अचानक से उत्तर भारत का मौसम बदल गया है.
मई के शुरूआती दस दिनों में एक के बाद एक आए कई तूफानों ने पेड़ों को उखाड़ दिया, लोग तूफान की चपेट में आने से घायल हो गए, इमारतें जर्जर हो गईं और सैकड़ों लोगों की इसमें मौत हो गई.
तूफान की ताकत इससे मापी जा सकती है कि सदियों से खड़ी ऐतिहासिक इमारतों को भी इसने नुक्सान पहुंचाया है.
हवा की रफ्तार लगभग 120 किमी प्रति घंटा थी. जिसने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल और फतेहपुर सीकरी को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.
आंधी-तूफान के साथ आई बारिश और ओलों ने किसानों की लगभग 80 प्रतिशत फसल को नुक्सान पहुंचाया.
लोग कुदरत के इस रौद्र रूप को देखकर हैरान जरूर हुए होंगे. संभवत: ये तूफान भयंकर तबाही लाने वाला माना गया. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इससे पहले भी दुनिया ने भयंकर तूफानों, आंधी, बरसात का कहर देखा है.
ऐसे में आज हम इस लेख में कुछ ऐसे ही भयंकर तूफानों की बात करेंगे, जो लोगों पर कहर बनकर बरपे –
बांग्लादेश में ‘भोला’ ने मचाई तबाही
11 नवंबर सन 1970 को बंगाल की खाड़ी स्थित बांग्लादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान) में भयंकर चक्रवाती तूफान ‘भोला’ ने तबाही मचाई थी. इस तूफान में लगभग 5 लाख लोगों की मौत हुई थी. इसे इतिहास का सबसे भयानक तूफान कहा जाता है.
मछली पकड़ने दरिया में गए लगभग एक लाख मछुआरे इस तूफान के कारण समुद्र में समां गए थे. हवा की रफ्तार लगभग 185 किमी प्रति घंटा थी.
तब यहां पाकिस्तान का कब्जा था और इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. माना जाता है कि तूफान के बाद मची तबाही से निपटने के लिए पाकिस्तान के जनरल याह्या खान ने राहत कार्य देरी से शुरू किए. इस कारण लोगों में विद्रोह की भावना बढ़ी, और उसके बाद मची क्रांति ने एक नए राष्ट्र बांग्लादेश को जन्म दिया.
Bhola Cyclone Killed 300,000. (Representative Pic: The Weather Channel)
इंग्लैंड में दिखाया ‘रौद्र रूप’
एक ऐसे ही तूफान ने 7 दिसंबर 1703 की रात को इंग्लैंड में तबाही मचाई थी, जिसे इंग्लैंड का सबसे भयानक तूफान कहा गया था.
लोग नींद में थे, लेकिन जैसे ही वे उठे उनके सामने तबाही का भयानक सपना सच बनकर खड़ा था.
कुछ दिनों से ही इंग्लैंड में तेज हवाएं चल रही थीं, और आखिरकार इसने तूफान का रूप ले लिया.
ये तूफान यूके के वेल्श से होता इंग्लैंड की ओर बढ़ा और देखते ही देखते इसने तबाही का आलम पैदा कर दिया. इस बवंडर ने दक्षिणी इंग्लैंड को बर्बाद करने के बाद, नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क जैसे शहरों को भी अपनी चपेट में ले लिया.
तूफान से लंदन में भयानक तबाही मची, इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई और मीनारें जमीन पर आ गिरीं. समुद्र में खड़ी नाव और बड़े जहाज तेज हवा के मारे औंदे हो गए, जिसमें लगभग 8 हजार लोगों की मौत हो गई.
The Great Storm of England 1703. (Representative Pic: BBC)
म्यांमार में बरपा ‘नरगिस’ का कहर
2 और 3 मई 2008 को नरगिस नाम का समुद्री जलजला म्यांमार के लोगों पर कहर बनकर टूटा. इस चक्रवाती तूफान में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार तूफान के कारण लगभग 24 लाख लोग प्रभावित हुए थे और 19 हजार लोग इसमें घायल हुए थे. हवा की रफ्तार लगभग 165 से 2015 किमी. प्रतिघंटा थी.
एक अनुमान के मुताबिक इस तूफान के कारण लगभग 10 बिलियन यूएस डॉलर का नुक्सान हुआ था
हालांकि कई देशों ने तूफान पीड़ितों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए लेकिन म्यांमार सरकार ने सभी की मदद को ठुकरा दिया. हालांकि एक करार के बाद म्यांमार की सेना ने आसियान देशों से सहायता लेने पर अपनी सहमति दे दी.
इस तबाही के बाद लगभग 47 देशों ने किसी न किसी रूप से पीड़ितों को मदद पहुंचाई, जिसमें सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया ने मदद की थी.
Tropical Cyclone Nargis in Myanmar. (Representative Pic: reliefweb)
‘कोरिंगा’ ने लील लीं 3 लाख जिंदगी
25 नवंबर 1839 ई. को बंगाल की खाड़ी से उठे एक च्रकवाती तूफान ने भारत के पश्चिमी घाट पर तबाही मचाई थी. चूंकि ये तूफान आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के कोरिंगा से टकराया था, इसलिए इसका नाम ‘कोरिंगा’ रख दिया गया.
इस तूफान ने लगभग पूरे कोरिंगा को तबाह कर दिया, लगभग 3 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई. इस चक्रवाती तूफान के दौरान 40 फीट या 12 मीटर ऊंची लहरें उठी थीं, जिसके कारण समुद्र में खड़े लगभग 20 हजार जहाज तबाह हो गए.
इससे 50 साल पहले भी 1789 ई. में कोरिंगा से समुद्री तूफान टकराया था, जिसमें लगभग 20 हजार लोगों की मौत हो गई थी.
India Storm. (Representative Pic: Fiinovation)
वियतनाम में ‘हैफोंग’ की तबाही
8 अक्टूबर, 1881 को वियतनाम में आया हैफोंग चक्रवात इतिहास का सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है.
ये तूफान टोंकिन की खाड़ी से उठा और पूर्वोत्तर वियतनाम के हैफोंग शहर और उसके आसपास के समुद्री किनारों को भयानक लहरों ने तबाह कर दिया. इस तूफान ने लगभग 3 लाख लोगों की जिंदगी को खत्म कर दिया था.
चीन में ‘नीना’ का कहर
30 जुलाई 1975 को नीना टाइफून ने चीन में रिकॉर्ड स्तर पर बर्बादी की. ये चौथा सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. टाइफून नीना 29 जुलाई, 1975 को दक्षिणी प्रशांत महासागर से उठा था, बहुत जल्दी, यह तय हो गया कि ये एक भयानक तूफान है. तीव्र गति से बढ़्ते हुए ये जल्द ही ताइवान द्वीप से टकरा गया, तब हवा की गति लगभग 222 किमी/घंटा से ज्यादा थी.
इसके बाद ये तूफान चीन की ओर मुड़ गया, हालांकि इसकी हवा की गति पहले से कुछ कम हो गई थी. जब ये तूफान चीन से टकराया तब लगभग 110 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं, लेकिन इस तूफान के साथ आई मूसलाधार बारिश ने चीन के बहुत अंदर तक तबाही मचा दी.
यही समय था जब चीन में बनकीओ बांध का निर्माण चल रहा था, लेकिन 5 अगस्त, 1975 को टाइफून नीना की भारी बारिश ने बनकीओ की हद से ज्यादा पानी बरसा दिया. इससे बांध इस पानी के प्रवाह को संभालने में नाकाम हो गया और टूट गया. इस बाढ़ में बहने वाला ये एक मात्र बांध नहीं था, इसके अलावा भी लगभग 60 बांध थे जो इस धारा प्रवाह में बह गए.
Typhoon Nina. (Pic: Citizens Disaster Response Center)
ये प्रकृति के कहर की केवल कुछ घटनाएं हैं, इसके अलावा भी ये धरती चक्रवात, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप झेलती रही है. संयुक्त राष्ट्र की 2015 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 सालों में इस धरती को लगभग साढ़े छह हजार प्राकृतिक आपदाओं को झेलना पड़ा है.
समुद्र से उठे तूफान किनारों को तबाह कर देते हैं, हालांकि जमीन पर उनका ज्यादा प्रभाव नहीं रहता, लेकिन जो तूफान जमीन से उठते हैं, वह भी समुद्री तूफान के बराबर तबाही मचाने की ताकत रखते हैं.
Web Title: Deadliest Thunderstorm of History that Caused Serious Destruction, Hindi Article
Feature Image Credit Representative: Mobile Home Living