आतंकवाद आज पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है.
कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो लगभग हर देश इससे ग्रसित है. गजब की बात तो यह है कि आतंक के इस खेल को महज कुछ मुट्ठी भर लोग ही खेलते आए हैं, लेकिन उसने प्रभावित समूची दुनिया को ही किया है.
ओसामा बिन लादेन कुख्यात आतंकियों का सबसे बड़ा नाम कहा जा सकता है.
वह आंतक के खेल का कितना बड़ा खिलाड़ी था, इसको इसी से समझा जा सकता है कि उसने विश्व के सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले देश अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था की आंखों में धूल झोंककर 9/11 के रूप में कभी न भूलने वाली कटु स्मृति दे दी.
दिलचस्प बात यह है कि ओबामा शुरु से ऐसा नहीं था!
वह तो एक सिविल इंजीनियर था. ऐसे में सवाल उठता ही है कि आखिर वह कौन से कारण रहे, जिन्होंने ओसामा को आतंक के खेल का महारथी बना दिया.
आईये जानने की कोशिश करते हैं–
बचपन में पिता थे आदर्श!
ओसामा बिन लादेन का जन्म 10 मार्च 1957 को सऊदी अरब के रियाद में एक छोटे से परिवार में हुआ. उसका पूरा नाम ओसामा बिन मोहम्मद बिन अवाद बिन लादेन था. उसके अंदर जन्म से ही कुछ ऐसी खासियतें थीं, जिन्होंने उसे दूसरों से अलग बनाया.
माना जाता है कि ओसामा के जन्म के साथ ही उसके माता-पिता का रिश्ता खराब होने लगा था. नतीजा यह रहा कि उसकी मां ने मोहम्मद-अलअट्टास नामक दूसरे आदमी के साथ से निकाह कर लिया. इस कारण ओसामा को अपने चार सौतेले भाई-बहनों के साथ रहना पड़ा.
दिलचस्प बात तो यह थी कि वह अपनी मां के साथ रहता जरूर था, लेकिन वह उसके फैसले से खुश नहीं था. यही कारण रहा कि धीरे-धीरे वह अपनी मां से दूर होता चला गया और ज्यादा से ज्यादा वक्त अकेला रहने लगा.
इसी बीच वह महज 10 साल का रहा होगा, जब उसे अपने पिता की मौत की खबर मिली. इस खबर ने उसे पूरी तरह झकझोंर दिया. असल में वह अपने पिता से बहुत स्नेह रखता था. यहां तक कि वह उन्हें अपना आदर्श मानता था.
पिता की मृत्यु ओसामा के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन उसकी मां ने उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी. उन्होंने उसकी परवरिश सुन्नी मुसलमान की तरह की. बचपन से ही वह पढ़ाई में होनहार था, इस कारण उसकी तालीम का खास ख्याल रखा गया. शुरुआत में उसका दाखिला ‘ईलाइट-अल-थगेर मॉडल’ में कराया गया.
1976 तक वह इसी स्कूल का हिस्सा रहा.
Osama Bin Laden (Pic: pbs)
‘सिविल इंजीनियर’ से आगे…
शुरुआती शिक्षा के बाद 1979 में उसने सऊदी अरब के जेद्दा से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. ‘किंग अब्दुल्ला‘ नामक यूनिवर्सिटी से उसने सिविल इंजीनियर की डिग्री ली. कहा जाता है कि पढ़ाई के दिनों में वह काफी सीरियस रहा, किन्तु उसके कट्टरता भी देखने को मिली. इसी क्रम में धीरे-धीरे उसका झुकाव इस्लामिक कट्टरपंथ की ओर बढ़ता गया, जोकि उसके आतंकी बनने की नींव माना जाता है.
इस्लाम से जुड़ी किताबें उसकी खास साथी बन गईं. अपना ज्यादातर समय वह इनके साथ ही बिताने लगा. आगे कॉलेज से निकलने के बाद वह पाकिस्तान चला गया. वहां वह अब्दुल्ला आजम से जाकर मिला. उससे प्रेरित होकर वह अफगानिस्तान में चल रहे सोवियत यूनियन युद्ध में मुजाहिद्दीन का सहयोगी बन गया. उनके लिए उसने हथियारों की खरीद-फरोख्त शुरु कर दी.
आगे उसका नेटवर्क बढ़ा तो तार आईएसआई से जुड़े गए. उसने अपने साथी आजम के साथ मिलकर एक आतंक की फैक्ट्री खोली और उसका नाम रखा मकतब-अल-खिदमत!
ओसामा इसके दम पर अफगानिस्तान में सोवियत समर्थित शासन को खत्म करना चाहता था. इसके लिए उसने पाकिस्तान के कई इलाकों में कैंप लगाकर आतंक की शिक्षा देनी शुरू कर दी.
हालांकि, यह ज्यादा दिनों तक नहीं चला सका, क्योंकि वह और उसका साथी आजम दोनों अलग-अलग हो गए थे. दोनों के अलग होने की बड़ी वजह यह मानी जाती थी कि ओसामा अपने संगठन में अरब लड़ाकों की संख्या में बढ़ोतरी चाहता था, जबकि आजम को यह मंजूर नहीं था.
‘अल-कायदा’ में सक्रियता
आजम से अलग होने के बाद ओसामा ने 11 अगस्त 1988 में अपने खुद के आतंकी संगठन अल-कायदा की स्थापना की. धर्म को जीत दिलाने के उद्देश्य से बनाए गए इस संगठन को मजबूत करने के लिए उसने काफी मेहनत की. पाकिस्तानी लड़ाकों को वह आतंक की ट्रेनिंग देने लगा. उन्हें हथियारों को बनाने की बारीकियां सिखाने लगा.
कहा जाता है कि पश्चिमी देशों के समर्थन से ओसामा की ताकत बढ़ी तो 1989 के फरवरी महीने में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं हटा लीं. 1990 आते-आते ओसामा जिहाद के हीरो के रूप में सऊदी अरब वापस लौटा.
सद्दाम को ओसामा के सऊदी अरब लौटने की खबर मिली तो उसे अपने साम्राज्य के खोने का डर सताने लगा.ओसामा अपने पैर पसारता इससे पहले ही सद्दाम ने ओसामा को खामोश रखने की हिदायत दी. वह नहीं माना तो उसने उसे धमकाने की कोशिश की.
यही नहीं 1990 में जब ईराक ने कुवैत पर हमला बोला, तो सद्दाम ने सीमा की सुरक्षा का हवाला देकर लादेन के अरब लड़ाकों को भेजने का प्रस्ताव तक ठुकरा दिया. यह ओसामा को रास नहीं आया. वह सद्दाम से नफरत करने लगा. उसने कसम खा ली कि वह अपने संगठन ‘अल-कायदा’ को सऊदी में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ताकतवर बनाकर रहेगा.
Story Of Osama Bin Laden (Pic: nydailynews)
9/11 का ‘मास्टर प्लान’ और…
‘अल-कायदा’ को ताकतवर बनाने के लिए ओसामा के दिमाग में कुछ अलग करने का प्लान तैयार होने लगा. उसके दिमाग में कई बातें घूम रहीं थीं. उसने अपने संगठन को विस्तार देने के लिए सूडान का रुख किया. वहां उसने एक धमाका किया, जिसमें 2 ऑस्ट्रिया के नागरिकों की मौत हो गई. हमलों का यह दौर यहीं नहीं रुका, आगे उसने आतंक को जारी रखते हुए अपनी ताकत दिखाई.
इन हमलों ने उसे कुख्यात कर दिया!
सुरक्षा एजेंसिया उसकी खोज में जुट गई. इसके चलते ओसामा ने सोचा कि अगर वह अब सूडान में रहेगा, तो सुरक्षा एजेंसिया उसे ढूंढ निकालेगी. इस डर से उसने सूडान से अफगानिस्तान की ओर रूख किया. इसी के साथ उसके संगठन ‘अल-कायदा’ ने कई हमलों का मास्टर प्लान तैयार किया. इनमें 1998 में हुए केन्या के नैरोबी में अमेरिकी दूतावास पर धमाका प्रमुख रहा, इसमें 213 लोगों की मौत हुई थीं, जबकि 4500 लोग घायल हुए थे.
इसी कड़ी में 12 अक्टूबर 2000 को यमन के तट पर ओसामा ने एक विस्फोटकों से भरी नाव अमेरिकी नौसेना के खेमे में भेज दी. इसमें 17 नाविकों की मौत हो गई और 38 घायल हो गए. इस हमले की लादेन ने खुले तौर पर जिम्मेदारी ली.
वह इन छोटे-मोटे हमलों से ऊब चुका था. उसे जल्द ही विश्व स्तर पर अपनी धमक दिखानी थी. इसके लिए उसने अमेरिका को अपना टारगेट बनाया.
अफ़ग़ानिस्तान में मुल्ला उमर के शासन को लादेन असली इस्लाम का शासन मानता था, जबकि अमेरिका समेत पश्चिम को वह इस्लाम के खिलाफ मानने लगा था. इसी क्रम में उसकी सऊदी अरब की नागरिकता भी ख़त्म कर दी गयी थी, जबकि उसके परिवार ने उससे अपना नाता तोड़ लिया था!
11 सितंबर 2001 का वह दिन किसी आम दिन जैसा ही था. हर कोई अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त था. सब कुछ आराम से चल रहा था. तभी टीवी पर आई एक खबर ने पूरे अमेरिका को हिला कर रख दिया. खबर थी कि अमेरिका की प्रसिद्ध बिल्डिंग वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर एक प्लेन टकरा गया था, जिससे पूरे अमेरिका में अफरा-तफ़री मच गई थी.
लोग अपने परिजनों को फ़ोन कर रहे थे. टीवी पर मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा था. देखते ही देखते अमेरिका में मातम छा गया. ओसामा के इस हमले से पूरी दुनिया सन्न रह गई. उसने अमेरिका को एक ऐसा जख्म दिया, जो अमेरिका कभी नहीं भूल सकता. यही कारण रहा कि वह अमेरिका की नजरों में नासूर बनकर चुभने लगा. वह सीधे तौर पर अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया.
Story Of Osama Bin Laden (Pic: arabi21)
कहते हैं इसी घटना के बाद अमेरिका ने उसकी मौत की पटकथा लिख दी थी. उन्होंने सीधा संदेश दे दिया था कि गुनहगारों को सजा मिलकर रहेगी. बस यहीं से शुरु हो गई ओसामा की खोज! अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों जार्ज बुश और बराक ओबामा ने अपने सैनिकों को उसके पीछे लगा दिया.
यहाँ तक कि इसी के लिए अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका द्वारा हमला भी किया गया!
एक खास मिशन के तहत जहग-जगह ओसामा को ढूंढा जाने लगा. अंत में 2 मई 2011 को आतंक के इस नाम को हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया. इस तरह अपने मिशन के जरिए अमेरिका ने ओसामा जैसे आतंकवादी को मार गिराया. इसके साथ ही वह दुनिया को यह संदेश देने में कामयाब रहा कि भले ही थोड़ी देर हो जाए पर बुरे कामों की सजा मिलकर ही रहती है.
Web Title: How Osama Become Terrorists, Hindi Article
Feature Image Credit: xici