हर रोज़ दुनिया की ऐतिहासिक घटनाएं कैलेंडर पर छपी तारीखों में कैद हो जाती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को इतिहास से रूबरू कराती हैं. कैलेंडर की प्रत्येक तारीख के पीछे एक इतिहास छिपा है और उस इतिहास के पीछे एक कहानी है!
ऐसी हज़ारों कहानियां इतिहास की किताबों में दर्ज हैं, जो हमें दुनिया के मशहूर किस्सों के बारे में बताती हैं. ऐसे में इन किस्सों को हर कोई जानना चाहता है!
यही कारण है कि आज हम आपके लिए कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर आए हैं, जिन्होंने 23 मई के दिन को प्रसिद्ध कर दिया.
वह घटनाएं कौन सी थी, आईए जानते हैं–
इटली ने ऑस्ट्रिया और हंगरी देश पर युद्ध का खोला मोर्चा
प्रथम विश्व युद्ध के समय इटली ने आस्ट्रिया और हंगरी देश के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी थी. इस घोषणा के साथ इटली सीधे तौर पर इन दोनों देश के खिलाफ मैदाने जंग में कूद गया था. साल 1914 की गर्मियों में जब पहला विश्वयुद्ध हुआ था, तब ऑस्ट्रिया और हंगरी देश ने हिटलर का साथ देते हुए कई देशों पर हमले करने में अहम योगदान निभाया था.
क्रूर तानाशाह हिटलर ने इन दोनों देशों का प्रयोग करते हुए ब्रिटेन, फ्रांस और रूस पर भी हमले करवा दिए थे. जिसके बाद 23 मई साल 1915 में इटली ने ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के पाले में रहते हुए ऑस्ट्रिया और हंगरी देश पर हमले का ऐलान कर दिया था.
प्रथम विश्व युद्ध की जंग जोरो पर थी. दुनिया के अधिकांश देश प्रथम विश्व युद्ध में अपनी ताकत आज़माने के लिए कूद गए थे. कई देश अपने सैनिकों को जर्मन सैनिकों से लड़ने के लिए भेज रहे थे. साल 19 के दशक में हर तरफ बस गोलियों की आवाज़ और खून की नदियां बहती हुई दिखाई दे रही थीं.
इस युद्ध में कोई भी देश हार मानने और झुकने को तैयार नहीं हो रहा था. इस वजह के चलते प्रथम विश्व युद्ध और ख़तरनाक हो गया था. कोई नहीं जानता था कि यह भीषण युद्ध कब खत्म होगा. जिसके बाद इटली ने अपनी ताक़त को भांपते हुए ऑस्ट्रिया और हंगरी देश पर युद्ध का मोर्चा खोलने का मन बनाते हुए जंग का ऐलान कर दिया था.
इटली की ओर से शुरु किया गया यह युद्ध तीन साल तक चला था. इसोंजो नदी के पास यह लड़ाई लड़ी गई थी. जिसमें तीनों देशों का भारी नुकसान हुआ था, हालांकि ऑस्ट्रिया और हंगरी को कमज़ोर पड़ता देख जर्मन भी इन दोनों देशों की मदद के लिए कूद गया था. हालांकि, बाद में इस युद्ध में सफलता इटली के हाथ लगी थी.
Italy Declares war on Austria and Hungary (Representative Pic: ilsole)
भारतीय महिला ने एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा!
23 मई का दिन भारत देश के लिए गर्व का दिन है. क्योंकि आज के दिन किसी महिला ने दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी माने जाने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया था. यह महिला कोई और नहीं भारत की बछेंद्री पाल थीं.
बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई साल 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुआ था. एक सामान्य परिवार में जन्मी बछेंद्री पाल कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद शिक्षिका के तौर पर अपना करियर शुरु करना चाहती थीं, जिसके लिए उन्होंने बीएड का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था.
उत्तरकाशी की पहाड़ियों के बीच पली बढ़ी बछेंद्री पाल को अपने चारों तरफ दिखने वालीं पहाड़ियों पर चढ़ाई करने का मन बनाया. इसके लिए उन्होंने शिक्षिका बनने का ख्वाब छोड़कर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का मन बनाया और तैयारी शुरु कर दी.
हालांकि, यह इतना आसान नहीं था, क्योंकि वह बहुत साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थीं. यही कारण था कि जब उन्होंने अपना फैसला परिवार वालों को सुनाया तो सब लोगों ने उनका विरोध किया, लेकिन बछेंद्री पाल तो जैसे पर्वतरोही बनने का ख्वाब देख चुकी थीं.
साल 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ था. बता दें दुनिया में अब तक सिर्फ 4 महिलाएं ही माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई में कामयाब हो सकी थीं.
सौभाग्य से एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाली महिलाओं 7 महिलाओं की टीम में बछेंद्री पाल का नंबर भी आ गया. इस टीम में 11 पुरुषों को भी शामिल किया गया था.
आखिरकार वह दिन आया, जब इतिहास रचा गया. इस टीम ने 23 मई, साल 1984 के दिन ठीक 1 बजकर 7 मिनट पर 29,028 फुट की ऊंचाई पर जिसका नाम सागरमाथा एवरेस्ट है. वहां पर भारत का झंडा लहरा दिया था. यह भी महज़ एक संयोग था कि इस इतिहास को रचने के अगले दिन बछेंद्री पाल का जन्मदिन था.
Bachendri Pal, First Indian Woman to Climb the Everest (Pic: ytimg)
भारत ने पृथ्वी-2 मिसाइल का किया सफल परीक्षण!
दुनिया में रुस, अमेरिका चीन जैसे बड़े देश अपनी घातक मिसाइलों के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं. इन देशों के पास मिसाइलों का ज़खीरा जमा हो गया है. भारत के पास भी एक दो नहीं, बल्कि ढ़ेरों ऐसी मिसाइलें हैं, जिनके नाम से अन्य देश थर्रा जाते हैं.
हमारा देश भारत भी मिसाइलों के इस दौड़ में इन देशों से पीछे नहीं है. अंग्रेज़ो से आज़ादी के बाद भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में अपने परचम लहराया है. सबसे पहले भारत ने स्माइलिंग बुद्धा का सफल परीक्षण कर विज्ञान के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया था.
स्माइलिंग बुद्धा परमाणु परीक्षण कर भारत परमाणु संपन्न देश बन गया था.
23 मई साल 2008 भारत के लिए काफी गर्व का दिन था. इस दिन भारत ने पृथ्वी-2 मिसाइल का सफलतापूवर्क परीक्षण ओड़िसा के चांदीपुर में किया था. इसकी मारक क्षमता 350 किलो मीटर है. यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है.
जानकर हैरानी होगी कि यह मिसाइल किसी भी एंटी बैलस्टिक मिसाइल को झांसा देकर चयनित की गई जगह पर निशाना साध सकती है.
Prithvi Missile-II Was Launched (Pic: samachar)
जर्मनी के संघीय गणराज्य की हुई स्थापना!
हिटलर ने अपनी तानाशाही के दौरान लोगों को मारने के लिए वह सब किया, जो शायद एक इंसानी दिमाग सोच भी न सके. अपनी 56 साल की ज़िंदगी में हिटलर ने क्रूरता की एक नई इबारत लिख दी थी. यूं तो हिटलर को जर्मनी का सबसे बड़ा तानाशाह माना जाता है, लेकिन असल में उसका जन्म हंगरी के एक छोटे शहर में 20 अप्रैल 1889 को हुआ था.
पारिवारिक कारणों के चलते हिटलर के परिवार को अपने घर से कूच करना पड़ा. वह हिटलर को लेकर जर्मनी आ गये. अपने सहयोगियों की मदद से हिटलर पूरे जर्मनी में अपनी बादशाहत जमाने में सफल हो गया था.
चाहकर भी कोई उसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं था. हिटलर को कोई भी धर्म पसंद नहीं था. यही कारण है कि हिटलर सिर्फ नाज़ी फौज का ही पैरोकार था. हालांकि, साल 1945 में मित्र देशों की सेनाओं के सामने जर्मनी सेना ने घुटने टेक दिए थे.
जर्मनी का सबसे बड़ा तानाशाह कायरों की तरह खुद को तहख़ाने में छुपा कर बैठा था. अंत में हिटलर को अपने बचाव का कोई रास्ता नज़र नहीं आया, तो उसने ज़हरीला पदार्थ खाकर सिर में गोली मारकर अपनी जान दे दी.
हिटलर की मौत के चार साल बाद 23 मई साल 1949 में जर्मनी के संघीय गणराज्य की स्थापना की गई. इसके तहत जर्मन को अधिकारिक तौर पर एक देश का दर्जा मिला था.
German Parliament Berlin (Pic: atlantics)
तो ये थे 23 मई से जुड़े कुछ अहम ऐतिहासिक किस्से!
अगर आपको भी इस तारीख से संबंधित कोई विशेष घटना याद है, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और अपनी जानकारी को पढ़ने वाले दूसरे लोगों तक पहुंचाए.
Web Title: Day In History 23 May, Hindi Article
Feature Image Credit: Adventure