घरों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. दरवाजे पर सुरक्षागार्ड तैनात है. सिक्योरिटी और इमरजेंसी अर्लाम हर कमरे में लग रहे हैं. चोर-डकैत तो क्या एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. पर जनाब यह आज की व्यवस्था है.
हमारे बुर्जुगों ने एक वक्त वो भी देखा है, जब घर की कुंडी तोड़कर, दीवार फांदकर तो कभी पड़ोसी की छत के सहारे डाकू अचानक की आ धमकते थे. घर की औरतों के पैर छू कर किनारे खड़ा कर देते थे.
फिर मर्दों की मदद से पूरा जेवर-पैसा छानकर ले जाते थे.
ग्वालियर, मेरठ, भिंड, मुरैना के बीहड़ तो डाकुओं के खौफ से थर्राराते थे. कुछ राहत देने वाला था तो केवल बीहड़ों में सुनाई देती कुछ खिलखिलाहटें. डाकुओं के किस्से तो खूब कहे गए हैं!
पर हम आज आपको मिलवा रहे हैं 'दस्यु सुदंरियों' से. जिनकी खूबसूरती ने डाकुओं को रिझाया और खौफ ने डराया भी!
सुंदरियों की प्रेरणा बनी फूलन देवी
यदि महिला डाकुओं की बात की जाती है तो ज्यादा से ज्यादा लोग फूलन देवी को जानते हैं. 'बैंडिट क्वीन' बनने के बाद तो युवाओं से भी उनकी मुलाकात हो गई. इसलिए उनके बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है.
फूलन पहली महिला डाकू मानी जाती है, जो बेहद खूबसूरत थी. उसका रंग सांवला था पर नैन-नक्श ऐसे थे कि डाकू विक्रम मल्हार का दिल उस पर आ गया. यूं तो फूलन ने अपने जीवन में कही मर्दों की यातनाएं झेली थीं.
पर केवल विक्रम ही था, जिसने उसे पहली बार प्यार का एहसास कराया. जब एक घटना में विक्रम की मौत हो गई. तब उसके बाद से फूलन की जिंदगी बदल गई. उसका गैंगरेप हुआ और बदला लेने के लिए फूलन ने विक्रम की बंदूक थाम ली.
जब वह जेल में थी तब उनकी मुलाकात उमेद सिंह से हुई.
कुछ मुलाकातों के बाद उमेद भी इस दस्यु सुदंरी के प्यार में पड़ गए. बाद में दोनों ने शादी कर के घर बसा लिया था.
जब सुल्ताना की हो गई पुतलीबाई
चंबल के इतिहास में जितना खौफ फूलन देवी का था, उतना ही खौफ दूसरे बाड़े के प्रमुख सुल्ताना डाकू का भी. चंबल से सटे मुरैना के आसपास के गांवों में पुतलीबाई नाम की नतृकी की बहुत चर्चा थी. वह लोगों के यहां शादियों में नाचती-गाती थी. सुल्ताना अक्सर शादी वाले घरों में ही डाका डालता था.
एक बार जब वह डाका डालने मुरैना के एक गांव में पहुंचा तो वहां शादी के जश्न में नाचती हुई पुतलीबाई को देखा. यूं तो डाकू महिलाओं से इज्जत से पेश आते थे पर फिर भी सभी उनसे डरी हुई रहती थीं.
उस दिन केवल पुतलीबाई ही थी जो सुल्ताना से नहीं डरी. पुतली का यह बेखौफ रवैया सुल्ताना को पसंद आ गया. इसके बाद वह पुतली को अक्सर अपने यहां नाचने बुलाता. दोनों की मुलाकातों का सिलसिला जारी रहा और एक दिन प्यार हो गया.
इसके बाद पुतली बीहड़ों में ही बस गई. सुल्ताना की मौत से पहले तक वह उसी के खेमे में रहती. धीरे—धीरे उसने डकैती करना सीखा, बंदूक चलाना सीखा और फिर नृत्की से डकैत बन गई.
उसने अपना दबदबा कायम करने के लिए एक ही रात में 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. सुल्ताना के बाद पुतलीबाई की खूबसूरती ने डाकू कल्ला गुर्जर को अपना दीवाना बनाया था.
हालांकि, उनका रिश्ता शादी में बदलता इसके पहले से पुलिस ने दोनों को मार गिराया.
रे-बैन गॉगल्स की शौकीन सरला
डाकुओं के इतिहास में झांके तो एक नाम है जो कोई नहीं भूल सकता! निर्भय सिंह गुज्जर! वही डाकू जिसने राजस्थान, मप्र, उत्तप्रदेश को अपने खौफ से हलाकान कर रखा था. वह किसी से नहीं डरता था, उसे मौत का डर नहीं था.
निर्भय को अपने जीवन में सिर्फ एक बार प्यार हुआ, उसका प्यार थी सरला जाटव!
सरला का डाकुओं के गिरोह ने 11 साल की उम्र में अपहरण कर लिया था. इसके बाद वह डाकूओं के खेमे में ही रही. 16 साल की उम्र आते तक निर्भय को उसकी खूबसूरती रास आने लगी और उसने सरला को अपना बना लिया.
इसके बाद खेमे में जो ओहदा निर्भय का था वही सम्मान सरला का हुआ.
पुलिस मुठभेड में जब निर्भय की मौत हो गई, तब सरला ने ही गिरोह की कमान संभाली. उसने गिरोह का बचाने के लिए डाकुओं को दो खेमों में बांट दिया. सरला को जीन्स और रे-बैन गॉगल्स का काफी शौक था.
निर्भय जब भी लूट के पैसों से खरीददारी करने जाता सरला के लिए उसकी पसंद की ये दो चीजें जरूर लाता था. एक बार पुलिस के मुखबिर ने सरला को बाजार में पहचान लिया और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया.
अनीसा बेगम से थर्राराती थी पुलिस
बाकी महिला डकैत तो किसी न किसी मजबूरी के कारण बीहड़ों में रहीं. अधिकांश तो अपने प्यार की खातिर डाकू बनी पर अनीसा बेगम की कहानी इससे जुदा है. अनीसा बेगम का जन्म जालौन जिले के रामपुरा गांव में हुआ था.
हालांकि यह कोई नहीं जानता कि वह डाकू कैसे बनी. पर उसे सलीम गुर्जर के गिरोह का सबसे काबिल सदस्य माना जाता था. अनीसा के बारे में केवल किस्से हैं, जो उसकी खूबसूरती से जुडे हैं.
वह जितनी खूबसूरत थी उतनी ही खौफनाक भी. लाठी और तलवारबाजी में माहिर अनीसा हर तरह की बंदूक आसानी से चला लेती थी. जब सलीम और अनीसा के बीच विवाद हुआ तो उसने अपना अलग गिरोह बना लिया.
कहा जाता है कि सलीम का आधे से ज्यादा गिरोह अनीसा के खेमे में चले गए. इसके बाद उसने दर्जनों डकैतियों को अंजाम दिया. एक वक्त था जब उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की पुलिस की नाक में दम कर रखा था.
बीहड़ से बिग बॉस तक पहुंची सीमा
बीहड़ की बात हो और सीमा परिहार का जिक्र न हो, यह नहीं हो सकता. सीमा परिहार को लोग बिग बॉस के बाद से ज्यादा जानने लगे हैं. उन्हें सलमान खान ने अपने टीवी शो का हिस्सा बनाया था.
यह बात और थी कि टीम के सदस्यों की पॉलिटक्स सीमा को रास नहीं आई और वे शो से बाहर हो गईं.
एक वक्त था, जब चंबल सीमा की हंसी और खौफ दोनों से गूंजा करता था. सीमा ने उत्तरप्रदेश के गरीब ठाकुर परिवार में जन्म लिया था. 1983 में महज 13 साल की उम्र में डकैत लाला राम और कुसुमा नाईन ने उसका अपहरण कर लिया.
बाद में सीमा के पास वापिस घर जाने का मौका था, लेकिन उसे डकैतों का साथ रास आ गया.
जो निर्भय गुर्जर सरला जाटव का दीवाना बना था वह पहले सीमा परिहार की खूबसूरती पर फिसल गया था. लालराम ने दोनों की शादी करवा दी, लेकिन निर्भय की सीमा से कुछ खास न बनी और दोनों अलग हो गए.
इस बीच सीमा ने डाकुओं की तरह बंदूक चलाना, डकैती जैसे तमाम गुण सीख लिए. सीमा लाला राम के गिरोह के साथ डकैतियां करती रही. जब 18 मई 2000 में पुलिस ने लालाराम को ढेर कर दिया तब सीमा अकेली रह गई.
बाद में उसने 30 नवंबर, 2000 को आत्मसमर्पण कर दिया. बता दें कि सीमा के जीवन पर भी फिल्म 'वुन्डेड- द बैन्डिट क्वीन' बन चुकी है. इस वक्त सीमा समाजवादी पार्टी का हाथ थामें राजनीति कर रही हैं.
ये वे खूबसूरत 'दस्यु सुंदरियां' हैं, जिनकी खूबसूरती ने बीहड़ों को कई सालों तक आबाद रखा. उन्होंने डाकुओं को से शादियां की. घर बसाए और फिर अपने लिए बंदूक भी थामी. इन सुंदरियों का दबदबा भी उतना ही रहा जितना बीहड़ के डाकुओं का.
सही मायनों में कहा जाए तो केवल वे ही थीं, जिनके आगे अच्छे-अच्छे डाकू भी हथियार डाल देते थे.
Web Title: Bandit Queens of India, Hindi Article
Representative Feature Image Credit: GQ India