इंसानों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह अपने विचारों को भाषा के जरिए बोलकर प्रस्तुत कर सकते हैं.
पर कैसे?
यह एक ऐसा सवाल था, जो कई वैज्ञानिकों की शोध का विषय बन गया. वह जानना चाहते थे कि आखिर कैसे कोई छोटा बच्चा भाषा को सीख लेता है.
वैज्ञानिक ही क्यों प्लूटो ने भी यह जानने में खासी दिलचस्पी दिखाई. उनके मुताबिक इंसान के लिए बोल पाना, ठीक उस तरह कुदरती है जैसे वो चलना सीखता है.
वहीं, आधुनिक समय में भी इसको लेकर अपने दूसरे तर्क हैं.
तो आईए इससे जुड़े सभी पहलुओं को जानने की कोशिश करते हैं-
कुदरती होता यह गुण या फिर…
विश्वप्रसिद्ध यूनिवर्सिटी एमआईटी के प्रोफेसर, भाषाविद और राजनैतिक कार्यकर्ता नोम चॉम्सकी का मानना है कि इंसान वाक्य रचनाओं की समझ के साथ पैदा होते हैं. इस कारण उन्हें भाषा सीखने में आसानी रहती है और वह किसी भी भाषा के व्याकरण को समझ पाते हैं. जबकि, इस विषय में कार्यरत जैनिफर कल्बर्टसन इसे नहीं मानते.
उनके अनुसार चॉम्स्की का यह सोच लेना कि जन्म से ही बच्चों के अंदर वाक्य रचनाओं को समझने की शक्ति होती है, यह पूरी तरह सही नहीं है.
यह उनकी कल्पना पर हो सकती है.
किन्तु, दिलचस्प बात यह है कि उनकी रिपोर्ट चॉम्सकी से काफी मेल खाती है!
Noam Chomsky (Pic: masspeaceaction)
7 माह की उम्र में बोलने की शुरूआत
जन्म के तुरंत बाद ही कोई बच्चा भाषा नहीं सीख लेता. उसका दिमाग भाषा सीखने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होता. जन्म के लगभग चार महीने तक एक बच्चे की भाषा उसके रोने-गाने तक ही सीमित रहती है.
इस दौरान बच्चे चिल्लाकर, कभी-कभी फुसफुसाकर, कभी-कभी हाथों और पैरों से अलग-अलग इशारों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं.
फिर बोलने के अंदाज को सीखकर बच्चे 7 महीने की उम्र में अपने शुरुआती शब्द सीखते हैं, मोटर नर्वज इसमें उनकी मदद करती हैं. हालांकि, इस उम्र तक उन्हें शब्दों का ज्ञान नही होता है. वहीं 9 से 18 महीने की उम्र तक वे केवल उन शब्दों का उच्चारण कर पाते हैं, जो एक सांस में बोले जाते हैं. जैसे-मां, पापा, दादा, इत्यादि.
शब्दावली को बढ़ाने के तरीकों में से एक यह है कि जो शब्द नया सीखा गया है, उसका उपयोग बार-बार करें. यदि आप दो से तीन बार सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो वो शब्द आपके दिमाग में स्टोर हो जाता है.
यही कारण होता है कि आप इसे लंबे समय तक याद रख पाते हैं.
इसी तरह जब बच्चे किसी नए शब्द को सीखते हैं, तो वह बार-बार उसका इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं. इससे धीरे-धीरे वो शब्द उसकी शब्दावली में इकट्ठा हो जाते हैं और बाद में स्वर बनकर उसके मुंह से बाहर निकलता है.
कुल मिलाकर एक बच्चा नौ महीने की उम्र से अपनी शब्दावली में बोलना शुरू कर देता है. नेल्सन ने 1973 और फैंसन ने 1993 में एक रिसर्च की थी, जिसमें उन्होंने यह जानने की कोशिश कि किस तरह से बच्चों की शब्दावली को बढ़ाया जा सकता है.
जांच का महत्वपूर्ण बिन्दु, यह था कि एक छोटा बच्चा आयु के आधार पर कितने शब्दों का उच्चारण कर पाता है. यह जांच उन्होंने 17 छोटे बच्चों और 1799 आराम से चलना सीख चुके बच्चों पर की थी…
How Children Learn And Speak (Pic: thelittleyears)
बोलने से पहले समझना सीख लेते हैं बच्चे
नेल्सन के अध्ययन से पता चलता है कि 13 से 15 महीने की आयु के बच्चों में औसतन 10 शब्द सीखने की क्षमता होती है. वहीं 17 से 20 महीनों की आयु में बच्चे 50 शब्द सीख सकते हैं और दो साल की उम्र तक 186 से 310 शब्द सीखे जा सकते हैं.
जांच के दौरान उन्होंने प्रत्येक सप्ताह औसतन दो शब्द सीख लिए, लेकिन कुछ मामलों में एक दिलचस्प तथ्य सामने आता है कि 13 महीने का बच्चा 10 शब्द बोल सकता है, लेकिन वह लगभग 50 शब्दों का अर्थ समझ सकता है.
यही वजह है कि काफी शब्दों को बच्चे बोल नहीं सकते, लेकिन वो शब्द उन्हें समझ आ जाता है, उसे बोलना सीखने में 5 महीने लग जाते हैं. हम कई ऐसी चीजें बोलते हैं, जो बच्चे समझ तो लेते हैं पर उसे बोल नहीं पाते.
दो या तीन साल की उम्र तक बच्चा दो या तीन शब्द एक साथ बोलना सीख लेता है, लेकिन वह गति से नहीं बोले जाते हैं. असल में उस समय तक उसे व्याकरण का इस्तेमाल करना नहीं आता हैं. हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे 16 से 18 महीने की उम्र में ही दो या तीन शब्दों को जोड़कर बोलना सीख लेते हैं.
इसी क्रम में जो माता-पिता अपने छोटे बच्चों के सामने ज्यादा बोलते हैं और उनसे ज्यादा संपर्क करने की कोशिश करते हैं, उनके बच्चे जल्दी बोलना सीख लेते हैं.
How Children Learn And Speak (Pic: cforcat)
दूसरों को देखकर भाषा सीखते हैं बच्चे!
बच्चे के व्याकरण को सीखने की प्रक्रिया हमारे व्याकरण को सीखने से अलग है. उदाहरण के लिए, जब हम अंग्रेजी व्याकरण सीखते हैं, तो हमें लगभग सभी नियमों को याद रखना पड़ता हैं, लेकिन अंग्रेजी में बोलते समय, हम उन व्याकरण के नियमों को याद नहीं करते हैं. बोलते समय हम अपने अनुभव का उपयोग करते हैं.
उसी तरह, बच्चे अपनी मातृभाषा के तरीके को समझते हैं. वो व्याकरण को याद नहीं रखते हैं. वे दूसरों को देखकर शब्दों का इस्तेमाल करना सीखते हैं. ऐसे में अगर किसी एक देश का बच्चा अलग भाषा वाले देश में पैदा होता है, तो भी उसके दिमाग में उसकी मातृभाषा का व्याकरण ही होगा.
बिना व्याकरण के हम केवल एक भाषा पढ़-सुन या लिख सकते हैं. जबकि बच्चे का मस्तिष्क हमारे दिमाग से ज्यादा सक्रिय होता, लेकिन परिपक्व होने के कारण हमारा दिमाग तेजी से काम कर सकता है और उसका देर से.
How Children Learn And Speak (Pic: thoughtco)
किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा से जुड़ी शब्दावली संग्रहित करना एक महत्वपूर्ण है. बच्चे की शब्दावली में सुधार कर और मातृभाषा के व्याकरण को सीखने के बाद, हम आसानी से विदेशी भाषाओं को सीख सकते हैं.
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Web Title: How Children Learn And Speak, Hindi Article
Featured Image Credit: theconversation