हर दिन में कुछ ना कुछ ख़ासियत होती है, जिसके चलते वह दिन अपना अलग महत्व और इतिहास रखता है.
इतिहास के पन्ने में आज का दिन यानि 17 फरवरी भी कई वजहों से याद किया जाएगा.
तो चलिये जानने की कोशिश करते हैं कि क्या ख़ासियत है आज के दिन की–
तब चीन ने वियतनाम पर किया था ‘हमला’
17 फरवरी 1979 को चीन की सेना ने वियतनाम पर धावा बोल दिया था. कई महीनों से चीन और वियतनाम की सीमा पर विवाद होने से दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी हुई थी.
दरअसल, वियतनाम ने चीन के प्रतिद्वंद्वी सोवियत संघ से अपने रिश्ते मजबूत कर लिए थे. 1978 में वियतनाम ने कंबोडिया पर हमला किया था और उसके बाद कंबोडिया के नेता पोल पॉट की नेतृत्व वाली सरकार गिर गई.
पोल पॉट की सरकार को चीन का समर्थन हासिल था.
वियतनाम की इस हरकत से चिढ़कर चीन की सेना ने वियतनाम पर हमला बोल दिया. सीमा पर दोनों देशों के बीच 17 फरवरी 1979 से लेकर 16 मार्च 1979 तक युद्ध चला. इस युद्ध के बाद दोनों ही देशों ने जीत का दावा किया.
युद्ध के खत्म होने के बाद चीनी सेना वियतनाम से वापस चली. वियतनाम ने भी कंबोडिया में स्थित अपने डेढ़ लाख सैनिकों को वापस बुला लिया था. 16 मार्च को चीनी सेना ने वियतनाम से वापसी करते हुए भारी तबाही मचाई. उसने वियतनाम में आधारभूत ढांचों को नष्ट कर दिया.
चीन ने दावा किया कि उसने वियतनामी प्रतिरोध को कुचल दिया. वहीं वियतनाम का दावा था कि चीन की लड़ाई मिलिशिया (आम लड़ाकों जो सैनिक नहीं थे) से ही हुई. इस युद्ध में दोनों देश के एक लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए और हजारों घायल हुए.
इस युद्ध के बाद, अगले एक दशक तक दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल रहा.
China-Vietnam War 1979(Pic: civilianmilitaryintelligencegroup)
एड शीरन का जन्मदिन
गाने ‘शेप ऑफ यू’ से पूरी दुनिया को अपनी धुन पर थिरकाने वाले एड शीरन का जन्मदिन 17 फ़रवरी को ही है. एड शीरन एक जाने-माने ब्रिटिश गायक हैं, जिनके गाने आजकल पूरी दुनिया में छाए हुए हैं.
शीरन ने चार साल की उम्र में एक चर्च में गाना शुरू कर दिया था. बाद में वह अपने गानों के वीडियो यू-ट्यूब पर भी अपलोड करने लगे थे. उनकी डेब्यू एलबम ‘प्लस’ थी, जो साल 2011 में आई थी. वह गायक होने के साथ गीतकार, गिटारिस्ट और रिकॉर्ड प्रोड्यूसर भी हैं.
शीरन का ‘शेप ऑफ यू’ गाना काफ़ी लोकप्रिय रहा था. इसे ब्रिटेन में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी काफी पंसद किया गया था. यह गाना 44 देशों में नंबर वन रहा था.
इसके लिए शीरन को ब्रिट और ब्रिटिश ब्रेकथ्रू अवॉर्ड्स मिले थे. ये गाना जनवरी 2017 में रिलीज हुआ था. अभी पिछले साल एड शीरन अपने कंसर्ट के लिए भारत आए थे. उनका कंसर्ट देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई थी.
ऐसा दावा किया गया था कि करीब 48 घंटे में शीरन के शो के 10 हज़ार टिकट बिक गए थे.
British Singer Ed Sheeran (Pic: capitalfm)
‘वॉयस ऑफ अमेरिका’ का प्रसारण
17 फरवरी को ही ही सन 1947 में सोवियत संघ में वॉयस ऑफ अमेरिका का रेडिया प्रसारण आरंभ किया गया था.
वॉयस ऑफ़ अमेरिका (वीओेए) अमेरिकी सरकार की आधिकारिक मल्टीमीडिया प्रसारण सेवा है. यह अंतरराष्ट्रीय प्रसारण सेवाओं में जाना-माना नाम है. अंग्रेज़ी के अतिरिक्त वीओए 40 से अधिक भाषाओं में भी प्रसारण करता है. इस सेवा का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को विश्व के बारे में अमेरिकी दृष्टिकोण और वहां के जीवन से रू-ब-रू कराना है.
वीओए को 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की नीतियों को समझाने और दुनिया में अपने साथियों का मनोबल बढ़ाने के लिए बनाया गया.
सोवियत संघ में वॉयस ऑफ अमेरिका को शुरू करने का उद्देश्य वहां के लोगों को अमेरिकी जीवनशैली के बारे में बताना था. उस समय समाचार कहानियां, मानव-रुचिकर सुविधाओं और संगीत से जुड़े प्रोग्राम को शामिल किया गया था.
वॉयस ऑफ अमेरिका ने कहा था कि यह सेवा ‘रूसी और अमेरिकी लोगों के बीच समझ और आधार की दोस्ती बढ़ाएगी’. सोवियत संघ में ‘वीओए’ काफी लोकप्रिय रहा था.
Voice of America(VOA) in 1950 (Pic: bbc)
दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति ने कहा अलविदा
17 फरवरी को ही जाने-माने दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति दुनिया को अलविदा कह गए.
जे. कृष्णमूर्ति दार्शनिक और लेखक के रूप में जाने जाते हैं. बावजूद इसके उन्हें अपनी विशेषताओं का कभी अभिमान नहीं रहा. यहां तक कि उन्होंने किसी को भी शिष्य नहीं बनाया लेकिन लोग उन्हें अपना मसीहा मानते थे. वह बात और है कि उन्होंने अपनी इस छवि को सिरे से खारिज कर दिया और उन्हें केंद्र में रखकर बनाया गया एक संगठन भी भंग कर दिया.
कृष्णमूर्ति ने सत्य को एक ‘मार्गरहित भूमि’ बताया और कहा कि किसी भी औपचारिक धर्म, संप्रदाय और दर्शन के माध्यम से इस तक नहीं पहुंचा जा सकता है. उन्होंने जीवन में कई देशों की यात्राएं की और नए लोगों से मुलाकात की. उनसे कुछ सीखा और कुछ उन्हें सिखाया.
उनके साहित्य में सार्वजनिक वार्ता, प्रश्नोत्तर, परिचर्चा, साक्षात्कार, परस्पर संवाद, डायरी और उनका खुद का लेखन शामिल है, जोकि अब तक 75 से अधिक पुस्तकों, 700 से अधिक ऑडियो और 1200 से अधिक वीडियो कैसेट्स सीडी के रूप में उपलब्ध हैं.
भारत के इस महान व्यक्तित्व ने 91 वर्ष की आयु में अपने प्राण त्याग दिए. किन्तु, उनके विचार और जीवन आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.
Indian Philosopher Jiddu Krishnamurthy (Pic: thewisdomdaily)
स्वतंत्रता सेनानी ‘वासुदेव’ का निधन
भारत योद्धओं की भूमि है. यहां ऐसे योद्धाओं ने जन्म लिया, जो न तलवार से डरे न बंदूक से. उन्होंने हर चुनौती का सामना डटकर किया. ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे वासुदेव बलवंत फड़के.
वासुदेव बलवंत फड़के ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले भारत के प्रथम क्रान्तिकारी थे. उनका जन्म महाराष्ट्र के रायगड़ ज़िले के ‘शिरढोणे’ नामक गांव में हुआ था. वासुदेव ने अपनी स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और देश सेवा में लग गए.
स्कूल छोड़ने के बाद वे पुणे चले गए और अपने गुरु क्रांतिकारी लहुजी वस्तद साल्वे के मार्गदर्शन में स्वतंत्रता के महत्व को समझा. साथ ही जाना कि किस तरह एकजुट होकर ही स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है.
फड़के ही थे जिन्होंने, 1857 की प्रथम संगठित महाक्रांति की विफलता के बाद आज़ादी के महासमर की चिंगारी जलाई थी. देश के लिए अपनी सेवाएं देते हुए 1879 में फड़के अंग्रेज़ों द्वारा पकड़ लिये गए और आजीवन कारावास की सज़ा देकर इन्हें यमन के शहर, अदन में भेज दिया गया. यहां पर फड़के को कड़ी शारीरिक यातनाएं दी गईं.
इसी के फलस्वरूप 17 फरवरी 1883 को महज़ 38 की आयु में इनकी मृत्यु हो गई.
Vasudev Balwant Phadke (Pic: flickr)
तो ये थीं आज के दिन से जुड़ी कुछ ख़ास झलकियां. अगर आप भी 17 फरवरी से जुड़ी किसी ख़ास बात की जानकारी रखते हैं, तो कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.
Web Title: Important Historical Events of 17th February, Hindi Article
Featured Representative Image Credit: nationalinterest