दुनिया का इतिहास सुनहरे पन्ने संजोए हुए है.
हर दिन इतिहास का एक नया अध्याय लेकर आता है, जिसे जानना दिलचस्प होता है.
तो चलिये 19 फरवरी के इतिहास पर नज़र डालते हैं और जानते हैं कौन-सी खट्टी-मीठी यादें समेटे है यह दिन –
‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ का जन्म
भारतीय इतिहास के लोकप्रिय सेनानायकों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. शिवाजी की एक पहचान यह है कि वह मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. उन्होंने अपने शासनकाल में कई ऐसे कदम उठाए, जिन्हें आज भी मील का पत्थर माना जाता है.
बचपन से ही वह अपनी मां से वीर योद्धाओं की कहानियां सुनते आए थे. इन कहानियों ने शिवाजी के बाल मन पर ऐसा असर डाला कि वह निडर बनते चले गए.
उनकी सबसे बड़ी खासियत यह रही कि एक सेनानायक के रूप में वह कभी विवादों में नहीं रहे. उनके अंदर दूसरी सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वह एक कुशल सेनानायक होने के साथ-साथ तेज रणनीतिकार भी थे. उनकी सेना में एक लाख से भी ज्यादा सैनिकों की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है.
लोकप्रियता की बात की जाए तो आज भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है. खास तौर पर महाराष्ट्र के लोगों की जुबान से उनके शौर्य और साहस के किस्से सुनने को मिल ही जाते हैं. अपने शासनकाल में उन्होंने जिस तरह से अपने सम्राज्य को बढ़ाया, वह आगे की पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बना. यही कारण है कि 19 फरवरी को ‘शिवाजी जयंती’ के रूप में उन्हें याद किया जाता है.
Chhatrapati Shivaji Maharaj (Pic: swamivivekananda)
स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले का निधन
19 फरवरी को ही भारत की आज़ादी में अहम भूमिका निभाने वाले गोपाल कृष्ण गोखले का निधन हुआ था. गोपाल कृष्ण गोखले महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे. महात्मा गांधी तक ने राजनीति के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा.
इसीलिए वह राष्ट्रपिता के राजनीतिक गुरू भी कहलाए.
यही नहीं कुछ इतिहासकारों की मानें तो गोखले सिर्फ महात्मा गांधी के ही नहीं, बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के भी राजनीतिक गुरू थे. माना जाता है कि यदि गोखले जीवित होते तो शायद जिन्ना देश बंटवारे की बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.
जन नेता की छवि वाले गोखले एक नरमपंथी सुधारवादी थे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही देश में व्याप्त जातिवाद और छुआ-छूत के खिलाफ भी संघर्ष किया. साथ ही वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्य रहे.
अपना जीवन देश के नाम समर्पित करने वाले भारत की इस महान आत्मा ने 19 फरवरी 1915 को अंतत: दुनिया को अलविदा कह दिया था.
Indian Political Leader Gopal Krishna Gokhale (Pic: hindgrapha)
‘कास्त्रो’ ने राजनीति को कहा अलविदा
दुनिया के सबसे ताकतकर कम्युनिस्ट नेताओं में से एक फिदेल कास्त्रो ने 19 फरवरी के दिन ही अपने राजनीतिक सफर को खत्म करने की घोषणा की थी.
फिदेल कास्त्रो दुनिया के ऐसे चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने किसी देश पर लंबे समय तक राज किया हो. उन्होंने साल 1959 में क्यूबा तानाशाह बतिस्ता को सशस्त्र आंदोलन से हटाकर सत्ता पर कब्जा किया था, तब से लेकर अभी तक क्यूबा में कास्त्रो परिवार का ही कब्जा है.
साल 2008 में फिदेल ने सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो को सौंपी थी. कास्त्रो ने लगभग पचास साल तक क्यूबा पर एकछत्र राज किया. उनके समर्थक जहां समाजवाद को बढ़ावा देने के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं, वहीं विरोधियों का कहना है कि उन्होंने अपने आलोचकों का उत्पीड़न और शोषण किया.
फिदेल उन गिने-चुने नेताओं में शामिल थे, जो अमेरिका के आगे नहीं झुके. अमेरिका के प्रकोप से बचने के लिए कास्त्रो ने सोवियत संघ से मित्रता की.
बताते चलें कि अमेरिका ने कई बार कास्त्रो की हत्या की साजिश रची और उनकी सरकार को गिराने की कोशिश भी की गई, लेकिन उन्हें हर बार नाकामी ही हाथ लगी.
सन 2008 के आसपास उनकी तबियत बिगड़ी, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रपति पद से हटना पड़ा. इसके बाद 90 वर्ष की उम्र में वह हमेशा के लिए दुनिया छोड़ चले गए.
Leader of the Cuban Revolution, Fidel Castro (Pic: thedailybeast)
चीनी नेता डेंग शियाओ का निधन
चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत के लिए मशहूर डेंग शियाओ पिंग ने 19 फरवरी के दिन ही 1997 में अंतिम सांस ली थी. 1978 में सत्ता पर बैठते ही उन्होंने चीन के अंदर आर्थिक सुधार करने शुरू कर दिए. इसके चलते वह चीन के महान राजनेता के रूप में याद किए जाते हैं.
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनका नाम 1989 में तियानानमेन स्क्वेयर पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों को दबाने के लिए सैन्य बल के इस्तेमाल से जोड़कर याद किया जाता है.
इस घटना के बाद दुनिया भर में उनकी निंदा हुई थी.
इसके अलावा उन्हें विरोधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए भी जाना जाता है. डेंग चीन के कितने शक्तिशाली नेता थे, इसको इसी से समझा जा सकता है कि उनके रिटायरमेंट के बाद भी कोई फ़ैसला उनसे पूछे बिना नहीं किया जाता था.
1960 में उनके प्रयासों से चीनी अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी. किन्तु, तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष माओ की राजनीतिक नीतियों के रहते यह आसान नहीं था. चीन में सांस्कृतिक क्रांति के दौरान उन्हें दरकिनार कर दिया गया.
माओ के निधन के बाद वे फिर से सत्ता के केंद्र में वापस लौटे और 1978 में माओ के वारिस हुआ गुओफेंग को मात देकर पार्टी के सर्वोच्च नेता बने.
उन्होंने चीनी बाजार को विदेशी निवेश और निजी कंपनियों के बीच मुकाबले के लिए खोल दिया. दुनिया में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में चीन को शुमार करने और चीन में लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का श्रेय उन्हीं को दिया जाता है.
Chinese Communist leader Deng Xiaoping (Middle) (Pic: commons.wikimedia)
एडिसन ने कराया ‘फोनोग्राफ’ का पेटेंट
आज ही के दिन यानी 19 फरवरी 1878 को महान आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन ने अपने आविष्कार फोनोग्राफ को पेटेंट करवाया था. फोनोग्राफ पहली ऐसी डिवाइस थी, जिसमें आवाज़ को रिकॉर्ड करने के साथ ही वापस सुना भी जा सकता था.
गौरतलब हो कि अपने जीवनकाल के दौरान, एडिसन ने 1,093 अमेरिकी पेटेंट प्राप्त कराए. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जर्मनी में भी उनके कई सारे पेटेंट्स हैं. उनके इन्हीं पेटेंट्स के साथ ही उनके आविष्कार भी उस समय काफी प्रचलित होने लगे थे, जिनमें इलेक्ट्रिक लाइट और पॉवर यूटिलिटीज, साऊंड रिकॉर्डर और मोशन पिक्चर कुछ बड़े उदाहरण हैं.
गौर करें तो पाएंगे कि एडिसन के आविष्कार अधिकतर मॉस-कम्युनिकेशन और टेली-कम्युनिकेशन से संंबंधित थे. उन्होंने ऐसे आविष्कार किए, जिन्होंने दुनिया में परिवर्तन की बयार ला दी, यहां तक कि लोगों के जीने का तरीका भी बदल दिया.
एडिसन अपने काम के प्रति कितने समर्पित थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपने जीवन के आख़िरी दिनों में भी वह काम में लगे रहे. यही कारण रहा कि सारी दुनिया ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना.
आज भी उनके आविष्कारों का प्रभाव हम अपने जीवन पर देख सकते हैं.
Thomas Edison With His Phonograph (Pic: wikipedia)
तो ये थे 19 फरवरी से ज़ुड़े कुछ दिलचस्प किस्से. अगर आप भी इस दिन से संबंधित किसी ख़ास बात की जानकारी रखते हैं, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.
Web Title: Important Historical Events of 19th February, Hindi Article
Featured Representative Image Credit: wikipedia