“इंसान इस दुनिया में चार दिन की ज़िन्दगी गुज़ारने आता है...लेकिन चालीस दिन का गम उसे घेरे में रखता है”
यह मशहूर डायलॉग 1970 में आई फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ का है. इस फिल्म में लोगों को गुदगुदाने वाले जोकर के असल जीवन के पीछे की मार्मिक कहानी का चित्रण है. अपनी गरीबी और बदहाली के बावजूद वह अपने चेहरे पर हंसी का चोला ओढ़कर लोगों को हंसाते हैं.
अगर आप सर्कस में गए हैं तो, अपने करतब से हंसाने वाले जोकर के मंचन को हर किसी ने जरूर देखा होगा. उनकी प्रस्तुति भी उतनी ही शानदार होती है जितनी कि किसी खतरनाक स्टंटमैन के स्टंट की.
वह अपने हंसते, रोते, उदास और अजीबो-गरीब चेहरे बनाकर हमारे चेहरे पर हंसी लाने का काम करता है. ऐसे में, कब और कैसे उन्होंने इतिहास में दस्तक दी, इस बारे में जानना रोचक रहेगा.
तो आइये जानते है, समय के साथ पेशेवर जोकरों के मंचन का दिलचस्प इतिहास-
शाही दरबारों में मसखरों की प्रस्तुति से हुई शुरुआत
जोकरों से जुड़ा सबसे पुराना इतिहास 2400 BCE पुराना है. उनके अस्तित्व की शुरुआत का सबसे पहला सबूत प्राचीन मिस्त्र में देखने को मिलता है.
मध्यकाल के अंत तक शाही दरबारों में मसखरों की मंचन-प्रस्तुति होनी शुरू हो गई थी. वह शाही दरबार में लोगों का मनोरंजन किया करते थे. वहां मौजूद सभी लोगों को हंसाने और गुदगुदाने का काम किया करते थे.
इसी के बाद से जोकर धीरे-धीरे ग्रीक और रोमन समाज में दिखाई या आना शुरू हो गए. इस पेशे से जुड़े लोग खुले तौर पर शारीरिक संबंधों का हास्यास्पद तरीके से मंचन करते, वह खाने पीने से लेकर दिनचर्या के कामों की प्रस्तुति या नाटक कुछ इस तरह करते कि मौजूद लोग हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते.
यदि हम बात करें आधुनिक जोकरों की मसखरी का तो, इसका श्रेय जोसफ ग्रीमल्दी को जाता है. जोसफ लंदन स्तिथ एक मनोरंजक थे, जिन्होंने आज दिखाई देने वाले जोकरों का आविष्कार किया.
आधुनिक जोकर 'जोसफ' खुद था अवसाद का शिकार
सन 1800 के शुरुआत में जोसफ ने न सिर्फ मौखिक कॉमेडी की बल्कि उसके साथ-साथ शारीरिक कॉमेडी भी करना शुरू कर दिया. वह अपने मंचन के दौरान अपने वेशभूषा का भी बहुत ख्याल रखते. वह अपने चेहरे को सफ़ेद पेंट से रंग लेते और गालों पर लाल रंग के धब्बे भी बना देते थे.
साथ ही, वह बेहद रंग-बिरंगे कपड़े भी पहना करते, जिसमें बहुत सारे रंगों की धारियां बनी हुई होती थी. जोसफ का कायाकल्प कुछ ऐसा हो जाता कि उन्हें देखकर ही हंसी छूट जाती थी.
जोसफ ग्रीमल्दी के बारे में कहा जाता है कि वह दुनिया को तो हंसाने का काम करने में माहिर थे, लेकिन वह खुद अवसाद का शिकार भी थे. दरअसल, उनकी पहली पत्नी अपने बच्चे को जन्म देने के दौरान मर गई थीं, उनके पिता बहुत तानाशाह स्वभाव के थे और उनके बेटे को नशे की लत कुछ ऐसी लगी की वह महज 31 साल की उम्र में मर गया.
इतने सारे तूफ़ान उन्हें अंदर से खोखला करने के लिए काफी थे. उनकी हर मुस्कान के पीछे एक असीम दर्द छिपा हुआ होता था.
और फिर बन गए सर्कसों का अभिन्न अंग
इसी समय फ्रांस में भी एक मसखरा था, जिसने फ्रांसवासियों के पेट में बहुत गुदगुदी की थी. उनका नाम जीन गेस्पर्ड देबुराऊ था. यह एक पेशेवर साइलेंट मीम कलाकार थे. वह अपनी वेशभूषा बनाते समय अपने चेहरे पर सफ़ेद रंग, मोती काली ऑयब्रो और लाल होठ कर लिया करते थे.
वह समूचे फ्रांस के लोगों का पसंदीदा बन चुके थे, लेकिन सन 1836 में लोगों के अंदर उनके नाम का खौफ पैदा हो गया था. दरअसल, उन्होंने एक बच्चे का कत्ल सिर्फ इसलिए कर दिया क्योंकि बच्चे ने उसे चिढ़ाया था. हालांकि, वह जल्द ही इस इल्जाम से बरी हो गए थे. इस घटना की वजह से कातिल जोकर की छवि लोगों के दिमाग में छप गई थी.
अगर इटली देश में इसकी शुरुआत की बात करें तो, साल 1892 में इतालवी ओपेरा “Pagliacci” नाम से जाने जाते थे. इस शो में जोकरों द्वारा किया जाने वाला शो इटली के लोगों में बहुत मशहूर हुआ था. इसमें मुख्य किरदार में कैनियो नाम का एक किरदार था. जिसे लोगों ने बहुत सरहाया था.
समय के साथ, ‘जोकर’ बड़े-बड़े सर्कसों का अभिन्न अंग बन गए थे. जो मौत जैसे खतरनाक स्टंट के बाद दर्शकों को हंसाने का काम किया करते थे.
जोकर अब माना जाने लगा ‘बेवकूफ’
अब 19वीं शताब्दी आते-आते सर्कस और जोकरों का मंचन बड़े स्तर पर होने लगा था. उस समय अमेरिका में थ्री-रिंग सर्कस ट्रेन में चला करते थे.
जिसमें ‘होबो’ जोकर होता था. यह एक उदास चेहरे और फटे कपड़ों वाला जोकर था, जो तब बहुत प्रसिद्ध हुआ था. वहीं दूसरी ओर एमेट केली का ‘वेयरी विली’ भी बहुत मशहूर हुआ था.
साल 1950 और 1960 के दौरान, जोकरों का किरदार ‘बेवकूफ’ माना जाने लगा, जो बच्चों का मनोरंजन किया करते थे. टीवी प्रोग्राम में ‘बोजो’ नाम के जोकर और उसके साथियों ने उस समय बच्चों को हंसाकर दिल में जगह बना ली थी.
साल 1963 में, मकडोनाल्ड ने इसे अपनी ब्रांड की पहचान बनाने के लिए अच्छे खासे पैसे भी खर्च किये थे.
अमेरिका में 70 के दशक में एक रजिस्टर्ड जोकर ‘पोगो' को गिरफ्तार किया गया. उसके ऊपर लोगों की हत्या और शारीरिक शोषण का इल्जाम लगा था. उसने शिकागो में 35 से भी ज्यादा लोगों की हत्या कर दी थी. बताते चलें, 1994 में उसका अपराध साबित हो गया था.
यह माना जाता है कि जोकरों की ऐसी नेगेटिव छवि बन जाने की वजह से वाकई में इस पेशे से रोजी-रोटी कमाने वाले लोगों को बहुत नुक्सान पहुंचा.
इस तरह जोकरों का इतिहास राजदरबार के मसखरों से लेकर आधुनिक सर्कसों का अभिन्न अंग बन गया. सर्कस के जोकर नाटे- बौने होते हैं, जो अपने आप को बेवकूफ की तरह प्रस्तुत करते हैं. उनकी प्रस्तुति कुछ ऐसी होती है कि लोग हंसने पर मजबूर हो जाते हैं.
लेकिन, इनके इतिहास को थोड़ा करीब से देखने के बाद ये भी पता चलता है कि 'जोकर' सिर्फ हंसी से ही नहीं जुड़े रहे, एक समय ऐसा भी आया जब इनकी वेशभूषा से लोगों में खौफ भी पैदा हो गया.
अगर आप भी इनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बात जानते हैं तो हमारे साथ कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें.
Web Title: History Of Clowns, Hindi Article
Feature Image Credit: bbc