इतिहास का हर दिन किसी न किसी बड़ी घटना का गवाह रहा है!
उन लोगों के किस्सों का गवाह भी, जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया, साथ ही उन बदलावों का जिन्होंने देश-विदेश में हलचल पैदा कर दी थी.
ये ऐसी घटनाएं थीं जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं.
तो चलिये दोबार से उन महत्वपूर्ण घटनाओं का रुख करते हैं और ऐतिहासिक किस्सों को जानने की कोशिश करते हैं, जो 22 फ़रवरी के दिन घटित हुई थीं–
भारत के पहले शिक्षा मंत्री का निधन
आज ही के दिन यानी 22 फरवरी 1958 को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का निधन हुआ था. ये ‘मौलाना आज़ाद’ के नाम से मशहूर थे. मौलाना आज़ाद भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. वह एक महान विद्वान होने के साथ-साथ एक कवि भी थे.
मौलाना आज़ाद अरबी, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी के साथ साथ कई और भाषाओं में भी पारंगत थे. मौलाना आज़ाद का शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा. उन्हीं के प्रयत्नों से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना हो सकी.
अबुल कलाम ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की जहां उन्हें विभिन्न विषयों को पढ़ाने के लिए अलग-अलग अध्यापक आया करते थे और इन्होंने दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र व गणित की शिक्षा प्राप्त की थी. हालांकि अबुल कलाम ने अपनी शिक्षा इस्लामी ढंग से पूरी की, लेकिन वो एक प्रगतिशील विचारों के मुसलमान ही रहे.
उन्होंने धर्म के एक संकीर्ण दृष्टिकोण से मुक्ति पाने के लिए अपना उपनाम ‘आज़ाद’ रख लिया था. वहीं भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मौलाना आज़ाद प्रथम शिक्षा मंत्री बने.
राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया.
Maulana Abul Kalam Azad, First Education Minister of Independent India (Pic: culturalindia)
जब ‘बा’ ने कहा अलविदा
कस्तूरबा गांधी को हम मोटे तौर पर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी के रूप में जानते हैं. पर महात्मा गांधी की पत्नी होने के अलावा कस्तूरबा गांधी की अपनी भी पहचान थी. वह एक समाज सेविका थीं.
13 साल की उम्र में ही कस्तूरबा की शादी मोहनदास गांधी से करा दी गई, पर उनके गंभीर और स्थिर स्वभाव के चलते सभी उन्हें ‘बा’ कहकर पुकारने लगे. आज ही के दिन यानी 22 फरवरी सन 1944 को ‘बा’ इस दुनिया को अलविदा कह गईं.
कस्तूरबा गांधी वो व्यक्तित्व थीं जिन्होंने महात्मा गांधी का हर राह में साथ दिया. वह हमेशा गांधी जी के साथ कदम से कदम मिला कर चलीं. गांधी जी ने जो काम गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए किया वो तो हम सब जानते हैं, पर ये बात बेहद कम लोगों को पता है कि दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीयों को काम कराने के विरुद्ध आवाज उठाने वाली कस्तूरबा ही थीं. सबसे पहले कस्तूरबा ही इस बात को प्रकाश में लाईं और उनके लिए लड़ते हुए कस्तूरबा को तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा.
साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए महात्मा गांधी जब जेल चले गए तब स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं.
1915 में कस्तूरबा जब महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो साबरमती आश्रम में लोगों की मदद करने लगीं. आश्रम में सभी उन्हें ‘बा’ कहकर बुलाने लगे!
इस तरह कस्तूरबा गांधी आज की महिलाओं के लिए मिसाल पेश करती हैं.
Kasturba Gandhi (Pic: thefamouspeople)
भारत की पहली कपड़ा मिल खुली!
भारत में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोज़गार उत्पादक कपड़ा उद्योग है. कपड़ा उद्योग का एक विस्तृत इतिहास है, जिसकी शुरुआत असल में सन 1854 से होती है. जब मुंबई में एक पारसी व्यापारी कावसजी डावर ने भारत का पहला कपड़े का कारखाना खोला था.
वैसे तो, आधुनिक ढंग की सूती वस्त्र की पहली मिल की स्थापना 1818 में कोलकता के पास फोर्ट ग्लास्टर में की गई थी, किन्तु यह असफल रही थी. इसके बाद सन 1851 में मुम्बई में एक और कारखाना स्थापित किया गया, पर वह भी असफल रहा.
सबसे पहला सफल आधुनिक कारख़ाना 1854 में मुम्बई में स्थापित हुआ, जिसमें 1856 से उत्पादन प्रारम्भ हुआ.
यह भारत का पहला स्टीम से चलने वाला कारखाना था. इस कारखाने को 5 लाख के निवेश के साथ शुरू किया गया था. इसके बाद ही भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ. इसके बाद वर्ष 1861 में अहमदाबाद में पहला कपास का कारखाना शुरू किया गया, जो बाद में मुंबई के कपड़ा मिल का एक प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरा.
वर्ष 1988 तक भारत में इस उद्योग से सम्बन्धित 1227 मिलों की स्थापना की जा चुकी थी, जिसमें 771 मिलों में केवल सूत की कताई होती थी, जबकि 283 मिलें कताई के साथ ही वस्त्र निर्माण करने का भी काम करती थीं.
India’s first Textile mill (Pic: corneredzone)
प्रथम अमेरिकी राष्ट्रपति का जन्मदिन
अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन का जन्म आज ही के दिन यानी 22 फरवरी 1732 को वर्जीनिया में हुआ था.
उन्होंने अमेरिकी सेना का नेतृत्व करते हुए ब्रिटेन के खि़लाफ अमेरिकी क्रान्ति में विजय हासिल की. सन 1789 में उन्हें अमेरिका का पहला राष्ट्रपति चुना गया. वॉशिंगटन दो बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने और सन 1789 से लेकर 1797 तक पद पर रहे.
जब वॉशिंगटन 11 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. पिता की मौत के बाद वॉशिंगटन मां का हाथ बंटाने लगे और धीरे-धीरे खेती के कार्य में निपुण हो गए व भू-मापक का कार्य संभालने लगे. बाद में वे सेना में शामिल हो गए.
अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध के दौरान उन्होंने महाद्वीपीय सेना के कमांडर-इन-चीफ के रूप में सेवा की और बाद में 1787 में अमेरिका की संविधान कमेटी के अध्यक्ष बने.
जॉर्ज वाशिंगटन संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति होने की अपेक्षा अमेरिका के महान सेनानी के रूप में अधिक याद किए जाते हैं.
उनको अमेरिका का ‘राष्ट्रपिता’ भी माना जाता है!
1789 में सर्वसम्मति से वह राष्ट्रपति चुने गए. इस पद पर उन्होंने दो कार्यकाल पूरे किए. तीसरे कार्यकाल के आग्रह को ठुकराकर वे अपने बागान चले गए, लेकिन 1799 में वे फिर लौटे और उन्होंने सेना के कमांडर इन चीफ का पद संभाला. 67 साल की उम्र में गले में इंफेक्शन से माउंट वर्टन में उनकी मौत हो गई.
George Washington, America’s First President (Pic: thedailybeast)
भेड़ डॉली का ‘क्लोन’ बनाने की घोषणा
22 फरवरी 1997 को स्कॉटलैंड के रोसलिन संस्थान में शोधकर्ताओं की एक टीम ने पहली बार किसी स्तनधारी जीव से निकाली गई कोशिका से ‘क्लोन’ बनाने की घोषणा की.
इस ‘क्लोन’ से एक भेड़ पांच जुलाई 1996 को पैदा हुई लेकिन इसकी घोषणा फरवरी में ही की गई. इससे पहले ‘क्लोनिंग’ भ्रूण कोशिकाओं से की गई थी लेकिन इस बार वयस्क कोशिका का इस्तेमाल किया गया.
पैदा होने के बाद ‘क्लोन’ भेड़ को पहले एक कोड संख्या दी गई. फिर जब एक शोधकर्ता को पता चला कि क्लोन बनाने के लिए जिस कोशिका का इस्तेमाल किया गया, वो स्तन से ली गई थी, तो भेड़ का एक नाम रखा गया.
अभिनेत्री और गायिका डॉली पार्टन भी काफी हृष्ट-पुष्ट थीं और उनके नाम पर भेड़ का नाम ‘डॉली’ रखा गया.
इस ऐलान के बाद विश्वभर में क्लोनिंग के ग़लत इस्तेमाल की आशंका पर बहस छिड़ गई. फरवरी 2003 में डॉली की मौत हो गई. अब डॉली को स्कॉटलैंड के नेशनल म्यूज़ियम की प्रदर्शनी में देखा जा सकता है.
Dolly, (right), the first cloned sheep (Pic: usnews)
तो ये थीं आज के दिन से जुड़ी कुछ ख़ास घटनाएं.
अगर आपके पास भी इस दिन संबंधित कुछ विशेष और ऐतिहासिक जानकारी है तो कृपया कमेंट बॉक्स में हमारे साथ ज़रूर शेयर करें.
Web Title: Important Historical Events of 22nd February, Hindi Article
Featured Image Credit: caravanmagazine