दुनिया में हर पल कुछ ना कुछ घटित होता है, समय बढ़ता रहता है और तारीखें बदलती रहती हैं. ऐसे में कहीं कोई नई दास्तां लिखी जा रही होती है, तो कहीं एक कहानी समाप्त हो जाती है. ये सभी इतिहास के पन्नों में गहरी छाप छोड़ देती हैं.
तो चलिये आज इतिहास के पन्नों को पलटकर 20 फरवरी से संबंधित महत्वपूर्ण किस्सों को देखें–
मिजोरम बना नया ‘राज्य’
उत्तर पूर्व में बसा मिजोरम 20 फरवरी के दिन ही सन 1987 में भारत का 23वां राज्य बनाया गया. इससे पहले 1972 में केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का हिस्सा हुआ करता था.
19वीं शताब्दी में ब्रिटिश प्रभाव बढ़ने के साथ मिजोरम 1891 में ब्रिटिश अधिकार में आ गया. इसके बाद कई वर्षों तक मिजोरम के उत्तर का लुशाई पहाड़ी क्षेत्र असम और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन रहा. सन 1898 में दोनों को मिलाकर एक जिला बना दिया गया जिसका नाम था लुशाई हिल्स.
1967 में वहां के स्थानीय राजनीतिक दल, मिजो नेशनल फ्रंट को गैर कानूनी घोषित किए जाने के बाद मिजोरम को अलग राज्य बनाने की मांग बढ़ने लगी थी.
1971 में मिजो जिला परिषद के प्रतिनिधियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने यह मांग रख दी. 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश बन गया. भारत सरकार और मिजो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया.
A Glimpse Of Mizoram Culture (Pic: holidify)
विश्व सामाजिक न्याय दिवस
आज के ही दिन यानी 20 फरवरी को पूरे विश्व में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है.
समाज में फैले भेदभाव और असमानता की वजह से कई बार हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि मानवाधिकारों का हनन भी होने लगता है. इसी तथ्य को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
सन 2009 से इस दिवस को पूरे विश्व में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है. इस अवसर पर विभिन्न संगठन, जैसे संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा लोगों से सामाजिक न्याय के लिए अपील की जाती है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में इस दिवस की स्थापना की थी लेकिन इस दिन को असल में मनाने की शुरुआत 2009 में हुई.
हर साल विश्व सामाजिक न्याय दिवस के लिए एक थीम का चयन होता है. इस थीम के माध्यम से लोगों को किसी ख़ास विषय पर जागरूक करने की कोशिश होती है. इस साल संयुक्त राष्ट्र ने जो थीम चुनी है, वो है ‘वर्कर ऑन दा मूव: दा क्वेस्ट फॉर सोशल जस्टिस’.
इस विषय का मकसद दूसरे देशों से काम करने आए लोगों के साथ सामाजिक न्याय की पहल करना है.
World Day Of Social Justice. (Representative Pic: exhibitmag)
‘अमृत बाज़ार पत्रिका’ की शुरूआत
भारत की आज़ादी में मीडिया का बेहद अहम रोल रहा था.
उस दौरान कई ऐसी पत्रिकाएं और अख़बार छपे जिनसे लोगों को जागरूक किया गया और कलम की ताकत से अंग्रेजों के ख़िलाफ आवाज़ बुलंद की गई. ऐसा ही एक समाचार पत्र था अमृत बाज़ार पत्रिका.
अमृत बाज़ार पत्रिका अंग्रेजी एवं बांग्ला भाषा का प्रमुख भारतीय समाचार पत्र था.
इसकी गिनती भारत के सबसे पुराने समाचार पत्रों में होती है. इसका पहला प्रकाशन आज ही के दिन यानि 20 फ़रवरी को सन 1868 को हुआ था. इसकी स्थापना बंगाल के अमीर घराने के दो भाई शिषिर घोष और मोतीलाल घोष ने की थी.
शुरुआत में यह पत्रिका साप्ताहिक रूप में शुरू की गई लेकिन बाद में इसे दैनिक अख़बार बना दिया गया.
पहले इसका संपादन मोतीलाल घोष करते थे जिनके पास विश्वविद्यालय की डिग्री तक नहीं थी. लेकिन उन्होंने कलम की ताकत को पहचाना और ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ लिखा. इस समाचर पत्र ने हर मुद्दे पर अपने विचार खुलकर रखे.
यह अख़बार अपनी ईमानदार और तेज-तर्रार रिपोर्टिंग के लिए प्रसिद्ध था. अमृत बाजार पत्रिका इतना तेजस्वी समूह था कि भारत के राष्ट्रीय नेता सही सूचना के लिए इस पर भरोसा करते थे.
Amrit Bazar Patrika Newspaper. (Pic: scoopwhoop)
सोवियत रूस के मीर अंतरिक्ष केंद्र का प्रक्षेपण
सोवियत संघ ने 20 फरवरी 1986 में अंतरिक्ष केंद्र ‘मीर’ का प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नए चरण की शुरूआत की. रूसी भाषा में मीर का अर्थ शांति और विश्व होता है.
ये अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा अंतरिक्ष केंद्र था. मीर के सफल प्रक्षेपण से तीन हफ्ते पहले ही अमेरिकी अंतरिक्ष यान चैलेंजर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए थे.
सोवियत के अंतरिक्ष केंद्र में एक साथ सात से दस अंतरिक्ष यात्री से रह सकते थे जिसका मकसद स्थायी रूप से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेस की तरह काम करना था.
इसके अलावा इसके शक्तिशाली कैमरों से पृथ्वी की तस्वीरें भी भेजी जा सकती थीं और धरती के भीतर खनिजों की स्थिति का पता भी लगाया जा सकता था.
Russia’s Mir Space Station. (Pic: time)
अरुणाचल को मिला राज्य का दर्जा
आज ही के दिन यानी 20 फरवरी 1987 को अरुणाचल को भी राज्य का दर्जा दिया गया.
सन् 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) के नाम से जाना जाता था. संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परंतु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहां के प्रशासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था. 1965 के पश्चात असम के राज्यपाल द्वारा यहां का प्रशासन गृह मंत्रालय के अंतर्गत आ गया था.
सन् 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम ‘अरुणाचल प्रदेश’ किया गया. इस सब के बाद 20 फ़रवरी, 1987 को यह भारतीय संघ का 24वां राज्य बनाया गया.
अरुणाचल प्रदेश बर्फ से ढके पहाड़ों की चमचमाती चोटी, खूबसूरत वादियां, तंग जगहों से पानी का घुमावदार बहाव और बौद्ध साधुओं के भजन की पावन ध्वनि से सजा प्रदेश है. इसकी प्रमुख विषेशता विविध प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु हैं.
Arunachal Pradesh (Pic: fameofcity)
तो ये थीं 20 फरवरी से जुड़ी कुछ ख़ास घटनाएं, जिन्हें इतिहास के पन्नों में जगह मिली.
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Web Title: Important Historical Events of 20th February, Hindi Article
Featured Image Credit: tourism.mizoram