आज के जमाने में शायद ही कोई होगा, जो कैलेंडर के प्रयोग को न जानता हो!
फिर भी बताते चलें कि कैलेंडर का मुख्य उद्देश्य भूत या भविष्य के समय का निर्धारण करना है. मानव सभ्यता विभिन्न धार्मिक त्योहार या कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं की गणना के लिए कैलेंडरों का इस्तेमाल करती आई है.
चूंकि, आज दुनिया भर में लगभग 40 कैलेंडरों का उपयोग किया जाता है, इसलिए उनमें से कुछ एक के बारे में जानना दिलचस्प रहेगा–
माया कैलेंडर
पुरातत्वविदों ने ग्वाटेमाला में माया सभ्यता के समय का एक गुप्त ठिकाना खोजा था. वहां बने कमरे की दीवारों पर असाधारण चित्र और लेख थे, जो माया कैलेंडर से संबंधित गणनाओं को दर्शाते हैं.
हालांकि, माया कैलेंडर के अनुमान के आधार पर विशेषज्ञों ने दावा किया था कि 21 दिसंबर, 2012 को दुनिया समाप्त हो जाएगी, लेकिन यह अनुमान गलत निकला. माया सभ्यता की दीवारों पर बने चित्रों और आंकड़ों की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि माया कैलेंडर समय पर आधारित हैं. वहीं कुछ का मानना था कि माया कैलेंडर के अनुसार खगोलविद चंद्रमा की आयु की गणना करते थे.
माया सभ्यता ने संसार को बताया कि एक साल में 365 दिन होते हैं. में 20-20 दिनों के 18 महीने होते थे और 365 दिन पूरा करने के लिए 5 दिन अतिरिक्त जोड़ दिए जाते थे.
हालांकि, इन 5 दिनों को अशुभ माना जाता था.
बाद में कुछ उतार-चढ़ावों के साथ यह अप्रासंगिक होता गया. नतीजा यह रहा कि अब यह किसी भी प्रकार की गणना के काम नहीं आता. हां, रिसर्च के लिए भले ही थोड़ा बहुत प्रयोग किया जाता है.
Mayan Calendar (Pic: Annoyz View)
जूलियन कैलेंडर
जूलियस सीजर द्वारा रोमन कैलेंडर की शुरूआत की गई थी, जिसे अब जूलियन कैलेंडर के रूप में जाना जाता है. जूलियन कैलेंडर 45 ईसा पूर्व आया था, इसके पहले दिन को नए साल के रूप में मनाया जाता है. तबसे लेकर आज तक पूरे संसार में एक जनवरी को ही साल की शुरूआत माना जाता है.
रोम के राजा जूलियस सीजर ने पहले से प्रचलित रोमन कैलेंडर को बदलकर, वहां जूलियन कैलेंडर लागू किया था. सीजर ने अलेक्जैंड्रिया के प्रख्यात खगोलविद् सोसिजीन्स की मदद से सौर साइकिल पर आधारित कैलेंडर को अपनाया.
इस कैलेंडर में हर चौथे साल फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जोड़ने की योजना थी.
ग्रेगोरीयन कैलेंडर
आज हम ग्रेगोरीयन पद्धति के द्वारा अपने दिन, महीनों और वर्षों की गणना करते हैं. हिंदू कलेंडर या विक्रम संवत के आधार पर हिंदुओं के त्योहारों की गणना की जाती है. ग्रेगोरीयन कैलेंडर का मूल उद्देश्य ईस्टर की तारीख बदलने का था.
1582 में जब पोप ग्रेगोरी अष्टम ने ग्रेगोरीयन कैलेंडर का आविष्कार किया, तब यूरोप में जूलियन कैलेंडर का प्रचलन था, जो जूलियस सीजर ने 46 ईसा पूर्व में चलाया गया था.
यूं तो आपने देखा होगा कि हर चौथे साल एक लीप ईयर होता है, जबकि वास्तव में ग्रेगोरीयन कैलेंडर में चार साल में कोई लीप ईयर नहीं होता. जूलियन कैलेंडर में हर चार साल में फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जुड़ता है.
ग्रेगोरियन कैलेंडर सौर वर्ष से हर साल 26 सेकंड अलग होता है.
माना जाता है कि सन 4909 ई. ग्रेगोरियन कैलेंडर का एक पूरा दिन होगा. ग्रेगोरीयन कैलेंडर से पहले अंग्रेजों का नया साल 25 मार्च से शुरू होता था. बाद में इसे बदलते ही जूलियस सीजर कैलेंडर ने एक जनवरी को साल का पहला दिन बनाया.
हालांकि, अधिकांश यूरोपीय देश अपने धार्मिक महत्व वाले दिनों से ही साल की शुरूआत मानते थे, जैसे यीशु के जन्मदिन की सालगिरह 25 दिसंबर को.
Gregorian Calendar (Pic: The Independent)
भारतीय कैलेंडर या हिंदू कैलेंडर
राष्ट्रीय पंचांग या भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर भारत में उपयोग किया जाने वाला आधिकारिक कैलेंडर है. शक संवत का उपयोग हिंदू कैलेंडर, भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर और कंबोडियन बौद्ध कैलेंडर के रूप में प्रयोग किया जाता है.
यह भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ 22 मार्च 1957 को अपनाया गया था. शक संवत को वर्तमान के ग्रेगोरियन कैलेंडर की तिथि से 78 ई. घटाकर निकाला जा सकता है.
यूं भारत में विक्रम संवत की शुरुआत 57 ई. पूर्व हुई थी.
विक्रम संवत से प्रेरित हिंदू कैलेंडर विभिन्न रूपों में लगभग पूरे भारत में माना जाता है. वहीं ये संवत नेपाल का आधिकारिक राष्ट्रीय संवत है. 12 महीने का एक साल और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ था.
विक्रम संवत वर्तमान ग्रेगोरियन कैलेंडर की तिथि में 57 जोड़कर निकाला जा सकता है. इस कैलेंडर के अनुसार हिंदू पंचांग और उसकी सभी धार्मिक गतिविधियां की जाती हैं. अत: इसे हिंदू कैलेंडर भी माना जाता है.
भारतीय संस्कृति में राष्ट्रीय कैलेंडर का नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से शुरू माना जाता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही चंद्र की कला का प्रथम दिवस है. अततः इसी दिन को साल का आरंभ माना जाता है. वैसे ब्रह्माजी ने इसी तिथि को सृष्टि का निर्माण किया था.
राष्ट्रीय कैलेंडर की तारीखें ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग मिलती जुलती हैं. चैत्र का पहला दिन 22 मार्च को होता है और लीप साल में ये 21 मार्च को पड़ता है. साथ ही भारत में वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू होकर मार्च 31 को खत्म होता है.
हालांकि, यह व्यवस्था अंग्रेजों के कैलेंडर की देन है.
भारत में कुछ पश्चिमी रीति-रिवाजों जैसे न्यू ईयर, ईस्टर और क्रिसमस को छोड़कर सभी त्योहार जैसे होली, दीवाली, रक्षा बंधन, मकर संक्रांति, राम नवमी, नव दुर्गा आदि इसी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मनाए जाते हैं.
हिजरी कैलेंडर या चंद्र कैलेंडर
भारतीय संस्कृति में काल गणना के लिए बहुत पुराने समय से चंद्रमा का इस्तेमाल किया जाता रहा है. एक महीने के दौरान चंद्रमा में होने वाले परिवर्तन आगामी काल की सूचना देते हैं, जिससे अलग-अलग स्थितियों के आधार पर हम दिनों की गणना कर सकते हैं.
पूर्णिमा से लेकर अमावस्या और फिर पूर्णिमा तक का चांद हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम संस्कृति में भी त्यौहारों की गणना के काम आता है. मुसलमान चंद्र या लूनर कैलेंडर के अनुसार ही चलते हैं. इसे हिजरी पंचांग या कैलेंडर भी कहा जाता है.
नबी-ए-करीम के मक्का से मदीना हिजरत करने के दिन से हिजरी संवत की शुरूआत मानी जाती है. 16 जुलाई, 622 ई. से हिजरी कैलेंडर या इस्लामी कैलेंडर का आरंभ माना जाता है. इसी के आधार पर ही रमजान की तारीख और ईद के दिन को निर्धारित किया जाता है.
ईद चांद नजर आने के अगले दिन मनाया जाता है. हिजरी पंचांग या कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम होता है और इसके नवें महीने में रमजान आता है. इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं.
चंद्र कैलेंडर के कारण पूरे संसार में भौगोलिक अंतर के अलावा ईद के दिनों में ज्यादा फर्क नहीं है, अगर सौर कैलेंडर के अनुसार देखें तो दुनिया भर में रमजान अलग-अलग समय और महीनों में मनाया जाता. चंद्र कैलेंडर के हिसाब से सारे मुसलमान दुनिया भर में रमजान एक साथ मनाते हैं.
सऊदी अरब को इस्लामिक कैलेंडर के कारण काफी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा है, इसलिए वहां की सरकार ने अब वेतन देने के लिए पश्चिमी कैलेंडर का इस्तेमाल शुरू किया है. इस्लामी कैलेंडर या चंद्र कैलेंडर का एक साल पश्चिमी कैलेंडर के मुकाबले 11 दिन छोटा होता है.
इसमें महीने 29.5 दिन के होते हैं, जिससे 12 चंद्र महीनों में केवल 354 ही दिन होते हैं, जो सौर वर्ष से लगभग 11 दिन कम हैं. इस तरह सऊदी सरकार पश्चिमी कैलेंडर को अपनाकर सालाना 11 दिन का वेतन बचा लेती है.
lunar Calendar. (Pic: vanessaadams)
ये तो विश्वभर में प्रचलित कुछ कैलेण्डरोंं के नाम भर हैं, ऐसे कई और दुनियाभर में मौजूद हैं, जिनकी अपनी एक अलग कहानी है और अपना अलग इतिहास है.
आपको कौन सा कैलेण्डर पसंद है और क्यों… इसे कमेन्ट-बॉक्स में बताएं!
Web Title: History of the Calendar, Hindi Article
Featured Image Credit: chaacreek