शादी-ब्याह हो, त्यौहार जैसे रक्षाबंधन, ईद, दिवाली आदि में इसका खुशी के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल होता है. यह कुछ और नहीं बल्कि रंग चढ़ाने वाली ‘मेहंदी’ ही है.
मेहंदी की सांस्कृतिक कीमत इतनी है कि ज्यादातर धर्मों के विवाह में इसका प्रयोग शुभता के लिए होता है. किसी भी खास मौके पर छोटी लड़कियों से लेकर घर की बड़ी महिलाओं के हाथ में मेहंदी का रंग दिख ही जाता है.
यह प्यार, खुशी और रूप-सुंदरता को बढ़ाने में भी बड़े काम की चीज है. क्या आपने कभी सोचा है कि आज इतने बड़े स्तर पर इस्तेमाल की जा रही मेहंदी का इतिहास क्या रहा है?
तो आइये जानते हैं, इसकी उत्पत्ति से लेकर इससे जुड़ी हुईं कई रोचक बातों को-
9 हजार साल पहले से हो रही है इस्तेमाल
वैसे तो, हाथों में अपना खूब रंग जमाने वाली ‘मेहंदी’ के प्रयोग के शुरुआत के विषय में कई मत हैं. इसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है. जिसमें से सबसे ज्यादा इस बात को माना जाता है कि इसकी शुरुआत मिस्त्र में हुई.
कहा जाता है कि मेहंदी 9 हज़ार साल पहले ही प्रचलन में आ गयी थी. सबसे पहले इसका उपयोग मिस्त्र देश में होना शुरू हुआ. मिस्त्र सभ्यता की आखिरी रानी क्लियोपैट्रा को मेहंदी बहुत पसंद थी.
वो इसे अलग-अलग तरीकों से प्रयोग किया करती थीं. वह इससे अपनी सुंदरता में चार चाँद लगाने के लिए इस्तेमाल किया करती थीं.
सिर्फ रानी ही नहीं, बल्कि मिस्त्र के लोग इसे ममी को दफनाते हुए भी इस्तेमाल करते थे. वे इसे ममी के नाखून पर लगाया करते थे. खुदाई के दौरान मिली कई ममी से इस बात का प्रमाण भी मिला.
अब बात अगर इसके भारत में आने की करें तो, 12वीं शताब्दी में मुग़लों ने हमे इससे अवगत कराया. लेकिन, इसका 20वीं शताब्दी में भारत में प्रचलन ज्यादा बढ़ा था. महिलाओं ने इसे अब ज्यादा अपने हाथ-पैरों पर रगना शुरू कर दिया. हालांकि, इस बात पर भी कई मत हैं.
सिर्फ हाथ-पैरों तक नहीं सीमित इसका प्रयोग
आमतौर पर मेहंदी या अंग्रेजी में ‘हेना’ नाम से मशहूर इसके पौधे होते हैं. इसका पौधा 8 से 10 फीट तक लंबा होता है. यह ज्यादातर गर्म मौसम के देशों में पाया जाता है. जिसमें भारत, ईरान, पाकिस्तान, सीरिया, यमन आदि शामिल हैं.
इसका प्रयोग करना भी बेहद आसान है. इसके पत्तों को सूखाने के बाद उसे पीसा जाता है. पीसने के बाद इसे पानी में घोलकर इस्तेमाल किया जाता है.
भारत में मेहंदी को एक कोन में डालकर और फिर उससे विभिन्न प्रकार के डिजाईन बनाए जाते हैं. यह हथेलियों और पाँव पर लगाई जाती है. मेहंदी का प्रयोग अलग-अलग तरह से होता है.
सबसे दिलचस्प बात है कि यह कुलिंग एजेंट की तरह इसका प्रयोग होता है. साथ ही, यह सनस्ट्रोक्स और सिरदर्द से भी बचाने में बहुत लाभकारी है. चूँकि यह एक कुलिंग एजेंट है इसीलिए गर्मी में यह शरीर का तापमान अच्छा करता है. इसके अलावा, यह क्रैक नाखूनों को भी ठीक करने में मदद करता है. मेहंदी को तो नेल पोलिश का स्थापन्न भी कहा जाता है.
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि यह पीलिया और अन्य बीमारियों में भी बेहद प्रभावशाली है.
मेहंदी का प्रयोग डाईंग और बालों की जड़ों को मजबूत करने के लिए भी होता है. यह बालों को मजबूत, घना और चमकदार बनाने में भी बहुत लाभकारी है.
यह बाल झड़ने की एक आयुर्वेदिक दवा भी है जो बालों में रूसियों जैसी समस्या से भी छुटकारा दिलाता है. साथ ही यह बालों का pH बैलेंस भी बनाए रखता है.
हेना के बहुत सारे प्रयोगों में से एक प्रयोग इसके फूलों का भी है. इसके फूलों का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने के लिए होता है. इसकी पत्तियों का इस्तेमाल उन्हें सूखाकर किया जाता है. साथ ही, इसके रंग का इस्तेमाल कपड़े रंगने या डाई करने के लिए भी होता है.
तो देखा आपने मेहंदी सिर्फ हमारे हाथों तक ही सीमित नहीं है.
मेहंदी से जुड़े कुछ ‘विश्वास’ और ‘अंधविश्वास’
मेहंदी से कई बातें जुड़ी हैं. इस से कई मान्यताएं और आस्थाएं भी जुड़ी हैं. यह शादी-ब्याहों में प्रयोग होता है. इसके के लिए तो खास रस्म भी होती हैं. जिसमे औरतों द्वारा गीत गाये जाते हैं और सभी लोग मेहंदी को शगुन के तौर पर लगाते हैं.
यह ख़ुशी, सुन्दरता, सौभाग्य आदि का प्रतीक माना जाता है. मेहंदी के साथ कुछ विश्वास भी जुड़े हुए हैं. जिसमें दुल्हन के हाथ में गहरे या हल्के रंग को उसके रिश्तों से जोड़ा जाता है.
इससे बनने वाले अलग-अलग डिज़ाइन सिंबल भी प्यार, समृद्धि , ईमानदारी, फर्टिलिटी और गुड लक के प्रतीक माने जाते हैं.
मोरक्को देश में भी इसका प्रयोग होता है. वहां के लोग इस अपने घर के दरवाज़ों को रंगने के लिए प्रयोग करते हैं. इसके पीछे उनकी एक मान्यता जुड़ी है. उनके मुताबिक़ ऐसा करने से उनके घर में समृद्धि आती है और बुरी बलाएं घर से भाग या दूर ही रहती हैं.
पश्चिम देशों का टेम्पररी टैटू
पश्चिम देशों में इसे टेम्पररी टैटू की तरह इस्तेमाल किया जाता है. विदेश में भी इसका प्रचलन काफी बढ़ गया है. वहां अक्सर बड़े-बड़े सेलेब्रिटी भी इसका प्रयोग करते नजर आ जाते हैं.
इसका प्रयोग मैडोना, लिव टाइलर जैसे बड़े सेलेब्रिटी भी करते नजर आए हैं. मेहंदी से जुड़ी एक दिलचस्प बात ये रही कि कीमोथेरेपी के बाद लोगों ने इसका इस्तेमाल किया.
कैंसर जैसी भयानक बीमारी के इलाज के लिए की जाने वाली कीमोथेरेपी में लोग गंजे हो जाते हैं. ऐसे में, कई लोगों ने अपने सिर पर इससे डिज़ाइन बनाया.
जगह बदलती है उसका प्रयोग और तरीके भी बदलता ही है. ऐसे में, मेहंदी लगाने के डिज़ाइन भी अलग अलग होते हैं.
भारत में ज्यादातर इसके डिज़ाइन फ्लोरल और लाइन के ही होते हैं. जबकि अरब और अफ्रीका में इसका डिज़ाइन ज्यादा बोल्ड और जियोमेट्रिक होता है. इसी प्रकार यह कई तरह से प्रचलन में है.
अब आप अगली बार अपनी सुंदर हथेलियों को मेहंदी के डिज़ाइन से रंगे तो, इसका रोचक इतिहास जरुर याद रखें. अगर आप भी इससे जुड़ी कोई दिलचस्प बात जानते हैं तो हमारे साथ कमेंट बॉक्स में जरुर शेयर करें.
Web Title: History Of Henna, Hindi Article
Feature Image Credit: vanithatv