लड़की की लंबाई 5 फीट से ज्यादा हो, पढ़ी-लिखी और गृह कार्य में दक्षा...रंग गोरा चाहिए! यदि अखबार बड़े गौर से पढते हैं तो बेशक यह लाइन अब तक रट चुकी होगी. अखबार के दो पेज इन्ही लाइनों को समर्पित होते हैं.
शादी के विज्ञापन की ये लाइने लगभग हर लड़के की डिमांड में है. पिता विज्ञापन चाहे लड़की का दे या लड़के का, एक बात जो सबमें कॉमन है वह है 'रंग गोरा'. ब्यूटी क्रीम्स से भरे पड़े बाजारों ने भी समाज को रंग की अहमियत बता दी है.
खासतौर पर लड़कियों का गोरा होना अनिवार्य माना जाता है. बिटिया यदि गोरी है तो पिता का आधा तनाव कम हो जाता है, लेकिन किस्मत से यदि उसक रंग काला निकल गया तो समझिए समाज उसे स्वीकार ही नहीं करेगा.
आज हम जिस लड़की की बात कर रहे हैं वह 'काले' को बुरी नजर का सूचक मानने वाले समाज के मुहं पर कालिख पोतती है. यह लड़की है भारत की पहली 'ब्लैक मॉडल रिनी कुजूर' जिसे अब दुनिया 'इंडियन रेहाना' के नाम से जानती है.
तो आइए जरा नजदीक से रिनी कुजूर को जानने की कोशिश करते हैं—
स्कूली दिनों में खूब उड़ा मजाक
मॉडलिंग की दुनिया का पहला सिद्धांत यही कहता है कि नैन-नक्श चाहे जैसे हो, पर रंग गोरा होना चाहिए, लेकिन जब इंटरनेशनल सुपरस्टार सिंगर रिहाना ने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा, तो इस सिद्धांत की धज्जियां उड गईं.
लोगों को समझ में आया कि खूबसूरती काले रंग में भी होती है, बस एक नजर चाहिए!
जहां दुनिया रेहाना के नाम पर फर्क कर रही थी, वहीं भारत के आदिवासी राज्य छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आने वाले छोटे से आदिवासी गांव बागीचा में रिनी कुजूर नाम का फूल खिल रहा था.
यह बच्ची जो आदिवासी थी, गरीब थी और उसकी सबसे बड़ी गलती कि वह काली थी. रिनी के परिवार में माता-पिता के अलावा दो भाई थे, जिनका रंग औसतन था. पर बेटी का काला होना पिता के लिए भी किसी मुसीबत से कम नहीं रहा.
जब रिनी का दाखिला स्कूल में कराया तो, बच्चे उसका मजाक उड़ाते रहे. जरा सोचिए कि यह वह स्कूल था, जो राज्य के सबसे पिछड़े इलाके में था और वहां भी रंगभेद की जड़े मजबूत थीं. यदि मासूम रिनी शहर के किसी स्कूल में होती तो शायद उसे रंग की वहज से स्कूल की बजाय म्यूजियम दाखिला दे दिया जाता.
जब स्टेज पर आई एक 'काली परी'
बहरहाल कुछ दिन रिनी स्कूल जाने से मना करती रही. पर फिर हिम्मत जुटाकर क्लास में बैठना ही पड़ा. जब वह महज तीन साल की थी, तब स्कूल में ड्रेस कॉम्पटीशन में हिस्सा लिया. रिनी को परिया पसंद थीं, इसलिए वह सफेद पोशाक पहनकर, हाथ में सितारे वाली छड़ी लेकर स्टेज पर उतरी. रिनी का आना था कि बच्चों ने ठहाके लगाना शुरू कर दिया.
दर्शकों के बीच से आवाज आई 'देखो काली परी आई है'!
हंसने वालों में बच्चों के साथ स्कूल के शिक्षक भी शामिल थे. यह नजारा देखकर तीन साल की रिनी का दिल टूट गया. वह रोते हुए स्टेज से नीचे आ गई. इसके बाद वह कभी स्टेज पर नहीं जाना चाहती थी.
इस घटना के अलावा भी कई ऐसे वाक्ये लगभग रोज घटते थे, जब रिनी को अपने रंग के कारण लोगों का मजाक सहन करना पड़ता था. यह मजाक उसके परिवार वाले भी सहते रहे. जब घर पर टीवी आया तो पहली बार रिनी ने ब्यूटी क्रीम्स के विज्ञापन देखे. मां से जिद करके कई तरह की क्रीम मंगवाई पर रंग पर कोई असर न दिखा.
इसी टीवी पर विज्ञापन देखे, मॉडल्स को रैंप वॉक करते देखा. स्टेज पर अवॉर्ड लेती खूबसूरत अभिनेत्रियों को देखा और साथ में यह भी देखा कि सभी का रंग गोरा है. वह भी स्टेज पर जाना चाहती थी, पर रंग को बदलना उसके हाथ में नहीं था.
बहरहाल, रिनी घर पर छिपकर मॉडल्स की तरह चलने की कोशिश करती. फोटोशूट का एक्ट करती और खुश होती रहती.
दम तोड़ रहा था मॉडलिंग का सपना
स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद से ही उसने परिवार को आर्थिक सहारा देने की सोची. पर एक 12वीं पास लड़की को आदिवासी गांव में क्या काम मिलता? कुछ लोग उसे 'कोटे' का सहारा लेकर सरकारी नौकरी करने की सलाह देने लगे. इसी सलाह पर चलते हुए रिनी गांव से शहर तक पहुंच पर वह सरकारी आॅफिस की जगह रास्ते में दिखी फोटोशॉप पर पहुंची.
फोटोग्राफर से अपनी तस्वीर लेने के लिए कहा, तो उसने एक पासपोर्ट फोटो लेकर दे दी. रिनी ने उसे मॉडल टाइप फोटो लेने के लिए कहा तो वह हंस दिया और बोला वह तुम्हारे बस की बात नहीं है. ये लोग बहुत सुंदर हैं!
रिनी की पहली ही कोशिश नाकाम रही. मायूस होकर वह उसी काम की तलाश में चल दी, जिसके लिए वह आई थी. काम मिला भी पर जिस रास्ते से वह गुजरती थी, वहां फोटो शॉप दिखाई देती थी. रिनी का मन काम से ज्यादा फोटो शॉप पर होता.
कुछ समय सेविंग्स करने के बाद उसने एक बार फिर कोशिश की और एक फोटोग्राफर को फोटोशूट के लिए राजी कर लिया. दो दिन के इंतजार के बाद जब रिनी के हाथ में उसकी पहली मॉडल पिक्चर आई तो वह हैरान थी.
क्योंकि वह तस्वीरों में गोरी दिख रही थी!
रिनी को विश्वास नही हुआ कि उसके रंग के साथ इतनी छेड़छाड़ हुई है. उसने फोटोग्राफर से कहा कि वह जैसी है उसे वैसा ही दिखाओ. तो फोटोग्राफर ने कहा कि लोगों को गोरा रंग चाहिए, काला नहीं! तुम पहली हो जिसे काला रंग चाहिए.
रिनी ने और भी फोटोज खिंचवाए और फिर विज्ञापन एजेंसियों, मॉडल एजेंसियों में पोर्टफोलियो भेजना शुरू किए. हालांकि हर जग से ना उम्मीदी ही हाथ ली. टीवी पर आने वाले ज्यादातर विज्ञापन ब्यूटी क्रीम के थे.
ऐसे में रिनी का कहीं भी फिट बैठना संभव नहीं था.
वह हताश हो गई...
...और फिर बनी 'इंडियन रेहाना'
रिनी नौकरी करती रही और मॉडलिंग के सपने को भूलने की कोशिश भी जारी रखी. इसी बीच एक रोज उसकी सहेली ने अपने मोबाइल से रिनी का फोटो खींचा. फोटो में रिनी की नेचुरल खूबसूरती दिख रही थी. सहेली ने उसे कहा कि तुम रेहाना की तरह दिखती हो. अब तक रिनी रेहाना को नहीं जानती थी. उसने तत्काल इंटरनेट पर रेहाना को सर्च किया और वह देखती रह गई.
पहले तो उसे सहेली की बातों पर यकीन नहीं हुआ वा रेहाना की तस्वीरें देखने के बाद खुद के भीतर से हर नकारात्मक भाव को दूर करके एक बार फिर कोशिश करने की ठानी. इस बार वह फोटोग्राफर के पास रेहाना की तस्वीरों के साथ पहुंची.
रेहना की तस्वीरें दिखा कर रिनी ने वैसा फोटोशूट करने के लिए कहा. इस काम में अपनी सारी बचत खत्म कर दी. नया पोर्टफोलिया बनकर तैयार हुआ. अब रिनी ने खुद को 'इंडियन रेहाना' के नाम से परिचित करवाया. विज्ञापन एजेंसियों को यह जुमला पसंद आया. उन्होंने कस्टमर्स को रिनी तस्वीरें 'इंडियन रेहाना' के नाम से दिखाना शुरू किया.
अब भला रेहाना को कोई कैसे बदसूरत कह सकता था, जो तरकीब काम आई और रिनी को उसका पहला विज्ञापन कॉन्टेक्ट मिल गया. धीरे-धीरे रिनी को छोटे मोटे विज्ञापनों से आमदनी होना शुरू हुई. पर यहां भी सफर आसान नहीं रहा.
जब लोगों ने कहा स्टैंण्र्ड बढ़ाओ!
एक इंटरव्यू में अपने अनुभव शेयर करते हुए रिनी ने बताया कि काला रंग होने के कारण सोशल इवेंट के आमंत्रण मुझे नहीं दिए जाते थे. अंग्रेजी में हाथ तंग था इसलिए लोगों से बात करने में परेशानी होती रही. इस पर भी मेरा आदिवासी होना भारी रहा.
एजेंसी वाल जब मुझसे पूछते कि कहां से हो तो मैं छत्तीसगढ कहती. उनका जवाब होता थोडा स्टैंण्र्ड बढ़ाओ और खुद को दिल्ली का बताया करो. इससे साफ है कि फैशन की दुनिया में छोटे शहरों और वहां से आए हुए लोगों की कोई वेल्यू नहीं है.
जब रिनी शूट के लिए गई तो एक बार मेकअप आर्टिस्ट ने उनके मुंह पर ही कह दिया कि गोरी लड़कियों को खूबसूरत तो बहुत बनाया है. पर एक काली लड़की को खूबसूरत बनाने का काम पहली बार किया है!
वह अपने हुनर की तारीफ कर रहा था या मुझे जलील, आज तक यह समझ नहीं आया.
हालांकि, अब रिनी न केवल भारत की बल्कि इंटरनेशन विज्ञापन जगत की सुपरमॉडल बन चुकी है. वे ज्वैलरी और ट्रेडिशनल ड्रेस के विज्ञापन करती हैं. रैंप पर कैटवॉक करती हैं. इस ख्याति ने लोगों की नजर में रिनी को खूबसूरत और सेक्सी बना दिया है.
जो काला रंग कल तक उनकी बेइज्जती का कारण बना था, वही आज उनकी सक्सेस का मंत्र है.
रिनी अपनी सफलता का सारा श्रेय रेहाना को देती है. वह रेहाना से मिली नहीं है पर कहती है कि यदि दुनिया के किसी कोने में रेहाना नहीं होती तो शायद मैं खुद को पहचान नहीं दिला पाती. रिनी कहती हैं कि यह दुनिया रंगों में बंटी है. मैं सक्सेस पा चुकी हूं इसलिए अब मेरा रंग लोगों के लिए मायने नहीं रखता पर हमारे समाज में कई लड़कियां अब भी रंग की जंग लड़ रही हैं.
Web Title: Black Beauty Rini Kujur's Success Story, Hindi Article
Feature Images Credit: Nari