लोग अक्सर अपने घर में नवजात या कुछ महीने के बच्चे को दूध बोतल से ही पिलाते हैं. इसमें कोई नई या अनोखी बात नहीं. बच्चे को भूख लगी नहींं कि बोतल में दूध भरकर उसे पिला दिया जाता है.
जैसे ही दूध से बच्चे का पेट भर जाता है, वह चेहरे पर हल्की सी मुस्कान के साथ सो जाता है. जिस भी घर में कोई छोटी उम्र का बच्चा हो, वहां पर यह नजारा बहुत ही आम होता है.
पर क्या आपने कभी सोचा है कि दूध की यह बोतल आपके बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकती है?
कैसे आईए जानते हैं-
बच्चे के लिए जहर है प्लास्टिक की बोतल!
आप सोच रहे होंगे कि आज तक तो हम प्लास्टिक की बोतल का ही प्रयोग करते आए थे. इससे पहले कभी कोई समस्या पैदा नहींं हुई. आज अचानक बच्चों की ये बोतल चर्चा का विषय कैसे बन गयी?
दरअसल, अमेरिका में हुई एक रिसर्च में पाया गया कि यह नुकसानदायक है.
ऐसा इसलिए, क्योंकि ये बोतल 'बिसफेनोल ए' से बनी होती है. इसका प्रयोग इसलिए होता है, ताकि खाने या पीने के सामान में बैक्टीरिया न लगें. इसके उपयोग से उसमें प्लास्टिक में रखा सामान जल्दी खराब नहीं होता.
हालांकि, रिसर्च में ये भी पाया गया कि यह इंसानों के लिए असुरक्षित है! इस रिपोर्ट के आने के बाद, अमेरिका की 6 बड़ी कंपनियां, जो इन बोतलों का निर्माण करती थीं, उन पर गाज गिरी. उन्हें इसका प्रयोग तक बंद करना पड़ा.
ये तथ्य इस बात की ओर संकेत करते हैं कि यह कितना गंभीर मुद्दा है. वैसे भी जहाँ बात बच्चों से जुड़ी हो, तो रिस्क न ही लें तो बेहतर है. आखिर, आज का बच्चा ही कल का भविष्य है. ऐसे में, उसे एक स्वस्थ्य जीवन देना हमारी ही ज़िम्मेदारी है.
किस बला का नाम है 'बिसफेनोल ए'...
अगर हम बेहद सरल शब्दों में, बिसफेनोल ए को समझना चाहें तो, यह एक केमिकल होता है. पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक बनाने में यह केमिकल काम आता है. बहुत लंबे समय से इसका इस्तेमाल प्लास्टिक की बहुत सी चीजों में होता आ रहा है.
यह प्लास्टिक को ठोस करता है और उसमें रखे खाने को बैक्टीरिया से दूर रखता है. यह काफी किफायती भी होता है, इसलिए आमतौर पर घर में इस्तेमाल होने वाली चीजें इससे बनती हैं.
यही कारण होता है कि मार्केट में यह बहुत तेजी से बिक जाता है. खाने-पीने की छोटी से छोटी चीज रखने के लिए आजकल इसके बने कंटेनर का ही उपयोग होता है.
वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए यही सबसे बड़ी चिंता की बात है कि यह आम लोगों की जिंदगी से जुड़ चुका है. वह लोगों को मना तो करते हैं, मगर फिर भी लोग इसे इस्तेमाल करते ही हैं.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन के अनुसार, बिसफेनोल ए का इस्तेमाल न सिर्फ स्वास्थ्य, बल्कि पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचाता है. यह इतना घातक है कि, जहाँ जाता है वहां पर परेशानियां खड़ी कर देता है.
इसलिए इससे दूरी बनाए रखना ही सबसे अच्छा उपाए है.
दूध और प्लास्टिक का साथ अच्छा नहीं है!
अब आप सोच रहे होंगे कि आप तो प्लास्टिक वाली दूध की बोतल को रोज साफ करके ही अपने बच्चे को देते हैं! भला सही से साफ होने के बाद वह कैसे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है?
दरअसल, जब हम बोतल में दूध डालते हैं, तो बिसफेनोल ए उसमें अपना कुछ अंश छोड़ देता है. दूध से मिलने के बाद बोतल से अपने आप ही यह केमिकल निकलने लगता है.
मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब हम बोतल में गरम दूध डालते हैं. गरम दूध का तापमान ज्यादा होता है, जिसकी वजह से यह केमिकल अपने अंश और भी ज्यादा छोड़ता है.
ऐसे में आपका बच्चा अगर पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक में कुछ खाता या पीता है, तो वह आंशिक रूप से इस केमिकल को भी ले रहा है. इसके कारण बच्चे की तबियत खराब हो सकती है. उसका शरीर कमजोर पड़ सकता है.
जानवरों पर हुए टेस्ट से मिले संकेत
बिसफेनोल ए कितना खतरनाक है यह जनाने के लिए कुछ वैज्ञानिकों ने इसे जानवरों पर टेस्ट किया. टेस्ट में पता चला कि इसका सीधा असर उनके हार्मोंस पर पड़ता है.
ठीक इसी तरह इसका असर इंसानों पर भी पड़ता है. हमारे शरीर में मौजूद अंत:स्रावी प्रणाली इस केमिकल से काफी प्रभावित होती हैं. आसान शब्दों में कहें तो, यह प्रणाली हमारे शरीर की उन ग्रंथियों से बनी होती है, जो हार्मोंस छोड़ते हैं.
इन्हीं हार्मोंस से फिर हमारे शरीर की वृद्धि, पाचन क्रिया और यौन विकास होता.
इसलिए प्लास्टिक आने वाले इस केमिकल के कारण न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी नुकसान झेलते हैं. छोटे बच्चों का शरीर बीमारियों से लड़ने में बहुत ज्यादा सक्षम नहीं होता है. इसलिए इसे बच्चों से हमेशा दूर ही रखना चाहिए.
कैसे रहे आपकी नन्हीं सी जान स्वस्थ्य
जिसकी एक दंतहीन मुस्कान पर हम अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हो जाते हैं. उसके स्वास्थ्य से हम बिलकुल भी कोई समझौता नहींं कर सकते.
ऐसे में आप पॉलीकार्बोनेट बोतल की जगह पॉलीएथिलीन या पोलीप्रोपलीन की बोतल का इस्तेमाल कर सकते हैं.
आप ऐसी बोतल बाज़ार से खरीद सकते हैं. इन पर बीपीए फ्री का टैग लगा होता है. हालांकि, कोशिश तो यही करनी चाहिए कि इन प्लास्टिक बोतलों से बचकर रहा जाए. बाज़ार में शीशे और स्टेनलेस स्टील की बोतल भी उपलब्ध हैं.
ऐसे में, इनका प्रयोग प्लास्टिक की बोतलों की अपेक्षा कहीं बेहतर है.
अंत में, आजकल माँ अपने बच्चे को अपना दूध पिलाने से कतराती हैं. जबकि, उनके दूध की आवश्यकता उनके शिशु को सबसे ज्यादा होती है. इसीलिए, कोशिश करें कि कम से कम 6 माह तक आप बच्चे को अपना दूध ही पिलाएं.
तो देखा आपने, किस तरह एक दूध की बोतल आपके बच्चे के लिए ख़तरनाक साबित हो सकती है. ऐसे में, प्लास्टिक का प्रयोग कम ही करें. न सिर्फ बच्चे के मामले में, बल्कि पूरे परिवार को भी प्लास्टिक के प्रयोग से बचना चाहिए.
खासकर, गरम चीजों को तो प्लास्टिक में खाने से ज्यादा बचना चाहिए.
प्लास्टिक को इस्तेमाल नहीं करने से हम अपने आप के साथ-साथ पर्यावरण को भी बचा सकते हैं.
Web Title: Beware of Kids Feeding Bottle Which Contains Harmful Chemicals, Hindi Article
Feature Representative Image Credit: thehonestbodyproject