रॉयल एनफील्ड महज एक बाइक नहीं है!
सालों से चलती आ रही इस बाइक से लोगों के जज़्बात जुड़े हैं. कभी अंग्रेजों की पसंद रही यह बाइक आज भी भारत की सर्वश्रेष्ठ बाइक्स में से एक मानी जाती है. इसके बुलेट मॉडल के तो क्या ही कहने.
जितने दीवाने लोग भारत में बुलेट के लिए होते हैं, उतनी दीवानगी वह शायद ही किसी और बाइक के लिए दिखाते हों.
तो चलिए आज आपको ले चलते हैं रॉयल एनफील्ड के सफ़र पर और जानते हैं कि आखिर यह कैसे बाइकर्स के दिल की धड़कन बनी–
दी एनफील्ड साइकिल कंपनी काफी पहले से मोटरसाइकिल मार्केट में छाई हुई थी मगर इसे असली पहचान मिली 1901 में जब कंपनी ने अपनी रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल लांच की. इसके बाद से ही भारत और विश्व भर में रॉयल एनफील्ड का नाम हुआ. (Pic: greasengasoline)
रॉयल एनफील्ड की बाइक्स काफी मजबूत हुआ करती थी. यही कारण है कि पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सेना ने उन्हें खूब इस्तेमाल किया. इसके जरिए सैनिक कच्चे रास्तों पर भी अपनी बाइक चला पाते थे. अपनी इस खूबी के कारण ही रॉयल एनफील्ड का बिजनेस बढ़ने लगा. (Pic: royalenfield)
कई सालों तक कई नए-नए मॉडल दी एनफील्ड साइकिल कंपनी बनाती रही. कुछ सेना के लिए होते तो कुछ मॉडल आम लोगों के लिए भी बनाए जाते. कंपनी हर तरफ अपने नाम का परचम लहराना चाहती थी. इस बाइक का सबसे बड़ा मार्केट ब्रिटिश इंडिया बना क्योंकि इनकी बाइक्स ब्रिटिश अफसरों को खूब भाती थी. (Pic: pinterest)
1931 का साल रॉयल एनफील्ड के लिए सबसे बढ़िया रहा क्योंकि इस साल ही कंपनी ने अपनी विश्व प्रसिद्ध बाइक ‘बुलेट’ निकाली. यह बाइक रॉयल एनफील्ड की बाकी बाइक्स से बिलकुल अलग थी. इसमें 350 सीसी का दमदार इंजन लगा हुआ था. यह उस समय की रॉयल एनफील्ड की सबसे दमदार बाइक थी. (Pic: 350cc)
रॉयल एनफील्ड का बुलेट मॉडल आते ही ब्रिटिश सरकार ने खरीदना शुरू कर दिया. कई सैनिकों को यह बाइक सरकार ने दी. कहते हैं कि करीब 3000 बाइक तो रॉयल एयरफोर्स के सैनिकों को ब्रिटिश सरकार ने दी थी. वह भी जानते थे कि भारत के कच्चे रास्तों पर इन बाइक्स से ही वह सफर कर सकते हैं. यह आरामदायक थी. तेज दौड़ती थी और मजूबत भी थी. (Pic: pinterest)
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बुलेट ने अपना खूब योगदान दिया. जंग के मैदान में सैनिकों के लिए यह बेहद ही लाभकारी साबित हुई. ब्रिटिश और इंडियन सैनिकों को बुलेट दी गई ताकि वह जंग में इसका इस्तेमाल करें. वह इन पर अपना सामान, हथियार और भी बहुत सी चीजें लाद कर ले जाते थे. जंग लड़ने में इस बाइक ने बहुत ही ज्यादा मदद की. (Pic: thrillist)
एक बार जैसे ही दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ और अंग्रेज वापस अपने देश लौटे बुलेट ने भारत के लोगों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. जंग के कारण कंपनी को थोड़ा बहुत नुक्सान हुआ मगर वह फिर भी चलती रही. धीरे-धीरे भारत में भी लोगों को यह पसंद आने लगी. धीरे-धीरे इसने भारत के लोगों के सामने अपनी एक अलग पहचान बनाना शुरू कर दिया और लोगों को भी यह खूब भाई. (Pic: team-bhp)
भारत के लोगों के लिए बुलेट शुरुआत में थोड़ी महँगी हुआ करती थी. चूंकि इसे ब्रिटिश कंपनी बनाया करती थी इसलिए इसके दाम ज्यादा थे मगर 1955 में सब बदल गया. दी एनफील्ड साइकिल कंपनी को काफी घाटा होने लगा जिसके कारण उन्होंने भारत की मद्रास मोटर्स के साथ समझौता कर लिया. दोनों ही कंपनियों ने मिलकर बुलेट का प्रोडक्शन जारी रखा और इसके साथ ही जन्म हुआ ‘एनफील्ड इंडिया’ का. (Pic: GIB Coolll)
भारत में प्रोडक्शन शुरू होने के कारण बुलेट के दाम काफी गिर गए. यही वजह बनी कि कई लोग इसे खरीदने में सक्षम हो पाए. बुलेट का एक नया 350 सीसी का मॉडल निकाला गया जिसकी सबसे पहली खरीदार बनी भारत सरकार. भारत सरकार अपनी पुलिस और सेना के लिए अच्छी बाइक खरीदने की सोच ही रही थी कि बुलेट भारत में शुरू हो गई. इसके बाद खुद सरकार ने ही इसके बहुत सारे मॉडल खरीदे (Pic: yuvaspeak)
1960 तक बुलेट के अधिकतर पुर्जे भारत में बनने लगे थे. इसके कारण दाम और भी कम हो गया और आम लोगों के पास भी यह दिखाई देने लगी. कंपनी ने बुलेट के नए मॉडल भी निकाले. बुलेट के 350 और 500 सीसी के दो नए मॉडल 1960 में लोगों के सामने आए. भारत में मजबूती और स्टेबिलिटी के मामले में इससे बढ़िया कोई भी बाइक नहीं थी. कई और कंपनी की बाइक्स भी इसके सामने आई पर इसकी लोकप्रियता के आगे टिक नहीं पाई. (Pic: sephi)
1990 से बुलेट के ऊपर काले बादल मंडराने लगे. मार्केट में कई सारी नई और सस्ती बाइक्स आ गई थे. अचानक से ही बुलेट को भारी नुकसान हो गया जिसके कारण एनफील्ड इंडिया को अपनी कई सारी फैक्ट्री बंद करनी पड़ी. इसके बाद सिर्फ चेन्नई में ही कंपनी की एक मात्र फैक्ट्री बची और वहीं से उन्होंने अपनी एक नई शुरुआत की. (Pic: team-bhp)
2013 तक कंपनी को काफी मुश्किल हुई खुद को वापस मार्केट में लाने में मगर आखिरकार यह वापस आ ही गई. इस बार युवाओं में इसे खरीदने का जोश देखा गया. देखते ही देखते यह एक कूल बाइक बन गई. बाइक रैली करने वालों को तो यह सबसे ज्यादा मुफीद रही. (Pic: pinterest)
फिर से मार्केट में आने के बाद रॉयल एनफील्ड ने अपने कई नए मॉडल निकाले जिसमें बुलेट क्लासिक, थंडरबर्ड, हिमालयन, डेजर्ट स्ट्रोम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहे. बॉलीवुड तक में इसे इस्तेमाल किया गया. जब तक है जान और भाग मिल्खा भाग जैसी फिल्मों में इस बाइक ने भी अपना योगदान दिया है. (Pic: pinterest)
आज विदेशों तक बुलेट की तारीफ होती है. 2015 में 26 जनवरी के मुख्य अथिति के तौर पर आए बराक ओबामा ने जब परेड के दौरान भारतीय सैनिकों को बुलेट पर करतब करते देखा तो उन्होंने न सिर्फ सैनिक बल्कि रॉयल एनफील्ड बाइक्स की भी खूब तारीफ की. इतने लोगों का भार उठाने के बाद भी सीधी चलने वाली बुलेट को देख ओबामा भी चौंक गए थे. (Pic: autocarpro)
आज रॉयल एनफील्ड और इसकी बुलेट दोनों ही भारत में छाई हुई है. हर जगह बस इनका ही जलवा है. दुनिया भर में इसकी प्रशंसा होती है. बीते कुछ सालों में इसकी बिक्री इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आज यह बाइक मार्केट के अपने सेगमेंट में शिखर पर है.
Web Title: The Journey Of Royal Enfield In India, Hindi Article
Feature Representative Image Credit: weroyalriders