बॉलीवुड सिनेमा ने पिछले कई सालों में अपनी खास पहचान बनाई है. बॉलीवुड फिल्मी दुनिया में नाम कमाने को लेकर दुनियाभर से सैकड़ों की संख्या में युवा आंखों में बड़े सपने लेकर सपनों की नगरी मुंबई आते हैं. इनमें से कुछ को कड़ी मशक्कत के बाद मंजिल मिल जाती है, तो कुछ गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं.
यूं तो बॉलीवुड में फिल्म निर्माताओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है, लेकिन कुछ फिल्म निर्माता अपनी खास पहचान से दुनियाभर में जाने जाते हैं. अनुराग कश्यप ऐसा ही एक नाम है. उन्हें भारतीय सिनेमा के कामयाब डॉयरेक्टर्स में से एक माना जाता है.
किन्तु, क्या आप जानते हैं कि अनुराग एक वैज्ञानिक बनना चाहते थे!
क्यों आईए जानते हैं-
विज्ञान में खासी दिलचस्पी थी, इसलिए…
अनुराग कश्यप का जन्म उत्तर-प्रेदश में के गोरखपुर में हुआ. 10 सितंबर 1972 को पैदा हुए अनुराग के पिता प्रकाश सिंह बिजली विभाग में इंजीनियर थे. घर में पढ़ाई का माहौल था, इसलिए अनुराग को पढ़ाई करने में अधिक परेशानी नहीं हुई.
स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुराग कश्यप वैज्ञानिक बनने का सपना लेकर दिल्ली आ गए, जहां उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया. असल में अनुराग की विज्ञान में खासी दिलचस्पी थी.
यही कारण था कि वह खुद को एक वैज्ञानिक के रूप में देखते थे. अनुराग ही क्यों उनके घरवाले भी यही चाहते थे कि वह एक वैज्ञानिक बनकर खानदान का नाम रोशन करें, लेकिन भविष्य में अनुराग की किस्मत में कुछ और ही लिखा था, क्या आगे जिक्र करेंगे…
Anurag Kashyap (Pic: bubble.com)
थियेटर के शौक ने बदल दिया रास्ता
दिल्ली के हंसराज हंस कॉलेज में दाखिले के बाद उनका परिचय दिल्ली की दुनिया से हुआ. बावजूद इसके अनुराग को बस एक ही धुन सवार थी कि किसी भी तरह वैज्ञानिक बनकर उन्हें अपने क्षेत्र और खानदान का नाम ऊंचा करना है.
बहरहाल, इस सबके बीच उन्हें कब थियेटर का शौक चढ़ गया, उन्हें पता ही नहीं चला. अक्सर वह कॉलेज खत्म होने के बाद थियेटर में वक्त बिताने लगे. दोस्तों के साथ अनुराग घंटो तक मंच पर कलाकारों को थियेटर करते हुए देखा करते थे.
इसी क्रम में अनुराग 1993 में डीयू से पासआउट होकर बाहर आ गए. उनके कई साथी अच्छी नौकरियों पर जा रहे थे, तो कुछ साथी आगे की पढ़ाई करने के लिए विदेश का रुख कर रहे थे. ऐसे में अनुराग के सामने चुनौती थी कि अनुराग क्या करें.
उनके सामने दो रास्ते थे. पहला उनके वैज्ञानिक बनने के सपने की ओर ले जा रहा था, तो दूसरा उनके शौक रंगमंच की दुनिया की ओर…
अक्सर ऐसे मौके पर युवा अपने सपने की ओर बढ़ते है, किन्तु अनुराग ने अपने शौक को चुना. उन्होंने तय किया कि वह रंगमंच की दुनिया में अपनी किस्मत अपनाएंगे!
Anurag Kashyap Affection of Theatre (Pic: static1.com)
मुंबई के फुटपाथ पर गुजारनी पड़ी रातें
अनुराग के इस फैसले से घर के लोग परेशान थे और हैरान भी.
हैरान होते भी क्यों न…
घरवालों का सपना था कि बेटा वैज्ञानिक बनकर खानदान का नाम ऊंचा करेगा, लेकिन बेटा दिल्ली की सड़कों पर नुक्कड़ नाटक में अभिनय करते हुए अपने भविष्य को तलाश रहा था.
नुक्कड़ नाटकों के इस क्रम के बाद अनुराग ने मुंबई जाने का फैसला किया. मुंबई के हालात अनुराग की सोच से एकदम विपरीत थे. वहां उन्हें कड़े इम्तिहानों से गुज़रना पड़ा. जल्दी ही उनके वो पैसे भी खत्म हो गए, जो वो अपने साथ लेकर आए थे.
कहते हैं उस समय उन्हें कई रातें रेलवे स्टेशन और फुटपाथ पर गुज़ारनी पड़ी थी. वह हर सुबह काम की तलाश में स्टूडियो के चक्कर काटते, लेकिन उनको काम नहीं मिला. हालांकि, उन्होंने अपने प्रयास बंद नहीं किए.
यही कारण रहा कि आखिरकार एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई. उन्हें पृथ्वी थियेटर में एक प्ले में काम करने का मौक़ा मिल गया. वह बात और है कि किस्मत ने एक बार फिर से दगा दे दिया. असल में जिस प्ले में वह काम कर रहे थे, उस प्ले के डॉयरेक्टर की मौत हो गई.
इस कारण वह ‘प्ले’ पूरा नहीं हो सका था.
Anurag Kashyap (Pic: hindu.com)
धारावाहिक ‘कभी-कभी’ ने दिलाई शोहरत
कड़ी मशक्कत के बाद अनुराग को समझ आ गया था कि मुंबई में अगर अपने पैर जमाने हैं, तो हर क्षेत्र में निपुण होना पड़ेगा. बस यही से उन्होंने अभिनय के साथ-साथ दूसरे क्षेत्रों, जैसे लेखन आदि में काम करना शुरु कर दिया. लेखन ने उनका रास्ता आसान कर दिया.
साल 1995 में उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों और चुनिंदा फिल्मों की पटकथा लिखी. छोटे पर्दे पर आने वाले धारावाहिक के लिए लिखी गईं, उनकी कहानियां लोगों को पसंद आने लगीं और इस तरह वह लेखन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाते गए.
धारावाहिक ‘कभी-कभी’ की कहानी लिखने के बाद वह सुर्खियों में आए. कहानी लिखने के दौरान अनुराग की दिलचस्पी फिल्म बनाने में लग गई.
बाद में राम गोपाल वर्मा के साथ काम करने का मौका मिला. 1998 में आई फिल्म सत्या के बाद मिला अनुराग सिनेमा के नामी सितारे बन गए. उन्होंने कई फिल्मों का डॉयरेक्शन किया और जल्द ही एक सफल डॉयरेक्टर के तौर पर उभरे.
‘गैंग ऑफ वासेपुर’ इसमें एक बड़ा नाम है.
Anurag Kashyap Directed in Movies (Pic: assettype.com)
‘गैंग ऑफ वासेपुर’ ने बनाया एकदम खास
आम लोगों की ज़िंदगी को और रोज़ होने वाली अप्रिय घटनाओं को कोई भी डॉयरेक्टर अपनी फिल्म का हिस्सा नहीं बनाना चाहता, लेकिन अनुराग की सोच इससे बिल्कुल अलग थी. वह इन घटनाओं को जोड़कर न सिर्फ फिल्म बनाने का प्रयास करते रहते है, बल्कि इन घटनाओं को बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारने की कोशिश भी करते हैं
इस कोशिश के तहत उन्होंने साल 2012 में गैंग ऑफ वासेपुर फिल्म बना डाली. बेहद कम बजट में बनी इस फिल्म ने बॉलीवुड में तहलका मचा दिया. धनबाद के कोयला माफिया और उनकी लड़ाई को अनुराग ने फिल्म में दिखाया था.
जून में ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ का पहला पार्ट आया था, लेकिन लोगों में इसकी लोकप्रियता को देखते हुए अनुराग ने कुछ ही महीनों में ‘गैंग ऑफ वासेपुर का दूसरा पार्ट’ बनाना पड़ा. इस फिल्म ने इंटरनेश्नल और नेश्नल लेवल पर कई बड़े अवॉर्ड जीते.
यह फिल्म अनुराग के लिए इस लिहाज से भी बहुत बड़ी हिट थी कि उनका नाम अब लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया था. इस फिल्म की सफलता के पीछे अनुराग के अलावा नवाज़़ु्द्दीन सिद्दीकी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा था. खैर, नवाजुद्दीन की बात फिर कभी करेंगे.
लौटते हैं अनुराग कश्यप पर…
Nawazuddin Siddiqui in Movie Gang of Wasseypur (Pic: southeast.com)
अवार्ड जो बनाते हैं अनुराग को अलग
अनुराग कश्यप ने अपने दमदार निर्देशन और अलग सोचने की क्षमता से बॉलीवुड में कई मिथक तोड़े हैं. उनके दमदार निर्देशन की बदौलत उन्हें न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा जा चुका है.
साल 2013 में उन्हें फ्रेंच सरकार ने कांस फिल्म फेस्टिवलस में फिल्म अवार्ड नाइट ऑफ द आर्ट्स और लेटर्स से नवाज़ा गया. साल 1999 में उन्हें सत्या फिल्म की स्क्रीनप्ले राइटिंग के लिए सौरभ शुक्ला के साथ संयुक्त रूप से बेस्ट स्क्रीन राइटर अवॉर्ड दिया गया.
वहीं साल 2011 में फिल्म फेयर अवॉर्ड में उड़ान फिल्म के लिए अनुराग को बेस्ट स्टोरी और बेस्ट स्क्रीनप्ले अवार्ड मिला. उन्हें उत्तर-प्रदेश सरकार की ओर से सिनेमा में बेहतरीन योगदान देने के लिए यश भारती अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
Anurag Kashyap Received Award (pic: cinema.com)
अनुराग कश्यप ने फिल्म एडिटर आरती बजाज से शादी की थी, जोकि अधिक समय तक टिक नहीं पाई. दोनों तलाक के बाद अलग हो गए. बाद में उन्होंने अभिनेत्री ‘काल्की कोचिन’ के साथ शादी करके अपना घर बसाया. हालांकि, उनकी यह शादी भी कामयाब नहीं रही और टूट गई!
Web Title: Why Anurag Kashyap Want to Become a Scientist, Hindi Article
Feature Image Credit: DNA India