कच्चे आम का स्वाद और बीच में अचानक से ही मसाले का स्वाद. यह टेस्ट इतना बढ़िया है कि खाने वाले की आँखें चटकारा मारते ही बंद हो जाती है. जिसने भी पल्स कैंडी खाई है वह जानता है कि इसके स्वाद से वह खुद को दूर नहीं रख सकता.
कुछ सालों पहले आई यह कैंडी इतनी रफ़्तार में ऊंचाइयां छुएगी किसी ने सोचा भी नहीं था. इसके ‘मसाला ट्विस्ट’ ने इसे इतना फेमस कर दिया कि आज यह भारत की टॉप कैंडी मानी जाती है.
आखिर कैसा रहा पल्स का यह सफ़र और कैसे यह आई हर एक की जुबान पर चलिए जानते हैं–
मार्केट में कुछ अलग लाना था प्लान
DS Group पिछले करीब 80 से ज्यादा सालों से भारतीय मार्केट में बना हुआ है. 1929 में शुरू हुई यह कंपनी तम्बाकू, मसाले, माउथ फ्रेशनर और न जाने कितनी ही चीजें मार्केट में ला चुकी है. पास पास, चिंग्ल्स, रजनीगंधा और बाबा इलाइची जैसे कितने ही प्रोडक्ट इस कंपनी के नाम है.
हालांकि मार्केट में लगातार नए-नए ब्रांड आते जा रहे थे, जिससे DS Group को घाटा हो रहा था. ऐसे में बाज़ार में अपनी पहचान बनाए रखने के लिए कंपनी ने एक नया प्रोडक्ट लांच करने की सोची. अब सवाल यह था कि आखिर नया प्रोडक्ट लाया क्या जाए? प्लान था एक नयी तरह की कैंडी लाने का.
इसलिए मार्केट की रिसर्च शुरू की गई. काफी समय तक ग्राहकों के टेस्ट को जानने के बाद एक रिपोर्ट बनाई गई. रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि भारतीय ग्राहक आम या कच्चे आम की बनी चीजें ज्यादा पसंद करते हैं. कैंडी का करीब 50 प्रतिशत मार्केट आम के प्रोडक्ट पर ही बेस्ड था.
इसके बाद कंपनी ने फैसला किया कि कच्चे आम के साथ कोई प्रयोग किया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि हर उम्र के लोग कच्चे आम को पसंद करते हैं. भारत में कच्चे आम को अक्सर मसालों और नमक के साथ खाया जाता है. यही कारण है कि DS Group ने भी इसमें एक नमकीन ट्विस्ट देने की सोची. इसलिए कैंडी के शुरुआती भाग को आम के फ्लेवर के साथ बनाया और उसके बीचों बीच एक नमकीन पाउडर डाल दिया गया.
आते ही मचा दी धूम...
2013 में पल्स कैंडी का कांसेप्ट शुरू हुआ था और करीब दो साल इसे लग गए पूरी तरह से बनने में. 2015 तक यह पूरी तरह से तैयार थी मार्केट में लांच होने के लिए. DS Group ने पल्स कैंडी के लिए कोई मार्केटिंग स्ट्रेटेजी नहीं सोची थी. माना जाता है कि वह चाहते थे कि ग्राहक इसे इसके स्वाद के कारण पहचाने न की कंपनी के नाम से.
इसलिए उन्होंने बिना किसी प्रमोशन के इसे लांच करने की ठानी. यह कदम बहुत ही बड़ा था क्योंकि आज के इस दौर में हर चीज की मार्केटिंग की जाती है ताकि वह बेची जा सके.हालांकि फिर भी कंपनी इतना बड़ा कदम उठान के लिए तैयार थी. पल्स ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर सके इसलिए उन्होंने इसकी पैकिंग पर बहुत ध्यान दिया.
हरे रंग की इसकी पैकिंग को कोई भी दूर से देखकर ही पहचाना सकता है. इस सबके बाद इसे सभी बड़े शहरों और गाँव में लांच किया गया. कंपनी को उमीद थी कि पल्स अच्छा काम करेगी. इसलिए वह इसके लांच के बाद इसके स्टैट्स जानने के लिए बैठ गए. जब पल्स के स्टैट्स कंपनी के सामने आए, तो वह उसे देखकर हैरान रह गए!
थोड़े ही वक़्त में यह मार्केट में कुछ ऐसी चली कि हर कोई इसका दीवाना हो गया था. कहते हैं कि जहां आमतौर पर लोग एक या दो कैंडी ही खरीदते थे. वहीं दूसरी तरफ लोग पल्स कैंडी मुठ्ठी भर-भर के खरीद रहे थे. इसके कारण कंपनी की सेल्स उम्मीद से ज्यादा बढ़ गयी थी. मार्केट में इसकी इतनी डिमांड थी कि इसका प्रोडक्शन रातों-रात बढ़ाना पड़ा.
कोई और कंपनी होती, तो शायद इस डिमांड को पूरा नहीं कर पाती. हालांकि DS Group बहुत बड़ी कंपनी है और वह इस डिमांड को आसानी से पूरा कर सकती थी. एक तरफ उन्होंने अपना प्रोडक्शन बढ़ाया. वहीं दूसरी तरफ उनकी सेल्स भी बढ़ती गई. इस चटपटी कैंडी की लत लोगों को कुछ ऐसी लगी कि हर उम्र का व्यक्ति इसे खाने लगा. माना जाता है कि इंडियन मार्केट में कोई और कैंडी इतनी तेज रफ़्तार से कभी नहीं बेची गई थी.
ग्राहकों ने ही की पल्स की प्रमोशन
मार्केट में आने के काफी समय बाद तक पल्स ने अपना कोई प्रमोशन नहीं किया था. एक बहुत बड़ी संख्या में लोग इसके दीवाने तो हो गए थे. मगर कंपनी बाकियों को भी इसकी ओर आकर्षित करना चाहती थी. इसमें उनकी सबसे ज्यादा मदद खुद उनके ग्राहकों ने ही की. माना जाता है कि इसके मार्केट में आने के बाद से कई लोग ऑनलाइन प्लेटफार्म पर इसके बारे में बात करने लगे.
लोगों ने पल्स के लिए वीडियो, एडवर्टीजमेंट, कॉमेडी वीडियो और शोर्ट फिल्म तक बना दी. इसके बाद अपने आप ही बिना कुछ करे लाखों करोड़ो लोगों तक पल्स पहुँच गई. इस नई टॉफी को खाने के लिए हर कोई बेताब हो गया. इसके बाद तो कंपनी को अपनी प्रोडक्शन और भी ज्यादा बढ़ानी पड़ी.
आंकड़ों की माने, तो 2016 में ही पल्स की प्रोडक्शन 1200 से 1300 टन प्रति माह हो गई थी. उस वक़्त से अभी तक पल्स लगातार प्रोडक्शन बढ़ाने में लगी हुई है. पल्स इतनी बड़ी बन गई थी कि मार्केट में इसकी कॉपी तक आने लगी. अलग-अलग नामों से कई नकली कैंडी पल्स का मार्केट मारने आईं थी. हालांकि पल्स के ग्राहक पक्के थे और वह सिर्फ उसे ही खाते थे और किसी कंपनी की कैंडी को नहीं.
करोड़ों का बिजनेस बन गयी आज पल्स
आंकड़ों की माने, तो अपने पहले ही साल में पल्स एक 100 करोड़ की कंपनी बन गई थी. न सिर्फ गाँव बल्कि शहरों में भी इसकी बिक्री अपने शिखर पर थी. इसके बाद अपने ग्राहकों के लिए पल्स एक नया फ्लेवर लेकर मार्केट में आई. इस बार कच्चे आम की जगह अमरुद का स्वाद कंपनी ने तैयार किया था.
इसमें भी बीच में वही मसाला भरा गया. हालांकि कहते हैं कि नया फ्लेवर पुराने वाले को मात नहीं दे सका. लोग कच्चे आम के ही दीवाने थे. पल्स ने DS Group को बहुत ही जल्दी बड़ा बिजनेस करके दे दिया था. जहाँ अपने पहले साल में इसें 100 करोड़ का रेवेन्यू दिया. वहीं अगले कुछ सालों में इसने इसे 300 करोड़ में बदल दिया. इसके बाद से लगातार यह बढ़ता जा रहा है.
माना जा रहा है कि अब पल्स इंडियन कैंडी मार्केट में खुद को टॉप-3 में देखना चाहती है. इसके लिए वह बहुत कुछ नया करने का प्लान भी कर रहे हैं. मौजूदा समय में Perfetti, Parle, और ITC कैंडी मार्केट पर राज कर रहे हैं. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि पल्स भी जल्द ही इन्हें टक्कर दे सकती है. यह बात कितनी सच होगी यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा.
पल्स कैंडी एक समय पर इंडिया की पल्स बन चुकी थी. हर कोई इसका दीवाना था और लोग इसे बेहिसाब खाया करते थे. हालांकि आज इसकी लोकप्रियता में हलकी सी गिरावट देखि गई है मगर उम्मीद है कि जल्द ही यह ऊपर आएगी. इसके अलग सवाद ने इसे मार्केट की सबसे अलग कैंडी बना दिया है. यही कारण है कि इसे देखते ही इसका स्वाद जुबान पर आ जाता है.
Web Title: Success Story Of Pulse Candy, Hindi Article
Feature Image Credit: dailyhunt