इतिहास एक दिन में नहीं रचा जाता, उम्र गुज़र जाती है इसे बनाने में!
बस यही से इतिहास की शुरुआत होती है, कोई दिन के इन चौबीस घंटो की अहमियत समझते हुये, इन्हें समझदारी से खर्च करता है, तो कोई इन्हें बर्बाद कर देता है.
तारीख गवाह रही है कि जिन लोगों ने समय की कद्र की है, समय ने उनकी कद्र की है. यही कारण है आने वाले समय में इन लोगों ने अपने कारनामों से इतिहास रचा है. बल्कि, इनकी उपलब्धियों के साथ इनकी जीने-मरने की तारीख भी इतिहास के पन्नों में हमेशा दर्ज हो गई.
तो आईये आज हम आपको ऐसे ही चुनिंदा लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके लिये आठ फरवरी सिर्फ एक तारीख़ नहीं, बल्कि कभी न भूलने वाली एक कहानी है–
‘गज़ल किंग’ ने खोली थीं आखें
चिट्ठी ना कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए…
मशहूर गजल की ये पंक्तियां जैसे ही सुनाई पड़ती है, झट से हमारी जुबान पर जगजीत सिंह का नाम आ ही जाता है.
वह भले ही आज दुनिया में हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, किन्तु उनके गाए हुए नगमें आज भी लोगों की ज़ुबां पर जिंदा हैं. आठ फरवरी का दिन इस लिहाज से भी खास हो जाता है, क्योंकि इसी दिन जगजीत साहब ने दुनिया में अपनी आंखें खोली थीं.
अगर आप गज़ल प्रेमी हैं, तो आपको यह ज़रुर जान लेना चाहिए कि इस मशूहर गज़ल गायक को दुनिया भर में गज़ल किंग के नाम से जाना जाता है. जानकर हैरानी होगी कि 8 फरवरी 1941 में राजस्थान के श्रीगंगानगर में पैदा हुए जगजीत सिंह का पूरा नाम जगजीत सिंह धीमान था. वह तो मुंबई में आने के बाद वह जगजीत सिंह के नाम से मशहूर हुए.
कहते हैं कि जब जगजीत सिंह ने दुनिया में आंखें खोली थीं, तब भारत अपनी आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लंबी लड़ाई लड़ रहा था. वह महज़ छ: साल के थे, जब उन्होंने अपनी ज़िंदगी में गरीबी और दुख बेहद करीब से देखा. बावजूद उन्होंने अपने हुनर को पहचाना और मंज़िल की तलाश में सपनों की नगरी मुंबई आ गए.
तब शायद ही किसी ने सोचा हो कि मुंबई की सड़कों पर काम के लिए भटकने वाले जगजीत सिंह आने वाले समय में अपनी गज़लों की वजह से ‘गज़ल किंग’ के नाम से जाने जायेंगे. वह अच्छे खासे प्रगति पथ पर अग्रसर थे, इसी बीच रोड एक्सीडेंट में अपने इकलौते बेटे विवेक को खोने के बाद जगजीत वह टूट गए.
लग रहा था कि शायद वह अब कभी नहीं गा सकेंगे, किन्तु उन्होंने अपनी तकलीफों को भुलाकर अपनी गज़लों को आवाज दी और लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी. लोग उनको सुनने के लिए आतुर रहते थे, किन्तु कहते हैं न कि दुनिया में हर आने वाले को जाना होता है. साल 2011 में 70 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद जगजीत सिंह इस दुनिया को अलविदा कह गए.
Jagjit Singh (Pic: ScoopWhoop)
व्हाइट हाउस में रेडियो की आवाज़
बात जब अमेरिका की होती है, तो व्हाइट हाउस की तस्वीर ज़ेहन में तैरने लगती है. साथ ही अमेरिका जैसे आधुनिक देश की तरक्की पर चर्चा होने लगती है. किन्तु, क्या आप जानते हैं कि अमेरिका एक दिन में ही तकनीकी सक्षम देश नहीं बना. अमेरिकी नागरिकों और वैज्ञानिकों की अथक मेहनत के कारण ही अमेरिका इतना मजबूत राष्ट्र बनकर उभरा.
अपनी तरक्की के सफर में 8 फरवरी 1922 को अमेरिका के लिए खास रही. असल में इसी दिन उसके व्हाइट हाउस में पहले रेडियो की आवाज़ गूंजी थी.
इससे पहले अमेरिका के लिए रेडिया एक सिर्फ नाम था. उस समय के यूएस के राष्ट्रपति वॉरेन जी हार्डिंग ने व्हाइट हाउस में पहले रेडियो को पब्लिक के सामने पेश किया था. माना जाता है कि रेडियो के आने के बाद अमेरिका ने तकनीकी क्षेत्र में अपना, जो डंका बजाया उसे इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया.
White House radio broadcast February 8 1937 (Pic: Wikimedia)
ऑस्ट्रेलिया में दिन में हो गई थी रात!
दुनिया में इंसान कितना ही ताकतवर क्यों न हो जाये, लेकिन कुदरत की ताक़त के आगे इंसान बेहद कमजोर नज़र आता है. ऑस्ट्रेलिया को दुनिया के विकसित देशों में शुमार किया जाता है. यहां का एक शहर है मेलबर्न, जिसके बारे में कहा जाता है वह कभी नहीं सोता. साथ ही इसे ऑस्ट्रेलिया के दूसरे सबसे बड़े शहर होने का गौरव प्राप्त है.
किन्तु, क्या आपको 8 फरवरी 1983 का वह किस्सा पता है, जब मेलबर्न में बेहद चमकीला सूरज अपनी किरणें बिखेर रहा था. तभी अचानक एक भयानक तूफ़ान आया और महज़ चंद मिनटों में पूरा शहर धूल के ख़तरनाक गुबार से ढक गया. यही नहीं इस धूल से निजात मिलने से शहर के लोगों को कई दिन लगे थे.
तारीख़ के पन्नों में इस दिन को संजो कर रख लिया गया, जिसे ‘मेलबर्न डस्ट स्टॉर्म’ के नाम से जाना जाता है. वहां के लोगों को आज भी यह दिन काफी सताता है!
The Melbourne Dust Storm of 1983 (Pic: seanmunger)
पहले मुस्लिम राष्ट्रपति का जन्म
भारत देश की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यहां हर मज़हब को मानने वाले लोग रहते हैं. दुनिया का शायद ही कोई देश होगा, जहां इतने मज़हब के लोग एक साथ रहते हों.
8 फरवरी के दिन की विशेषता भारत जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के लिए, इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन पैदा हुए थे. 8 फरवरी 1897 को उन्होंने हैदराबाद में अपनी आंखें खोली थीं. आपको जानकर हैरानी होगी कि वह दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के को- फाउंडर भी हैं.
ज़ाकिर हुसैन कितने काबिले थे, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि वह भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले बिहार के गवर्नर भी रहे. इसके अलावा उन्होंने देश के कई अहम कार्यों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. शायद यही कारण रहा कि उन्हें भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से भी नवाज़ा गया.
3 मई 1969 को इस शख़्सियत ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
Dr. Zakir Husain receiving the Bharat Ratna (Pic: rashtrapatisachivalaya)
मोहब्बत के इज़हार का दिन
प्यार में इज़हार होना ज़रुरी है. जिस मोहब्ब्त में इज़हार न हो वह अधूरी रह जाती है. जी हां, 8 फरवरी का दिन शायद प्रेमी जोड़े कभी नहीं भूलते होंगे.
जिन्होंने गुज़री आठ फरवरी को अपनी मोहब्बत का इज़हार किया होगा, वह उस दिन इसकी यादों में खो जाते होंगे और जिन्हें अपनी मोहब्बत का इज़हार करना होता है वह साल के दूसरे महीने की आठ फरवरी का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं.
दिमाग़ पर ज़ोर मत डालिये, हम बात कर रहे हैं प्रपोज़ डे की, जोकि हर साल फरवरी माह की 8 तारीख को ही होता है. इस दिन न जाने कितनी मोहब्बतों को मंजिल मिलती है और कितने ही दिल टूट जाते हैं. खैर, वह मोहब्बत ही नहीं… जो उदास न करें.
Propose Day (Pic: Triptaptoe)
तो यह थी इतिहास में दर्ज 8 फरवरी की कुछ यादें.
आपके लिए यह तारीख कितनी खास है, कमेन्ट-बॉक्स में ज़रुर बताएं.
Web Title: February 8 in history, Hindi Article
Feature Image Credit:Pxleyes