यात्रियों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए ट्रेनों का अधिक योगदान रहता है.
खासकर भारत जैसे देश में. इसके पीछे वाजिब कारण भी हैं. असल में यहां ट्रेन ही लंबी दूरी तय करने वाला सबसे सस्ता माध्यम है. बताते चलें कि भारत की एक फीसदी आबादी रोज ट्रेन में ही सफर करती है. वहीं भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. 60 हजार किलोमीटर लंबे इस नेटवर्क में प्रतिदिन करीब 11 हजार ट्रेनें चलती हैं.
तो आईए आज भारत की कुछ खास ट्रेनों को जरा नजदीक से जानते हैं-
सबसे लंबी दूरी तय करने वाली 'विवेक ट्रेन'
भारत की सबसे लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेन का नाम विवेक एक्सप्रेस है. यह ट्रेन भारत के उत्तरी पूर्व राज्य असम और दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु तक का सफ़र तय करती है. विवेक ट्रेन में लगभग 24 डिब्बे होते हैं. यह लगभग 4 हजार 273 किलोमीटर की दूरी का सफ़र करते हुए अपनी मंजिल को पहुँचती है.
वहीं इस सफ़र को तय करने में 80 घंटे 15 मिनट का वक़्त लगता है. अपने सफ़र के दौरान विवेक एक्सप्रेस का ठहराव 57 स्टेशनों पर होता है. आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में इस ट्रेन की समय सीमा को देखते सिर्फ मध्यम वर्गीय परिवार ही इस ट्रेन का पूरा सफ़र करते हैं, जिसके लिए यात्री को 4 हजार 243 रुपए का भुगतान भारतीय रेलवे को करना पड़ता है.
खास बात तो यह है कि यह भारत की सबसे लंबी दूरी तय करनी वाली ट्रेन है, जो पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है. डिब्रूगढ से कन्याकुमारी तक चलने वाली इस ट्रेन को स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस के शुभ मौके पर शुरू किया गया था.
यह इंडिया के सात राज्यों से होकर गुजरती है, जिसमें केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा , बिहार, पश्चिम बंगाल और असम राज्य शामिल हैं. इसे 2011-2012 के रेलवे बजट में पास किया गया था,. उस वक़्त ममता बनर्जी ही रेल मंत्री हुआ करती थीं!
सबसे तेज गति से चलने वाली 'गतिमान एक्सप्रेस'
वर्तमान समय में भारत के पास कई सुपर फ़ास्ट ट्रेनों के लंबी फेहरिस्त है. इन सुपर फ़ास्ट ट्रेनों की स्पीड की बात करें तो कुछ ही ट्रेनों की स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास है. इसमें सबसे पहला नाम गतिमान एक्सप्रेस का है, जिसको अक्तूबर 2014 में शुरू किया गया. भारत की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से आगरा तक का सफ़र तय करती थी, लेकिन इसी साल इस ट्रेन को ग्वालियर होते हुए झाँसी स्टेशन तक बढ़ा दिया गया.
इसकी रफ़्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है. हालांकि, आगरा कैंट से झाँसी तक के सफर के दौरान इसकी स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रहती है. गतिमान एक्सप्रेस हफ्ते में 6 दिन अपनी सेवाए प्रदान करती है. जबकि, शुक्रवार को इस ट्रेन को भारतीय रेलों की पटरियों पर न दौड़ाते हुए आराम दिया जाता है.
इसी के साथ ही नई दिल्ली से भोपाल तक का सफ़र करने वाली शताब्दी एक्सप्रेस की भी औसतन स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटे की है. यह ट्रेन पूरी तरह वातानुकूलित होती है, जिसमें उच्च कोटि के एसी डिब्बे की सुविधा उपलब्ध है.
डबल डेकर ट्रेन कम पैसे में AC का मज़ा
भारत में कई डबल-डेकर ट्रेने भारतीय पटरियों पर दौड़ती नज़र आती हैं, जिसकी स्पीड लगभग 100 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास होती है . यह ट्रेन अधिकतर उन रेल मार्गों पर चलती हैं, जिस रूट पर ट्रेनों की मांग अधिक होती है. साथ ही रात ही रात अपने सफ़र को पूरा करने में सक्षम होती है.
यह मुख्यतः दिल्ली से लखनऊ और अजमेर से दिल्ली जैसे मार्गों पर अपनी सेवा यात्रियों को प्रदान करती है.
डबल डेकर ट्रेन के एक डिब्बे में 120 यात्रियों के बैठने के लिए बड़ी आरामदायक सीटें उपलब्ध होती हैं. इसका का ए.सी. किराया नियमित मेल एक्सप्रेस ट्रेनों के थर्ड एसी के किराए से कम होता है. इसमें स्लीपर कोच को नहीं लगाया जाता, इसीलिए यह अन्य ट्रेनों की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक यात्रियों को सफ़र कराने में सक्षम है.
इसी के साथ ही इस ट्रेन में यात्रियों के लिए खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जो टिकट के पैसे में ऐड रहता है.
वातानुकूलित, लंबी दूरी की ट्रेनें
जब भारत की राजधानी कोलकाता थी, तो उस समय में कोई उड़ान सेवा नहीं थी. ऐसे में यात्रा के लिए ट्रेन ही सबसे अच्छा साधन था. इस कारण दिल्ली से कलकत्ता के बीच तेज गति से चलने वाली ट्रेनों के निर्माण के बारे में सोचा गया. नजीता यह है कि आज के समय में दिल्ली से कलकत्ता के बीच लगभग 7 एयर कंडीशन वाली ट्रेने चलती हैं.
इसी के साथ भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों के लिए दुरंतों एक्सप्रेस की भी सुविधा मुहैय्या कराई, जो लंबी दूरी तक का सफ़र तय करती है. भारतीय रेलवे ने इस ट्रेन में जनरल और स्लीपर कोच को हटाते हुए सिर्फ एसी कोच की ही सुविधा प्रदान करती है.
दुरंतों ट्रेनों का स्टॉपेज बहुत ही कम होता है, जो कम समय में अधिक गति के साथ सफ़र कराती है. जैसे चेन्नई से दिल्ली यात्रा करने वाली दुरंतो ट्रेन लगभग 2176 किलोमीटर तक सफ़र के दौरान सिर्फ 7 स्टापों पर रूकती है.
इस वातानुकूलित ट्रेनों के डिब्बे को एक अलग ही रंग में रंगा जाता है, जिसमें टेलिविज़न वेडिंग मशीन, आरामदायक बेडरूम और आधुनिक शौचालयों की सुविधा उपलब्ध होती है.
भारत की सबसे सुंदर ट्रेन 'हमसफ़र'
भारत में हमसफ़र ट्रेन में भी शताब्दी और दुरंतों की तरह सिर्फ एसी कोच ही होते हैं, इसमें भी स्लीपर और जनरल डिब्बे के लिए कोई जगह नहीं होती है. हालांकि, इसमें सिर्फ और सिर्फ 3 टियर एसी कोच ही होतें है, जो दिखने में अति सुंदर होती है.
यह ट्रेन अंदर के साथ ही बाहर से भी यात्रियों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. इसके रंग-बिरंगे कोच का कलर बेहद खूबसूरत लगता है. यही कारण है कि भारत की हमसफ़र ट्रेन को भारतीय रेलों में सबसे खूबसूरत ट्रेन का दर्जा मिला है.
इसी के साथ ही इस हमसफ़र ट्रेन भी कम समय में लंबी दूरी तय करती है. कटिहार से दिल्ली तक चलने वाली हमसफर ट्रेन को इतनी दूरी तय करने में 30 घंटे लगेंते हैं और ये ट्रेन 15 स्टेशनों पर रूकती है. हमसफ़र के साथ महाराजा एक्सप्रेस भी खूबसूरत ट्रेनों में से एक है, लेकिन इस ट्रेन को सिर्फ पर्यटकों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
तो ये थी भारत की विभिन्न ट्रेनों से जुड़ीं कुछ जानकारी.
अगर आप भी किसी खास भारतीय रेल की जानकारी रखते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.
Web Title: How much do you know about these trains of India, Hindi Article
Feature Image Credit: Medhavi Davda/Youtube