बाज़ार जाकर शॉपिंग करना किसे नहीं पसंद. बाज़ार की चमक-धमक, ढेर सारी दुकानें, जो खाने पीने के सामानों से लेकर कपड़ों से सजी होती हैं. बाज़ार का नज़ारा ही अलग होता है.
अमूमन, लोग बाज़ार में खुश ही नज़र आते हैं. सिवाए जिद्दी छोटे बच्चे और उसके पिता के, जिसकी जेब से पैसे खर्च हो रहे होते हैं. महिलाओं के चेहरे की चमक ख़रीददारी के समय देखते ही बनती है.
बाज़ार में, चहल-पहल का माहौल उसे जीवंतता प्रदान करता है. ऐसे में बाज़ार पानी पर तैरता हुआ हो, तो उसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं. श्रीनगर के अलावा, कोलकाता के लोग भी अब तैरते बाज़ार का लुत्फ़ उठा पायेंगे. ऐसा इलसिए क्योंकि हाल ही में, कोलकाता की पाटुली झील पर ये बाज़ार लगनी शुरु हुई है.
भारत में फ्लोटिंग यानी तैरता बाज़ार अब कोलकाता में भी खुल गया.
यह एक बड़ी सी झील पर नावों से सजा हुआ बाज़ार है. इसकी सुंदरता न सिर्फ लोगों को लुभा रही है. बल्कि पर्यटकों के चश्मे से भी इस शहर का तैरता बाज़ार बड़ा मनमोहक लगता है.
जानते हैं, भारत में बने इस फ्लोटिंग बाज़ार को जरा करीब से-
झीलों पर बना तैरता बाज़ार
भारत की राजधानी रह चुका कोलकाता शहर, जो मशहूर है अपनी उपनिवेशिक इमारतों के लिए, मछी-भात के लिए, रसगुल्लों के लिए और दुर्गा पूजा के लिए.
एक बार फिर से आज कोलकाता चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन इस बार बात कुछ और है. इस बार इस शहर का नाम फ्लोटिंग बाजारों की वजह से सबकी जुबान पर है.
कोलकाता की पाटुली झील पर रात का नज़ारा देखने लायक होता है. इसी झील पर नावों से सजा हुआ बाज़ार लगता है. इस बाज़ार पर सारा सामान नाव पर ही बिकता है. फिर चाहे वो फल-सब्जी हो या मछली हो.
इसके अलावा, श्रीनगर की डल झील पर भी फ्लोटिंग बाज़ार लगता है. जहाँ सब्जियों से लेकर मसालें तक मिलते है. तैरती नाव पर रंग-बिरंगे फल और सब्जियां बहुत सुंदर दिखते हैं. लकड़ियों के पुल पर चलकर खरीददारी का मजा ही कुछ और है.
मनमोहक डल झील पर लगने वाले बाज़ार की सब्जियां भी ज्यादातर झील के किनारे ही उगाई जाती है. जो एकदम ताज़ी होती हैं. जिसकी वजह से लोग और भी ज्यादा आकर्षित होते हैं.
झील पर तक़रीबन डेढ़ सौ नावों पर दुकानें लगती हैं. जिस पर तरह-तरह के सामान बिकते हैं. इस फ्लोटिंग बाज़ार से ख़रीददारी करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
यह बाज़ार बैंकाक, सिंगापुर और थाईलैंड जैसो देशों में पहले से प्रसिद्ध है. हाल ही में, कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका उद्घाटन किया.
नौ करोड़ की लागत से बना
कोलकाता में बने इस नए बाज़ार में अच्छा खासा पैसा लगा है. इस खूबसूरत बाज़ार को बनाने में करोड़ों का खर्च आया है. कोलकाता विकास प्राधिकरण ने इस बाज़ार के निर्माण में करीब नौ करोड़ रुपये लगाए हैं.
बाज़ार में ग्राहकों के आने-जाने के लिए लकड़ी का पुल बनाया गया है. जिससे लोग आसानी से आ जा सकें.
इसके अलावा बाज़ार पांच सौ मीटर लंबा और साठ मीटर चौड़ा है.
यहाँ लोगों की चहल-पहल इसकी रौनक को और भी बढ़ाती है.लोगों का कहना है कि यह एक नया विचार है, जिसमे आपकी ख़रीददारी और घूमना-फिरना भी एक साथ हो जाता है. साथ ही, पर्यटकों की तादाद भी बढती है.
आकर्षण के साथ अच्छी कमाई
ये बाज़ार न सिर्फ लोगों को रोज़गार देता है बल्कि इस तरह सामान बेचने के अंदाज़ से लोग आकर्षित भी होते हैं.
अब बात कोलकाता की ही ले लें. यह वहां रोज़गार देने के लिए ही बना है. दरअसल, सरकार को सड़क को तोड़ कर उसे ज्यादा चौड़ा करना था. जिसकी वजह से वहां के फेरीवालों का रोज़गार छीन गया था.
ये फेरीवाले लोग सड़क के किनारे दुकान लगते थे. सड़क से इन्हें हटाये जाने की वजह से दो सौ लोगों के परिवार का निवाला छिन गया था.
ऐसे में, कोलकाता विकास प्राधिकरण ने उन्हें रोज़गार देने के लिए इस फ्लोटिंग बाज़ार का निर्माण किया.
जिससे न सिर्फ इन लोगों का पुनर्वास हुआ बल्कि शहर को भी एक आकर्षण का केंद्र मिल गया. ऐसे ही डल झील पर चलने वाली दुकानों से भी कई लोगों को रोज़गार मिला है.
...उन्हें थाईलैंड से आया विचार
आजतक हमने सिर्फ मॉल्स और ज़मीन पर ही ख़रीददारी की है. श्रीनगर में तो यह पहले से था. कोलकाता के लोगों के लिए यह काफी नया और फायदेमंद है. चाहे वो सौदे के नज़रिए से देखें या फिर सुंदरता के.
आमतौर पर, बैंकाक और सिंगापुर, इंडोनेशिया आदि में फ्लोटिंग बाज़ार पर ख़रीददारी पहले से होती रही है. इसके अलावा, श्रीनगर के डल झील पर भी ये बाज़ार लगता है.
लेकिन कोलकाता में हाल ही में इसका निर्माण हुआ है. कोलकाता के मंत्री बताते हैं कि, थाईलैंड के दौरे के दौरान उन्होंने वहां इन्हें देखा था. उन्हें यह बाज़ार बहुत पसंद आया. इसके देखने के बाद ही उन्होंने विचार बनाया कि वह कोलकाता में भी कुछ ऐसा ही करेंगे.
बैंकाक के बाहरी इलाकों में फ्लोटिंग बाज़ार लगते हैं. बैंकाक अपने इन बाजारों के लिए भी बहुत मशहूर है. पर्यटक बैंकाक में इन फ्लोटिंग बाजारों में ज़रुर जाते हैं.
फ्लोटिंग बाज़ार की अवधारणा वाकई में नयी और शानदार है. यहाँ लोग आना पसंद करते हैं. लकड़ियों की पगडंडियों पर चलकर बाज़ार करना लोगों को लुभाता है. इससे लोगों को रोज़गार तो मिलता ही है.
चकाचौंध लोगों को खींचती है...
जहाँ आज बड़े-बड़े मॉल्स खुल गए हैं जिनकी चकाचौंध लोगों को अपनी ओर खींचती है. ऐसे में, फ्लोटिंग बाज़ार का भारत में आना और लोगों का इसकी सादगी को पसंद करना भी अच्छा है.
हालांकि, श्रीनगर में यह पहले से इस्तेमाल में है. लेकिन श्रीनगर का बाज़ार इतना व्यवस्थित नही है. जबकि कोलकाता का फ्लोटिंग बाज़ार व्यवस्थित है.
तो अब अगर आप कभी भी कोलकाता या श्रीनगर जाएँ तो इन झीलों पर तैरती नावों से ख़रीददारी ज़रुर करें.
आपको ये भी बताते चलें, केरल में एक फ्लोटिंग मॉल है. जहाँ खाने पीने के सामान से लेकर टेलीविज़न सेट तक मिलते हैं. सुरक्षा के चलते एक समय में 20 लोग फ्लोटिंग मॉल से ख़रीददारी कर सकते हैं.