भारत के अंडरवर्ल्ड में कई लोग शामिल रहे हैं, जिनका नाम बहुत प्रसिद्ध हुआ. उनमें से ही एक था अबू सलेम!
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले से मुंबई आए अबू सलेम ने अपना नाम कुछ यूँ बनाया कि हर कोई उसे सुनकर खौफ में आ जाता था.
इतना ही नहींं एक समय पर तो उसे 'बॉलीवुड का कप्तान' तक कहा जाता था. अबू सलेम की जिंदगी किसी फिल्म की कहानी की तरह है.
तो चलिए जानते हैं कैसे अबू सलेम बना डॉन अबू–
पिता का साया सिर से हटने के बाद घर संभाला…
अबू सलेम का जन्म एक अच्छे घर में हुआ था. उसके पिता पेशे से वकील थे और इलाके में उनका अच्छा नाम था.
जिस वक्त पर लोग साइकिल बड़ी मुश्किल से लिया करते थे, उस वक्त अबू सलेम के पिता काले रंग की राजदूत से घूमा करते थे.
उस वक्त तक सलेम के घर में सब कुछ ठीक था, किसी भी प्रकार की कोई समसया नहींं थी. हालांकि, बुरा वक्त कह कर नहींं आता. बुरा वक़्त बिन कुछ कहे ही आता है और सब कुछ उजाड़ कर ले जाता है. ऐसा ही कुछ अबू के साथ भी हुआ.
एक दिन उसके पिता घर से कोर्ट के लिए निकले और कभी वापस नहीं आए. ऐसा इसलिए क्योंकि, एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी.
पिता की मौत के बाद से अबू के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. घर में कमाने वाले केवल अबू के पिता ही थे. उनके जाते ही पूरा घर हिल गया था.
घर के बिगड़ते हालात देखकर अबू ने खुद पैसा कमाने की सोची. इसके लिए वह काम ढूँढने लगा. अबू ने पहले तो एक साइकिल की दुकान पर काम करना शुरू किया.
उस दुकान पर वो साइकिल में पंचर लगाया करता था. हालांकि, उससे बहुत ज्यादा आमदनी नहीं होती थी. अबू की कोशिशों के बाद भी घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था.
इसलिए अबू उत्तर प्रदेश से दिल्ली की ओर रवाना हो गया ज्यादा पैसा कमाने के लिए. हालांकि, दिल्ली में भी अबू की किस्मत ने कुछ ख़ास साथ नहीं दिया.
यहाँ भी उसने कई काम किए मगर, किसी में भी उसका मन नहीं लगा रहा था. जब वह तंग आ गया, तो उसने मुंबई जाने की सोची.
इसके बाद अबू बिना कुछ सोचे सपनों की नगरी मुंबई के लिए निकल गया अपने सपनों को हकीकत बनाने के लिए.
अबू सलेम से बना अबू भाई!
अबू मुंबई आ चुका था. वह मुंबई के एक चॉल में रहने लगा और मॉल के बाहर दुकान लगा कर छोटा-मोटा सामान बेचने लगा.
ये बात है सन् 1990 की. वो वक्त था जब, मुंबई में दाउद इब्राहिम का नाम बुलंदियों पर था. जुर्म की दुनिया से जुड़ा हर युवा दाउद जैसा बनना चाहता था.
हर किसी को लगता था कि दाउद जैसी जिंदगी बेस्ट है गरीबी से निकलने के लिए. इसलिए कई युवा जुर्म की दुनिया की ओर आकर्षित होने लगे. उनमें से ही एक अबू भी था.
इसके बाद वह भी धीरे-धीरे अंडरवर्ल्ड वालों के साथ दोस्ती बढ़ाने लगा. इसी दौरान उसकी मुलाकात दाउद के छोटे भाई अनीस इब्राहिम से हो गई.
इस एक मुलाक़ात ने अबू को अंडरवर्ल्ड से जोड़ दिया. इसके बाद अबू सुबह एक जिंदगी जीता और रात को दूसरी.
पूरा दिन काम करने के बाद सलेम रात को अनीस के साथ सोने की तस्करी करवाता. अबू बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था.
अनीस ने भी इस बात पर ध्यान दिया. इसलिए उसने अबू को अपना सीधा हाथ बना लिया. सोने की तस्करी के साथ सलेम दो नंबर के और भी कामों में अनीस का हाथ बंटाने लगा.
इसके बाद धीरे-धीरे उसका दाउद के घर में भी आना-जाना हो गया. कहते हैं कि अबू की मेहनत देखकर दाउद भी काफी प्रभावित था.
केवल 2-3 सालों में ही अनीस से सलेम की पहुंच दाउद तक हो गई थी. अब सलेम दाउद के लिए लोगों से हफ्ता वसूली करने लगा था.
इतना ही नहीं वह फिल्मी सितारों को धमका कर उनसे पैसे भी लेने लगा था. थोड़े ही समय में अबू के नाम के पीछे 'भाई' भी जुड़ गया.
संजय दत्त से मुलाकात और गुलशन कुमार की हत्या…
बात है सन् 1993 की संजय दत्त ने अनीस इब्राहिम को फोन किया और कहा "मुझे अपनी जान का खतरा लग रहा है, भाई मुझे कुछ हथियार चाहिए."
अनीस ने इसके बाद सलेम को हथियारों के साथ संजय दत्त के पास भेजा. कहते हैं कि उस रोज जब संजय दत्त को सलेम ने देखा तो बस देखता रह गया.
उसके हाथों से पसीना आ रहा था. वह अपने हाथ को बार-बार अपनी पैंट पर पोछ रहा था. ये सब देख कर संजय ने सलेम को गले लगा लिया.
उस रोज के बाद सलेम का बॉलीवुड में आना-जाना बढ़ गया. कभी किसी पार्टी में, तो कभी किसी फिल्म सेट पर, अबू हर जगह दिखाई देने लगा.
हालांकि, अबू वहां दोस्ती नहीं धंधे के लिए ही गया था. वहां भी वह पैसे वसूलने ही जाता था. इस सब के बीच एक घटना हुई, जिसके बाद सलेम का नाम सुर्खियों में आ गया था.
उस वक्त तक इंडस्ट्री में गुलशन कुमार का बहुत बड़ा नाम हो चुका था. सलेम की नजर उनपर पड़ी और उसने गुलशन कुमार को फोन करके 5 लाख रूपए की मांग करी.
सलेम की इस मांग को मानने से गुलशन ने मना कर दिया. इसके बाद सलेम आग बबूला हो उठा और गुलशन कुमार को जान से मारने के लिए अपने शूटर भेज दिए.
आगे हुआ वो ही जो होना था, सलेम के शूटरों ने गुलशन कुमार की हत्या कर दी और उसाक खौफ पूरे बॉलीवूड में फैल में गया!
इसी घटना के बाद लोग उसे सलेम को डॉन कहने लगे थे...
मुंबई से दुबई और फिर पुर्तगाल पलायान
मुंबई में जब सलेम के खौफ की दुकान चलने लगी, तो उसने अपने काम को बढ़ाने के लिए दुबई की ओर रुख किया.
दुबई में उसने एक गाड़ियों का शोरूम खोला. इसके लिए उसने एक ओपनिंग पार्टी भी दी. यह पार्टी इतनी बड़ी थी कि इसमें बॉलीवुड के कई बड़े सितारे शामिल थे.
कहते हैं कि इस पार्टी में ही अबू सलेम और मोनिका बेदी की पहली बार मुलाक़ात हुई थी. इसके बाद मुलाकात प्यार में बदली और वो कहानी काफी लंबे समय तक चलती रही.
अबू बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा था और इसकी वजह से उसके कई दुश्मन भी हो गए थे. उनमें सबसे ऊपर नाम था दाउद इब्राहिम का.
सलेम की दाउद के साथ धंधे को लेकर खटपट हो गई. इसके बाद सलेम दाउद के निशाने पर आ गया. इसलिए वह दुबई से दूर यूरोप भाग गया.
यूरोप में उसके साथ मोनिका बेदी भी रहती थी. एक तरफ दाउद तो दूसरी तरफ पुलिस दोनों को ही अबू की तलाश थी.
अबू कुछ वक़्त तक तो बच गया मगर, आखिर में वह पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया. उसे लेसबेन में मोनिका से साथ पकड़ा गया.
पकड़े जाने के बाद पुलिस उसे पुर्तगाल के रास्ते भारत लाई. आज सलेम भारत की जेल में अपने गुनाहों की सजा काट रहा है. टाडा अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है.
अबू सलेम की कहानी बताती है कि जुर्म का रास्ता अच्छा दिखता तो है मगर, अच्छा होता नहीं है. मुंबई मेहनत की रोटी कमाने आया अबू, फिरौती पर उतर आएगा शायद ही उसने ये सोचा था. यही कारण है कि आज वह सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी काट रहा है.
Web Title: Story Of Abu Salem, Hindi Article
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