1993 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल गई थी. इस आतंकी वारदात में 257 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 800 लोग घायल हुए थे. इन धमाकों की धमक आज भी भारतीयों के ज़ेहन में कायम है, जिसका मास्टर माइंड था भारत का दुश्मन नंबर वन दाऊद इब्राहिम.
एक जमाने में बॉम्बे अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह रहे इस डॉन को देश की पुलिस आज भी ढ़ूंढ रही है. इसके पीछे इंटरपोल की पुलिस भी पड़ी है, जिसने उसके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी जारी कर रखा है.
ऐसे में जानना दिलचस्प रहेगा कि कैसे मुंबई की गलियों से निकल कर दाऊद इब्राहिम नाम का एक लड़का अंडर वर्ल्ड का बादशाह बना-
पिता पुलिस में थे, फिर भी…
दाऊद इब्राहिम का जन्म महाराष्ट्र के खेद रत्नागिरी में हुआ था. पिता इब्राहिम कस्कर पेशे से मुंबई पुलिस में हेड कॉस्टिबल थे. बावजूद इसके उन्हें अपने परिवार का खर्च चलाने में परेशानी होती थी, क्योंकि उनका परिवार बड़ा था.
शायद यही वजह रही कि दाऊद को बचपन से ही जल्द से जल्द पैसा कमाने की ललक थी. उसे किसी भी तरह से बहुत सारे पैस कमा कर अमीर बनना था.
इसके चलते उसने 9वीं क्लास के बाद से ही पढ़ाई छोड़ दी और आपराधिक गतिविधियों में लग गया.
Dawood Ibrahim (Pic: The Youth)
करीम लाला से सीखे पैंतरे
दाऊद ने अपनी क्रिमिनल लाइफ़ की शुरूआत एक बिजनेसमैन को लूट कर की. इसके लिए उसे जेल भी जाना पड़ा था. जब उसके पिता को इस बात का पता चला, तो उन्होंने उसे अपने घर से निकाल दिया.
घर से बेघर होने के बाद दाऊद ने मुंबई के तब के अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला की गैंग जॉइन कर ली. करीम से अपराधिक दुनिया के सारे पैंतरे सीखने के बाद दाऊद ने अपनी राह अलग कर ली.
अब वह अपने भाई साबिर के साथ अपना एक अलग गैंग चलाने लगा.
1980 में बनाई ‘डी-कंपनी’
80 के दशक में हाजी मस्तान और करीम लाला जैसे डॉन्स का राज था. इसी बीच दाऊद तेजी से ऊपर उठा और उसने धीरे-धीरे इन दोनों को किनारे कर अपने साथियों के साथ मिलकर एक अलग गैंग बनाई.
मीडिया ने इसे नाम दिया ‘डी-कंपनी’!
ये कंपनी हफ्ता वसूली, सट्टे बाजार, कॉनट्रैक्ट किलिंग, हथियार और ड्रग तस्करी जैसी तमाम अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देती थी.
अब दाऊद पुलिस की नज़रों में चढ़ चुका था. धमकी देकर फिरौती वसूलने के कई केस उस पर दर्ज हो चुके थे. जेल में उसका आना-जाना शुरू हो गया. इसी बीच उसे चुनौती देने के लिए मान्या सुर्वे नाम का एक और डॉन खड़ा हो गया.
दूसरी तरफ अफगानिस्तान से आए प्रवासियों द्वारा गठित पठान गैंग की नज़रों में अखरने लगा था. उसने मान्या के साथ मिलकर दाऊद के बड़े भाई की हत्या कर दी.
…और शुरू हुई खूनी गैंगवार
दाऊद बदले की आग में झुलस रहा था. उसे किसी भी कीमत पर अपने भाई की मौत का बदला चाहिए था. इसी के चलते मुंबई में खूनी गैंगवार शुरु हो गई.
इस गैंगवार में पठान गैंग और मान्या के बहुत से साथी या तो मौत के घाट उतार दिए गए, या फिर डर के मारे दाऊद की गैंग में शामिल हो गए. किन्तु, दाऊद के भाई का कातिल मान्या अभी भी उसके हत्थे नहीं चढ़ा था.
मान्या दाऊद से तो बचता रहा, लेकिन मुंबई पुलिस से नहीं बच पाया.
1982 में मान्या इंस्पेक्टर इशाक की गोली का निशाना बना और इस तरह उसके एनकाउंटर से दाऊद को सुकून मिला.
Dawood Ibrahim (Pic: Republic World)
जब पुलिस ने कसा शिकंजा
मान्या के एनकाउंटर के बाद एक तरह से दाऊद के सारे विरोधी गैंग समाप्त हो चुके थे, या फिर उसके साथ आ गए थे. इस दौरान हाजी गैंग के खात्मे के बाद हाजी मस्तान ने अपनी राह बदलते हुए राजनीति में कदम रख लिया.
ऐसे में अब मुंबई में सिर्फ एक ही डॉन था, दाऊद इब्राहिम! उसका खौफ लोगों को चैन की नींद सोने नहीं देता था. मगर अब मुंबई पुलिस दाऊद के पीछे हाथ धोकर पड़ चुकी थी और वो उसकी रडार में आ गया था.
पुलिस के कसते शिकंजे से परेशान होकर वो दुबई चला गया और वहीं से अपना गैंग ऑपरेट करने लगा.
बॉलीवुड और क्रिकेट से कनेक्शन
कहा जाता है कि तमाम अपराधिक गतिविधियों के साथ ही दाऊद ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में पैसा लगाया और क्रिकेट में भी अब वो दखल देने लगा था.
उसे कई बार दुबई में क्रिकेट स्टेडियम में देखा गया. पुलिस के मुताबिक दाऊद मैच फिक्स कराता था और उस पर सट्टा लगाकर करोड़ों का मुनाफा कमाता था.
इसके साथ-साथ उसका नाम ‘हवाला’ या मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल रहा, जहां काले धन का आदान-प्रदान किया जाता है.
पाकिस्तान में छिपा बैठा है!
वर्ष 1993 में मुंबई बॉम्ब ब्लास्ट कराकर उसने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली. अब भारत ही नहीं पूरी दुनिया की पुलिस उसके पीछे थी. इनसे बचने के लिए उसने पाकिस्तान में पनाह ली. बताया जाता है कि वो कराची में पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की निगरानी में कहीं छुपा बैठा है.
इस बीच कई बार उसकी मौत की ख़बर भी आई, लेकिन दाऊद मर चुका है या फिर जिंदा है, इसकी कोई पुष्टी नहीं कर सकता. दाऊद इब्राहिम का खास आदमियों में से एक छोटा शकील इन अफ़वाहों को बेबुनियाद बताता रहा.
शकील का कहना है कि ‘भाई बिलकुल सही सलामत हैं.’
बन चुकी हैं कई फिल्में
दाऊद की कहानी देखने में बहुत ही फिल्मी लगती है. यही वजह है कि इसकी पर्सनल लाइफ पर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकी हैं. फ़िल्म ‘शूटआउट एट वडाला’ में डायरेक्टर संजय गुप्ता ने असली नामों के साथ दाऊद और उसके भाई सबीर को पर्दे पर उतारा था.
इसके अलावा मिलन लुथरिया ने अपनी फिल्म ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ के जरिए दाऊद की लाइफ़ को दिखाने की कोशिश की थी. उन्होंने इसमें उसके डॉन बनने और उसकी लव लाइफ की कहानी दिखाई थी.
कहा जाता है कि ‘बी-टाउन’ की बहुत सी एक्ट्रेस के साथ उसके संबंध थे. इनमें ‘राम तेरी गंगा मैली’ फेम मंदाकिनी का नाम भी शामिल है. किसी जमाने में दाऊद की प्रेमिका रही मंदाकिनी को कई बार उसके साथ दुबई में देखा गया था.
John Abraham as a Manya in Film Shootout at Wadala (Pic: Entertainment)
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उसका ख़ास आदमी छोटा शकील उसके पैसे कई बॉलीवुड फिल्मों में लगाता रहा. कहा जाता है कि सलमान खान की फ़िल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ में दाऊद का ही पैसा लगा था.
इंटरनेशनल मैगजीन फोर्ब्स ने 2011 में दुनिया की मोस्ट वांटेड टॉप-10 अपराधियों की लिस्ट जारी की थी, इसमें वो नंबर वन पर था.
बावजूद इसके वह भारतीय पुलिस और इंटरपोल दोनों की गिरफ्त से बाहर है और रह-रहकर उसका नाम किसी न किसी रूप में सुनाई दे ही जाता है.
क्यों सही कहा न?
Web Title: How Dawood Ibrahim Become Don, Hindi Story
Feature Image Credit: DNA India