इतिहास एक ऐसी अमूल्य अमानत है, जिसका कोई मोल नही लगा सकता. इतिहास ही है, जिसकी वजह से हमारे आज का वजूद है.
हां, वह बात और है कि यह अपने आगोश में कई अच्छे और बुरे पहलुओं को समेटे हुए है. इसी कड़ी में 21 मार्च का दिन भी अपने अंदर कई सारी घटनाओं को समेट हुए है.
उन्हीं में से कुछ को आज जानने की कोशिश करते हैं-
‘इरफुर्ट शहर’ यहूदियों का कत्लेआम
हिंसा का दंश केवल भारत, अमेरिका या ब्रिटेन ने नहीं झेला, बल्कि सारी दुनिया ने कभी न कभी इस का दर्द भोगा है. कुछ ऐसा ही दर्द साल 1349 में जर्मनी के ‘इरफुर्ट शहर’ में रहने वाले यहूदियों को भी भोगना पड़ा था.
दरअसल 11वीं सदी के दौरान यहूदियों ने यूरोप में शरण लेनी शुरु कर दी. धीरे-धीरे इनका विस्तार बढ़ता गया और समाजिक कार्यों में भी इनकी भागीदारी होने लगी.
13वीं सदी के आते तक यह लोग समाज के वाणिज्यिक कार्यभार को संभालने लग गए. मगर साल 1348 में अचानक जर्मनी में प्लेग की बीमारी फैलनी शुरु होगी.
इस बीमारी से कई लोगों की जान गई. लोगों ने इस बीमीरी का कारण बाहर से आए यहूदियों को माना और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
यही नहीं विरोध आगे इतना बढ़ गया कि 21 मार्च 1349 को यहूदियों का कत्लेआम शुरु कर दिया गया. हालांकि, समाज में स्थिरता लाने के लिए धार्मिक गुरुओं द्वारा लोगों को समझाया गया. बावजूद इसके सैंकड़ों यहूदियों को लूट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया.
इस घटना से जुड़े कुछ सबूत बयान करने है कि सैंकड़ों यहूदियों ने खुद के घरों को आग लगाकर उसी में आत्मदाह कर लिया था. असल में वह दंगाइयो के हाथों मरना नही चाहते थे.
When Jewish people set on fire themselves (representative pic: ThoughtCo)
‘न्यू ऑरलियन्स शहर’ में आगजनी
दिन था 21 मार्च और साल 1788 का, जब स्पेन के शहर ल्यूसियाना के न्यू ओरलियंस सिटी तेज रोशनी से जगमगा रही थी. हालांकि, इस चमक के पीछे की वजह किसी खुशी ने नही जुड़ी थी. वजह तो 212 इमारतों की बर्बादी से वास्ता रखती थी, जो धूं-धूं कर जल रही थी.
इस भयंकर आग की चपेट से कोई नही बचा, न कोई घर, न दफ्तर, न चर्च और न ही अस्पताल. यहां तक की सेना की इमारते भी जल कर खाक हो गई थी.
दरअसल, गुड फ्राइडे के दिन रात 1.30 बजे चार्टस स्ट्रीट में रहने वाले सेना के खजानची विनसेंट जॉस के घर अचानक से आग लग गई. इस दौरान इलाके की चर्च के पादरी को कहा गया कि वह चर्च के घंटे को बजाकर लोगों को इस आग के बारे में अगाह कर दें.
मगर गुड फ्राइडे के कारण पादरी ने इससे इंकार कर दिया. नतीजतन आग बढ़ती बढ़ती इतनी ज्यादा बढ़ गई. उसने क्षेत्र की लगभग सभी बड़ी इमारतों को जला कर राख कर दिया.
इसमें चर्च, नगर निगम कार्यालय, सेना कक्ष, हथियार कोक्ष और जेल तक जल गए.
इस आगजनी में बहुत से लोग अपने घरों से बेघर हो गए, जिनके लिए बाद में तंबू लगाकर राहतकोक्ष तैयार किए गए. धीरे-धीरे सरकार द्वारा एक बार फिर से लोगों के बसेरे बसाए गए और इमारतों में लकड़ी के स्थान पर सीमेंट इत्यादि को अधिक इस्तेमाल किया गया.
New Orleans Fire (representative pic: CNN.com)
फुटबाल लेजेंड रोनॉल्डिनो का जन्मदिन
दुनिया में जो भी फुटबाल देखना पसंद करता है, उनमें से शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जो इस लेजेंडरी प्लेयर रोनॉल्डिनो को न जानता हो.
रोनॉल्डिनो का जन्म 21 मार्च 1980 ब्राजील के पोर्ट अलेगरे में हुआ था.
रोनॉल्डिनो के फुटबाल स्टार बनने के सफर की शुरुआत अलेगरे की एक स्थानीय टीम ग्रेमिओ से हुई थी. एक ही गेम में 23 गोल मार कर रोनॉल्डिनो ने यह साबित किया कि वह इन छोटी टीमों में खेलने के लिए नही बने है.
आगे वह ब्राजील टीम में शामिल हो गए. इसके अलावा वह स्पैनिश फुटबाल क्लब बार्सालोना के लिए भी खेलते थे, जहां रहते हुए उन्होंने 2004 से 2006 तक ला लिगा टाइटल जिताया.
साथ ही वह 2004 और 2005 फुटबाल वर्ल्ड कप में बेस्ट प्लेयर भी रहे थे.
फुटबाल की दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल करने वाले रोनॉल्डिनो ने इसी वर्ष 2018 की 16 जनवरी को अंर्तराष्ट्रीय फुटबाल से संयास ले लिया था.
Today’s champion footballer Ronaldinho’s Birthday (representative pic: The18)
नेपोलियन कोड का निर्माण
16वीं शताब्दी में रोम समाज में फैली अस्थिरता से जूझ रहा था. अस्थिरता थी नियमों की, क्योंकि रोम अधिकतर हिस्सों में लोगों के लिए चर्च ही सर्वप्रिय बना हुआ था. लोग अपनी शादियों से लेकर जीवन यापन तक के फैसले चर्च के अनुसार ही लेते थे.
मगर इसी वर्ष समाज को सही राह पर लाने के लिए एक पार्लियामेंट का गठन किया गया.
इसी बीच 17वीं सदी में फ्रैंच क्रांति छिड़ गई, जिसने समाज के संचालन बुरी तरह से आहत किया. ऐसे में एक स्थिर और ठोस संविधान की आवश्यकता थी, जो लोगों के जीवन स्तर को भी ऊंचा उठा सके. इसके बाद राजनीतिक व समाजिक विशेषज्ञों द्वारा नेपोलियन कोड का निर्माण किया गया. यह रोम हिस्ट्री का पहला ऐसा लॉ था, जिसे एक गहन विचार के बाद बनाया गया था.
इसकी ड्राफटिंग करीब 6 महीनों का समय लगा और इसके लिए एक विशेष कमिशन का गठन किया गया था, जिसका नाम जिअल जैक्यूस रेजिस दे कैमबेसेरस डयूक दे पैरमे था. ॉ
इसमें करीब 719 आर्टिकल्स को शामिल किया गया. आखिरकार 21 मार्च 1804 को इसे लागू कर दिया गया. हालांकि, शुरुआत में इसका नाम कोड सिविल देस फ्रैंसेस था.
मगर 1807 में इसका नाम बदल कर कोड नेपोलियन रख दिया गया.
Neapolionic Code (representative pic: Pinterest)
‘शारपविल्ले नरसंहार’ की कड़वी याद
इस घटना को रंगभेद की सबसे बड़ी और दुखद घटना के तौर पर जाना जाता है.
21 मार्च 1960 को साउथ अफ्रिका में कानून को भंग करने की मांग को लेकर, ढेरों लोग शापरविल्ले पुलिस स्टेशन के पास एकत्रित हुए. पुलिस रिर्पोट के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी करनी शुरु कर दी थी, जिसके चलते मजबूरन उन्हें लोगों पर गोली चलानी पड़ी. इस हिंसा में 69 लोगों की जान गई, जबकि 180 लोग घायल हो गए.
वहीं पुलिस ने करीब 11000 लोगों को गिरफ्तार किया और पी.ए.सी और ए.एन.सी सरकार विरोधी संस्थाएं घोषित कर दिया गया. बाद में उस समय के राष्ट्रपति नेलस्न मंडेला ने धीरे-धीरे हालातों को सुधारा और साउथ अफ्रीका में रंगभेद की कुरीति को खत्म किया.
Sharpeville Massacre (Representative pic: reddit)
तो यह थीं 21 मार्च से जुड़ी दुनियाभर की प्रमुख घटनाएं.
आपको इनमें से कौन सी घटना सबसे ज्यादा रोचक लगी, कृपया कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.
Web Title: Day in History March 21, Hindi Article
Featured Image Credit: Wikipedia