तारीखें खास होती हैं, क्योंकि वो सदियों तक उन घटनाओं की यादों को खुद में संजोए हुए होती हैं, जो आगे चलकर इतिहास बन जाती हैं.
जब कभी इन इतिहास के पन्नों को पलटा जाता है, तो ये तारीखें उसी घटना को एक बार फिर जीवंत कर देती हैं. तारीखों की इसी कड़ी में इस बार हम आपके लिए कुछ खास लाए हैं.
आज तारीख है 26 मार्च!
यह तारीख कई ऐतिहासिक घटनाओं की याद दिलाती है. यह गवाह है भारत-पाक सीमा पर हुए सैनिकों की शहादत की, यह गवाह है इजराइल और मिस्र के शांति समझौते की.
आइए एक ही तारीख में इतिहास बदल देने वाली घटनाओं से रूबरू होते हैं.
पाकिस्तान से आजाद हुआ था बांग्लादेश!
भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश आज अपना 48वांं स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. यह दिन देखने के लिए बांग्लादेश के साथ-साथ भारत को भी काफी संघर्ष करना पड़ा था.
1947 में जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब नक्शे पर बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था और इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था.
हालांकि, वहां के नागरिक कभी भी खुद को पूरी तरह से पाकिस्तानी नहीं मान पाए. जब उर्दू को राजभाषा घोषित कर दिया गया तो पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले बांगलाभाषियों का असंतोष और बढ़ गया.
25 मार्च को रात 12 बजे राष्ट्रपिता माने जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का आह्वान किया और देश को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया.
इस संघर्ष में बहुत खूनखराबा हुआ और लाखों लोगों ने भागकर भारत में शरण ली. यहां तक कि भारत को भी पाकिस्तान के खिलाफ हथियार उठाने पड़े थे. अगले नौ महीने तक चली आजादी की यह लड़ाई पाकिस्तानी सेना के खिलाफ एक गृहयुद्ध बन गई.
आखिरकार भारत की सेना के आगे पाकिस्तान के हौंसले टूट गए और बांग्लादेश आजाद हो गया. बांग्लादेश हर साल 26 मार्च को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है.
Bangladesh Independence Day (PIc: ntvbd)
इजराइल और मिस्र का शांति समझौता
सालों से इजराइल और मिस्र के बीच धर्म युद्ध चला आ रहा था. आए दिन दोनों ही देशों में विद्रोही खूनखूराबा मचा रहे थे. इस समस्या का हल निकालने के लिए अमेरिका ने पहल की.
26 मार्च 1978 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर की मौजूदगी में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल सादत और इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन शांति के लिए राजी हुए.
हालांकि, इस समझौते के लिए दोनों ही देशों को तैयार करना बहुत मुश्किल था. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के प्रमुखों को अमेरिका के कैंप डेविड में बुलाया, जहां दो हफ्ते तक लगातार बातचीत का सिलसिला जारी रहा.
समझौते की शर्त के अनुसार इजरायल ने 1967 में कब्जा किए गए क्षेत्र सिनाई को खाली किया और मिस्र ने इजराइल को राष्ट्र के तौर पार मान्यता दी. इस समझौते में फिलिस्तीन के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया गया.
वहीं अरब लीग के देशों ने इस समझौते की निंदा की और मिस्र को लीग से अपनी सदस्यता समाप्त करनी पड़ी. समझौते का सुखद परिणाम यह रहा कि बेगिन और सादत संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार से नवाजे गए.
Day in History March 26 (Pic: historysstory)
लंदन स्टॉक एक्सचेंज में महिलाओं की भर्ती
यूं तो पश्चिमी देशों में महिलाओं का काम करना अच्छा माना जाता है, पर एक दौर ऐसा भी था, जब उन्हें बड़ी और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों से अलग ही रखा गया था.
हालांकि, इतिहास के पन्नों में 26 मार्च 1973 की तारीख अंकित है. इस दिन लंदन स्टॉक एक्सचेंज में महिलाओं की भर्ती के साथ आधुनिकीकरण की शुरुआत हुई.
200 वर्ष पुराने इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब महिलाओं को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसी वर्ष हुए चुनावों के बाद 10 निर्वाचित महिलाओं ने आज ही के दिन से लंदन स्टॉक एक्सचेंज में अपना कार्यभार संभाला था.
आर्थिक जगत में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए चले, एक लंबे संघर्ष के बाद इस फैसले की घोषणा 1973 के फरवरी महीने में की गई थी. इसके बाद सभी प्रक्रियाओं को पूरा कर 26 मार्च को महिला कर्मचारियों ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज के आॅफिस में कदम रखा.
First Women Members Of The London Stock Exchange In 1973 (Pic: telegraph)
शिक्षाविद ‘सर सैयद अहमद खां’ का निधन
बहुत सारे अच्छे कामों के लिए याद किया जाने वाली 26 मार्च की तारीख एक दुखद समाचार के लिए भी जानी जाती है. इस दिन मुस्लिम शिक्षाविद सर सैयद अहमद खां का निधन हुआ था.
सर सैयद अहमद खां पहले मुग़ल दरबार में नौकरी करते थे. बाद में मुग़ल दरबार छोड़कर वह अंग्रेजों की नौकरी करने लगे. विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए वे सन 1876 में बनारस के स्माल काजकोर्ट के जज के पद से सेवानिवृत हुए.
अंग्रेजों ने इनकी सेवा व निष्ठा को देखते हुए इन्हें ‘सर’ की उपाधि से विभूषित किया था.
वे इस्लाम धर्मानुयायी में ‘बौद्धिक चेतना’ प्रदान कर नई दिशा देना चाहते थे. इसके लिए इन्होंने ‘तहजीबुल अखलाक’ नामक पत्रिका निकाली. उनका कहना था कि धर्मशास्त्रीय ज्ञान के साथ–साथ आधुनिक विषयों और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना भी आवश्यक है.
यही कारण था कि उन्होंने उस समय प्रचलित पारंपरिक शिक्षानीति का विरोध किया.
शिक्षा के विकास के लिए सर सैयद अहमद खां ने अनेक संस्थान खोले. इनमें मुरादाबाद का एक फ़ारसी मदरसा, साइंटिफिक सोसाइटी अलीगढ़ आदि प्रमुख हैं.
मुस्लिम समाज में आधुनिक शिक्षा को लोकप्रिय बनाने के लिए उन्होंने ‘मोहम्मडन एजुकेशन कांफ्रेंस’ की भी स्थापना की. इसे आज हम ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ के नाम से जानते हैं.
वर्ष 1898, 25—26 मार्च की दरमियानी रात में सर सयैद का इंतकाल हो गया.
Syed Ahmad Khan (Pic: nation)
इंग्लैंड ने जमाया बंबई पर अपना अधिकार!
यूं तो मुंबई में हर दिन खास होता है और इसका इतिहास भी दिलचस्प है पर 26 मार्च का दिन मुंबई के लिए इसलिए भी महत्व रखता है, क्योंकि आज ही के दिन अंग्रेजों ने पूर्णत: इसे अपने अधीन कर लिया था. यह वाक्या तब का है, जब मुंबई, बंबई हुआ करती थी.
दरअसल स्कॉटलैंड, आयरलैंड और इंग्लैंड के तत्कालीन राजा चार्ल्स द्वितीय ने दहेज में मिले गुजरात के द्वीप समूह को 1668 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र दस पाउंड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिया था.
1687 तक कंपनी ने अपने मुख्यालय सूरत में बना रखे थे, लेकिन धीरे—धीरे उनका ध्यान गुजरात से होते हुए बंबई तक जा पहुंचा. बंबई के समुद्री तट से सामान की आवाजाही और व्यापार आसान था, इसलिए कंपनी ने अपने मुख्यालय बंबई में स्थानांतरित कर लिए.
आखिर में 26 मार्च 1687 को बंबई नगर बंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया.
2 दिसंबर, 1911 को भारत में सम्राट जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी के आगमन के लिए बंबई में ही गेटवे आॅफ इंडिया का निर्माण किया गया. इसके बाद से बंबई अंग्रेजों के लिए व्यापार का बड़ा और सुविधाजन क्षेत्र बन गई.
Mumbai (Pic: getyourguide)
तो थी 26 मार्च की ऐतिहासिक घटनाएं. इनमें से कुछ घटनाएं तो अच्छी हैं, मगर कुछ ने पुराने दर्द भरे दिन याद दिला दिए.
खैर, अगर आज की तरीक से जुड़ा कोई किस्सा आपको पता है तो हमें जरूर बताएं.
Web Title: Day in History March 26, Hindi Article
Featured Image Credit: bdnews24