या है थायराइड और यह हमारे लिए कैसे है जानलेवा-
किस बला का नाम है थायराइड?
सरल भाषा में जाने तो, दरअसल हमारे शरीर में थायराइड ग्रंथि होती है, और हमारी यह ग्रंथि हार्मोन उत्पन्न करती हैं. इन्हीं हार्मोन से, हमारे शरीर की मेटाबोलिक प्रक्रिया कंट्रोल होती है. ऐसे में अगर यह हार्मोन ठीक तरह से उत्पन्न नहीं हो पाते, तो आती जाती है थायराइड की समस्या!
वैस तो थायराइड एक आम बीमारी है, लेकिन इसको कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह हल्के रूप से लेकर कैंसर का रूप भी ले सकता है. लिहाजा, इस मामले में सतर्क रहकर जल्द से जल्द ही इलाज़ के लिए जाना चाहिए.
आगे बढ़ने से पहले थायराइड का स्वरूप जानना जरूरी है. मोटे तौर पर यह दो प्रकार का होता है. पहला हाइपोथायरायडिज्म, जो ज्यादातर लोगों में पाया जाता है. इसमें होता ये है कि हमारे रक्त में मौजूद थायराइड हार्मोन्स की मात्रा कम हो जाती है.
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि थायराइड ग्रंथि को चलाने वाली अन्य ग्रंथि ठीक प्रकार से काम करना बंद कर देती है.
इसके अलावा जैसा कि ऊपर बताया गया कि यह हमारी मेटाबोलिज्म प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जिसमे हमारी बॉडी को किसी भी काम को करने के लिए कितनी उर्जा चाहिए, इसको भी यहीं नियंत्रण करता है. जबकि, हाइपरथायरायडिज्म में हमारी ग्रंथियां जरुरत से ज्यादा हार्मोंस उत्पन्न करने लगती हैं, जिसके फलस्वरूप हमारे रक्त में थाइरोक्सिन की मात्र बढ़ जाती है.
आपने घेंघा या गोइटर का नाम सुना होगा, वह इसी कारण से जन्म लेता है!
आयोडीन कम होना मु्ख्य वजह
हाइपरथायरायडिज्म होने की एक वजह शरीर में आयोडीन की मात्रा कम होना है. हम इस जरुरत को रोज़ आयोडीन वाला नमक खाकर पूरा कर सकते हैं. इसके अलावा जब हमारी थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है. साथ ही अधिक थाइरोक्सिन की मात्र से हार्मोंस उत्पन्न होने में कमी आ जाती है.
तब, इसके होने की पूरी सम्भावना बन जाती है, जिसे थाइरोडीटीस के नाम से जाना जाता है.
इसी क्रम में जब हमारा इम्यून सिस्टम कुछ ठीक तरह से काम न करके, हमारे शरीर में एंटी-बॉडी उत्पन्न करने लगता है, तो थाइरोक्सिन बनाने वाले हार्मोंस ज्यादा मात्रा में पैदा होने लगते है. इसे ग्रेव्स रोग भी कहते हैं. इसके अलावा अक्सर शरीर में विटामिन B12 की कमी होने से भी यह रोग होता है.
सबसे बुरी बात यह है कि कभी-कभी हम हाइपरथायरायडिज्म की दवाई ले रहे होते हैं और जिसकी वजह से हाइपोथायराइडिज्म की शिकायत भी हो जाती है, इसीलिए ये बेहद जरुरी है कि समय-समय पर इसकी अच्छे से जांच करवाई जाए.
अगर ऐसा है, तो हो जाइए सावधान!
हाइपरथायरायडिज्म होने के लक्षणों में शामिल हैं. निरंतर शरीर का वजन बढ़ना, महिलाओं के मासिक धर्म में समस्या का उत्पन्न होना. कोलेस्ट्रोल का बढ़ना. घुटनों और जोड़ों में दर्द होना. हार्टबीट का धीमे चलना. गले में तनाव या खिचाव महसूस होना. इसके मुख्य लक्षण माने जाते हैं.
वहीं हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण थोड़े अलग हैं.
इसमें ज्यादा भूख लगने के बावजूद निरंतर वजन घटता है. अधिक गरम तापमान सहा नहीं जाता है. हाथों में कपकपाहट सी महसूस होती है. नाखून बड़ी तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसके अलावा नींद बड़ी मुश्किल से आती है और आंखे बाहर निकल आती हैं.
इस बीमारी में बहुत सारी समस्याएं आती हैं, जैसे महिलाओं में बाँझपन, बार-बार गर्भपात हो जाना, दिल की बीमारी और जोड़ों में हमेशा दर्द रहना और साथ ही में निरंतर वजन बढ़ने की वजह से मोटापे का शिकार हो जाना.
ये तरीके हो सकते हैं मददगार
होमियोपैथी इलाज़ का भी ले सहारा, क्योंकि कई बार शुरुआती दौर में यह कभी फ़ायदेमंद साबित होता है. ऐसे में आप अपने एक विकल्प के तौर पर इसे भी रख सकते हैं! जैसा कि यह रोग आयोडीन की कमी से भी होता है, ऐसे में आयोडीन वाला नमक खाकर आप काफी हद तक इस बीमारी से खुद को रख सकते हैं दूर. साथ ही कोशिश करें कि रात का डिनर ज्यादा देरी से न खाकर समय पर जल्दी करें.
यह आपको स्वस्थ रखने में मददगार होगा.
वहीं, अगर आप इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं तो अपना एक खाने का उचित डाइट प्लान बनाये और उसी के अनूरूप अपना-खान पान रखे. अपने वजन को नियंत्रण में रखने की कोशिश करें. इसके लिए नियमित रूप से व्यायाम और सुबह टहलने का रूटीन बनाया जा सकता है.
सबसे जरूरी बात, समय-समय पर डॉक्टर के पास जाना न भूलें. उसकी सलाह पर दिए गए सारे टेस्ट करवाएं. इससे आप अपना ख्याल ज्यादा बेहतर रख पायेंगे. यह गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा कष्टकारी होता, लेकिन डरने की कोई बात नहीं है.
डॉक्टर की उचित सलाह से आप इससे राहत पा सकतें हैं!
तो ये थे थायराइड से जुड़े कुछ पहलू!
ऐसी कई सारी बीमारियां हैं, जो हमें सहज लगती हैं, लेकिन सच तो यह है कि वह सहज होती नहीं. ऐसे में हमें लगातार अपने शरीर में हो रहे बदलावों पर नज़रं रखनी चाहिए, साथ ही समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, ताकि समय रहते उसका निदान हो सके!
क्यों सही कहा न?
Web Title: Danger of Thyroid, Hindi Article
Feature Image Credit: verywellhealth