एक पुरानी कहावत बड़ी मशहूर है कि युद्ध होने की मुख्यतः तीन वजह होती है- जर, जोरू और ज़मीन.
खैर, पूरी दुनिया का इतिहास उठाकर देख लिया जाए, तो इस इतिहास में अनगिनत युद्धों की कहानी मिल जाएगी. कभी युद्ध ज़मीन लिए हुए तो कभी युद्ध अपने वर्चस्व को साबित करने के लिए हुए.
लेकिन, एक युद्ध होने की नौबत ऐसी भी आई, जिसकी वजह एक ‘सूअर’ बना. जब दोनों तरफ की सेना अपनी जी-जान लगाकर एक दूसरे के सामने आकर खड़ी हो गई. अपने दुश्मनों का खून बहाने के लिए अमादा हो गई.
ऐसे में, इतिहास के पन्नों में दबी इस कहानी के बारे में जानना दिलचस्प रहेगा. तो आइये, जानते हैं ‘सूअर’ कैसे ले आया अमेरिका और ब्रिटेन के बीच युद्ध होने की नौबत-
ओरेगन संधि और द्वीप का विभाजन
'द पिग वॉर' को इतिहास के सबसे अजीब और अस्पष्ट युद्धों में से एक माना जाता है. सूअर के लिए शुरू हुए इस युद्ध की नौबत आने की कहानी साल 1846 में शुरू हुई थी. जब इसी साल अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक संधि हुई थी, इस संधि का नाम था ऑरेगॉन संधि. इस संधि के अनुसार, रॉकी पहाड़ और प्रशांत तटसागर को लेकर अमेरिका, ब्रिटेन और नार्थ अमेरिका (जो बाद में कनाडा हुआ) के बीच विवाद था.
इस संधि के जरिए काफी दिनों से चल रहे विवाद को खत्म कर दिया गया. इस संधि के हिसाब से इन देशों के बीच 49 पैरेलल लाइन के जरिये सीमा विभाजित कर दी गई. यह सीमा आज भी इन देशों के बॉर्डर को विभाजित करती है. अभी तक तो सब ठीक चल रहा था, लेकिन जटिलताएं भी काफी थीं. यह संधि कहती थी कि ‘चैनल के बीच में जो महाद्वीप को वैंकूवर द्वीप से अलग करता है....’
यही पिग वॉर के होने की एक बड़ी वजह बना. जब यह संधि हस्ताक्षर की जा रही थी, तब भी उन लोगों को इस बात के बारे में पता था कि यह आगे चलकर संशय पैदा कर सकती है. इस खींची हुई लाइन की व्याख्या करने वाले बहुत सारे चैनल थे. जिसमें रोसारियो स्ट्रेट के मद्देनजर सैन जुआन द्वीप ब्रिटेन के खेमे में आता था. जबकि दूसरी ओर हारो स्ट्रेट के जरिए सैन जुआन द्वीप को संयुक्त राज्य अमेरिका में दे दिया गया. क्यों हैं न अजीब!
लोगों ने आकर शुरू किया बसना
यह अगले कुछ सालों तक तो यूं ही चलता रहा. लेकिन अब यहाँ आकर लोग बसने लगे और द्वीप के करीब जाने लगे. अमेरिका और ब्रिटेन दोनों देशों से ही लोग आकर बसने लगे थे. साल 1859 में, ब्रिटेन के नागरिकों ने ज्यादा मजबूती या संख्या में आकर बसना शुरू कर दिया था.
ब्रिटेन को तब और भी अधिक बल मिल गया, जब हडसन की बे कंपनी भी यहाँ आकर स्थापित हो गई. कंपनी ने अपने सेटअप के साथ-साथ द्वीप पर एक भेड़ खेत भी बना दिया. इसी दौरान, करीब 30 अमेरिकी बसेरे भी यहाँ आकर बसना शुरू कर दिया था. उन्होंने भी यहाँ आकर अपना घर बसाना शुरू कर दिया.
उसी समय की रिपोर्ट के आधार पर देखा जाए तो, द्वीपवासियों के दोनों लोग आपस में घुल-मिल गए थे. वे लोगअच्छी तरह से रह भी रहे थे. ब्रिटिश कोलंबिया के गवर्नर जेम्स डगलस को सैन जुआन द्वीप पर इस बात के लिए रखा गया कि वह इस द्वीप पर ब्रिटेन का अधिपत्य बनाए रखे. वह इस द्वीप को अपने वर्चस्व से बाहर न होने दे.
हारो स्ट्रेट से सटा वैंकूवर द्वीप जो ब्रिटेन के अधिपत्य में था, वहां के प्राकृतिक संसाधन, पानी और जल जीवों पर नियंत्रण था. ऐसे में दूसरी ओर मौजूद अमेरिकी बसेरों को परेशानी भी उठानी पड़ सकती थी.
सूअर को गोली मारने से खड़ा हुआ विवाद
इन्हीं सब के बीच 15 जून 1859 को ब्रिटिशों का एक सूअर घूमते-घूमते अमेरिकी किसान लाइमैन कटलर के खेतों में घुस आया. जब कटलर ने सूअर को अपने खेत में आलू खाते हुए देखा तो, वह आग बबूला हो गया.
उसे देखकर कटलर ने गुस्से में सूअर को गोली मार दी. उसी वक़्त उस सूअर की मौत हो गई. इस मरने वाले सूअर का मालिक हडसन कंपनी का एक कर्मचारी चार्ल्स ग्रिफ्फिन था. चार्ल्स के पास बहुत सारे पालतू सूअर थे.
वह इस बात के लिए वहां मशहूर भी था, जो अपने पालतू को द्वीप में चरने के लिए खुले तौर पर छोड़ दिया करता था. बता दें, यह कोई पहली बार नहीं था जब कटलर के खेत में इस तरह सूअर घुस आया हो.जब ग्रिफ्फिन को अपने सूअर के मौत की खबर लगी तब वह कटलर के पास क्रोधित होकर पहुंचा.
बताया जाता है कि वह कटलर पर चिल्लाने लगा, जिसपर कटलर कहता है कि ‘वह मेरे आलू खा रहा था'. जिस पर ग्रिफ्फिन जवाब देता है कि ‘बकवास मत करो यह तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम कैसे अपने खेत को मेरे सूअर से दूर रखते हो’.
कटलर ने मामले को बड़ा होता देखा और उसके सूअर की मौत का दस डॉलर मुआवजा देने की पेशकश भी की. लेकिन, उसने साफ़-साफ़ इनकार कर दिया. बल्कि ग्रिफ्फिन ने लोकल ब्रिटिश अधिकारी से इस बात की शिकायत की, जिसने कटलर को गिरफ्तार करने की धमकी भी दी.
फिर अमेरिका भी कूद पड़ा मैदान में
इसके बाद, अमेरिकी लोगों ने भी कटलर के लिए अमेरिकी सेना से मदद की मांग की. उनकी यह याचिका जनरल विलियम एस. हार्ने ने सुनी. वह उस समय ब्रिटिशों के लिए अपनी नफरत के लिए जाने जाता था. लिहाजा, बिना किसी देरी के उसने 27 जुलाई 1859 को अपनी सेना की टुकड़ी सैन जुआन में भेजी. जब ब्रिटिश गवर्नर जेम्स को इस बात की भनक लगी तो, उसने भी अपनी सेना की तीन टुकड़ियाँ वहां भेज दी.
अब दोनों सेना एक दूसरे के सामने आकर खड़ी हो चुकी थी. कई महीने तक दोनों सेना एक दूसरे के सामने डटी रहीं. धीरे-धीरे दोनों खेमों में सेना की संख्या भी बढ़ने लगी. यह स्तिथि तब तक बनी रही जब तक ब्रिटिश नेवी के कमांडर-इन-चीफ रोबर्ट एल. बेंस वहां नहीं पहुंचे.
जब वह वहां पहुंचे तो, जेम्स डगलस ने बेंस को वहां अमेरिकी सेना पर चढ़ाई करने का आदेश दिया. लेकिन, बेंस ने इस बात के लिए मना कर दिया. वह नहीं चाहते थे कि दो बड़े देश एक सूअर के लिए युद्ध करें.
आखिरकार, इस बात की गंभीरता की खबर ब्रिटिश और अमेरिकन सरकार को पड़ी. अधिकारियों को ये सुनकर बहुत हैरानी हुई कि एक सूअर को लेकर इतना बड़ा विवाद खड़ा हो चुका है. जिसमें 3 युद्ध पोत, 84 बंदूके और करीब 26 सौ सैनिक तैनात थे. लिहाजा, इस बेवकूफाना घटना को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए दोनों तरफ के देशों ने बातचीत शुरू की.
दोनों पक्षों ने यह निर्णय लिया कि इस द्वीप पर 100 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए. इसी तरह ब्रिटिश ने अपने कैंप उत्तरी द्वीप पर लगा लिए और अमेरिकियों ने दक्षिणी तरफ. ये स्तिथि साल 1872 तक बनी रही. इसी वर्ष जर्मनी के कैसर विल्हेल्म प्रथम द्वारा इंटरनेशनल कमीशन इस द्वीप का पूरा नियंत्रण अमेरिका को दे दिया. और इसी के साथ इस द्वीप से जुड़े सारे विवाद खत्म हो गए.
आज भी सैन जुआन द्वीप में तब बसे हुए कैंप मौजूद हैं. यह नेशनल हिस्टोरिकल पार्क में रूम में बदल दिया गया है. यहाँ हर साल इसे देखने के लिए विश्व भर से सैलानी आते हैं.
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Web Title: How a Pig Became Reason To Create War Like Situation, Hindi Article
This article is about how a pig created a war like situation in world history when US and Britain stood against each other.
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